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Thursday, February 16, 2023

छत्‍तीसगढ़ सरकार देगी 2500/- रू. बेरोजगारी भत्‍ता 4 साल के लिए : म.प्र. युवा स्‍वाभिमान योजना से किस प्रकार अलग है?

इस सत्र 2023 में मध्‍यप्रदेश, छत्‍तीसगढ़ एवं राजस्‍थान में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में इन राज्‍यों में विभिन्‍न योजनाऍं लागू कराई जा रही हैं। अभी हाल ही में छत्‍तीसगढ़ की सरकार ने युवा बेरोजगारों को 2500/- रू. प्रति माह बेरोजगारी भत्‍ता देने की घोषणा की है। मुझे याद है इसी प्रकार की बेरोजगारी भत्‍ता योजना 2018 में मध्‍यप्रदेश में युवा स्‍वाभिमान योजना नाम से लागू की गई थी। छत्‍तीसगढ़ में बेरोजगारी भत्‍ता के रूप में जो भी आर्थिक सहायता युवाओं को प्राप्‍त होगी वह कितनी कारगार होगी, यह देखने वाली बात है।

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बेरोजगारी भत्‍ता

छत्‍तीसगढ़ की सरकार आगामी वित्‍तीय वर्ष से ही 2500/- रू. प्रतिमाह बेरोजगारी भत्‍ता देने की योजना बना रही है। मध्‍यप्रदेश में कमलनाथ जी की सरकार ने 2019 में बेरोगजारी भत्‍ता (म.प्र. युवा स्‍वाभिमान योजना) देना शुरू किया था। असल में मध्‍यप्रदेश में युवा स्‍वाभिमान के तहत बेरोजगार युवाओं को विभिन्‍न विषयों/क्षेत्रों से सम्‍बंधित कार्यशैली का प्रशिक्षण दिया जा रहा था और साथ ही कुछ दिन कार्य भी लिया जा रहा था। इस योजना के तहत युवाओं की कौशलता को बढ़ाने पर ध्‍यान दिया जा रहा था। मैं स्‍वयं इस योजना के अंतर्गत रजिस्‍टर्ड हुआ था, जबकि मेरी म.प्र. शासन में नौकरी लग चुकी थी, परन्‍तु  ज्‍वाईनिंग नहीं हुई थी। इसलिए मैं इस योजना में अधिक रूचि नहीं रखा परन्‍तु मेरे कई दोस्‍तों ने इसे ज्‍वाईन किया। 

जहॉं तक मैं देख पाता हूँ युवा स्‍वाभिमान योजना जिसे बेरोजगारी भत्‍ते के रूप में परिचय कराया गया था, एक अच्‍छी योजना थी परन्‍तु हक़ीकत में उतनी कारगार साबित नहीं हो पाई। सरकार का विजन अच्‍छा था कि युवाओं को कौशल की शिक्षा देकर बदले में कुछ आर्थिक सहायता कर दी जाए, परन्‍तु कौशल प्रदाय का स्‍तर अथवा पारदर्शिता का अभाव दिखा। बेशक युवा स्‍वाभिमान योजना से कई युवाओं को लाभ प्राप्‍त हुआ परन्‍तु यह एक क्षणिक दिखावा मात्र जैसा प्रतीत हुआ। 

यहॉं मैं यह बताने का प्रयास कर रहा हूँ कि यदि सरकारें चाहें तो ऐसी योजनाऍं नियमित तौर के लिए ला सकती हैं। दुर्भाग्‍य इस बात का है कि स्‍कूली जिन्‍दगी में विद्यार्थी किताबी ज्ञान के सिवाय औद्योगिक अथवा प्रैक्टिकल कुछ सीखे नहीं होते और जब उनका सामना इस दुनिया/बाजार से होता है तो वह बेसहारा और असहाय प्रतीत होते हैं। आज भारत में, प्रमुखतया म.प्र.-छ.ग. जैसे राज्‍यों में बेरोजगारी की मुख्‍य वजह यही है कि बाज़ार की ज़रूरत के अनुसार हमारा प्रशिक्षण नहीं होता है, बल्कि हम चन्‍द रास्‍तों को ही ध्‍यान में रखकर चल रहे होते हैं जिन रास्‍तों पर अधिक भीड़ होती है। म.प्र. युवा स्‍वाभिमान योजना इसी विचारधारा के प्रति क्रांति रही है, इस योजना में युवाओं के कौशल को बढ़ाने पर ध्‍यान दिया गया, न कि सिर्फ बेरोगजारी भत्‍ता प्रदाय किया गया। 

भारत में रहने वाली आबादी का एक बड़ा हिस्‍सा बेरोजगार है, कुछ प्रछंन्‍न बेरोजगार हैं तो कुछ अण्‍डरएम्‍प्‍लॉयमेंट में कार्यरत हैं। असल में कुछ बेरोजगार नहीं हैं परन्‍तु जब सरकार की योजना आएगी तो स्‍वयं को बेरोजगार साबित कर बेरोजगारी भत्‍ता पर दावा करेंगे। यहीं से प्रारम्‍भ होता है भ्रष्‍टाचार, चाहे वह मनरेगा हो अथवा युवा स्‍वाभिमान जैसी योजनाऍं। प्रत्‍येक सरकार की योजनाऍं जो आमजन के लिए होती हैं उनका उद्देश्‍य अच्‍छा होता है, परन्‍तु भ्रष्‍टाचार की वहज से वह योजनाऍं नाकामयाब रह जाती हैं। छत्‍तीसगढ़ की सरकार ने भी बेरोजगारी भत्‍ता देने का प्रावधान अब किया है परन्‍तु इसकी प्रक्रिया क्‍या होगी, यह देखने वाली बात है। क्‍या यह बेरोजगारी भत्‍ता सिर्फ युवा वोटर्स को अपनी तरफ खींचने का एक ज़रिया है, अथवा इससे सच में कुछ बड़ा बदलाव होगा? यह देखने वाली बात होगी। 

भारत में बेरोजगारी की बात की जाती है तो रोजगार को सिर्फ सरकारी नौकरी तक ही सीमित करके देखा जाता है। परन्‍तु असलियत में रोजगार की परिभाषा ही अलग है। प्रत्‍येक इंसान जो मूल ज़रूरतों को पूरा करने में सक्षम है चाहे वह किसी भी व्‍यवसार से जुड़ा हो, वह बेरोजगार नहीं है। आज हमारे कॉलेज की डिग्रियों की महत्‍ता बहुत कम हो चली है। उद्योग को जिस पाठ्यक्रम अथवा कौशल की ज़रूरत है, वह हमें सिखाया ही नहीं जाता। वैसे नई शिक्षा नीति-2020 से हमें यही उम्‍मीद है कि नया भारत/नया युवा औद्योगिक प्रशिक्षण एवं पाठ्यक्रम को सीख पाएगा और तब हमारे पास रोजगार अथवा स्‍वयं के उद्यम को शुरू करने में कोई परेशानी न होगी। तब शायद हम युवाओं को बेरोजगारी भत्‍ते की भी आवश्‍यकता न हो। आज ज़रूरत बेरोजगारी भत्‍ते की नहीं, अपितु अच्‍छे शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य एवं महंगाई पर काबू पाने की है। बेरोजगारी भत्‍ता युवाओं को कमज़ोर करने का एक हथकण्‍डा बन जाता है, तथापि युवाओं को मुख्‍य मुद्दों पर ध्‍यान केन्द्रित करना चाहिए जिसमें औद्योगित अवसरों एवं प्रशिक्षण तथा इन्‍टर्नशिप के बदले आर्थिक मदद शामिल है। बेरोजगारी भत्‍ते जैसी योजनाऍं चन्‍द वक्‍त बाद नज़र नहीं आती हैं जैसे मध्‍यप्रदेश में युवा स्‍वाभिमान योजना, यद्यपि यह योजना युवाओं की भलाई के लिए एवं वर्तमान परिवेश की मॉंग पर आधारित थी। 

Saturday, August 6, 2022

अनियंत्रित महंगाई पर लगाम लगाने रिजर्व बैंक ऑफ इण्‍डिया ने फिर से 0.5 प्रतिशत बढ़ाया रेपा रेट

महंगाई का मुद्दा इन दिनों भारत में संसद से लेकर सड़क तक का मुद्दा बन गया है। पिछले करीब 2 साल से महंगाई अप्रत्‍याशित तरीके से बढ़ती जा रही है। 'रिच डैड-पुअर डैड' पुस्‍तक में लेखक ने बताया है कि एक आदर्श सरकार में महंगाई नहीं बढ़ती है, या कह सकते हैं कि महंगाई दर शून्‍य रहती है, परन्‍तु आदर्श सरकार मात्र एक कल्‍पना मात्र है।परन्‍तु यदि महंगाई अनियंत्रित तरीके से बढ़ती ही जाए, तो क्‍या हम इसे सरकार की नाकामयाबी कहेंगे? मैं इस लेख में आपको आज की परिस्थिति और महंगाई की मार झेल रहे उस आम इन्‍सास के दर्द काे बयॉं करने वाला हूँ, जिसे हाल ही में भारतीय संसद में महंगाई के मुद्दे को एक मज़ाक के तौर पर दिखाया गया। 

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आरबीआई बनाम महंगाई

 भारतीय संसद के मानसून सत्र में महंगाई को एक मुद्दा बनाया गया, इस पर चर्चा होनी थी। देश ने सदन की मर्यादा और महंगाई पर प्रदर्शन करने वालों का निलम्‍बन तक देखा। कई दिनों तक तो सदन की कार्यवाही हो नहीं सकी, क्‍योंकि महंगाई पर चर्चा किन्‍हीं कारणवश संसद में चर्चा नहीं हो पा रही थी। परन्‍तु जैसे ही सरकार पक्ष ने संसद में महंगाई पर अपना पक्ष रखा तो साफ-साफ बोला गया कि देश में महंगाई नहीं है, यह विपक्षी दल के मन की उपज है। देश की आम जनता को हमने मुफ्त का फ्रीफण्‍ड देकर खिलाया है। किसी को महंगाई नहीं दिख रही, क्‍योंकि महंगाई है ही नहीं। परन्‍तु दूसरी तरफ रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया ने पिछले लगभग 3 महीने में 3 बार रेपो रेट बढ़ाया है। आरबीआई के गवर्नर ने भी एक भाषण में कहा कि देश में सब तो ठीक है, परन्‍तु जिस तरीके से महंगाई बढ़ रही है, वह अप्रत्‍याशित है। तो चलिए जान लेते हैं रेपो रेट के बारे में - 

रेपो रेट - जिस ब्‍याज दर पर भारत का सर्वोच्‍च बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया निचले बैंक अथवा फायनेन्सियल संस्‍थाओं को लोन/ऋण देता है, वह रेपो रेट होता है। 

रिवर्स रेपो रेट - जब कभी बैंक या किसी फायनेन्सियल संस्‍था के पास सरप्‍लस अमाउण्‍ट होता है तो उस पर ब्‍याज कमाने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया के पास रूपसे रखने से जिस ब्‍याज दर पर ब्‍याज मिलता है उसी को रिवर्स रेपो रेट कहते हैं। 

रेपो रेट हमेशा रिवर्स रेपो रेट से अधिक होता है। जबकि सामान्‍यतया बैंकों द्वारा प्रदाय ऋण हमेशा रेपो रेट से अधिक होता है, क्‍योंकि इसी ऋण के कुछ हिस्‍से की कमाई ऋण प्रदाता बैंक रखता है जबकि बकाया रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया को रेपो रेट के ब्‍याज दर पर देना होता है।  

भारत में कोरोना वायरस की वजह से हुए लॉकडाउन की वजह से अर्थव्‍यवस्‍था को तेजी प्रदान करने के लिए आरबीआई ने रेपो रेट कम कर दिया था, ताकि बैंक के लोन सस्‍ते हो सकें, जिस वजह से लोग अधिक ऋण लें और खरीददारी करें। दूसरी तरफ भारतीय सरकार ने भी लोगों को विभिन्‍न योजनाओं के तहत आर्थिक, सामाजिक सुरक्षा सहायता प्रदान किया। इस वजह से अत्‍याशित तौर पर बाज़ार में रूपया अधिक हो गया, उत्‍पादन तो एक तरफ कम था, परन्‍तु समाज के एक तबके के पास रूपये अधिक होने लगा। मॉंग और आपूर्ति में अनियमितता आ गई, इस वजह से उत्‍पाद के कम होने जबकि लोगों के पास अधिक पैसा होने की वजह से महंगाई बढ़ गई। दूसरी तरफ एक ऐसा वर्ग भी रहा जिसकी कमाई तो कम हुई अथवा वैसी ही बनी रही, परन्‍तु वस्‍तुओं/उत्‍पादों के दाम बढ़ते ही गये। 

हमने रिफायण्‍ड आयल की कीमत 200 के करीब, सरसों के तेल की कीमत दोगुनी से भी अधिक, यहॉं तक कि हर खाने-पीने के सामान की कीमत में अप्रत्‍याशित उछाल देखा है। एफएमसीज (फास्‍ट मूविंग कन्‍ज्‍यूमर गुड्स) की कीमत कम्‍पनियों ने आये दिन बार-बार बढ़ाया है। कभी देश की गतिविधि तो कभी वैश्विक टेंशन्‍स को वजह मानी गई, पर वास्‍तविकता यह रही है कि महंगाई बढ़ती ही गई, अनियंत्रित तरीके से बढ़ती गई। उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक में अनार्दश तरीके की बढ़ोतरी देख आरबीआई ने मई के पहले सप्‍ताह में 0.4 प्रतिशत रेपो रेट बढ़ा दिया, परन्‍तु महंगाई बढ़ोतरी में कुछ ज्‍यादा असर न दिखा तो आरबीआई एमपीसी की अर्जेंट आपातकालीन बैठक जून 2022 के पहले सप्‍ताह में फिर रखी गई और इस बार रेपो रेट 0.5 प्रतिशत बढ़ा दिया गया। अब रेपो रेट अप्रैल माह 2022 में 4 प्रतिशत था, सिर्फ 2 महीने बाद ही 4.9 प्रतिशत हो गया था। लेकिन महंगाई का असर कुछ ही हद तक कम हुआ, कई वजह रहीं, शायद आरबीआई भी इस बात से परेशान था कि सिर्फ 2 महीने के अन्‍दर ही फिर से 0.5 प्रतिशत रेपो रेट फिर से बढ़ा दिया। आरबीआई का कहना है कि इससे बाज़ार में कुछ तो पैसा कम होगा, जिससे कुछ हद तक महंगाई पर नियंत्रण पाया जा सकता है। 

बात साफ है, सरकार भले कुछ भी कहे कि महंगाई बिल्‍कुल नहीं है, परन्‍तु आरबीआई द्वारा बार-बार महंगाई को चिन्‍ताजनक मानना और बार-बार रेपो रेट बढ़ा देने का मतलब साफ है कि देश में महंगाई आज प्रमुख मुद्दा बन गया है और यह अनियंत्रित है। जब लोग महंगाई से राहत की उम्‍मीद कर रहे थे, वहीं पैक्‍ड फूड आयटम्‍स को भी 5 प्रतिशत जीएसटी के दायरे में ला दिया गया है। यह सच में दु:खद है कि आम आदमी जिसे फ्रीफण्‍ड का कुछ नहीं मिलता और न ही उसकी आमदनी अधिक है, वह सर्वाधिक इस महंगाई का शिकार हुआ है। इस महंगाई की और अधिक मार तो तब पड़ने वाली है जब वह आम आदमी बिना ईएमआई प्‍लान के कुछ नहीं कर सकता और ऋण की दर पुन: बढ़ जायेगी। 

निराशाजनक बात यह भी रही है कि बैंक को चाहिए कि जैसे ही आरबीआई ने रेपो रेट बढ़ा दिया है, बैंक भी सेविंग अकाउण्‍ट/एफडी/आरडी आदि पर ब्‍याज दर बढ़ा दें, ताकि लोग पैसा अपने पास न रखकर बैंक में जमा करें और बाजार से पैसा कम होने की वजह से महंगाई पर नियंत्रण पाया जा सके। ईपीएफ/पीपीएफ आदि निवेश नीति में सरकार ने ब्‍याज दर कम किया है, यह उस वक्‍त तक के लिए सही था जब देश में आर्थिक गतिविध हो गई थी, परन्‍तु अब उस आर्थिक गतिविधि ने महंगाई का रूप ले लिया है, तो पुन: सरकार को इन निवेश नीतियों के लिए ब्‍याज दर बढ़ा देनी चाहिए। महंगाई की दर अप्रत्‍याशित और अनियंत्रित है, जो असल में बैंक द्वारा एफडी आदि से मिलने वाले ब्‍याज दर से कहीं अधिक है, इस वहज से लोग अपना पैसा पुन: बैंक के पास नहीं रखना चाह रहे। 

भारत के गरीब तबके को सरकार मुफ्त और सब्सिडी देकर महंगाई से बचा ले रही है, मध्‍यम और अमीर वर्ग महंगाई को अपने अनुसार नियंत्रित कर रहे हैं, जबकि निम्‍न गरीब-मध्‍यम वर्गीय वर्ग को किसी से कोई भी मदद नहीं मिलती और यह वह वर्ग है जिसे हर प्रकार की महंगाई की परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। यही निम्‍न गरीब-मध्‍यम वर्गीय वर्ग है जो आमतौर पर सरकार की ईपीएफ/पीपीएफ आदि जैसे निवेशक नीतियों में निवेश करता है, यही वर्ग छोटे-छोटे बचत करके बड़े सपने देखता है, यही वर्ग है जिसे पक्‍के घर की कामना रहती है और यह प्रधानमंत्री आवास योजना अथवा उपचार हेतु प्रधानमंत्री आयुष्‍मान योजना, प्रधानमंत्री स्‍वानिधि योजना, किसान सम्‍मान निधि आदि योजनाओं का लाभ नहीं ले सकता है। 


Wednesday, July 20, 2022

खाद्य पदार्थों पर 5 प्रतिशत जीएसटी लगाना और अन्‍य उत्‍पादों पर जीएसटी स्‍लैब बढ़ा देने से आमजन हुए महंगाई से हताहत

भारत में हाल ही में जीएसटी उन पदार्थों पर भी लगा दिया गया है जिनका उपभोग जनसामान्‍य रोजमर्रा करते हैं। आपने जीएसटी टीवी, फ्रिज, कूलर, इलेक्‍ट्रॉनिक चीजों आदि पर तो सुना ही होगा, परन्‍तु उन वस्‍तुओं पर जीएसटी लगा देना जो भारत का आमजन दैनिक जीवन में प्रयोग करता है, यह बहुत ही चिन्‍ता का विषय बना जाता है। इस लेख में हम उन पदार्थों के बारे में बात करेंगे जिन्‍हें हाल ही में जीएसटी काउंसिल ने 5 प्रतिशत जीएसटी के तहत ला दिया है। 

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जीएसटी से निम्‍न-मध्‍यम वर्ग परेशान

जीएसटी काउंसिल द्वारा उन पदार्थों को 5 प्रतिशत जीएसटी के दायरे में ला दिया गया है जिन पर पूर्व में कोई टैक्‍स नहीं लगता था। उदाहरण के तौर पर दाल, अनाज, चावल, दही, पनीर, मुरमुरा आदि खाद्य पदार्थों के छोटे पैकेक्‍ट्स पर 0 प्रतिशत जीएसटी था, अर्थात् कोई जीएसटी नहीं था। दूसरी तरफ कुछ अन्‍य वस्‍तुऍं और सेवाऍं जैसे सोलर वाटर हीटर पर 5 प्रतिशत पूर्व जीएसटी से 12 प्रतिशत कर दिया गया, जबकि एलईडी लैम्‍प व लाईट्स पर 12 प्रतिशत पूर्व जीएसटी से 18 प्रतिशत के जीएसटी के दायरे में ला दिया गया है। बैंक चेक्‍स पर कोई जीएसटी नहीं था, जबकि अब 18 प्रतिशत जीएसटी है। दूध के प्रोसेस्‍ड पदार्थ, अनाज, अस्‍पताल रूप आदि पर शून्‍य से 5 प्रतिशत जीएसटी लगा दिया गया है। 

दूसरी तरफ समाचार एवं सोशल मीडिया पर इस बात को लेकर बहस चल पड़ी है कि आखिर यह कदम सिर्फ बीजेपी का नहीं अपितु जीएसटी काउंसिल का है, एवं लगभग सभी गैर-बीजेपी शासित राज्‍यों ने भी 5 प्रतिशत जीएसटी आरोपण का समर्थन किया है। इसके अलावा जो प्राधिकारीगण रहे हैं उन्‍होंने भी जीएसटी की इन रेट्स को विश्‍लेषित किया है एवं सभी के अनुसर्थन के बाद ही 5 प्रतिशत जीएसटी बढ़ोतरी एवं अन्‍य स्‍लैब स्‍थानान्‍तरण को मंजूरी दी गई है। सुशान्‍त सिंह एक प्रसिद्ध पत्रकार हैं जिन्‍होंने भी इसी अन्‍दाज से जीएसटी की बढ़ोतरी का समर्थन किया है। 

वहीं दूसरा अराजनैतिक पक्ष देखा जाए तो यह बात तय है कि निम्‍न-मध्‍यम वर्गीय परिवार को इस महंगाई की मार सर्वाधिक झेलनी होगी। प्रमुखतया जो परिवार सरकार से किसी भी प्रकार की मुफ्त की सब्सिडी नहीं प्राप्‍त करते, उन्‍हें इस महंगाई की सबसे बड़ी मार झेलनी होगी। प्रोडक्‍ट्स के दाम आये दिन माह दर माह बढ़े ही हैं, दूसरी तरफ इन उत्‍पादों पर जीएसटी लगा देना आमजन कै दैनिक जीवन को बुरी तरीके से प्रभावित करने वाला है। सरकारी विभागों में काम करने वाले निम्‍न-स्‍तरीय/ निम्‍न वेतन भोगियों को इसका असर सर्वाधिक देखने को मिलेगा। असल में सरकारी विभागों में काम करने वाले यद्यपि चाहे वह निम्‍न वेतन भोगी ही क्‍यों न हो, किसी भी प्रकार की सरकारी मुफ्त की सुविधा अथवा सब्सिडी का हक़दार नहीं होता, और अत्‍यल्‍प वेतन पश्‍चात् बढ़ रहे इस महंगाई में उसकी दुर्गति सुनिश्चित है। 

उन वस्‍तुओं पर जीएसटी लगाना या जीएसटी के स्‍लैब को बढ़ा देना उचित होता है यदि वह वस्‍तुएँँ आवर्तीक्रम में प्रयोग न लाई जाती हों, या न खरीदी जाती हों, जैसे टीवी, कूलर, एसी आदि। परन्‍तु चावल, दाल, दही, मट्ठा आदि तो दैनिक जीवन में प्रयोग लाई जाने वाली वस्‍तुऍं हैं, इस पर लगा जीएसटी अवश्‍य रूप से निम्‍न-मध्‍यम वर्ग को एक और महंगाई की मार देने वाला है। 

मुझे इस बात का एहसास है कि एक सरकारी कर्मचारी होने के नाते मैं किसी भी सरकारी नीति का विरोध न करूँ, क्‍योंकि सरकार के राजस्‍व के फायदे को मुझे नज़रअन्‍दाज नहीं करना चाहिए, परन्‍तु उस वक्‍त मैं सरकारी कर्मचारी नहीं होता हूँ जब मुझे अत्‍यधिक गुणवत्‍तापूर्ण काम करने के बाद भी अत्‍यल्‍प वेतन से नवाज़ा जाता है और बदले में मुझे वस्‍तुओं के दाम बढ़ने से भुखमरी का शिकार होना पड़ता है। अत्‍यल्‍प वेतन प्राप्‍त करने वाले आमजन, जिनके न घर का ठिकाना और न ही कोई सपोर्टिंग सम्‍पत्ति का ठिकाना, परन्‍तु उसे किसी भी प्रकार की सब्सिडी अथवा वेलफेयर योजना का लाभ मिले बगैर खुले मैदान में छोड़ दिया जाता है, और ऐसे में ज़रूरत की वस्‍तुओं के दाम कई बार अनेक वजहों से बढ़ने के बाद जीएसटी लगा दिया जाता है, ज़रा आप ही बताइये वह मासूम कर्मचारी/आम-आदमी कहॉं जाएगा। कभी रूस-यूक्रेन वार, तो कभी कोई और वजह, परन्‍तु जिस हिसाब से महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है, शायद इस व्‍यथा को बयॉं करने के लिए शब्‍द ही नहीं हैं। 

ध्‍यान देने वाली बात यह है कि उपरोक्‍त खाद्य पदार्थों में 5 प्रतिशत का टैक्‍स तभी लगेगा यदि वह पदार्थ पैक्‍ड एवं लेबल्‍ड हों। खुला उत्‍पाद खरीदने पर किसी प्रकार का टैक्‍स नहीं लगेगा। परन्‍तु यह बात भी गौर करने वाली है कि 5 प्रतिशत जीएसटी का प्रभाव पूरे खाद्यतंत्र में ही पड़ने वाला है। चूँकि सभी राजनीतिक पार्टियों एवं उच्‍चाधिकारियों ने जीएसटी काउंसिल के इस फैसले का समर्थन किया है, तो इसका यह मतलब कतई नहीं कि यह आम आदमी की सहमति है। उन उच्‍चाधिकारियों या नेतागण को इतनी सुविधाऍं एवं सब्सिडी मिलती हैं जिसका अन्‍दाजा आमजन नहीं लगा सकते, इसलिए उनके आमजन के ऊपर इस कदर बोझ डालने में कोई परेशानी नहीं है, परन्‍तु उन जिम्‍मेदारों को इस बात का ध्‍यान देना बहुत ज़रूरी है कि आज भारत का आमजन अण्‍डरएम्‍प्‍लायमेंट के दौर से गुजर रहा है जहॉं उसे भुखमरी, और बदहाली के मंजर ऑंखों के सामने दिख रहे होते हैं। 


इस स्‍वतंत्रता दिवस लहरायेगा हर घर तिरंगा, जानिए हर घर तिरंगा अभियान के बारे में

भारत देश इस वर्ष 2022 में 15 अगस्‍त को अपना 75वॉं स्‍वतंत्रता दिवस मना रहा है। अपने 75वें स्‍वतंत्रता दिवस उत्‍सव से 75 सप्‍ताह पूर्व ही भारत के यशस्‍वी प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्‍द्र मोदी जी ने एक राष्‍ट्रीय त्‍योहार की घोषणा की, वह उत्‍सव है : आज़ादी का अमृत महोत्‍सव। यह कोई एक या दो दिन का उत्‍सव नहीं अपितु इस वर्ष 2022 के आज़ादी दिवस के 75 सप्‍ताह पूर्व से ही अगले वर्ष 2023 के स्‍वतंत्रता दिवस तक चलने वाला है। इस लेख में हम बात करने वाले हैं कि आखिर क्‍या है 'हर घर तिरंगा अभियान' और कैसे हम सभी इस अभियान में शामिल हो सकते हैं। 

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हर घर तिरंगा अभियान

 आज़ादी का अमृत महोत्‍सव एक ऐसा पर्व है जिसमें भारत में उन महान स्‍वतंत्रता संग्राम सेनानियों, उन महान विभूतियों को याद किया जा रहा है जिनकी वजह से भारत आज इस गौरवशाली मुकाम पर पहुँचा है। आज़ादी के अमृत महोत्‍सव कार्यक्रम के तहत हमने भारत की सांस्‍कृतिक, सामाजिक, ऐतिहासिक आदि विरासतों को सही सम्‍मान दिया है। जब से माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी जी ने आज़ादी के अमृत महोत्‍सव पर्व की घोषणा की है, हमने विभिन्‍न कार्यक्रमों में भारतीय विरासत को नज़दीकी से जाना है, हमने भारत के असल मायनों को समझा है, यहॉं की अनेकता में एकता के यथार्थता को समझा है। 

भारतीय जनमानस में राष्‍ट्रीय चेतना का एहसास दिलाने के उद्देश्‍य से भारत के यशस्‍वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी जी ने आज़ादी के अमृत महोत्‍सव के तहत 'हर घर तिरंगा अभियान' को भी शामिल किया है। हर घर तिरंगा अभियान के तहत आज़ादी दिवस 15 अगस्‍त 2022 के सप्‍ताह (दिवस 13-15 अगस्‍त) सभी भारतीय घरों में तिरंगा लहराया जाएगा। भारत के करीब 20 करोड़ से भी अधिक घरों में भारतीय तिरंगा अपना स्‍थान बनायेगा। यह वास्‍तव में उस कड़ी को प्रस्‍तुत कर रहा है जो अनेकता में एकता और एकरूपता को प्रस्‍तुत करता है। यह एहसास दिलायेगा ही हम एक हैं, हम सब भारतीय हैं। 

इसके अलावा माननीय नेतागण ने भारतीयों से यह भी आग्रह किया है कि हर घर तिरंगा अभियान के तहत सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, ट्विटर आदि जगह पर भी भारतीय तिरंगे को जगह दें। साथ-ही-साथ तिरंगे के साथ सेल्‍फी लेकर शेयर करें। सभी सरकारी वेबसाईट्स पर आप आज़ादी के अमृत महोत्‍सव टैगलाईन देख ही सकते हैं, साथ ही भारतीय ध्‍वज भी आप इन वेबसाईट्स पर देख पाते हैं। 

माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी जी के इस सपने को साकार रूप देने के लिए सभी राज्‍य की सरकारों ने भी हर घर तिरंगा अभियान का प्रचार-प्रसार शुरू कर दिया है। राज्‍य सरकारों ने आमजन से भी इस अभियान के साथ जुड़ने और साथ-ही-साथ इसके प्रचार-प्रसार की बात की है। हर घर तिरंगा अभियान हर भारतीय का एक गौरवशाली पर्व होने वाला है। भारत के राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गॉंधी जी ने भी तिरंगा फेरी को बड़े महत्‍व का माना था, इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए भारत के यशस्‍वी प्रधानमंत्री जी ने भी राष्‍ट्रीयता की भावना को घर-घर तक पहुँचाने का सपना देखा है।  

दोस्‍तों, भारतीय इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है जबकि हर घर तिरंगा फहरायेगा। आप सभी से मेरी गुज़ारिश है कि अपने घर में ज़रूर भारतीय ध्‍वज को स्‍थान दें। भारत के परम सम्‍मानीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी जी ने जनमानस को भारतीय गौरव से रूबरू कराया है। आइए हम सब मिलकर माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी जी के इस पवित्र राष्‍ट्रीय त्‍यौहार में शामिल हों।  


Saturday, July 2, 2022

डी2एम तकनीकि से बिना इन्‍टरनेट के मोबाईल फोन पर देखें वीडियोज का लाईव प्रसारण

इन दिनों डी2एम तकनी‍क के बारे में काफी चर्चा चल रही है। आज इस लेख में संक्षिप्‍त और आसान शब्‍दों में हम आपको डी2एम तकनीकि और इसके प्रभाव के बारे में बात करने वाले हैं। भारत सरकार का टेलीकम्‍युनिकेशन विभाग एवं प्रसार भारती इस तकनीकि को प्रभावी रूप प्रदान करने के लिए एक मंच पर आ गये हैं। 

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डी2एम तकनीकि 

डी2एम का पूरा नाम 'डायरेक्‍ट टू मोबाईल' है। इसका हिन्‍दी में अर्थ है 'सीधा आपके मोबाईल पर' अर्थात् कोई भी ऐसी सेवा जो आपको सीधा मोबाईल फोन पर उपलब्‍ध कराई जा रही हो। डी2एम की ही तर्ज पर कुछ और सर्विसेज हैं जैसे, डीबीटी- डायरेक्‍ट बेनिफिट ट्रांसफर, इसके द्वारा भारत/राज्‍य सरकार लाभार्थी के अकाउण्‍ट में सीधा वित्‍तीय मदद पहुँचा देती है, दूसरा जैसे डीटीएच- डायरेक्‍ट टू होम, यह आपके घर में मौजूदा टीवी केवल सेटअप है जो सिग्‍नल्‍स की मदद से आपको विभिन्‍न चैनल प्रसारण से रूबरू कराता है। 

डी2एम और डीटीएच में फर्क‍ सिर्फ इतना होने वाला है कि डीटीएच में आपको एन्टिना/केबल की ज़रूरत होती है जबकि डी2एम में आपको एन्टिना अथवा केबल की ज़रूरत नहीं होगी। डीटीएच या ओटीटी कंटेट का ऑनलाईन प्रसारण आज भी हम अपने मोबाईल फोन पर देख पाते हैं, परन्‍तु डी2एम टेक्‍नॉलजी से बिना इन्‍टरनेट के ही हम टेलीविजन के चैनल और ओटीटी के कंटेट मोबाईल पर देख पाएंगे। 

डी2एम तकनीकि में मोबाईल पर बिना इन्‍टरनेट के वीडियो प्रसारण के लिए रेडियो फ्रेक्‍वैंसी तकनीकि को अपनाया जाएगा। जिस प्रकार आप विभिन्‍न रेडियो चैनल को अपने मोबाईल पर सुन सकते हैं, उसी प्रकार से मल्‍टीमीडिया/वीडियो कंटेट आप बिना किसी इन्‍टरनेट की मदद के अपने मोबाईल पर देख पाएंगे। निश्चित तौर पर इसके लिए मोबाईल में विशेष प्रकार के रिसीवर को इनबिल्‍ट करना होगा। भारत सरकार बहुत जल्‍द डी2एम तकनीकि को आम नागरिक के सामने लाना चाहती है, ऐसे में मोबाईल फोन निर्माताओं का भी विशेष योगदान होने वाला है। 

यह बात तो तय है कि अब डीटीएच/ओटीटी सर्विस प्रोवाइडर का विशेष ध्‍यान डी2एम तकनीकि की ओर जाएगा। हो सकता है कि डी2एम तकनीकि से यूट्यू्ब जगत को बड़ा नुकसान हो सकता है, परन्‍तु समय के साथ ध्‍यान देने वाली बात रहेगी कि यूट्यूब की इस बारे में क्‍या प्रतिक्रिया रहती है। यह बात ध्‍यान देने योग्‍य है कि जिस प्रकार डीटीएच में कुछ चैनल फ्री होते हैं जबकि कुछ पैड, इसी प्रकार डी2एम में भी सर्विस प्रोवाईडर कुछ चैनलों को पैड कर सकते हैं। 

डी2एम एक प्रकार का ब्रॉडकास्‍ट तकनीकि पर काम करेगा। क्‍योंकि विभिन्‍न चैनल ऑपको ऑफलाईन वीडियो प्रसारण सुविधा देने वाले हैं, तो आपको मोबाईल पर अनुभव लगभग उसी प्रकार का होने वाली है जिस प्रकार आप डीटीएच पर कोई प्रसारण देखते हैं। क्‍योंकि मोबाईल पर टीवी आ जाने से सरकार की पहुँच सीधा आम नागरिक तक होने वाला है, सरकार किसी भी प्रकार की आपदा, विपत्ति या कोई सूचना देने के उद्देश्‍य से डी2एम तकनीकि का बेहतर उपयोग कर पाएगी। यह सच में 21वीं सदी की बहुत बड़ी उपलब्धि है। 


Monday, June 20, 2022

अग्निवीर ही भारतीय सेना का भविष्‍य - सेना प्रमुख

भारत में इन दिनों अग्निपथ योजना काफी चर्चा का विषय बनी हुई है। इस योजना के तहत भारतीय सेनाओं में अग्निवीरों की भर्ती की जाएगी। ध्‍यान देने वाली बात यह है कि भारत की सेनाओं में जाने का सिर्फ यही रास्‍ता नहीं होगा, बल्कि शुरूआती पद जैसे सोल्‍जर (थल सेना), सेलर (नौसेना) एवं एयरमेन (वायुसेना) की भर्ती अग्निपथ योजना के तहत होगी। इस लेख में हम अग्निवीर से जुड़े कुछ मुद्दों के बारे में बात करेंगे और साथ ही समझेंगे कि इस योजना का भारत के सैन्‍य भविष्‍य पर क्‍या प्रभाव पड़ सकता है। 

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अग्निवीर: अग्निपथ योजना
 
क्‍या है अग्निपथ योजना - भारतीय सेनाओं में सोल्‍जर, सेलर एवं एयरमेन की भर्ती 4 साल के लिए होगी और उसके बाद इन्‍हें रिटायर कर दिया जाएगा। अग्निपथ योजना के तहत भर्ती होने वाले इन सैनिकों को अग्निवीर कहा जाएगा। इन अग्निवीरों को भारतीय सेना में शामिल होने के लिए उम्र 17.5 साल से 21 साल का होना चाहिए। 

रिटायरमेंट के बाद क्‍या- इन अग्निवीरों में से 25 प्रतिशत को आगे सेना में नियमित तौर पर ले लिया जाएगा। नियमित होने के लिए अग्निवीरों को दूसरा परीक्षा चरण जोकि संबंधित सैन्‍य शाखा का होगा, पास करना होगा। अग्निवीरों को 4 साल की सेवा के बाद अन्‍य जगह भी नौकरी करने का विकल्‍प होगा, या अग्निवीर चाहेंगे तो स्‍वयं का व्‍यवसाय भी कर सकेंगे क्‍योंकि रिटायरमेंट के समय अग्निवीरों को मिलने वाली राशि काफी अधिक/ करीबन 12 लाख होगी। 

अग्निवीरों को मिलने वाली सुविधा - नियमित तौर पर सैन्‍य सेनाओं में काम करने वाले सैनिकों के समान ही सभी वेतन और भत्‍ते दिये जाऍंगे। अग्निवीरों के साथ कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा। जब अग्निवीर 4 साल बाद नौकरी से रिटायर होंगे तो उनको विभिन्‍न शासकीय, प्रायवेट आदि पदों पर अधिमान्‍यता प्रदान किया जाएगा। कुछ राज्‍य सरकारों के साथ-साथ प्रायवेट कम्‍पनीज ने भी यह घोषणा किया है कि अग्निवीर को रिटायरमेंट के बाद भर्ती में उनके लिए आरक्षण का प्रावधान होगा। मुख्‍यत: सैन्‍य पदों जैसे राज्‍य पुलिस, असम रायफल्‍स, इण्डियन कोस्‍टगॉर्ड आदि में अग्निवीरों को प्राथमिकता दी जाएगी। 

भड़क गया युवा और हो गई आगजनी - जैसे ही अग्निवीर भर्ती प्रक्रिया के बारे में सरकार ने कदम तेज किया वैसे कि भारत देश के कई युवा आक्रोशित हो गये और मुख्‍यतया बिहार, उत्‍तरप्रदेश, झारखण्‍ड आदि राज्‍यों में युवाओं ने तोड़फोड़ कर आगजनी भी की। आक्रोशित युवाओं ने अग्निपथ योजना के विरोध में ट्रेन जला दीं, सरकारी सम्‍पतियों के साथ-साथ आमजन की दुकानों में तोड़फोड़ व लूट कर डाला। कुछ आरोप ऐसे भी लग रहे हैं कि कोचिंग सेंटर चलाने वालों ने इन युवाओं को अग्निवीर के बारे में भड़काया व देश को आग की लपेट में झोंक देने की साजि़श रचा। 

दूसरी तरफ सरकार भी इन उपद्रवियों के खिलाफ कड़ा एक्‍शन ले रही है। पुलिस ने उपद्रवियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कईयों को हिरासत में लेकर जेल में डाल दिया है। आज दिनांक 20 जून, 2022 को जब मैं यह लेख लिख रहा हूँ, अग्निवीर भर्ती का विरोध रूका नहीं है, बल्कि झारखण्‍ड, बिहार आदि राज्‍यों में आज अग्निपथ के विरोध में भारत बन्‍द है। आशंका ऐसी जताई जा रही है कि देश में आगजनी और तोड़फोड़ की वारदातें लगातार बढ़ती ही जाएंगी। सत्‍ता हासिल पार्टी बीजेपी ने विपक्षी पार्टियों पर देश के नौजवानों को भड़काने का आरोप भी लगाया है। 

सेना प्रमुखों का प्रेस कांफ्रेंस -  भारत के रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह जी ने सेना प्रमुखों से मुलाकात की। कल दिनांक 19 जून 2022 को तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने प्रेस कांफ्रेंस करते हुए भारत में हो रहे आन्‍दोलन व तोड़फोड़ की खिलाफत की। तीनों सेना के प्रमुखों ने अग्निपथ योजना के माध्‍यम से अग्निवीरों की भर्ती प्रक्रिया जल्‍द ही करने की बात कही। उन्‍होंने कहा कि अग्निवीरों की भर्ती आज समय की मॉंग है। सेना में औसत उम्र का कम किया जाना बहुत आवश्‍यक है। क्‍योंकि अधिक उम्र के सैनिकों को कई तरह की शारीरिक और अन्‍य प्रकार की समस्‍याओं का सामना करना पड़ता है, और बदले हुए तकनीकि हालात को देखते हुए आज युवा सैनिकों की भर्ती किया जाना अत्‍यन्‍त आवश्‍यक है। भारतीय सैन्‍य क्षमता को सुदृढ़ करने के लिए युवा सैनिकों का होना बहुत जरूरी है। सेना प्रमुख ने यह भी कहा कि जो उपद्रवी तोड़फोड़ व आगजनी कर रहे हैं उन्‍हें भारतीय सेना में नहीं लिया जाएगा। आगे यह भी कहा गया कि अभी अग्निवीरों की भर्ती कम तादात में की जा रही है, समय के साथ आये दिनों यह भर्ती की संख्‍या बढ़ती ही जाएगी और सैनिकों की समस्‍त प्रकार की भर्ती अब अग्निपथ योजना के तहत ही की जाएगी। 

आगे सेना प्रमुख ने साफ-साफ शब्‍दों में यह कह दिया है कि जो सोच रहे हैं कि तोड़फोड़ और आगजनी करके अग्निपथ योजना को वापस करा लेंगे तो यह उनकी गलतफ़हमी होगी। अग्निवीर ही भारतीय सेना का भविष्‍य हैं और यह योजना निरन्‍तर बनी रहेगी। साथ-ही-साथ अग्निवीरों को भर्ती के पूर्व यह शपथ पत्र देना होगा कि उन्‍होंने किसी भी प्रकार के आन्‍दोलन में हिस्‍सा नहीं लिया था और न ही तोड़फोड़ की थी, इसका पुलिस वेरिफिकेशन भी होगा और किसी भी हालात में उपद्रवियों को भारतीय सेना में नहीं लिया जाएगा।   

लड़कियॉं भी हो सकेंगी भर्ती - भारतीय सेनाओं में लड़कियों को भी जगह दी जाएगी अर्थात् लड़कियॉं भी अग्निवीर बन सकेंगी। यह तीनों सेनाओं (थल, जल, वायु) में लागू होगा। 

आन्‍दोलन की वजह - क्‍योंकि सोल्‍जर, एयरमेन, सेलर की भर्ती सिर्फ अब 4 साल के लिए ही होगी, तो युवाओं में जो सरकारी नौकरी की सुरक्षा एवं सुख-सुविधा के संसाधन ताउम्र मिलते हैं उसे खोने का डर है। इन युवाओं में गुस्‍से की एक वजह यह भी है कि 4 साल बाद उनकी जिन्‍दगी क्‍या मोड़ लेगी, इस बात का डर भी है। प्रायवेटाइजेशन का विरोध करने वाली सभी संस्‍था, पार्टी, लोग अग्निपथ योजना का विरोध कर रहे हैं, जबकि भारतीय सेना प्रमुख ने साफ-साफ कह दिया है कि भारतीय सेना देश की रक्षा के लिए है और इसे बेहतर बनाने का एकमात्र ज़रिया युवा सेना है जो अग्निवीर भर्ती द्वारा ही साकार किया जा सकता है। कुछ आरोपों के मुताबिक विपक्षी पार्टियॉं एवं कोचिंग संस्‍थान भी अपने हित के लिए युवाओं को सड़क पर लाने को मज़बूर कर देश की सम्‍पत्ति को नुकसान पहुँचवा रहे हैं। 

सरकार दिखावटी ऑंकड़े रखना चाहती है - मेरी बात एक नौजवान से हो रही थी, उस नौजवान ने बोला की वर्तमान पार्टी की सरकार युवाओं को रोजगार देने में नाकामयाब रही है और अपनी इस नाकामयाबी को छुपाने के लिए अग्निवीर की भर्ती कर रही है जिससे की पुनर्वर्ती आधार पर सैनिकों की सिर्फ 4 साल के लिए भर्ती हो और इन युवाओं को कम से कम वेतन पर रखा जा सके, अपेक्षया जो अधिक उम्र तक नौकरी करते हैं उनका वेतन बढ़ता ही जाता है। उस नौजवान ने आन्‍दोलन के बढ़ने की सम्‍भावना को सच ठहराया है और इसे बीजेपी को सीधा नुकसान करार देते हुए कांग्रेस के 2024 में जीतने का दावा किया है। इस नौजवान ने यह भी कहा कि आन्‍दोलन इस कदर उग्र होगा कि जिस प्रकार सरकार थक-हारकर तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया था, ठीक उसी तरह सरकार को अग्निपथ योजना भी वापस लेना होगा। 

वर्तमान में हो रहे आन्‍दोलन व पिछले 2 वर्षों से सेना में भर्ती न होने का कारण एवं कोरोना को वजह मानते हुए सेना प्रमुखों ने अग्निवीर की भर्ती के लिए सत्र 2022-23 के लिए 2 वर्ष की छूट उम्र सीमा में दी है। 

उच्‍च पद पर भर्ती के प्रकार पूर्ववत - सेना के उच्‍च पद जो यूपीएससी एनडीए, सीडीएस आदि से भर्ती किये जाते हैं उनकी भर्ती प्रक्रिया में बदलाव नहीं किया जाएगा। एक तर्क के मुताबिक इन पदों को अग्निपथ के जैसा 4 साल का इसलिए नहीं किया जा सकता क्‍योंकि उच्‍च पद पर सैन्‍य कुशल एवं अनुभव की आवश्‍यकता होती है जो बीतते समय के साथ बढ़ता ही जाता है। इसलिए अग्निवीरों की तरह उच्‍च कैडर के पदों को अस्‍थाई कर कुछ वर्षों का किया जाना सही नहीं रहेगा। 



Wednesday, May 25, 2022

पुरानी पेंशन बहाली, निजी संस्‍थाओं में आरक्षण एवं जातिगत जनगणना को लेकर आज बामसेफ द्वारा भारत बन्‍द

भारत में विशेषतया क्षेत्रीय जातिगत पार्टियॉं एवं जातिगत संगठन जातिगत आधारित जनगणना की मॉंग लगातार करते आ रहे हैं। बिहार जैसे राज्‍य में नितीश सरकार ने जातिगत जनगणना के लिए केबिनेट से मंजूरी पर सहमति हासिल की। जब जातिगत आधारित जनगणना की बात आती है तो सभी पक्षीय अथवा विपक्षीय पार्टियॉं एकसाथ आ जाती हैं क्‍योंकि तब यह पार्टी विशेष नहीं, बल्कि वोटबैंक विशेष मुद्दा बन जाता है। कुछ इसी प्रकार के मुद्दे को लेकर आज दिनांक 25 मई 2022 को बामसेफ जोकि कांशीराम जी द्वारा सन् 1971 में स्‍थापित किया गया था, भारत बन्‍द का ऐलान किया गया है। तो आईये विश्‍लेषण करते हैं इन मुद्दों के बारे में। 

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भारत बन्‍द 

बामसेफ के इस भारत बन्‍द को समर्थन सभी कमज़ोर-पिछले वर्ग के नाम से संचालित पार्टियों के अलावा बामदल द्वारा भी मिला है। भारत बन्‍द को समर्थन सरकारी कर्मचारियों जोकि पुरानी पेंशन बहाली के लिए आन्‍दोलन करते आ रहे हैं, के साथ-साथ बेरोजगार युवकों द्वारा भी दिया जा रहा है। भारत बन्‍द के मुख्‍य मुद्दे निम्‍नप्रकार हैं- 

जाति आधारित ओबीसी जनगणना - जातिगत आधारित जनगणना को केन्‍द्र सरकार ने नकार दिया है, परन्‍तु एससी/एसटी के लिए जातिगत जनगणना पर सरकार ने सहमति जताई थी। सरकार का कहना है कि जातिगत जनगणना से देश में अप्रिय माहौल जन्‍म लेगा जोकि भारत के विकास में बाधक होगा। परन्‍तु ओबीसी संगठनों एवं आरक्षित संगठनों ने जातिगत आधारित जनगणना पर जोर दिया है और कहा है कि हम अपनी जनसंख्‍या के अनुसार आरक्षण चाहते हैं। ओबीसी संगठनों का कहना है कि सरकार हमारी जनसंख्‍या के अनुरूप 27 प्रतिशत आरक्षण सभी क्षेत्रों में अभी से दे, एवं बाद में जातिगत जनगणना के बाद यदि हमारी जनसंख्‍या का प्रतिशत और अधिक रहा तो हम और भी अधिक आरक्षण के लिए आन्‍दोलन करेंगे। आपको बता दें कि 90 के दशक में वीपी सिंह प्रधानमंत्री जी ने ओबीसी आरक्षण हेतु मण्‍डल कमीशन को मानकर काफी बड़े विरोधी एवं उग्र आन्‍दोलन को जन्‍म दे दिया था। 

चुनावों में ईव्‍हीएम का प्रयोग बन्‍द हो विरोध करने वाले संगठनों का कहना है कि ईव्‍हीएम हैक रहा करती हैं, हम वोट किसी और को देते हैं और वोट किसी और को चला जाता है। इसलिए बैलेट पेपर से चुनाव प्रक्रिया सम्‍पन्‍न कराई जाए। 

निजी क्षेत्रों में एससी/एसटी/ओबीसी आरक्षण - केन्‍द्र सरकार के द्वारा पीपीपी (पब्लिक प्रायवेट पार्टनरशिप) मॉडल पर काम करने की वजह से निजीकरण को बढ़ावा मिल रहा है। देश में सुव्‍यवस्थित ढंंग से संसाधनों से सही प्रयोग हेतु पीपीपी मॉडल आवश्‍यक रहा है, यही मॉडल पर आज ज्‍यादातर विकसित देश काम कर रहे हैं। परन्‍तु सरकार के पीपीपी मॉडल अपनाने की वजह से आरक्षण को चुनौती दी जा रही है, आरक्षित वर्ग के लोग आरक्षण को जीवित रखने के लिए प्रायवेट संस्‍थाओं में भी रिजर्वेशन चाहते हैं, क्‍योंकि आरक्षण एक संवैधानिक व्‍यवस्‍था है और सरकार द्वारा आरक्षण को बरकरार रखे जाना आवश्‍यक है। मध्‍यप्रदेश में कुछ दिनों पहले ही आरक्षित वर्ग के संगठनों ने प्रायवेट क्षेत्र में भी आरक्षण देने की मॉंग की है और अब यह देशव्‍यापी मुद्दा बन गया है। हमें बहुत जल्‍द देखने को मिल सकता है कि निजी क्षेत्रों में जैसे भारत में कार्यरत गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, विप्रो, अमेजन, फ्लिपकार्ट आदि में आरक्षण के नियम लागू हो जाऍं, अर्थात यदि प्रायवेट कम्‍पनियों को भारत में काम करना है, तो आरक्षण को लागू करना ही होगा। 

पुरानी पेंशन योजना बहाल करना - सरकारी कर्मचारियों को एनपीएस में नुकसान है, एवं पुरानी पेंशन उनके बुढ़ापे का एकमात्र सहारा। तो सरकार को चाहिए कि सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन को बहाल कर दे। 

✔ साथ ही साथ एनआरसी, सीएए एवं एनपीआर के विरोध के साथ-साथ किसानों के मुद्दे भी उठाये जाऍंगे। ओडिशा एवं मध्‍यप्रदेश में पंचायती राज चुनावों में ओबीसी का 27 प्रतिशत आरक्षण लागू किये जाने का भी प्रावधान हो। 

उपरोक्‍त मुद्दों को लेकर भारत बन्‍द किया जाना उचित है। जातिगत जनगणना एवं समानुपातिक आरक्षण दिया जाना भी उचित है। भारत को विश्‍वपटल पर इस बात पर बहस करना चाहिए कि विश्‍वस्‍तरीय सभी महत्‍वपूर्ण जगहों, पदों एवं आधिकारिता क्षेत्रों में भारत को आरक्षण दिना जाना चाहिए क्‍योंकि भारत की जनसंख्‍या विश्‍व में दूसरे स्‍थान पर है और सबसे अधिक गरीब और फटे-नंगे लोग भारत में ही रह रहे हैं। वैसे आजादी के इतने साल बाद भी आरक्षण की मॉंग बढ़ती ही जा रही है, हर एक समुदाय अन्‍य से कमतर दिखने का प्रयत्‍न कर रहा है। वैसे यह अब तक के सरकार की नाकामयाबी है यदि जाति, धर्म, आर्थिक मुद्दों को आधार बनाकर आरक्षण दिया जाता रहा है। डाॅ. भीमराव अम्‍बेडकर जी ने यह सोचकर आरक्षण दिया था कि सभी वर्गों को आगे बढ़ने का मौका मिलना चाहिए, इसलिए नहीं कि जिसकी जितनी आबादी उसके लिए उतना आरक्षण। सरकार को चाहिए कि मुफ्त की शिक्षा, मुफ्त की चिकित्‍सा सबको प्रदान करे, न कि मुक्‍त का सामान और सुविधाऍंं प्रदान कर लोगों को इतना कमज़ोर बना दे कि उन्‍हें अपने पुरूषार्थ पर शक होने लगे। जातिगत जनगणना के दो पहलूू हैं, यदि इसका सकारात्‍मक कोई पहलूू है भी तो दूसरा पहलू बेहत नकारात्‍मक और खतरनाक है जो भारत के भविष्‍य के लिए सही नहीं है। 

    

Wednesday, April 13, 2022

कॉलेज में 2 डिग्रियॉं एक साथ कर सकते हैं अब छात्र-छात्राऍं : टेक्निकल कोर्सेस पर नियम लागू नहीं

भारत में विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा मान्‍यता प्राप्‍त कोर्सेस ही वैध माने जाते हैं। अब तक यूजीसी (यूनिवर्सिटी ग्रान्‍ट कमीशन) एक समय में सिर्फ एक डिग्री (स्‍नातक अथवा स्‍नातकोत्‍तर) की अनुमति दिया था, परन्‍तु आये दिन इस बारे में चर्चा होने लगी कि आज समयानुसार एक साथ 2 डिग्रियों को भी मान्‍य किया जाए। यूजीसी के चेयरमैन श्री जगदीश कुमार जी ने हाल ही में स्‍पष्‍ट किया है कि अब भारतीय विश्‍वविद्यालय 2 डिग्रियाँँ एक साथ और एक समय में करवा सकती हैं। तो चलिए जान लेते हैं क्‍या हैं नियम - 

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उच्‍च शिक्षा- 2 डिग्री एक साथ

यूजीसी जल्‍द ही एक साथ दो कॉलेज डिग्रियॉं के सम्‍बध में विस्‍तृत गाईडलाईन ज़ारी कर देगा। इससे पहले भी कुछ ऐसे छात्र रहे हैं जो चोरी-छुपके 2 डिग्रियॉं एक साथ पूर्ण कर चुके हैं, ऐसे छात्र दोनों डिग्रियॉं एक साथ कहीं पर नहीं दर्शा सकते क्‍योंकि यह यूजीसी नियमों के विरूद्ध है। परन्‍तु अब सत्र 2022 से प्रारम्‍भ होने वाले डिग्री कोर्सेस चाहे वह स्‍नातक हो या स्‍नातकोत्‍तर अथवा डिप्‍लोमा कोर्स, सभी के लिए यूजीसी नये नियम के तहत एक साथ दो डिग्रियों का प्रावधान ला रहा है।  

विश्‍वविद्यालय/यूनिवर्सिटी का स्‍वेच्छिक अधिकार - यूजीसी यह चाहता है कि 2 डिग्री एक साथ की नीति सभी विश्‍वविद्यालय अपनाऍं। परन्‍तु यह विश्‍वविद्यालय पर कोई दबाव नहीं है, अपितु विश्‍वविद्यालय दो डिग्रियों को एक साथ कराने के नियम को अपने स्‍तर पर लागू कराते हुए कुछ नियमों में फेर बदल कर सकता है। परीक्षा की समय सारणी, विद्यार्थियों की उपस्थिति आदि मामलों पर भी विश्‍वविद्यालय का अधिकार होगा। यूजीसी यह उम्‍मीद करता है कि सभी विश्‍वविद्यालय एक साथ दो डिग्रियॉं गाईडलाईन का अनुशरण करें। 

एक साथ 2 डिग्रियॉं होगीं वैध - एक साथ पूर्ण की गई 2 डिग्रियॉं अब पूर्णतया वैध मानी जाएँँगी। विद्यार्थी अपने स्‍वेच्‍छानुसार इन दोनों डिग्रियों का प्रयोग एक साथ कर सकते हैं। यह दोनों डिग्रियॉं या तो नियमित माध्‍यम से, अथवा डिस्‍टेन्‍स मोड अथवा ऑनलाईन, अथवा एक नियमित व दूसरा अन्‍य किसी मोड या ऐसे ही किसी मोड कॉम्बिनेशन में यह दोनों डिग्रियॉं पूर्ण की जा सकती हैं। 

एक ही अथवा विभिन्‍न विश्‍वविद्यालयों से अलग-अलग डिग्रियॉं एक साथ - छात्र-छात्राऍं एक साथ एक ही समय में 2 डिग्रियॉं एक ही विश्‍वविद्यालय, कॉलेज अथवा अलग-अलग विश्‍वविद्यालय, कॉलेज से पूर्ण कर सकते हैं। इस परिस्थिति में डिग्री कोर्स की अनुमति देना कॉलेज का स्‍वेच्‍छाधिकार रहने वाला है। इस प्रकार से प्राप्‍त दोनों डिग्रियॉं मान्‍य होंगी। 

एक साथ दो डिग्री करने की शर्तें - तकनीकि कोर्सेस जैसे कि बीई/बीटेक आदि को इस नियम में शामिल नहीं किया जा रहा है। विज्ञान/कॉमर्स/आर्ट्स आदि विषयों पर स्‍नातक अथवा स्‍नातकोत्‍तर शाखाओं में एक साथ 2 डिग्रियाँँ करने का प्रावधान किया जा रहा है। आप स्‍नातक व स्‍नातकोत्‍तर एक साथ भी कर सकते हैं, परन्‍तु स्‍नातकोत्‍तर हेतु आपके पास पूर्व से ही एक स्‍नातक डिग्री होना आवश्‍यक है। अर्थात् एडमिशन की शर्तें नहीं बदली जा रही हैं, बल्कि एक साहूलियत प्रदान की जा रही है कि एक साथ नियमित (या किसी मोड से) तौर पर दो डिग्रियॉं एक साथ की जा सकें ताकि विद्यार्थियों के समय की बचत हो और रोजगार के अवसर एवं प्रोफेशनल लर्निंग को नई दिशा मिल सके। 

एक साथ 2 डिग्रियॉं प्रावधान होने से विद्यार्थियों में उत्‍साह है और नये रास्‍ते खुलने के आसार भी हैं। 



Monday, February 14, 2022

सुरक्षा कारणों से 2022 में भारत में पुन: 54 चायनी‍ज एप्‍स होंगे प्रतिबन्धित

भारतीय-चीनी सीमा विवाद और राजनैतिक रिश्‍तों में ख़टास बढ़ती ही जा रही है। भारत सरकार पिछले लगभग 1 वर्ष से चीनी सेना और उसकी नीति का दंश झेल रही है। भारत ने चीन की बुरी नीति और सीनाज़ोरी का ईंट का ज़बाव पत्‍थर से देने का हमेशा असफल प्रयास किया है। इस लेख में हम भारत द्वारा चीन के 54 मोबाईल एप्‍लीकेशन को प्रतिबन्धित करने के फैसले एवं भारतीयों के मनोविज्ञान का विश्‍लेषण करेंगे। 

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भारत बैन करेगी 54 और चीनी एप्‍स 

भारत ने चीन के जिसकी लाठी उसकी भैंस नीति का ज़बाव देते हुए 54 और चीनी मोबाईल एप्‍लीकेशन्‍स को प्रतिबंधित करने का निर्णय लिया है। ब्‍यूटी कैमरा के साथ-साथ वीवो वीडियो एडिटर जैसे उपयोगी मोबाईल एप्‍लीकेशन भी बैन हो जाएगा। भारत सरकार ऐसा भारत की सुरक्षा कारणों को ध्‍यानगत रखते हुये ऐसा करने का निर्णय ली है। अभी 54 चायनीज एम्‍पीकेशन जो जल्‍द ही प्रतिबंधित हो जायेंगे, की लिस्‍ट आधिकारिक तौर पर जल्‍द आ जाएगी। भारत सरकार का आरोप है कि चीन भारत में प्रचलित इन एप्‍लीकेशन्स की मदद से यूजर्स का डेटा चोरी करता है और अनैतिक तरीके से तीसरी पार्टी को बेच देता है, या खुद भारत की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करता है। 

भारत-चीन सीमा विवाद और भारतीय सैनिकों के शहादत को पिछले साल ध्‍यान देते हुए 59 मोबाईल एप्‍लीकेशन को बैन करने का निर्णय भारत सरकार ने लिया था। यह निर्णय 29 जून 2021 को लिया गया था, बाद में कुछ महीने बाद ही सितम्‍बर 2021 में 118 और चीनी मोबाईल एप्‍लीकेशन को बैन कर दिया गया था। भारत ने अपने नागरिकों से चीनी सामान का परित्‍याग करने का भी आव्‍हाहन किया था, सोनम वांगचू जैसे समाजसेवी ने भी चीनी सामान के परित्‍याद को बखूबी अन्‍ज़ाम दिया।  

ऐतिहासिक दृष्टि की बात की जाए तो चीनी सामान का बहिष्‍कार एक ढकोसला है। भारतीयों को चीनी उत्‍पाद और चीनी एप्‍लीकेशन पसंद है। जिन मोबाईल एप्‍लीकेशन के प्रतिबंधन की बात चलती है, वही मोबाईल एप्‍लीकेशन, जैसे- कैम स्‍कैनर, का प्रयोग सरकारी कार्यालयों के साथ-साथ बहुतायत आमजन भी करते हैं। दूसरी वजह यह भी है कि चीनी सर्विसेज की तरह कोई भारतीय सर्विस नहीं है, या भारतीय सर्विसेज में अधिक पैसा वूसलने की कपट होती है।  

जब-जब चीन ने कोई नया प्रोडक्‍ट लांच किया है, भारतीयों ने बढ़चढ़कर सामान ख़रीदा है। वह लोग भी चीनी सामान का बहिष्‍कार करने की बात करते हैं जो चीनी मोबाईल का प्रयोग कर रहे होते हैं। आज सरकारी कार्यालयों में भी अधिकतर डिवाइस जैसे कम्‍प्‍यूटर आदि चीनी ही हैं। ऐसे उपकरण अत्‍यल्‍प हैं जो भारतीय हों, यदि भारतीय का लोगो लगा भी है तो चीन में कम्‍पोनेंट बना है और भारत में असेम्‍बल हुआ है। 

भारत में लोगों को चीन के प्रति उकसाने और भारत प्रेम जागृत करना एक बुलबुले की तरह है, जिसकी परवाह किसी को नहीं है। आमजन जिसकी क्षमता 10 हज़ार फोन लेने की ही है तो वह अच्‍छा फोन चीनी ही पाता है जो अच्‍छी सर्विस देता है, जबकि जो लोग चीनी सामान बहिष्‍कृत करने की बात कर रहे होते हैं, वही लोग सबसे पहले सेल आउट का इन्‍तज़ार करते हैं और चन्‍द घण्‍टों में ही चीन के प्रोडक्‍ट का स्‍टॉक खाली हो जाता है। यहां पर कुछ लोग भारतीय व्‍यापारियों के नीति और उनकी फंसी पूंजी की बात करेंगे, तो ज़मीनी सच्‍चाई यह है कि किसी भी रिटेल के पास यदि ग्राहक जाता है तो वे चायनीज सामान को ही प्रिफर करते हैं।

आज भारतीय युवाओं को चायनीजि एप्‍लीकेशन्‍स या उसके इन्‍वेस्‍टमेंट ने बर्बाद किया है। भारत में चायनीज इन्‍वेस्‍टमेंट ने भी भारत की अर्थव्‍यवस्‍था को चकनाचूर किया है। दूसरी तरफ जिन्‍होंने चीनी नीति को अपनाया है, उसका सहयोग किया है, वो रातों रात अमीर बने हैं। आज भारतीयता या राष्‍ट्रीयता की भावना एक आडम्‍बर लगता है और आमजन को भ्रम में डालने वाला है। यदि किसी एप्‍लीकेशन को प्रतिबंधित किया जाता है तो सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि उस एप्‍लीकेशन का प्रयोग किसी भी स्‍तर पर गैर कानूनी होगा, चाहे उसका प्रयोग कोई सरकारी कार्यालय ही क्‍यों न हो। बड़े-बड़े भारतीय स्‍टार्टअप्‍स को भी यदि चायनीज कम्‍पनियों का फायनेंस/इन्‍वेस्‍टमेंट मिलता है तो भारत को ऐसी कम्‍पनी को धराशायी करने का जिम्‍मा उठा लेना चाहिए। कुछ अन्‍तर्राष्‍ट्रीय व्‍यापार नियम हैं, यदि सरकार को उन नियमों की दुहाई देकर दोमुहां रवैया यदि अपना हो तो आमजन से यह उम्‍मीद बिल्‍कुल न करे कि आमजन चीनी सामान का बहिष्‍कार करेंगे। चीनी सामान का बहिष्‍कार आमजन के द्वारा किये जाने से पूर्व ऐसे व्‍यापारियों पर रेड डालना ज़रूरी है जो चीनी एजेंट यहांं बने बैठे हैं।     

नोट- दिल पर यह लेख मत लेना, लेकिन सच्‍चाई है। आज सरकारी कार्यालयों में यदि सर्वे कराया जाए तो पता चलेगा कि 80 प्रतिशत उपकरण या टेक्‍नॉलजी चायनीज आधारित है। चन्‍द कुछ समय के लिए भारत में चायनीज बॉयकट की बात होती है लेकिन बाद में उन्‍हींं को प्रमोट किया जाता है। 


Monday, November 22, 2021

Reasons behind repealing of the existing 3 Farm Laws

On addressing to the nation, Indian Prime Minister Shri Narendra Modi announced to repeal the existing three farm laws that was burning issue for more than two years. Farmers mainly from northern states like Punjab, Haryana, Uttar Pradesh were protesting demanding for removal of the existing 3 agricultural laws brought by the ruling Modi government. These three laws are respectively The Farmers Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Act, 2020; The Farmers (Empowerment and Protection) Agreement on Price Assurance and Farm Services Act, 2020; and The Essential Commodities (Amendment) Act, 2020.

After these farm laws came into force, farmers from country wide started protesting against the ruling government. The central government also offered conversation on the points of the rules inside these farm laws, but the farmers couldn't be satisfied over the issues. The confrontation rose up, and many have lost their lives for now. The government also imposed allegations on farmers protests referring being funded by non-peaceful individuals. Rakesh Tikait a farmer leader mainly led this protest and he organized farmers protests in different states in different occasions. Farmers influenced the elections of whether it was Bihar or West Bengal, Rakesh Tikait played vital role in forming governments in various states and even in various elections.

While addressing to the farmers Modiji stated that he wished to make better lifestyle of farmers and these farm laws were really for wellness for farmers. But it was clear that a part of farmers were not satisfied by these laws, and thinking about their protest and intensity he announced to repeal these three existing farm laws before this winter session.

There are many things to talk, but as per my analysis the BJP government has decided to repeal these farm laws before of Uttar Pradesh election 2022. Most of the participants of farmers protest are belonging from Uttar Pradesh. Uttar Pradesh has witnessed the voting calculations in various level elections countrywide after the introduction of these three farms laws. Government has decided to repeal these farm laws to make happy the farmers and by the influence of this decision they could vote to the ruling BJP in Uttar Pradesh in next elections.

Will the protest be ended for now? - After the statement by the Modi government, when a question was asked to farmers leader Rakesh Tikait whether the protest will be ended for now, he replied that the protest cannot be ended before the winter parliament session declaring an order of repealing of these three farm laws. By the way, after the statement of Modiji for repealing the three existing farm laws, farmers and farmer leaders are propagating it as their win.



Monday, September 20, 2021

Charanjit Singh Channi Becomes New Chief Minister of Pujnab, Capt Amrinder Singh Resigns

Punjab is a congress ruling Indian state. Congress had majority in 2017 and captain Amrinder Singh took oat as the chief minister of the state. Congress had many vision, agendas for the election. Time passed over and today when I am writing this article is 20/09/2021. In very next year there will be elections in Punjab for Chief Minister.

New CM of Punjab
Charanjit Singh Channi: New CM of Punjab

A big update coming from Punjab state is that Capt Amrinder Singh has resigned from the post of CM and Charanjit Singh Channi, who was cabinet minister in Amrinder's government took over the seat of chief minister. In this article I will discuss about the reasons of why Capt Amrinder Singh has resigned from his post just before some months of election.


It is not a long time when Navjot Singh Sidhu joined Congress party leaving BJP (Bhartiya Janta Party) in previous years. Navjot, Channi and some other politicians created a group against Capt Amrinder Singh making allegation on Capt that he was unable to fulfill the promises made in manifesto of election of 2017. Next election is getting to be held in near future and Punjab government has no strong point to talk about the works.

Not only these were the allegations but control over drug mafia was also a big issue alleged on Capt Amrinder Singh. Actually there may be some other reasons of resigning of Capt from the seat of Chief Minister, that is yet to be come out. But for now, the new chief minister is Charanjit Singh Channi.


Important fact to be noted is that Charanjit Singh Channi is the first Dalit to govern Punjab Government in history as a chief minister. Charanjit Singh Channi took oat on today, dated 20 September, 2021. He will serve as the chief minister of Punjab for a time being. It is also said that the real gamer behind the scene is Navjot Singh Sidhu. Captain Amrinder Singh has also congratulated Charanjit Singh Channi on becoming the next chief minister of the state and even big leaders from different political parties have also congratulated him including the prime minister of India Narendra Modi.


This time is very crucial for national political points, recently on 18th September, 2021 Babul Supriyo, a famous singer and politician from BJP in West Bengal left BJP and join Mamta Banerjee's (Chief Minister of West Bengal) party TMC (Trinmul Congress). Babul Supriyo stated that he is ignored and targeted by his own political people, so that he is thinking of quitting the party, before he joined TMC.

Hope you like this article. This article is mainly written for the purpose of examination preparation for different exams. For more, you should stay tuned with this website. You can watch video about Charanjit Singh Channi takes oath as Punjab Chief Minister | New Chief Minister of Punjab 2021



CTET December 2021 - Registration Open : Know about CTET

TET (Teacher Eligibility Test) is compulsory for Class Ist to Class VIIIth for appointment as teacher in government schools. This is conducted by both central and state governments. Some states have their own conduct of TET like Uttar Pradesh (UPTET), Rajasthan Teacher Eligibility Test (RTET), The Haryana Teacher Eligibility Test (HTET), Punjab (PSTET), Maharashtra TET (MAHATET). Formerly CTET (Central Teacher Eligibility Test) was valid for 7 years, as per recent notification CTET is valid for LIFETIME now.

CTET 2021
CTET 2021

In this article we will have a overview in the examination conducting for CTET for December, 2021. So let's start - 

CTET was introduced by the Indian government in 2011 to improve standards in teaching. It is mandatory in schools like NVS (Navodaya Vidyalaya Samiti) & KVS (Kendriya Vidyalaya Samiti) organizations and other central institutions. CTET is usually conducted for teaching aspirants for class 1st to 8th.


Eligibility for CTET - All D.El.Ed./B.Ed./B.El.Ed. holders are eligible to sit in CTET examination.

Age limit - Minimum age limit is 18 years and officially there is no maximum age limit.

Fees Structure - For General/OBC - 1000/- INR for Paper-I, and 1200/- for additional Paper-II. For Sc/St and reserved categories 500/- for Paper-I and and 600/- for additional Paper-II.

Passing Mark - 60% is required for passing in CTET.

Validity of CTET Score card - Onward 2021, it is valid for LIFETIME. 

CBSE maintains TET database and guides government bodies on conducting the test. CTET 2021 details are mentioned below:

Start Date of Registration/Application Form - 20/09/2021

Last Date of Registration/Application Form - 19/10/2021


Fact - If paper-II is optional, if anyone passes Paper-I then he will be eligible as a teacher for class 1st to 5th, and if anyone passes both Paper-I and Paper-II as he has already chosen for Paper-II, he will be eligible for class 1st to 8th as teacher.

Usually different notifications come out regarding CTET examination handles by NIC website, candidates are advised to visit the website regularly and read the official notification before applying/following any notification through out the internet.

Official Website for CTET - click to view latest about CTET

Website for Applying for CTET December 2021 - Click to apply online

Hope you like this article, if you have any query regarding CTET, you can ask in comment section. You can watch video about CTET 2021 Registration : सीटीईटी के लिए आवेदन आज से | CTET Eligibility, Registration, Validity

RBI Imposes Penalty on Banks for Non-Availability of Cash in ATM : Effective from 1st October, 2021

ATM (Automated Teller Machine) is used to perform financial actions. Mainly it is used for checking balance, transferring money, printing statement, depositing money and more importantly withdrawing cash. It is really nice concept to have ATM near you to provide financial services by banks. After digital revolution the use of ATM is limited now, because many customers use banking apps like U-Mobile (of Union Bank of India), YONO (by State Bank of India) and similar other apps to perform financial tasks. Now customers can easily send money to any bank's account number using their mobile phone, they can also get statement details and maintain the account digitally.

ATM No Cash Penalty
RBI ATM Rules w.e.f. - 1 October, 2021

But customers cannot take cash money / hard money directly from these mobile phones. They need to visit nearby banks or ATM physically to take cash. By the way new technology has replaced ATM Debit card for purpose of swiping money for withdrawal of cash, they can use wireless PIN through message using YONO/similar apps. 


Many times while vising ATM we had to face critical problems like ATM machines not working or more commonly the ATM being out of cash. This was a common problem that we customers had to face. This concern was reported to Reserve Bank of India (RBI), taking this concern the apex bank of India RBI has released a notification previous month regarding the compulsion of availability of cash in ATM. This is a very good gesture by the apex bank of India and indeed this will make easy banking and financial services avoiding the inconvenience that customers had to face before.

As per the new guidelines of the RBI, every bank should ensure the availability of cash in ATM, they should focus in logistic services and should ensure that every ATM at all locations of the bank must have sufficient money and the ATM must not go cash out. If any ATM remains cash out for more than 10 hours a month, the bank will be liable for penalty of INR 10,000/- per ATM. This will ensure availability of cash in ATMs, thus customers will enjoy hassle free banking services 24*7. This rule will be effective from 1st October, 2021.


By the way commercial banks are not happy by this guideline of RBI, but the apex bank of India has already given some exemption for not availability of cash in ATM in particular conditions like strike and major other accidents. Actually, unavailability of cash in ATM was a major usual problem in India, it will really affect the banking experience in coming days. 

Hope this article is useful for you. You can speak out in comment section that you have in your mind regarding this update of RBI. Also you can watch video about नया नियम: ATM में कैश खत्म तो बैंक देगा 10000 का जुर्माना | RBI to change ATM cash withdrawal rules




Tuesday, July 6, 2021

JEE & NEET EXAMINATIONS MAY BE POSTPONED AGAIN : NTA SOURCES

 As all we know that JEE & NEET Examinations are being conducted four times a year to get rid of the coronavirus outbreak. Prior these examinations have been cancelled for session May & June, 2021 due to the Covid-19 pandemic. The crisis of the second wave of coronavirus in India came in April, 2021, consequent strict lockdown in different states in India and cancellations of various examinations country wide.

JEE & NEET 2021

Actually, the second wave are more dangerous as per news sources and the third wave of covid-19 is about to come in near upcoming months. This is the main reason of schools lock and general promotions to aspirants. Candidates of NEET (National Eligibility cum Entrance Test) and JEE (Joint Entrance Examination) demanded for the postponement of the examination conducting amid the second wave of Covid-19. National Testing Agency (NTA) acknowledged the situation and released a notification for the postponement of JEE & NEET examinations for session May and June 2021.

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JEE & NEET EXAMINATIONS MAY BE POSTPONED AGAIN : NTA SOURCES

Before a few days, the JEE examination was going to be started from July 3rd 2021, but the authorities postponed the examination recently. There is no certainty whether when the next schedule is for commencing of JEE examination. NEET examination is going to be started from 1st August, 2021 remaining just a few weeks from right now. Like previous year, NEET & JEE aspirants were protesting against the commencement of examination amid the crisis period. Consequent, the JEE examination that was going to happen in July 2021 was postponed.

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Further, NTA has acknowledged the protest of NEET students, so NTA will keep examination schedule proposal to the Union Education Minister Shri Ramesh Pokhariyal regarding the decision of exam dates. On today, 06/07/2021 the proposal will be introduced to the education minister. We can hope the final decision of exam dates for NEET 2021 for these sessions. The Education Ministry is already reviewing the situation of Covid-19 cases.

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Actually, there is another issue for postponement of NEET nowadays. There are many candidates belonging from remote states of India, and residing in some parts of state like Bihar whether flood is another disaster for them. Transport services are not properly started yet and there are other issues as well but the biggest problem is obviously coronavirus outbreak. 

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On earlier June, 2021 PM Modi announced for cancellation of CBSE Board Examinations for class 12th, even class 10th Board Examinations were already cancelled, this shows the intense fear of covid-19 outbreak of the second wave. Different states also followed the footprints of the central government for cancellation of board exams. Now it is yet to be seen what happens further, but hope for positive responses from the Union Education Minister.

We will keep updating the further updates, stay tuned with us. Watch this news video by clicking JEE, NEET Exam Dates 2021: NTA giving final touches to proposal, will submit before ministry Today


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Thursday, June 17, 2021

NOW SUBSCRIBERS CAN WITHDRAW WHOLE AMOUNT FROM NPS : BIG CHANGES BY PFRDA

Pension Fund Regulatory & Development Authority (PFRDA) has granted withdrawal of upto 5 Lakh or less INR without buying any equity/pension plan for NPS (National Pension Scheme) subscribers. Before this rule, NPS holders could only withdraw 60% of lump sum amount, rest for 40% they needed to opt for equity/pension plan from companies.

NPS (National Pension Scheme)

According to the latest rule, any NPS account holder having 5 lakh or less money can withdraw whole amount in lump sum without any restrictions. The PFRDA has also increased the withdraw limit of 1 lakh (prior) to 2.5 lakh now on pre-clearance. 

NOW SUBSCRIBERS CAN WITHDRAW WHOLE AMOUNT FROM NPS

The authority has extended the entry age for NPS plan from 65 to 70 now, and exit age is 75. This is on personal choice whether a person wants to continue his NPS or not. NPS is mandatory for all government employees after year 2004. Any person can have NPS whether he is working or non-working individual.

The PFRDA has taken this step because of Covid-19 crisis. People seemed to face critical financial conditions because of the coronavirus outbreak. This made the PFRDA to think for change in withdrawal rules from NPS. This change is good for those who were facing the financial crisis. Now the individuals need not to get restricted to take equity before withdrawing the amount for mentioned parameter.

By the way, there is already partial withdrawal provision for essential requirements. Only three times withdrawal is accepted for whole life before maturity. Remember, the partial withdrawal is tax exempted.

Equity - Equity is a term given in NPS dictionary generally means a plan that you give lump sum amount to company for getting pension after retirement. This is compulsory for NPS subscribers. 60% lump sum amount withdraw is allowed after retirement, while 40% should be used to buy equity for pension as per existing rules of NPS.

About NPS - NPS (National Pension Scheme) was launched in 2004 by the Indian government for the purpose of investment & retiring plan. NPS performs on the basis of market conditions. Government uses the subscribers money in stock market and repay with interest. Tract record says there is around 10% or more returns in NPS. This makes NPS attractive for investment and retiring purpose.

Types of NPS - There are two types of NPS. Tier-I and Tier-II.

Tier-I is compulsory before opting for Tier-II account. Subscribers can choose NPS allocation for Tier-I for different items/companies. While the Tier-II is only for investment purpose. Beginners who do not have much idea about stock market can invest small amount in Tier-II of NPS and can track the amount with current fluctuating market conditions.

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