मध्यप्रदेश के लिपिकों ने न्यायसंगत वेतन प्राप्त करने के लिए कई दौर देख लिया है परन्तु उनको उनका अधिकार अब तक प्राप्त नहीं हुआ है। पिछले 40 सालों में 10 से अधिक कमेटियां और साथ ही साथ माननीय उच्च न्यायालय द्वारा लिपिक हित में फैसला होने के बावजूद भी लिपिकों को उनके अधिकार से वंचित रखा गया है। मध्यप्रदेश के लिपिक से कम वेतन प्राप्त करने वालों पदों को पिछले कुछ ही सालों में लिपिक से अधिक वेतनमान के साथ नवाज़ा गया है, परन्तु लिपिकों की भर्ती योग्यता उच्च रखने के बावजूद भी उनके साथ दोहरा रवैया अपनाया गया है।
म.प्र. लिपिक 2400/- ग्रेड पे की मांग |
सदैव की तरह मध्यप्रदेश के लिपिकों के साथ एक बार फिर से मज़ाक किया गया, इस बार एक ऐसा आयोग सामने आया जिसकी मांग न तो मध्यप्रदेश के कर्मचारी संगठनों ने किया और न ही उन्हें उस आयोग के रिपोर्ट आने तक उसके बारे में कुछ पता था। सिंघल आयोग ने अपनी रिपोर्ट जुलाई 2024 में मध्यप्रदेश सरकार को सौंपा, यह मध्यप्रदेश के कर्मचारी संगठनों के लिए एक सदमे के समान था, क्योंकि सिंघल आयोग ने मध्यप्रदेश के लिपिकों की वेतन विसंगति का दावा किया परन्तु लिपिक संघ अथवा किसी अन्य संगठन को यह तक पता नहीं था कि आखिर सिंघल आयोग है क्या, और यह कब बना और किस लिए बना। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा बताया गया कि सन् 2020 में तब के तात्कालिक माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी के द्वारा लिपिक/क्लर्क वेतन विसंगति दूर करने के लिए यह आयोग तैयार किया गया था जिसकी रिपोर्ट अब प्राप्त हुई है और जुलाई 2024 में ही सिंघल आयोग का कार्यकाल समाप्त होने को था।
कर्मचारी संगठनों ने सिंघल आयोग का विरोध यह हवाला देते हुए किया कि इस आयोग ने कर्मचारियों व संगठनों से वार्ता किये बिना ही मनमाना रवैया अपनाया होगा, क्योंकि रिपोर्ट सार्वजनिक तो की नहीं गई। इस सब बात को देखते हुए सरकार द्वारा सिंघल आयोग का कार्यकाल दिसम्बर 2024 तक 6 माह के लिए और बढ़ा दिया गया। आज 26 दिसम्बर है और आज तक सिंघल आयोग ने कोई रिपोर्ट वेतन विसंगति दूर कराने के लिए सरकार को कोई रिपोर्ट नहीं सौंपा है। सूत्रों से इस बात का पता चला है कि सरकार सिंघल आयोग को निरस्त करते हुए लिपिकों की वेतन विसंगति दूर कराने के लिए एक नए कमेटी / आयोग का गठन करेगी। इस बात से लिपिक संघ में उदासीनता व आक्रोश व्याप्त हो गया है। दिसम्बर माह में ही मध्यप्रदेश लिपिक संघ ने कई बैठकें कर लिया है और नए साल से अभूतपूर्व आन्दोलन ही राह पर चलने की बात कहा है। अब देखने वाली बात रहेगी कि क्या नए साल 2025 पर लिपिकों की 40 साल पुरानी वेतन विसंगति दूर होती है या नहीं।
वीडियो देखें - म.प्र. लिपिक वेतन विसंगति दूर होने के आसार ख़त्म । साल 2024 के साथ सिंघल आयोग कार्यकाल भी ख़त्म ..
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