eDiplomaMCU: आरक्षित वर्ग के सरकारी अधिकारी/कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस का जवाब बनाते समय म.प्र. शासन के इस आदेश का हवाला देना चाहिए

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Wednesday, March 2, 2022

आरक्षित वर्ग के सरकारी अधिकारी/कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस का जवाब बनाते समय म.प्र. शासन के इस आदेश का हवाला देना चाहिए

नमस्‍कार दोस्‍तों, मेरा नाम अभिषेक है। मैं लोक अभियोजन (पुलिस) विभाग मध्‍यप्रदेश में काम करता हूँ। मेरी पदस्‍थापना देवसर कोर्ट (न्‍यायालय) देवसर, सिंगरौली में है। हमने देखा है कि कई बार शासकीय कर्मचारियों/अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस का जवाब देना होता है। यह नोटिस कर्मचारियों के विभागीय जॉंच या उनके खिलाफ एक समस्‍या खड़ी कर सकता है। परन्‍तु यदि कारण बताओ नोटिस का जवाब सही तरीके से प्रस्‍तुत किया जाता है, तो सम्‍बंधित अधिकारी जवाब से संतुष्‍ट होकर उस अधिकारी/कर्मचारी के खिलाफ कोई दण्‍डात्‍मक कार्यवाही नहीं करते हैं। इस लेख में हम इसी संबंध में बात करने वाले हैं। 

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कारण बताओ नोटिस का जवाब

दोस्‍तों, आगे बढ़ने से पहले मैं इस लेख का सम्‍पूर्ण क्रेडिट सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी, श्री सूर्य प्रसाद पाण्‍डेय, सर,  को देना चाहूँगा। इस प्रकार के कारण बताओ नोटिस का जवाव सर बनाया करते थे, और आरक्षित वर्ग के लिए विशेष प्रावधान के बारे में उन्‍होंने ही मुझे बताया। मैं अभियोजन कार्यालय देवसर में लिपिक पद पर जबकि सूर्य सर कोर्ट साहब रहे हैं। श्री सूर्य सर एक विशेष और सच्‍चे दिल व्‍यक्तित्‍व हैं जिन्‍होंने हमेशा शासकीय कर्मचारियों का मार्गदर्शन किया है। श्री सूर्य सर व्‍यक्तिगत रूप से इतने अच्‍छे कार्यालय प्रमुख रहे हैं जो मुझे और अपने अधीनस्‍तों को अनुज/घर का सदस्‍य जैसा हो, मानते रहे हैं। उन्‍होंने ही मुझे यूट्यूब और लेख के माध्‍यम से जनसेवा को प्रेरित किया है।

कारण बताओ नोटिस- जब किसी अधिकारी/कर्मचारी के खिलाफ कोई शिकायत प्राप्‍त होती है, अथवा उस सम्‍बन्धित अधिकारी/कर्मचारी के द्वारा कोई ऐसा कृत्‍य किया जाता है जो उसके कार्यप्रकृति का नैतिक अथवा किसी भी प्रकार का उल्‍लंघन होता है, उसका निरीक्षक अधिकारी कारण बताओ नोटिस ज़ारी कर सकता है। 

किसी भी प्रकार की विभागीय कार्यवाही शुरू होने से पूर्व संबंधित अधिकारी/कर्मचारी को उसका पक्ष रखने के लिए मौका दिया जाता है। इसे सामान्‍यतया कारण बताओ नोटिस ही कहते हैं। इस नोटिस का जवाब देते समय संबंधित अधिकारी/कर्मचारी को मर्यादित शब्‍दों का प्रयोग करते हुए स्‍वयं को निर्दोष साबित करना होता है। यदि संबंधित अधिकारी/कर्मचारी चाहे तो क्षमा प्रार्थना जैसे भावनात्‍मक रवैया भी अपना सकता है। परन्‍तु यदि शासकीय अधिकारी/कर्मचारी कुछ विशेष नियमों का ज्ञान रखे जो नैतिक रूप से सरकार द्वारा उसके पक्ष में रखे गये हैं, तो यह कहीं न कहीं संबंधित अधिकारी/कर्मचारी के पक्ष को मज़बूती ही प्रदान करता है। 

एससी/एसटी/ओबीसी वर्ग के सरकारी अधिकारी/कर्मचारियों को विशेष लाभ- मध्‍यप्रदेश सरकार ने आरक्षित वर्ग के शासकीय कर्मचारियों का मनोबल बढ़ाने एवं उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करते हुए 12 नवम्‍बर 1997 को ऐसा आदेश पारित किया जो आरक्षित वर्ग के समस्‍त अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए एक मज़बूत कवच बनकर सामने आया। यदि आप कभी कारण बताओ नोटिस का जवाब देना चाहते हों तो मध्यप्रदेश शासन सामान्य प्रशासन विभाग मंत्रालय के आदेश क्रमांक – एफ-7-35/97/आ.प्र./एक/भोपाल दिनांक 12/11/1997 के अनुसार ‘‘अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/पिछड़े वर्गों के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के सेवा संबंधी मामलों में उदारता एवं सहानुभूतिपूर्वक कार्यवाही किया जाना अपेक्षित है। सेवा के मामलों में इन वर्गों के अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा गलती किये जाने पर भी सर्वप्रथम समझाइश दी जाकर उनकी कार्य पद्धति में सुधार लाने का प्रयास किया जाय, तत्पश्चात भी यदि सुधार नहीं होता है तो उन्हे  चेतावनी दी जाय। उनके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही, गोपनीय प्रतिवेदन में प्रतिकूल टिप्पणियां कोई ठोस आधार हो तो ही पूर्ण विचारोपरान्त दी जाय।’’ का उल्‍लेख आवश्‍यक रूप से कर सकते हैं। यह आपके कारण बताओ नोटिस को मज़बूती प्रदान करता है। 


मध्‍यप्रदेश शासन, सामान्‍य प्रशासन विभाग, मंत्रालय का आधिकारिक पत्र (क्रमांक एफ. 7-35/97/आ.प्र./एक   भोपाल, दिनांक 12 नवम्‍बर, 1997) - विषय- अनुसूचित जाति/जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग के अधिकारियों/कर्मचारियों के साथ भेदभाव नहीं किए जाने के संबंध में। 

अनुसूचित जाति/जनजाति एवं पिछड़े वर्गों के लिये शासकीय सेवाओं में आरक्षक का प्रावधान एवं अन्‍य सुविधाएं उपलब्‍ध कराई गई हैं, ताकि इन वर्गों के व्‍यक्तियों का सामाजिक एवं आर्थिक उत्‍थान सुनिश्चित हो सके। 

इन वर्गों के अधिकारियों/कर्मचारियों के सेवा संबंधी मामलों में उदारता एवं सद्भावनापूर्वक कार्यवाही की जाना अपेक्षित है। सेवा के मामलों में इन वर्गों के कर्मचारियों/अधिकारियों को गलतियॉं किये जाने पर भी सर्वप्रथम समझाइश दी जाकर उनकी कार्यपद्धति में सुधार लाए जाने के प्रयास किये जाएं, तत्‍पश्‍चात् भी यदि सुधार नहीं होता है तो उन्‍हें चेतावनी दी जाए। उनके विरूद्ध अनुशासनात्‍मक कार्यवाही, गोपनीय प्रतिवेदनों में प्रतिकूल टिप्‍पणियॉं कोई ठोस आधार हों तो ही पूर्व विचारोपरान्‍त की जाए। 

शासन द्वारा यह भी अपेक्षा की जाती है कि इन वर्गों के कर्मचारियों/अधिकारियों को प्रशासनिक आधार पर बार-बार स्‍थानान्‍तरित नहीं किया जाए तथा महत्‍वपूर्ण पदों पद पद स्‍थापना करते समय उनका पूरा ध्‍यान रखा जाए। इन वर्गों के कर्मचारियों/अधिकारियों के साथ किसी भी प्रकार भेदभावपूर्ण कृत्‍य/व्‍यवहार किसी भी हालात में न हो।

यदि इन आदेशों के उल्‍लंघन के मामले शासन या वरिष्‍ठ अधिकारियों के ध्‍यान में आते हैं तो दोषी अधिकारियों के विरूद्ध अनुशासनात्‍मक कार्यवाही की जाएगी। 

उम्‍मीद है आपको यह लेख पसंद आया होगा। यह आदेश आप सभी कर्मचारियों के लिए अत्‍यंत उपयोगी है। हम उम्‍मीद करेंगे कि आरक्षित वर्ग के अधिकारी/कर्मचारी इसका दुरूपयोग नहीं करेंगे, क्‍योंकि यह आदेश आपकी रक्षा एवं सद्भावनापूर्वक आपके हितों के लिए लाया गया था। आपको अपने दायित्‍व का निर्वहन सच्‍चे दिल और लगन से करना ज़ारी रखना चाहिए। 



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