eDiplomaMCU: कर्मचारी कार्नर

Translate to my Language

Showing posts with label कर्मचारी कार्नर. Show all posts
Showing posts with label कर्मचारी कार्नर. Show all posts

Thursday, December 26, 2024

मध्‍यप्रदेश लिपिक/क्‍लर्क को अब भी है लिपिक वेतन विसंगति दूर होने का इंतज़ार

मध्‍यप्रदेश के लिपिकों ने न्‍यायसंगत वेतन प्राप्‍त करने के लिए कई दौर देख लिया है परन्‍तु उनको उनका अधिकार अब तक प्राप्‍त नहीं हुआ है। पिछले 40 सालों में 10 से अधिक कमेटियां और साथ ही साथ माननीय उच्‍च न्‍यायालय द्वारा लिपिक हित में फैसला होने के बावजूद भी लिपिकों को उनके अधिकार से वंचित रखा गया है। मध्‍यप्रदेश के लिपिक से कम वेतन प्राप्‍त करने वालों पदों को पिछले कुछ ही सालों में लिपिक से अधिक वेतनमान के साथ नवाज़ा गया है, परन्‍तु लिपिकों की भर्ती योग्‍यता उच्‍च रखने के बावजूद भी उनके साथ दोहरा रवैया अपनाया गया है।

लोड हो रहा है ...
म.प्र. लिपिक 2400/- ग्रेड पे की मांग

सदैव की तरह मध्‍यप्रदेश के लिपिकों के साथ एक बार फिर से मज़ाक किया गया, इस बार एक ऐसा आयोग सामने आया जिसकी मांग न तो मध्‍यप्रदेश के कर्मचारी संगठनों ने किया और न ही उन्‍हें उस आयोग के रिपोर्ट आने तक उसके बारे में कुछ पता था। सिंघल आयोग ने अपनी रिपोर्ट जुलाई 2024 में मध्‍यप्रदेश सरकार को सौंपा, यह मध्‍यप्रदेश के कर्मचारी संगठनों के लिए एक सदमे के समान था, क्‍योंकि सिंघल आयोग ने मध्‍यप्रदेश के लिपिकों की वेतन विसंगति का दावा किया परन्‍तु लिपिक संघ अथवा किसी अन्‍य संगठन को यह तक पता नहीं था कि आखिर सिंघल आयोग है क्‍या, और यह कब बना और किस लिए बना। मध्‍यप्रदेश सरकार द्वारा बताया गया कि सन् 2020 में तब के तात्‍कालिक माननीय मुख्‍यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी के द्वारा लिपिक/क्‍लर्क वेतन विसंगति दूर करने के लिए यह आयोग तैयार किया गया था जिसकी रिपोर्ट अब प्राप्‍त हुई है और जुलाई 2024 में ही सिंघल आयोग का कार्यकाल समाप्‍त होने को था। 

कर्मचारी संगठनों ने सिंघल आयोग का विरोध यह हवाला देते हुए किया कि इस आयोग ने कर्मचारियों व संगठनों से वार्ता किये बिना ही मनमाना रवैया अपनाया होगा, क्‍योंकि रिपोर्ट सार्वजनिक तो की नहीं गई। इस सब बात को देखते हुए सरकार द्वारा सिंघल आयोग का कार्यकाल दिसम्‍बर 2024 तक 6 माह के लिए और बढ़ा दिया गया। आज 26 दिसम्‍बर है और आज तक सिंघल आयोग ने कोई रिपोर्ट वेतन विसंगति दूर कराने के लिए सरकार को कोई रिपोर्ट नहीं सौंपा है। सूत्रों से इस बात का पता चला है कि सरकार सिंघल आयोग को निरस्‍त करते हुए लिपिकों की वेतन विसंगति दूर कराने के लिए एक नए कमेटी / आयोग का गठन करेगी। इस बात से लिपिक संघ में उदासीनता व आक्रोश व्‍याप्‍त हो गया है। दिसम्‍बर माह में ही मध्‍यप्रदेश लिपिक संघ ने कई बैठकें कर लिया है और नए साल से अभूतपूर्व आन्‍दोलन ही राह पर चलने की बात कहा है। अब देखने वाली बात रहेगी कि क्‍या नए साल 2025 पर लिपिकों की 40 साल पुरानी वेतन विसंगति दूर होती है या नहीं। 

वीडियो देखें - म.प्र. लिपिक वेतन विसंगति दूर होने के आसार ख़त्‍म । साल 2024 के साथ सिंघल आयोग कार्यकाल भी ख़त्‍म ..

Saturday, November 9, 2024

म.प्र. कर्मचारियों को 8वें वेतन आयोग का इंतज़ार ...

दोस्‍तों, मेरा नाम अभिषेक है, लम्‍बे वक्‍़त के बाद एक बार फिर से सरकारी कर्मचारियों से सम्‍बंधित कुछ बाते आपके सामने लाना चाहता हूँ। मध्‍यप्रदेश में सरकारी कर्मचारियों की विभिन्‍न मांगें रही हैं, वेतन विसंगति से लेकर पेंशन बहाली का मुद्दा बड़े मुद्दों में से रहा है। मध्‍यप्रदेश में सरकारी कर्मचारियों की कई सारी मांगें समय के साथ मान ली गई थीं, प्रदेशव्‍यापी मुद्दा केवल 2 ही रह गये हैं - पुरानी पेंशन बहाली अथवा संशोधित पेंशन योजना, आवास भत्‍ता। 

दूसरी तरफ मध्‍यप्रदेश के लिपिक वर्गीय सरकारी कर्मचारियों की वेतन विसंगति दूर होने के आसार प्रत्‍येक चुनाव से पूर्व लगता है, परन्‍तु किसी भी प्रकार से लिपिक / क्‍लर्क की मांग वेतन विसंगति दूर कर वेतन बढ़ाये जाने को दरकिनार कर दिया जाता है। आज इस लेख में संक्षिप्‍त में हम इन्‍हीं सभी पहलुओं की चर्चा वर्तमान दौरान पर करेंगे। 

लिपिक वेतन विसंगति - 2018 में मध्‍यप्रदेश विधानसभा चुनाव से पूर्व सरकार ने लगभग 51 पदों से भी अधिक का वेतनमान बढ़ा दिया था, परन्‍तु सबसे पुराना वेतन विसंगति का मामला लिपिकों के साथ रहा था, जिसे सरकार ने कमेटी बनाकर मामला फिर से रफा दफा कर दिया। लगभग पिछले 40 वर्षों में 10 से भी अधिक कमेटियों ने लिपिकों की वेतन विसंगति दूर कर वेतन बढ़ाये जाने की सिफारिश की, परन्‍तु सरकार ने लिपिकों के साथ न्‍याय नहीं किया। जुलाई 2024 में अचानक से ख़बर सामने आई कि सरकार लिपिक वर्गीय कर्मचारियों का वेतन बढ़ाने वाली है इसके लिए सिंघल कमेटी की अनुसंशाएं लागू होने जा रही हैं, अचरज की बात तो यह थी कि मध्‍यप्रदेश लिपिक कर्मचारी संघ के शीर्ष नेतृत्‍व को इस कमेटी और इसके अनुसंशाओं की भनक तक न थी। विरोध हुआ तो सिंघल आयोग के खत्‍म हो रहे कार्यकाल को पुन: 6 माह के लिए बढ़ा दिया गया और दिसम्‍बर 2024 से पहले लिपिकों के वेतन को बढ़ाने की सिफारिश का वायदा किया। यह माह नवम्‍बर 2024 है, अलग माह समाप्‍त हो रहे सिंघल आयोग और उसकी सिफारिशों की अटकलों को दरकिनार करते हुए लिपिकों के वेतन को बढ़ाने के लिए मध्‍यप्रदेश की सरकार फिर से एक कमेटी बनाने वाली है, जिसकी रिपोर्ट तकरीबन 1 साल बाद आएगी। लिपिक / क्‍लर्क कर्मचारी संघ ने इस पर फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं की है। आशंका यही है कि मध्‍यप्रदेश के लिपिकीय पद को धीरे-धीरे समाप्‍त कर दिया जाएगा, एवं आउटसोर्स प्रथा को बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे लिपिकों की वेतन विसंगति दूर होने का 1 प्रतिशत भी सम्‍भावना नहीं रह जाएगी। 

महंगाई भत्‍ता की अनियमितता से पेंशन व वेतन में नुकसान - एनपीएस में आने वाले मध्‍यप्रदेश के सरकारी कर्मचारियों को देरी से मिलने वाले व अनियमित दिनांक से मिलने वाले महंगाई भत्‍ता / डीए के कारण एनपीएस फण्‍ड में ज़मा राशि में देरी होती है, साथ ही कम योगदान से भविष्‍य में कम पेंशन वे पेंशन कॉर्पस तैयार हो पाता है। साथ ही प्रतिमाह मिलने वाला एरियर राशि का नुकसान भी होता है। इसी मांग को ध्‍यान में रखते हुए सरकार ने केन्‍द्रीय तिथि से कर्मचारियों को केन्‍द्र के समान महंगाई भत्‍ता / डीए देने का वायदा किया है। परन्‍तु आज दिनांक तक भी मध्‍यप्रदेश के सरकारी कर्मचारी 3 प्रतिशत कम महंगाई भत्‍ता पा रहे हैं, इससे उनमें आक्रोश है। 

आवास भत्‍ता / एचआरए में सस्‍पेंश बरकरार - मध्‍यप्रदेश के सरकारी कर्मचारियों को अत्‍यल्‍प आवास भत्‍ता मिलता है। जहां किसी पद के केन्‍द्रीय कर्मचारी को 5000/- रूपये आवास भत्‍ता मिलता है, वहीं मध्‍यप्रदेश के सरकारी कर्मचारी को लगभग 300/- रूपये आवास भत्‍ता मिलता है। पूर्व में भी मध्‍यप्रदेश की सरकार ने आवास भत्‍ता में सुधार के लिए कई वायदे किये जैसे हायर पर्चेस मॉडल आदि, परन्‍तु सब सिर्फ एक आश्‍वासन ही था, ज़मीनी हक़ीकत से काफी दूर। आवास भत्‍ता मध्‍यप्रदेश में यहां तक चिंता का विषय बना हुआ है कि मध्‍यप्रदेश के सरकारी कर्मचारियों को एचआरए 7वें वेतनमान में अब तक नहीं मिल पा रहा, जबकि इसे लागू हुए लगभग 9 साल हो गये। अगले साल बाद 8वां वेतनमान आएगा, परन्‍तु मध्‍यप्रदेश के सरकारी कर्मचारियों को 7वें वेतनमान का लाभ आज तक नहीं मिल पाया है। 

8वां वेतन आयोग - मध्‍यप्रदेश की सरकार भी केन्‍द्र सरकार के नक्‍शे कदम पर चलकर अगला वेतनमान लाएगी। केन्‍द्र की सरकार ने कुछ समय पूर्व 8वें वेतनमान के बारे में इनकार कर दिया था, परन्‍तु टीवी सोमनाथ जी ने एक इंटरव्‍यू में कहा कि 8वां वेतन आयोग आने में 1 साल का समय है, और इशारा किया कि यह ज़रूर आएगा। क्‍योंकि डीए का बेसिक वेतन में मर्जर भी नहीं हुआ, जिसकी अटकलें कुछ समय पूर्व लग रही थीं। फिलहाल के लिए मध्‍यप्रदेश की सरकार ने आधिकारिक रूप से 8वें वेतन आयोग पर अपना कोई रूख नहीं दिया है। 

यूपीएस पेंशन मॉडल का विकल्‍प जल्‍द - सूत्रों की मानें तो मध्‍यप्रदेश की सरकार नए साल पर यूनीफाईड पेंशन योजना को मध्‍यप्रदेश के सरकारी कर्मचारियों के लिए विकल्‍प के तौर पर सामने लाएगी। दरअसल एनपीएस व यूपीएस में से अधिकांश सरकारी कर्मचारियों की पसंद एनपीएस ही है जिनकी सम्‍भावित सेवा अवधि 20 साल या अधिक है, क्‍योंकि यूपीएस में एनपीएस के तहत कट रहे फण्‍ड को सरकार जप्‍त कर लेगी। फिलहाल के लिए देशभर में कर्मचारियों ने यूपीएस पेंशन का बहुत विरोध किया है, परन्‍तु मध्‍यप्रदेश में सरकारी कर्मचारी पेंशन को लेकर अधिक उत्‍साहित नहीं दिख रहे हैं क्‍योंकि यूपीएस पेंशन में केन्‍द्र सरकार की ओर से सुधार प्रस्‍तावित है। 


उम्‍मीद है दोस्‍तों आपको यह लेख पसंद आया होगा। हम ऐसे ही सरकारी कर्मचारियों से सम्‍बंधित ख़बरें लाते रहेंगे। हमारे साथ बने रहिएगा। धन्‍यवाद। 

Friday, August 9, 2024

म.प्र. कर्मचारियों का डीए मूल वेतन मर्जर से बढ़ेगी वेतन विसंगति : मुद्दों पर बात नहीं ...

मध्‍यप्रदेश के सरकारी कर्मचारियों के बारे में आये दिन कमेटियां बनती रहती हैं, समाचार वाले ख़बरें निकालते रहते हैं, परन्‍तु होता कुछ नहीं है। जब होना होता है तो न तो उसकी ख़बर चलती है और न ही कमेटियां बनती हैं और इसी लुका - छुपी में वेतन विसंगति और कर्मचारियों में आर्थिक भेदभाव जन्‍म ले लेता है। इस लेख में हम कुछ ऐसी ही बातों की चर्चा करेंगे जिसकी बात हम सबसे छुपाई जाती है या भ्रामक ख़बर के हम शिकार हो जाते हैं। 

7वां वेतनमान सरकारी कर्मचारियों के लिए वर्ष 2016 से लागू हुआ है, परन्‍तु मध्‍यप्रदेश के कर्मचारियों को आवास भत्‍ता 6वां वेतनमान अनुसार मिल रहा है। कहने का मतलब कि 2024 चल रहा है, 1 साल बाद 8वां वेतनमान आना चाहिए, परन्‍तु मध्‍यप्रदेश के सरकारी कर्मचारियों को 2006 के हिसाब से आवास भत्‍ता मिल रहा है। सीधा का मतलब है कि मकान का किराया 2006 में (आज से 18 साल पहले) जो था, क्‍या कोई भी मकान मालिक उस दर कीमत पर आज भी किराये पर घर देगा? बिल्‍कुल नहीं देगा। मध्‍यप्रदेश में सरकारी कर्मचारी संघ ने आवास भत्‍ता को कोई मुद्दा समझा ही नहीं। 

दूसरी तरफ पिछले वर्ष 2023 में छत्‍तीसगढ़ के कर्मचारियों को 6वें वेतनमान से बढ़ाकर 7वें वेतनमान में आवास भत्‍ता मिलने लगा, साथ ही आवास भत्‍ता में मिलने वाली दर को भी बढ़ा दिया गया, और अब छत्‍तीसगढ़ के सरकारी कर्मचारी केन्‍द्र के समान आवास भत्‍ता की मांग कर रहे हैं, इसके लिए उन्‍होंने जुलाई 2024 में एवं अगस्‍त 2024 में छत्‍तीसगढ़ की सरकार को ज्ञापन देना भी शुरू कर दिया है। इसके साथ ही समान पद का मध्‍यप्रदेश एवं छत्‍तीसगढ़ में वेतनमान अलग-अलग हो गया है। 

महंगाई भत्‍ता की बात करें तो मध्‍यप्रदेश एवं छत्‍तीसगढ़ दोनों राज्‍यों का 1 जनवरी 2024 से 4 प्रतिशत महंगाई भत्‍ता मानक उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक से कम है, जो केन्‍द्रीय कर्मचारियों को मिलने वाले महंगाई भत्‍ता से ज़ाहिर तौर पर 4 प्रतिशत कम है। उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक जनवरी 2024 से जून 2024 का आंकड़ा अगस्‍त 2024 के पहले सप्‍ताह में लेबर ब्‍यूरो द्वारा ज़ारी कर दिया गया है, एआईसीपीआईएन के अनुसार सरकारी कर्मचारियों का महंगाई भत्‍ता 3 प्रतिशत और बढ़ने वाला है, अर्थात् 1 जुलाई 2024 से कर्मचारियों का महंगाई भत्‍ता 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 53 प्रतिशत कर दिया जाएगा। परन्‍तु मध्‍यप्रदेश एवं छत्‍तीसगढ़ के कर्मचारियों को कई बार इस सम्‍बंध में सरकार को ज्ञापन सौंपने के बाद भी निराशा ही हाथ लगी है। 

ख़बर अब ऐसी चल रही है कि महंगाई भत्‍ता 50 प्रतिशत से आगे न बढ़ाकर मध्‍यप्रदेश की सरकार कर्मचारियों के तात्‍कालिक मूल वेतन पर 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर महंगाई भत्‍ता 0 कर देगी और भविष्‍य में बढ़े हुए मूल वेतन पर महंगाई भत्‍ता मिलना प्रारम्‍भ होगा जिससे कर्मचारियों को अपेक्षया अधिक लाभ होगा, और यह तरीका 8वें वेतनमान का विकल्‍प के तौर पर देखा जा रहा है। मान लीजिए कि किसी का मूल वेतन अभी 40 हज़ार रूपया है तो उसका मूल वेतन अब 60 हज़ार कर दिया जाएगा, परन्‍तु जिसका मूल वेतन 20 हज़ार है उसका 30 हज़ार मूल वेतन हो जाएगा, इस सबसे कम वेतन पाने वाले कर्मचारियों को अपेक्षयाकृत नुकसान ही होगा, क्‍योंकि मूल वेतन के साथ अन्‍य कई सारे भत्‍ते जुड़े रहते हैं, इस सबसे कर्मचारियों के वेतन की विसंगति बढ़ती ही जाएगी।


कर्मचारियों / मुख्‍यतया लिपिक वर्गीय कर्मचारियों की वेतन विसंगति मध्‍यप्रदेश में पिछले 40 वर्षों से बनी है, लिपिक/क्‍लर्क/सहायक ग्रेड से कम वेतन पाने वाले पदों (यथा शिक्षक, पटवारी, ग्राम सेवक आदि) का वेतन आज लिपिकों से बहुत अधिक है। पिछले 40 वर्षों में जितने भी वेतन आयोग आये हैं, सभी में लिपिकों के साथ आर्थिक भेदभाव किया गया है। इसी वेतन विसंगति को दूर करने मध्‍यप्रदेश की सरकार ने 2020 में सिंघल आयोग का गठन किया था जिसकी रिपोर्ट 2024 माह जुलाई में मध्‍यप्रदेश की सरकार को मिली, परन्‍तु अनुशंसाओं को लागू न कर कमेटी के कार्यकाल को आगे बढ़ाकर रिपोर्ट निष्क्रिय कर दिया गया है। आश्‍चर्य की बात तो यह रही है कि सिंघल आयोग की सिफारिशों और पैमाने का आधार किसी भी कर्मचारी संघ को न था। 

निष्‍कर्ष के तौर पर कहा जाए तो मध्‍यप्रदेश के कर्मचारियों के मूल वेतन में 50 प्रतिशत के डीए को मर्ज करने की बात भ्रामक है, और यदि ऐसा होता है तो छोटे स्‍तर के कर्मचारियों को आर्थिक नुकसान होगा। डीए को मूल वेतन में मर्जर की बात को 8वां वेतन आयोग के विकल्‍प के रूप में देखा जा रहा है जो कर्मचारियों को बढ़ती महंगाई से निज़ात दिलाने में मददगार हो सकता है। 


Saturday, July 20, 2024

म.प्र. कर्मचारी / पेंशनर के 4 प्रतिशत महंगाई भत्‍ता / राहत की सच्‍चाई

मध्‍यप्रदेश के कर्मचारियों एवं पेंशनर्स में भ्रम की स्थिति निर्मित हो गई जब मीडिया में यह बात चलने लगी कि मध्‍यप्रदेश सरकार ने 18 जुलाई 2024 की केबिनेट में 4 प्रतिशत महंगाई भत्‍ता व राहत बढ़ा दिया है। परन्‍तु यह 4 प्रतिशत महंगाई भत्‍ता व राहत बढ़ने के उपरांत भी 42 से बढ़कर 46 प्रतिशत डीए/डीआर होने की बात कही गई। असल में इस तथ्‍य को अखबार एवं समाचार पत्रों में सही ढंग से न तो प्रस्‍तुत किया गया और न ही सरकार की तरफ से वास्‍तविक सोशल मीडिया हैण्‍डल्‍स के द्वारा तथ्‍यात्‍मक जानकारी प्रस्‍तुत की गई। 


पिछले महंगाई भत्‍ता व राहत के आदेश का सिर्फ अनुमोदन - दरअसल मध्‍यप्रदेश की सरकार ने राज्‍य कर्मचारियों का 1 जुलाई 2024 से जबकि पेंशनर्स का 1 मार्च 2024 से क्रमश: महंगाई भत्‍ता व महंगाई राहत बढ़ाने का निर्णय लिया था, जिसका अनुमोदन मध्‍यप्रदेश केबिनेट के विभिन्‍न कारणों से नहीं हो पाया था। उसी पुराने 42 प्रतिशत से 46 प्रतिशत होने के 4 प्रतिशत महंगाई भत्‍ता व राहत के आदेश का अनुसमर्थन मध्‍यप्रदेश की केबिनेट से दिनांक 18 जुलाई 2024 को किया गया। मध्‍यप्रदेश के कर्मचारियों एवं पेंशनर्स में इस बात का उत्‍साह था कि सरकार ने 4 प्रतिशत महंगाई भत्‍ता व महंगाई राहत 4 प्रतिशत पुन: बढ़ाकर केन्‍द्र के समान 50 प्रतिशत महंगाई भत्‍ता कर दिया है, परन्‍तु यह निराशाजनक ख़बर थी कि उस महंगाई भत्‍ते का अनुसमर्थन किया गया जिसका लाभ मध्‍यप्रदेश के कर्मचारियों व पेंशनर्स को पिछले कई महीनों से मिलता आ रहा है।

मध्‍यप्रदेश के अधिकारी कर्मचारी संयुक्‍त मोर्चा ने केन्‍द्र के समान महंगाई भत्‍ता व राहत की मांग के लिए सरकार ने निवेदन किया है और सूचक तौर पर बताया है कि यदि कर्मचारियों का महंगाई भत्‍ता/राहत इसी माह केन्‍द्र के समान 50 प्रतिशत होने का आदेश नहीं आता है तो मज़बूरन संयुक्‍त मोर्चे को अगले माह से आन्‍दोलन की राह इख्तियार करना पड़ेगा। साथ ही लिपिकों की वेतन विसंगति के लिए बने सिंघल आयोग के कार्यकाल बढ़ाये जाने को लेकर भी अधिकारी कर्मचारी संयुक्‍त मोर्चा चिंतित है, क्‍योंकि मध्‍यप्रदेश के क्‍लर्क/लिपिकों की वेतन विसंगति पिछले 40 वर्ष से चली आ रही है व आयोग के कार्यकाल बढ़ाये जाने से लिपिकों को आश्‍वासन के सिवाय कुछ हाथ नहीं लगा। 

अधिकारी कर्मचारी संयुक्‍त मोर्चा इसी माह 4 प्रतिशत महंगाई भत्‍ता व राहत बढ़ने का इंतज़ार कर रहा है क्‍योंकि अगले ही माह 19 अगस्‍त 2024 को रक्षाबन्‍धन है और पिछले लगभग 7 माह से मध्‍यप्रदेश के कर्मचारी 4 प्रतिशत कम केन्‍द्र से डीए / डीआर प्राप्‍त कर रहे हैं। 

म.प्र. कर्मचारी/पेंशनर्स के 4% डीए/डीआर की झूठी ख़बर चल पड़ी है ...


Friday, July 12, 2024

मध्‍यप्रदेश लिपिकों का ग्रेड पे 2400/- , जीपी सिंहल कमेटी की रिपोर्ट

मध्‍यप्रदेश के लिपिक संवर्ग पिछले लगभग 40 साल से वेतन विसंगति झेल रहे हैं। लिपिक/क्‍लर्क का वेतन आज के ग्राम सेवक, पटवारी, शिक्षक आदि से काफी अधिक था, परन्‍तु एक साजिश के तहत लिपिकों का वेतनमान उन्‍नयन आगामी वेतन आयोगों में नहीं किया गया। कई सारे पद तो ऐसे रहे जिनका वेतनमान / ग्रेड पे सरकार ने आये दिन बार - बार बढ़ा दिया। लिपिक संवर्ग जिन्‍हें सहायक ग्रेड - 3 का पदनाम भी दिया गया उनके साथ अन्‍याय बरकरार रहा। पिछले 40 वर्षों में बनी अनेक कमेटियों ने जहां लिपिकों का वेतनमान बढ़ाये जाने की सिफारिश की, तो दूसरी तरफ लिपिकों के साथ होते अन्‍याय के खिलाफ माननीय न्‍यायालय ने भी सहानुभूति दिखाकर लिपिकों का वेतनमान बढ़ाने का आदेश दिया, परन्‍तु सरकार ने लिपिकों की मांगों को नज़रअन्‍दाज कर दिया।

अनेक कमेटियों और धोखे का शिकार होता मध्‍यप्रदेश का लिपिक संवर्ग जो आज के 2800, 3200 ग्रेड पे पाने वाले संवर्गों से अधिक वेतन तब पा रहा था, उसे 1900 ग्रेड पे में ही बांधकर रखा गया और लिपिक संवर्ग 2400 ग्रेड पे पाने के लिए पिछले करीब 20 वर्षों से लड़ाई लड़ रहा है। दूसरी तरफ इन्‍हीं समय में आये 2 वेतन आयोग में लिपिक से कम वेतन पाने वालों को बार - बार वेतनमान उन्‍नयन का लाभ देकर आगे बढ़ा दिया गया। लिपिक संवर्ग में इससे कुण्‍ठा जन्‍म ले ली और लिपिक को स्‍वयं के प्रति भी हीन भावना एवं अवसादग्रस्‍तता का शिकार होना पड़ा। 

दैनिक भास्‍कर (12/07/2024) की रिपोर्ट में लिपिक वेतन विसंगति दूर कराने का जिक्र किया गया है कि 2020 में शिवराज सरकार द्वारा पूर्व वित्‍त सचिव जीपी सिंघल की अध्‍यक्षता में बनाया गया आयोग जो लिपिक वेतन विसंगति के अध्‍ययन के लिए बनाया गया था, जीपी सिंघल कमेटी ने लिपिकों का वेतनमान तत्‍काल प्रभाव से 2400 ग्रेड पे करने की सिफारिश की। सरकार के भी माननीय वित्‍त मंत्री जगदीश देवड़ा जी ने मीडिया के माध्‍यम से लिपिकों को आश्‍वस्‍थ किया है कि आगामी 6 महीने से 1 वर्ष के अन्‍दर ही लिपिकों का ग्रेड पे 1900 से बढ़ाकर 2400 कर दिया जाएगा। 

हम आपको बताना चाहेंगे कि ऐसे बयान एवं ऐसे कमेटियों के रिपोर्ट हमेशा से लिपिकों के पक्ष में होने के बावजूद भी पिछले 40 वर्षों से ल‍िपिकों का आर्थिक, मानसिक, सामाजिक शोषण होता आया है और लिपिकों के साथ अन्‍याय करके अन्‍य संवर्गों से सापेक्ष गरीबी में लिपिकों को खड़ा कर दिया गया है। आज मध्‍यप्रदेश का लिपिक तृतीय श्रेणी में सबसे गरीबी में जीवन यापन कर रहा है, इससे उसकी योग्‍यता एवं कार्यकुशलता का अपमान आये दिन समाज में होता आ रहा है। लिपिक की कर्मठता, कार्यकुशला, लगन, मेहनत, ईमानदारी, सद्भावना, सदाचार को देखकर ही लिपिकों को मध्‍यप्रदेश के समस्‍त कार्यालयों एवं विभागों की रीढ़ की हड्डी कहा जाता है, आज इसी रीढ़ की हड्डी को गरीबी, कमजोरी, बीमारी, और दासता भरे लम्‍हों में जीना पड़ रहा है। कुछ वर्षों पूर्व तृतीय श्रेणी में लिपिक संवर्ग का वेतन सबसे अधिक हुआ करता था। 

डाटा इण्‍ट्री आपरेटर की योग्‍यता एवं कार्य प्रकृति सहायक ग्रेड - 3 के समान या कम होने के बावजूद भी उन्‍हें 2400 ग्रेड पे दिया गया, जबकि लिपिक/सहायक ग्रेड-3 को 1900 में ही अटका दिया गया जो चतुर्थ श्रेणी से ग्रेड पे में सिर्फ 100 रू. अधिक है। जीपी सिंघल की रिपोर्ट में अन्‍य संवर्गों का भी वेतन बढ़ाने की बात कही गई है, जिससे लिपिक सवंर्ग में इस बात का डर बना हुआ है कि हमेशा की तरह अन्‍य संवर्ग को लाभ दे दिया जाएगा, जबकि लिपिकों के साथ फिर से छल किया जाएगा।

मध्‍यप्रदेश का लिपिक आशावादी है एवं उम्‍मीद करता है कि 6 माह के अन्‍दर ही लिपिकों का ग्रेड पे 2400 कर दिया जाए। यदि लिपिकों को उनका बढ़ा हुआ ग्रेड पे मिल जाता है तो लिपिकों के वेतनमान में करीबन 7 हज़ार से 30 हज़ार तक का लाभ होगा। देखने वाली बात रहेगी कि क्‍या मध्‍यप्रदेश के लिपिकों को उनका हक़ दिया जाता है, या उनके सम्‍मान के साथ फिर से खिलवाड़ होता है ... 



Wednesday, July 10, 2024

A separate fund for Pension System in India : Pension Committee Accepts NPS as Bad Pension System

Government employees of both the Central and States' government are struggling for restoration for Old Pension Scheme (OPS) that was eradicated about 20 years back by then the government. West Bengal was merely a state that never switched to New Pension Scheme (NPS), after some years of implementation of NPS the government employees (victims of NPS) felt the dark-side of New Pension Scheme. As the NPS is linked with market returns, there is no fixed income/retirement pension for government employees who gave their life for serving the government.

Amid of all this, due to political reasons, many states (i.e. Rajasthan, Chhattisgarh, Jharkhand, Punjab, ...) reverted again to OPS. The ruling party of central government denies restoration of OPS as it could increase the financial burden on the government, many states also denied for same, but the government employees kept asking for amendment in pensionary system.

Andhra Pradesh was the first state to implement something different model for pensionary system for state government employees of Andhra. They introduced Guaranteed Pension Scheme (GPS) that is based on contributory pension model. I had previously much talked about Andhra Pension Model (please click to read)Andhra Pension Model (please click to read). Many states also proposed to switch for Andhra Pension Model. 

Recently, the central government of India established a committee named as Somnathan Committee for Pension Study, this committee studies a lot on foreign pension plans and more focusing on Andhra Pradesh's Andhra Pension Model (GPS), the committee's officer has proposed for soon recommending for Pension Model based on Andhra Model. By the study of Somnathan Pension Committee, in return of NPS deducted money in today's plan is only sufficient for providing a pension of 40% - 45%, but government may provide them 50% pension linked with DA (Dearness Allowance) similar to Andhra Model but establishing a separate pension fund that should only be used for filling the gap of pension for government employees. The committee also suggested that if someone is serving 25-30 years in NPS, he can only achieve 40%-50% in initially pension terms, but overall OPS is much better, that is actually not possible to re-introduce, but the proposed model for pensionary system alike Andhra Model may work well.


Friday, May 17, 2024

हरियणा लिपिकों का वेतनमान बढ़ा, 21700 मूल वेतन का अधिकारिक आदेश हुआ था ज़ारी

दोस्‍तों, मेरा नाम अभिषेक है। अब इस बात की उम्‍मीद नहीं कर रहा कि मध्‍यप्रदेश के लिपिक वर्गीय कर्मचारियों का वेतनमान 1900 ग्रेड पे से बढ़ेगा, क्‍योंकि पिछले कुछ वर्षों में अथक प्रयास व समर्पण करने के बाद भी हमने देखा कि किस प्रकार मध्‍यप्रदेश लिपिक वर्गीय कर्मचारियों में एकता की कमी की वजह से लिपिक वेतन विसंगति दूर न हो सकी और बात के जाल में लिपिकों के सपने फंसते चले गये।

इस लेख में हमारा मकसद सिर्फ मध्‍यप्रदेश के लिपिकों को इस बात का अंजादा दिलाना है कि मध्‍यप्रदेश के लिपिकों के पक्ष में वर्षों पूर्व कई बार माननीय न्‍यायालय द्वारा एवं सरकार द्वारा बनाई हुई कमेटियों द्वारा भी लिपिकों/क्‍लर्क के वेतनमान उन्‍नयन के पक्ष का समर्थन किया गया, परन्‍तु लिपिकों के अधिकार को छीना रखा गया। 

पिछले वर्ष लगभग 42 दिन के आन्‍दोलन के बाद हरियाणा लिपिकों का वेतन उन्‍नयन करने के लिए कमेटी गठन करने की बात हरियाणा सरकार ने किया था। हरियाणा लिपिकों का वेतन 1900 ग्रेड पे थे जिसे 35400 कराने की मांग पर लिपिक संघ अड़ा हुआ था। सरकार ने तब भी 21700 का प्रस्‍ताव रखा, परन्‍तु लिपिकों ने विरोध ज़ारी रखा। सरकार के कमेटी निर्माण के आश्‍वासन की बात को लिपिक संघ ने मान लिया एवं कुछ माह इंतज़ार बाद सरकार ने 21700 मूल वेतन की अधिसूचना ज़ारी कर दिया जिससे लिपिकों को वेतन में कई हज़ार का फायदा मिलने वाला है। 

सरकार के उक्‍त आदेश से हरियाणा लिपिक संघ आहत है, उनकी मांग 35400 मूल वेतन की थी, इसके लिए हरियाणा लिपिक संघ अब भी संघर्षशील है। हम आपको बता देना चाहेंगे कि हरियाणा में इसी साल 2024 में विधानसभा चुनाव भी हैं, तो लिपिकों की मांग पर सरकार दोबारा अमल कर सकती है। सूत्रों के मुताबिक सरकार लोकसभा चुनाव बाद हरियाणा लिपिकों का वेतन 21700 से फिर उन्‍नयन कर 2800 के आसपास कर सकती है। 

मध्‍यप्रदेश में भी पिछले वर्ष विधानसभा चुनाव से पूर्व कई संवर्गों जैसे आशा, ऊषा, आंगनवाड़ी, पटवारी, संविदा, रोजगार सहायक, शिक्षक, तहसीलदार आदि पदों को आर्थिक लाभ दिया गया, परन्‍तु लिपिक संवर्ग को पिछले 40 वर्षों से इस भ्रम में रखा गया कि कमेटी के मुताबिक उनका वेतनमान बढ़ा दिया जाएगा, इसी सपने को संजोए बहुतायत लिपिक रिटायर तक हो गये। मध्‍यप्रदेश में लिपिकों के अधिकार की बात करने वाला कोई नहीं रहा, जिसने बात की उसकी आवाज़ को दबाने का प्रयत्‍न किया गया। इस सबके जिम्‍मेदार स्‍वयं लिपिक भी हैं जो लिपिक की आर्थिक तंगी का मज़ाक उड़ाने से बाज नहीं आते। समय की दरकार है कि मध्‍यप्रदेश के समस्‍त विभाग के समस्‍त लिपिकों को एक राय होकर वेतन विसंगति दूर कराने की मांग पुन: प्रारम्‍भ करनी चाहिए।

Friday, March 15, 2024

मध्‍यप्रदेश सरकारी कर्मचारियों का महंगाई भत्‍ता 4 प्रतिशत बढ़ा

लम्‍बे समय से इंतज़ार कर सके कर्मचारियों को महंगाई भत्‍ता का उपहार दिया गया है, यह उपहार मध्‍यप्रदेश की सरकार ने होली से पूर्व दिया है। बड़ी बात यह है कि मध्‍यप्रदेश के सरकारी कर्मचारियों का यह महंगाई भत्‍ता 1 जुलाई 2023 की तिथि से ही दिया गया है। एक तरफ तो मध्‍यप्रदेश के कर्मचारियों के चेहरे पर खुशी है, तो दूसरी तरफ अफ़सोस इस बात का है कि केन्‍द्र सरकार ने अपने कर्मचारियों का महंगाई भत्‍ता 50 प्रतिशत कर दिया है। 

मध्‍यप्रदेश सरकार ने 14 मार्च 2024 के परिपत्र में महंगाई भत्‍ता में 4 प्रतिशत की वृद्धि करते हुए 42 प्रतिशत से 46 प्रतिशत महंगाई भत्‍ता दिनांक 1 जुलाई 2023 की तिथि से कर दिया है। मार्च 2024 के वेतन देय माह अप्रैल 2024 से यह बढ़ा हुआ महंगाई भत्‍ता नकद भुगतान किया जाएगा, जबकि जुलाई 2023 से फरवरी 2023 तक के एरियर का भुगतान तीन समान किस्‍तों माह जुलाई, अगस्‍त व सितम्‍बर के वेतन के साथ किया जाएगा। 

मध्‍यप्रदेश के सरकारी कर्मचारियों में इस बात की निराशा अधिक है कि केन्‍द्र व अन्‍य राज्‍यों ने अपने कर्मचारियों का महंगाई भत्‍ता 46 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया है, तो वहीं मध्‍यप्रदेश के सरकारी कर्मचारियों को 4 प्रतिशत कम महंगाई भत्‍ता प्राप्‍त हो रहा है। इस वजह से मध्‍यप्रदेश के सरकारी कर्मचारियों में उत्‍साह से अधिक निराशा है। 

आज 15 मार्च 2024 को मध्‍यप्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्‍त मोर्चा के द्वारा मध्‍यप्रदेश सरकार को 50 प्रतिशत महंगाई भत्‍ता प्रदान करने हेतु ज्ञापन दिया जाना था, परन्‍तु ऐन वक्‍त पर 4 प्रतिशत महंगाई भत्‍ता बढ़ा देना और उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक से कम जो केन्‍द्रीय अनुरूप नहीं है, कर्मचारियों को अधिक रास नहीं आ रहा है। ख़बरें ऐसी आ रही हैं कि बहुत जल्‍द लोकसभा चुनाव के कारण आचार संहिता लागू की जा सकती है, ऐसे में कर्मचारी संगठन केन्‍द्र के समान 50 प्रतिशत महंगाई भत्‍ता के लिए माननीय मुख्‍यमंत्री जी से गुज़ारिश कर सकते हैं।   

Friday, December 15, 2023

म.प्र. सरकारी कर्मचारी ऑनलाईन कमाई कर सकते हैं । नहीं है यूट्यूब, ब्‍लॉग, एफबी आदि चलाने पर रोक ...

महंगाई के इस दौर में सरकारी कर्मचारियों को अपने सपने पूरे करने के लिए ऊपरी कमाई की आवश्‍यकता होती है। सरकारी कर्मचारी नौकरी में आने के बाद रूपये कमाई के अन्‍य तरीके भी ढूँढ़ता रहता है। निम्‍न स्‍तर के सरकारी कर्मचारियों का वेतन अत्‍यल्‍प होता है, अतएव उनके परिवार को आर्थिक समस्‍याओं से जूझना पड़ता है। निम्‍न स्‍तर पर नौकरी कर रहे अधिकांशत: ऐसे कर्मचारी होते हैं जिनके पास न तो खेती की ज़मीन पर्याप्‍त होती है और न ही इतना धन होता है कि कहीं इन्‍वेस्‍ट करके उससे वे रूपये कमा सकें। ऐसे में ऊपरी कमाई होना बहुत आवश्‍यक है।

लोड हो रहा है...
ऑनलाईन कमाई

अब वह समय जा चुका है जब ऊपरी कमाई का दूसरा नाम भ्रष्‍टाचार और घूँसखोरी को दिया जाता था। आज के दौर में ऊपरी कमाई भ्रष्‍टाचार और घूँस के माध्‍यम से हो, ऐसा न तो खुद कर्मचारी पसंद करता, न सरकार और न ही सबसे बड़ी सरकार जनता। वैसे किसी का दिल दुखाकर रूपये कमाना उचित नहीं है, भगवान उसका प्रतिफल बुरा ही देता है। 

परन्‍तु समय के साथ रूपये कमाने के तरीकों और अवसरों में भी बदलाव आया है। पहले किसी की नौकरी कर पाने में ही रूपये कमा सकते थे, परन्‍तु अब घर बैठे मोबाईल फोन से, कम्‍प्‍यूटर आदि से भी अथाह रूपये कमाया जा सकता है। सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को नौकरी के अतिरिक्‍त रूपये कमाने के कई विकल्‍प और दे रखे हैं ताकि कर्मचारी स्‍वयं के उस कार्य में जूझकर रूपये कमाये, न कि भ्रष्‍टाचार को बढ़ावा दे। तात्‍कालिक तौर पर उपलब्‍ध जायज विकल्‍पों जैसे कृषि क्षेत्र, शेयर मार्केट, बुक रायल्‍टी, शिक्षा मदद आदि को अतिरिक्‍त विकल्‍प के रूप में कर्मचारियों के लिए रखा था। उस समय ऑनलाईन क्षेत्र न होने के कारण कर्मचारियों को अतिरिक्‍त आय जायज तरीके से करने में मशक्‍कत का सामना करना पड़ता था। लेकिन आज के दौर में कर्मचारियों के पास ऑनलाईन तरीकों से रूपये कमाने का असीम अवसर है। 

सरकारी कर्मचारी किसी भी माध्‍यम से कला, विज्ञान, साहित्‍य आदि से जुड़कर रूपये कमा सकता है। परन्‍तु इन क्षेत्रों से जुड़कर किसी संस्‍था में आधिकारिक पद धारण करके नौकरी करके रूपये नहीं कमा सकता है, क्‍योंकि इससे उसके मूल काम में रूकावट उत्‍पन्‍न होगी। वहीं आज ऑनलाईन भी किसी अन्‍य कम्‍पनी में परमानेंट काम करके आथवा कोई करार करके रूपये कमाने पर मनाही है, लेकिन सोशल साईट्स जैसे यूट्यूब, फेसबुक, ब्‍लॉगर, क्‍वोरा, इन्‍स्‍टाग्राम आदि से रूपये कमाने पर कोई रोक नहीं है। क्‍योंकि सोशल साईट्स पर आपकी इंटेलेक्‍चुअल प्रॉपर्टी की वजह से आपकी कमाई होती है जिसपर शासन द्वारा कोई रोक नहीं लगाई गई है। 

दूसरी तरफ यदि आप यूट्यूब अथवा किसी भी सोशल मीडिया आदि का प्रयोग राजनीतिक एजेण्‍डा के लिए अथवा सरकार की नीतियों का विरोध करने के लिए करते हैं तो सरकार आपके खिलाफ़ कार्यवाही कर सकती है। परन्‍तु आपको यह बात भी ध्‍यान देना होगा कि उक्‍त पाबन्‍दी आपके मौखिक, लिखित अथवा किसी भी प्रकार के रवैया के लिए लागू है। इसलिए सभी सरकारी कर्मचारियों को चाहिए कि अपने रूचि का अनुसरण करते हुए वे सोशल मीडिया पर आऍं और उसे मॉनेटाईज कर रूपये कमाऍं, परन्‍तु इस बात का भी ध्‍यान रखें कि इससे आपके सरकारी काम पर प्रभाव न पड़े, साथ ही आपके शासकीय कार्यों की गोपनीयता भंग न हो। 

आज हज़ारों ऐसे सरकारी अधिकारी-कर्मचारी हैं जो ऑनलाईन माध्‍यमों से रूपया कमा रहे हैं। अत: आप यदि ऑनलाईन रूपया कमाने पर रूचि रखते हैं तो आपको बिना देरी किए उपर्युक्‍त बातों को ध्‍यान में रखकर आगे का सफर तय करना चाहिए।

Tuesday, December 5, 2023

म.प्र. - छ.ग. कर्मचारियों/पेंशनर्स का डीए/डीआर 46% जल्‍द

मध्‍यप्रदेश, छत्‍तीसगढ़, राजस्‍थान विधानसभा चुनाव 2023 से कुछ दिन पूर्व ही इन राज्‍यों ने निर्वाचन आयोग के पास 4 प्रतिशत महंगाई भत्‍ता बढ़ाने की अनुमति के लिए प्रस्‍ताव भेजा था, जिसमें राजस्‍थान को मिली अक्‍टूबर माह के अंतिम दिन अनुमति मिली, तत्‍पश्‍चात राजस्‍थान ने अपने सरकारी कर्मचारियों का महंगाई भत्‍ता मौजूदा 42 प्रतिशत से बढ़ाकर 46 प्रतिशत कर दिया था। दूसरी तरफ चुनाव आयोग ने छत्‍तीसगढ़ के कर्मचारियों का महंगाई भत्‍ता बढ़ाये जाने की अनुमति दे दिया, परन्‍तु मध्‍यप्रदेश के कर्मचारियों का महंगाई भत्‍ता बढ़ाने की अनुमति नहीं दिया। राज्‍यों द्वारा अनुमति हेतु प्रस्‍ताव आचार संहिता के कारण भेजना पड़ा था। अब इन सभी राज्‍यों में चुनाव परिणाम आ चुके हैं। 

लोड हो रहा है...
4 प्रतिशत महंगाई भत्‍ता

छत्‍तीसगढ़ की सरकार ने अपने कर्मचारियों का महंगाई भत्‍ता अनुमति मिलने के बाद भी नहीं बढ़ाया, कयास लगाया जा रहा था कि यदि छत्‍तीसगढ़ सरकार ने अपने कर्मचारियों का महंगाई भत्‍ता बढ़ा भी दिया तो पेंशनर्स का महंगाई राहत बढ़ाने के लिए मध्‍यप्रदेश की सरकार से अनुमति लेना अनिवार्य होता क्‍योंकि धारा 49 पुनर्गठन के कारण दोनों राज्‍यों की सहमति होना आवश्‍यक है। इस प्रकार मध्‍यप्रदेश के कर्मचारियों का महंगाई भत्‍ता/राहत बढ़ाये जाने की अनुमति निर्वाचन आयोग द्वारा स्‍वीकार नहीं की है और दोनों राज्‍यों को बढ़े हुए महंगाई भत्‍ता/राहत के लिए एक माह अधिक का इंतज़ार करना पड़ा। 

छत्‍तीसगढ़ कर्मचारी संघ ने ज्ञापन के माध्‍यम से यह आशंका भी ज़ाहिर किया कि 1 जुलाई 2023 से महंगाई भत्‍ता न देकर दिसम्‍बर 2023 अथवा जनवरी 2024 माह के वेतन के साथ दिया जाएगा जिससे कर्मचारियों को पुन: महंगाई भत्‍ता एरियर का नुकसान होगा। यही आशंका अब मध्‍यप्रदेश के सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स में भी बनी हुई है कि हो सकता है सरकार 1 जुलाई 2023 की केन्‍द्रीय निर्धारित तिथि से महंगाई भत्‍ता न बढ़ाकर बगैर एरियर के अगले माह से 46 प्रतिशत महंगाई भत्‍ता/राहत का भुगतान करे। 

कुछ भी हो, परन्‍तु यह तय है कि मध्‍यप्रदेश की सरकार ने चुनाव से पूर्व भेजे गये महंगाई भत्‍ता बढ़ाये जाने के प्रस्‍ताव को अब जल्‍द ही साकार रूप देने वाली है। मध्‍यप्रदेश के सरकारी कर्मचारियों/पेंशनर्स का महंगाई भत्‍ता जल्‍द ही 42 प्रतिशत से बढ़कर 46 प्रतिशत होने वाला है, इसके आदेश अगले सप्‍ताह तक आने की प्रबल सम्‍भावना है। चूँकि छत्‍तीसगढ़ सरकार को मध्‍यप्रदेश सरकार के महंगाई भत्‍ता के आदेश का इंतज़ार था, फलत: बहुत जल्‍द दोनों राज्‍यों के कर्मचारियों का महंगाई भत्‍ता बढ़ने वाला है।

Wednesday, November 22, 2023

कर्मचारियों के स्‍वैच्छिक रिटायरमेंट के बारे में जानिए

शासकीय कर्मचारी स्‍वैच्छिक रिटायरमेंट भी ले सकते हैं। वर्तमान नियम के मुताबिक यदि कर्मचारी 20 वर्ष की सेवा पूर्ण कर लेते हैं (सैन्‍य 15 वर्ष) अथवा उनकी उम्र 50 वर्ष हो गयी है तो वह कर्मचारी स्‍वैच्छिक रिटायरमेंट ले सकता है।

लोड हो रहा है
वीआरएस

सरकारी कर्मचारियों को स्‍वैच्छिक रिटायरमेंट लेने से पहले इस बात का ध्‍यान रखना आवश्‍यक है कि वह वीआरएस के लिए कम से कम 20 वर्ष की सेवा के बाद ही आवेदन करें, उनका साधारण त्‍यागपत्र वीआरएस की श्रेणी में नहीं आएगा। कर्मचारियों को 20 वर्ष की सेवा पूर्ण करने के बाद पेंशन एवं अन्‍य रिटायरमेंट सुविधाओं की पात्रता प्राप्‍त हो जाती है। 

पुरानी पेंशन प्राप्‍त करने वालों के लिए वीआरएस - जो कर्मचारी 2004 के पूर्व (म.प्र. कर्मचारियों के लिए) सरकारी सेवा में आए हैं और वह वीआरएस लेना चाह रहे हैं तो उन्‍हें पुरानी पेंशन योजना की पात्रता प्राप्‍त हो जाती है। वीआरएस लेने के लिए आवेदन 20 साल सर्विस के बाद कभी भी जिस माह से रिटायरमेंट लेना हो उससे 3 माह पूर्व ही आवेदन करना होगा अथवा 3 माह के वेतन मय भत्‍तों के सरकार के पास देकर उसी माह से वीआरएस लिया जा सकता है।  

एनपीएस कर्मचारियों के लिए वीआरएस - एनपीएस की श्रेणी में आने वाले कर्मचारियों को वीआरएस लेने की प्रक्रिया पुरानी पेंशन की श्रेणी में आने वाले कर्मचारियों के समान ही है। एनपीएस में भी वीआरएस में पेंशन की पात्रता होती है परन्‍तु कुल एनपीएस में जमा राशि का 80 प्रतिशत एन्‍युटी के रूप में पेंशन प्‍लान के रूप में कर्मचारियों को लेना आवश्‍यक हो जाता है, क्‍योंकि 62 वर्ष से पूर्व एनपीएस में जमा राशि अपेक्षया कम होती है जिससे वीआर प्राप्‍त कर्मचारी को प्राप्‍त पेंशन बहुत कम हो सकती है। एनपीएस कर्मचारियों को भी पुरानी पेंशन प्राप्‍त कर्मचारियों की भॉंति प्रक्रिया से गुजरना होता है। 

सरकार कर सकती है वीआरएस अमान्‍य - यदि किसी कर्मचारी को सस्‍पेंड किया गया है अथवा उसके खिलाफ़ न्‍यायालय में अभियोजन चल रहा है, ऐसे में उस कर्मचारी के वीआरएस (स्‍वैच्छिक रिटायरमेंट) को सरकार अस्‍वीकार कर सकती है। 

साथियों, उम्‍मीद है आपको यह जानकारी पसंद आयी होगी। धन्‍यवाद। 

Tuesday, November 21, 2023

म.प्र. कर्मचारियों का 4% महंगाई भत्‍ता जल्‍द बढ़ने के साथ मिल सकता है डीए एरियर

मध्‍यप्रदेश में विधानसभा चुनाव 2023 से कुछ दिन पूर्व ही चुनाव आयोग ने मध्‍यप्रदेश सरकार द्वारा भेजी गई डीए प्रस्‍ताव फाईल को अनुमति नहीं दिया। दीवाली पर्व होने के साथ ही कर्मचारियों को महंगाई भत्‍ता बढ़ने की आस लगी हुई थी। आचार संहिता लगे होने और आगामी चुनाव के कारण निर्वाचन आयोग ने मध्‍यप्रदेश सरकार के द्वारा भेजे गये तात्‍कालीन प्रस्‍ताव को सहमति नहीं दिया।

लोड हो रहा है...
म.प्र. कर्मचारी समाचार

समाचार सूत्रों की माने तो मध्‍यप्रदेश शासन ने पुन: निर्वाचन आयोग के पास महंगाई भत्‍ता बढ़ाने के प्रस्‍ताव को भेजा है। साथ ही नईदुनिया समाचार के मुताबिक चुनाव आयोग के पदाधिकारियों से उनकी बात होने पर अधिकारियों ने स्‍पष्‍ट किया है कि चुनाव सम्‍पन्‍न होने के बाद आचार संहिता में भी चुनाव आयोग महंगाई भत्‍ता बढ़ाने के प्रस्‍ताव पर सहमति दे देगा। इस बात से स्‍पष्‍ट है कि मध्‍यप्रदेश के सरकारी कर्मचारियों का 4 प्रतिशत महंगाई भत्‍ता बढ़ जाएगा जिससे वर्तमान दर 42 प्रतिशत डीए से बढ़कर 46 प्रतिशत डीए शासकीय कर्मचारियों को प्राप्‍त होगा।

समाचार के मुताबिक इसी हफ्ते चुनाव आयोग डीए बढ़ाने के प्रस्‍ताव को मंजूर कर लेगा जिससे सरकार भी इसी माह आदेश जारी कर देगी। फलत: सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाला महंगाई भत्‍ता 46 प्रतिशत हो जाएगा, परन्‍तु यह देखने वाली बात रहेगी कि क्‍या कर्मचारियों को मिलने वाला यह महंगाई भत्‍ता 1 जुलाई 2023 के दिनांक से मिलकर पुराना डीए एरियर भी मिलेगा अथवा तात्‍कालीन प्रभाव से पुरानी पद्धति के तहत अगले माह से मिलना प्रारम्‍भ होगा। जैसा भी हो कर्मचारियों के खाते में नवम्‍बर के वेतन के साथ बढ़ा हुआ वेतन मिलने की पूरी सम्‍भावना है। 

सरकार ने 1 जनवरी 2023 से 30 जून 2023 तक के महंगाई भत्‍ता के एरियर को माह अक्‍टूबर, नवम्‍बर व दिसम्‍बर के वेतन के साथ 3 समान किस्‍तों में देने का परिपत्र ज़ारी किया गया था, मध्‍यप्रदेश के कुछ जिलों में तो उक्‍त एरियर के लिए बिल भी लगा दिया गया परन्‍तु कोषीय कारणों से उक्‍त एरियर कर्मचारियों को न मिल सका। संभावना व्‍यक्‍त की जा रही है कि अगले सप्‍ताह से उक्‍त एरियर भी कर्मचारियों को दे दिया जाए। 

कर्मचारियों एवं कर्मचारी संगठनों में इस बात को लेकर काफी निराशा रही है कि दीवाली से पूर्व कर्मचारियों को न तो महंगाई भत्‍ता मिल पाया और न ही एरियर का पैसा। कर्मचारियों की अन्‍य बड़ी मॉंगें जैसे पुरानी पेंशन, आवास भत्‍ता, वेतन विसंगति आदि मामलों का भी हल सामने नहीं आ सका जिस वजह से कर्मचारियों की दीवाली इस वर्ष फीकी ही रही है। 

वीडियो देखें - DA Hike MP: मध्‍य प्रदेश में अगले सप्ताह बढ़ाया जा सकता है कर्मचारियों का चार प्रतिशत महंगाई भत्ता

Friday, October 27, 2023

Govt Decided to Increase 4% DA - a big Gift before Diwali

As the central government decided to increased the existing dearness allowance from 42% to 46%, many states started taking decisions to revise the dearness allowance of government employees. As the central government increased the DA by 4%, Odisha, Karnataka, Andhra Pradesh and Tamilnadu increased the dearness allowance for its government employees within a week.

Yesterday the CM of Haryana Hon. Manohar Lal Khattar announced for an increment in salary of government employee by making a hike in dearness allowance by 4%. This hike is based on the All India Consumer Price Index from 1 January 2023 to 30 June 2023. The Haryana government decided to increase the dearness allowance from 1 July 2023, remaining months arrears will also be paid.

Other side some states are also planning to increase the Dearness Allowance & Dearness Relief for relevant government employees but due to enforced code of conduct because of further assembly elections states are seeking for an approval from election commission. The government employees of Rajasthan, Chhattisgarh and Madhya Pradesh are eagerly to see a hike in DA. An update is coming from Rajasthan that the state has already sent a proposal request file to the election commission of India to get compliance for hike in DA before Diwali. The government employees of these states were assuming a hike before Dussehra like the central government did, but it's nearly clear that the government employees of these states need to wait furthermore. 

News updates are coming from sources that the states would grant the hike in DA before Diwali in next month (most probably in first week). Thus the payable dearness allowance and dearness relief in these states may hike by 4% and would result a total 46% dearness allowance from 1 July 2023.

Thursday, October 19, 2023

आचार संहिता में म.प्र. सरकारी कर्मचारियों का बढ़ेगा 4% महंगाई भत्‍ता

दिनांक 18/10/2023 को केन्‍द्रीय सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के महंगाई भत्‍ते में 4 प्रतिशत की वृद्धि को स्‍वीकार कर लिया है। महंगाई भत्‍ते में 4 प्रतिशत वृद्धि के साथ अब 42 प्रतिशत से बढ़कर 46 प्रतिशत दिनांक 01/07/2023 से मिलेगा। केन्‍द्रीय सरकारी कर्मचारियों को उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक के आंकड़ों के आधार पर डीए में 4 प्रतिशत बढ़त को मंजूरी दी गई है। 

लोड हो रहा है...
4 प्रतिशत डीए 

सूत्रों की माने तो मध्‍यप्रदेश में आचार संहिता लगने के बाद भी महंगाई भत्‍ते में 4 प्रतिशत के वृद्धि की घोषणा जल्‍द की जा सकती है। मध्‍यप्रदेश के सचिव के माध्‍यम से निर्वाचन आयोग के पास एक पत्र भेजा जाना प्रस्‍तावित है जिसमें मध्‍यप्रदेश के सरकारी कर्मचारियों के महंगाई भत्‍ते को 4 प्रतिशत बढ़ाकर 46 प्रतिशत किये जाने का बिन्‍दु होगा। दरअसल मध्‍यप्रदेश में अगले माह विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में आचार संहिता नवरात्रि से पहले लागू हो चुकी है और कोई भी घोषणा निर्वाचन आयोग की सहमति के बिना नहीं किया जा सकता है। 

आपको बता दें कि निर्वाचन आयोग ने पूर्व में 2021 में मध्‍यप्रदेश पंचायती राज चुनाव के दौरान लगे आचार संहिता के समय भी कर्मचारियों के महंगाई भत्‍ते में बढ़त के प्रस्‍ताव को स्‍वीकार किया था, जिस आधार पर सरकारी कर्मचारियों का महंगाई भत्‍ता बढ़ गया था। क्‍योंकि महंगाई भत्‍ता का बढ़ाया जाना कोई नयी घोषण न होकर सिर्फ उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक के आधार पर कर्मचारियों को बढ़ी महंगाई से निपटने के लिए एक सुविधा है जो एक नियम के तहत प्रत्‍येक 6 माह में वर्ष में 2 बार बढ़ाया जाता है। 

सूत्रों के हवाले से जानकारी मिल रही है कि मध्‍यप्रदेश के सरकारी कर्मचारियों का महंगाई भत्‍ता वर्तमान 42 प्रतिशत से 4 प्रतिशत का इज़ाफा करते हुए 46 प्रतिशत जल्‍द कर दिया जाएगा। क्‍योंकि अक्‍टूबर के अंतिम सप्‍ताह शासकीय कार्यालयों में कर्मचारियों के वेतन के लिए ट्रेजरी में आवेदन लगा दिया जाता है, इसलिए पूर्ण सम्‍भावना है कि दशहरे से पहले ही मध्‍यप्रदेश के सरकारी कर्मचारियों का महंगाई भत्‍ता बढ़ा दिया जाए।


Wednesday, October 11, 2023

नवरात्रि से पहले सरकारी कर्मचारियों का 4% बढ़ सकता है महंगाई भत्‍ता

साल में दो बार सरकारी कर्मचारियों का महंगाई भत्‍ता सरकारें बढ़ाती हैं। यह दोनों महंगाई भत्‍ता उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक पर आधारित होते हैं। छमाही बढ़ने वाला महंगाई भत्‍ता पहले चक्र में 1 जनवरी से 30 जून तक के लिए लागू किया जाता है, जबकि अगला चक्र 1 जुलाई से 31 दिसम्‍बर तक के लिए लागू किया जाता है। उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक का आंकड़ा किसी भी माह का उस माह में न आकर अगले माह के अंतिम कार्यदिवस को आता है, इस वजह से सरकारें महंगाई भत्‍ता सामान्‍यतया मार्च (पहला चक्र) एवं सितम्‍बर-अक्‍टूबर (दूसरा चक्र) माह में बढ़ाती हैं। 

लोड हो रहा है...
महंगाई भत्‍ता बढे़गा

पहले चक्र में माह मार्च में होली से पहले सरकारें महंगाई भत्‍ता बढ़ाती हैं तथा दूसरे चक्र में दशहरे-दीवाली के पहले महंगाई भत्‍ता बढ़ाया करती हैं। इस साल 2023 में दशहरा 15 अक्‍टूबर से प्रारम्‍भ हो रहा है, जबकि अगले माह 11 नवम्‍बर को दिवाली है। सामान्‍यतया केन्‍द्रीय कर्मचारियों के महंगाई भत्‍ते बढ़ाने के आदेश के बाद ही क्रमश: राज्‍य सरकारें भी अपने कर्मचारियों का महंगाई भत्‍ता बढ़ा दिया करती हैं। दशहरा इस वर्ष 2023 में 24 अक्‍टूबर को है, जबकि सरकारी कार्यालयों में 20 तारीक के बाद वेतन आहरण के लिए आवेदन कर दिया जाता है। नवरात्रि पर्व 15 अक्‍टूबर के पहले 11 अक्‍टूबर 2023 को केन्‍द्रीय सरकार की कैबिनेट बैठक होने वाली है। पूरी सम्‍भावना बन रही है कि केन्‍द्रीय सरकार कल ही अपने सरकारी कर्मचारियों का महंगाई भत्‍ता बढ़ाने पर सहमति बना ले। 

उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक के अनुसार 1 जुलाई 2023 से बढ़कर आने वाले महंगाई भत्‍ते में 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी होने वाली है। इस प्रकार सरकारी कर्मचारियों का महंगाई भत्‍ता 42 प्रतिशत से बढ़कर 46 प्रतिशत हो जाएगा। बकाया 3 माह का एरियर भी सरकारी कर्मचारियों को प्रदान कर दिया जाएगा। सरकारी कर्मचारियों के महंगाई भत्‍ते में वृद्धि के आदेश नवरात्रि पर्व में आ सकता है जिससे अगले माह के वेतन के साथ कर्मचारियों का बढ़ा हुआ महंगाई भत्‍ता जुड़कर आए। 

दूसरी तरफ माह जुलाई एवं अगस्‍त 2023 के उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक पर नज़र डालें तो इन दोनों माह का मिलकर 2.8 प्रतिशत डीए वृद्धि को दर्शाता है। माह सितम्‍बर से दिसम्‍बर के आंकड़ों के आधार पर जुलाई-दिसम्‍बर अंतिम उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक तैयार होगा, जिसके बारे में पूरी सम्‍भावना है कि यह 4 प्रतिशत से अधिक ही रहने वाला होगा। फलस्‍वरूप सरकारी कर्मचारियों का महंगाई भत्‍ता 1 जनवरी 2024 से 50 प्रतिशत पार कर जाएगा जिससे कर्मचारियों के वेतन-भत्‍तों में पुन: बढ़ोतरी के साथ संशोधन प्रस्‍तावित होगा।

वीडियो देखें - सरकारी कर्मचारियों का कल बढ़ सकता है 4% महंगाई भत्‍ता । हो जाएगा 46% डीए (DA)

Monday, October 9, 2023

म.प्र. आचार संहिता से पहले आज की केबिनेट सरकारी कर्मचारियों के नाम?

मध्‍यप्रदेश में सरकारी कर्मचारियों की लगभग कोई भी मॉंग मध्‍यप्रदेश सरकार द्वारा नहीं मानी गई है। मध्‍यप्रदेश के सरकारी कर्मचारी लगातार पुरानी पेंशन योजना बहाली के साथ आवास भत्‍ता, लिपिक वेतन विसंगति, पटवारी वेतन विसंगति आदि की मॉंग करते आए हैं परन्‍तु सरकार द्वारा फिहलाल इन मुद्दों पर ध्‍यान नहीं दिया गया है। विधानसभा चुनाव 2023 से पहले 9 अक्‍टूबर 2023 की कैबिनेट बैठक महत्‍वपूर्ण रहने वाली है। समाचार सूत्रों की मानें तो आज की बैठक कर्मचारियों के नाम रहने वाली है। 

लोड हो रहा है...
कर्मचारी समाचार
मध्‍यप्रदेश में सरकारी कर्मचारियों को आवास भत्‍ता 6वें वेतनमान के अनुसार नगण्‍य मिल रहा है। मध्‍यप्रदेश की सरकार ने पिछले वर्ष ही आवास भत्‍ते के मुद्दों को हल करने के लिए कमेटी बना दी थी, साथ ही सरकार ने आवास भत्‍ता पर आए दिन ध्‍यानाकर्षण दिया है। छत्‍तीसगढ़ की सरकार ने 2 माह पूर्व ही सरकारी कर्मचारियों के आवास भत्‍ते को 7वें वेतनमान के अनुसार रिवाईज कर दिया है, पूरी उम्‍मीद है कि मध्‍यप्रदेश की सरकार भी छत्‍तीसगढ़ की सरकार की ही तरह आवास भत्‍ते को छठवें वेतनमान से सुधारकर 7वें वेतनमान में लागू कर दे। आज मध्‍यप्रदेश के तृतीय वर्ग के लिपकि कर्मचारी को लगभग 200/- रूपये प्रतिमाह की दर से आवास भत्‍ता मिलता है जो कदाचित एक दिन के कमरे भाड़े से भी अधिक है। 

मध्‍यप्रदेश की सरकार लिपिक एवं पटवारी संवर्ग की वेतन विसंगति दूर करते हुए दोनों का ग्रेड पे 2400/- कर सकती है। मध्‍यप्रदेश के लिपिक संवर्ग की पिछले 40 वर्ष से मौजूद वेतन विसंगति को दूर करने के लिए सरकार ने कई बार कमेटियों का भी गठन किया था, जबकि पिछले माह ही सरकार ने पटवारी संवर्ग को भी 2400/- ग्रेड पे दिये जाने पर सहमति बनाया है। पटवारी एवं लिपिक संवर्ग दोनों का ग्रेड पे 2400/- होने की स्‍वीकृति आज केबिनेट द्वारा प्रदान की जा सकती है। अन्‍य संवर्गों की भी वेतन विसंगतियॉं दूर की जा सकती हैं।

सरकार द्वारा प्रदान अन्‍य भत्‍तों को भी रिवाईज किया जा सकता है। साथ ही पुरानी पेंशन योजना बहाली की मॉंग कर रहे कर्मचारियों को राहत प्रदान करते हुए एनपीएस में कोई बड़ा सुधार प्रस्‍तावित हो सकता है अथवा आन्‍ध्रप्रदेश की तरह गारण्‍टीड पेंशन लागू किया जा सकता है। सूत्रों की मानें तो न्‍यूनतम वेतन पर पुरानी पेंशन योजना के प्रस्‍ताव को भी मंजूरी मिल सकती है। या फिर पुरानी पेंशन ही लागू कर दिया जाए, यह देखने वाली बात रहेगी। वैसे आज मध्‍यप्रदेश का कैबिनेट सरकारी कर्मचारियों के नाम रहने वाला है जिसमें कर्मचारियों को कई तोहफे सरकार दे सकती है। 


Thursday, October 5, 2023

म.प्र. में सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण : अधिसूचना ज़ारी

आरक्षण द्वारा किसी भी वर्ग के लोगों का उत्‍थान किया जाता है। मध्‍यप्रदेश में महिलाओं को पूर्व में मिल रहे 33 प्रतिशत आरक्षण को बढ़ाकर 35 प्रतिशत कर दिया गया है। अधिसूचना में इस बात का उल्‍लेख है कि वन विभाग को छोड़कर मध्‍यप्रदेश के अन्‍य सभी विभागों में महिलाओं के लिए सीधी भर्ती में 35 फीसदी आरक्षण प्राप्‍त होगा। कुछ विभाग जैसे शिक्षक भर्ती में लगभग 50 प्रतिशत महिला आरक्षण का प्रावधान मध्‍यप्रदेश की सरकार ने किया है। 

लोड हो रहा है...
म.प्र. महिला आरक्षण 35 फीसदी 

इस सम्‍बंध में मध्‍यप्रदेश की सरकार ने दिनांक 03 अक्‍टूबर 2023 को असाधारण राजपत्र के माध्‍यम से अधिसूचना ज़ारी किया है। इस नियमावली के बाद मध्‍यप्रदेश के विभागों में महिला कर्मचारियों की संख्‍या में बढ़ोतरी आएगी। मध्‍यप्रदेश में सरकारी भर्तियों में महिला आरक्षण को 35 प्रतिशत करने का फैसला महिला सशक्तिकरण हेतु किया गया है। भविष्‍य में आने वाली भर्तियों में अब कुल पदों का 35 प्रतिशत महिला अभ्‍यर्थियों के लिए सुरक्षित रहेगा। मध्‍यप्रदेश में पूर्व में महिला कर्मचारियों के लिए अतिरिक्‍त 7 दिन के आकस्मिक अवकाश का भी प्रावधान किया गया और हाल ही में महिलाओं के लिए सरकारी भर्तियों में 35 प्रतिशत आरक्षण कर दिया गया। 

वीडियो देखें - MP: मध्य प्रदेश में महिलाओं को तोहफा, सरकारी नौकरी में मिलेगा 35 फीसदी आरक्षण, नोटिफिकेशन जारी

Wednesday, October 4, 2023

कर्मचारियों को मिलेगी मिनिमम पेंशन स्‍कीम (MPS) : राज्‍यों ने सुझाया केन्‍द्र को प्रस्‍ताव

पुरानी पेंशन बहाली की मांग कर रहे सरकारी कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद आर्थिक सुरक्षा की फिक्र है। नई पेंशन योजना के तहत आ रहे कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद मिल रही पेंशन अत्‍यल्‍प (कुछ को लगभग 1000/- रू मात्र) है, जो वर्तमान की महंगाई को मद्देनज़र रखते हुए नगण्‍य है। ऐसे में कई राज्‍य सरकारों (जैसे राजस्‍थान, छत्‍तीसगढ़, झारखण्‍ड, पंजाब, हिमाचल प्रदेश) ने पुरानी पेंशन योजना फिर से बहाल कर दिया है। कुछ राज्‍यों ने पुरानी पेंशन बहाली की असमर्थता को ध्‍यान में रखने हुए बीच का रास्‍ता निकाला है, जैसे आन्‍ध्र प्रदेश की सरकार ने आन्‍ध्रा पेंशन मॉडल प्रस्‍तुत किया।

लोड हो रहा है...
मिनिमम पेंशन स्‍कीम बनाम पुरानी पेंशन योजना

पढि़ए - आंध्र पेंशन का नया मॉडल हो सकता है सम्‍पूर्ण देश में लागू, पुरानी पेंशन जैसा अंतिम वेतन का 50% मिलेगी पेंशन

पुरानी पेंशन बहाली की मांग सरकारी कर्मचारी इसलिए भी कर रहे हैं क्‍योंकि पुरानी पेंशन में - 

1. अंतिम वेतन का 50 प्रतिशत मूल पेंशन बनता है।

2. मूल पेंशन पर साल में देय 2 बार महंगाई भत्‍ता/राहत (डीआर) बढ़ता है।

3. मूल पेंशन में वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर वृद्धि हो जाती है।

4. पेंशन के लिए कर्मचारियों के वेतन से कोई कटौती नहीं होती है।

5. जीपीएफ का प्रावधान है जिसे कर्मचारी सुविधानुसार कभी प्रयोग कर सकता है।

6. परिवार पेंशन भी प्राप्‍त होती है।

परन्‍तु 2004 के बाद से एनपीएस प्राप्‍त कर रहे कर्मचारियों को उपरोक्‍त कोई भी प्रावधान नहीं है, बल्कि वेतन से ही कटौती का पैसा शेयर बाज़ार में लगता है और बदले में वह पैसा लॉक होने के बाद कर्मचारी आवश्‍यकतानुसार आहरित नहीं कर सकता है। दूसरी तरफ आंध्र पेंशन मॉडल में कर्मचारियों के वेतन से एनपीएस की तरह कटौती तो होती है, परन्‍तु जीपीएफ के अलावा अन्‍य सुविधाएं पुरानी पेंशन की तरह ही हैं। आन्‍ध्रप्रदेश के कर्मचारी संगठनों ने आंध्र मॉडल का अधिक स्‍वागत नहीं किया क्‍योंकि उनके वेतन से कट रहे 10 प्रतिशत का कॉर्पस उनको बाद में मिल रहे पेंशन से भी अधिक हो सकता है। 

राज्‍यों द्वारा सुझाया गया मिनिमम पेंशन स्‍कीम - इस स्‍कीम के तहत पुरानी पेंशन योजना की तरह सभी प्रावधान होंगे, परन्‍तु मूल पेंशन अंतिम वेतन का 50 प्रतिशत न होकर प्रारम्भिक मूल वेतन पर निर्भर करेगा। अर्थात् यदि कोई कर्मचारी 19500/- के मूल वेतन पर सरकारी नौकरी ज्‍वाईन करता है तो उसे रिटायरमेंट पर पेंशन लगभग 10 हज़ार मिलेगा, साथ ही अन्‍य भत्‍ते भी पुरानी पेंशन की भॉंति मिलेंगे। अब समस्‍या इस बात की होगी कि क्‍या 40 साल बाद किसी कर्मचारी को मिलने वाली उतनी पेंशन उस समय की महंगाई के अनुसार सही होगी अथवा नहीं। अथवा सरकार वेतन आयोग के माध्‍यम से यदि मूल वेतन को भविष्‍य में सुधारती है तो पेंशन भी तात्‍कालिक महंगाई के अनुरूप होगा, जो उचित होगा। 

फिलहाल इस जानकारी का स्‍त्रोत न्‍यूज18 है और अभी कोई भी राज्‍य एवं केन्‍द्र सरकार ने इस पेंशन योजना को अपनाने की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं किया है। आपकी इस बार में क्‍या राय है, क्‍या मिनिमम पेंशन योजना राज्‍य की आर्थिक स्थिति को ठीक रखने के लिए सही रहेगी अथवा कोई अन्‍य योजना उचित होगी?

वीडियो देखें - थोड़ी कम लेकिन हर महीने मिलेगी पेंशन...OPS पर बड़ी खबर, जानिये राज्यों का नया प्रस्ताव

Friday, September 29, 2023

डाइंग कैडर है लिपिक/क्‍लर्क संवर्ग : तकनीकि डिजिटल सहायक खत्‍म कर रहे नौकरी

दोस्‍तों, मेरा नाम अभिषेक है। मैं एक क्‍लर्क संवर्ग से ताल्‍लुकात रखता हूँ। पिछले 4 साल से भी अधिक इस संवर्ग में कार्यरत हूँ। बदलाव तेजी से हो रहा है। मुझे याद है कुछ वक्‍त पहले तक मध्‍यप्रदेश के विभिन्‍न विभागों में लिपिक संवर्ग की भर्ती बहुतायत में हो रही थी और लगभग प्रत्‍येक डेस्‍क/काम के एक लिपिक तैनात था। समय बदलता गया और उसकी जगह एक लिपिक ही कम्‍प्‍यूटर के माध्‍यम से कई डेस्‍क का काम सम्‍पन्‍न करने लगा। आज हम ट्रांजिट मोड पर हैं जहां से आगे अब लिपिकों की संख्‍या बढे़गी नहीं अपितु कम जरूर होगी। लिपिकों का मुख्‍य काम डेटा की एण्‍ट्री करना और टायपिंग सम्‍बंधित काम ही था, जो समय के साथ ऑटोमेटेड तकनीकि ने ले लिया और आज नए-नए फीचर्स के साथ आर्टिफिशल तकनीकि सामने आ रही है। 

उदाहरण के तौर पर गूगल लेंस, स्‍पीच, ट्रांसलेशन आदि को यदि देखा जाए तो कोई भी टायपिंग (कोई भी भाषा) का काम बिना किसी टायपिस्‍ट के बोलकर कर सकता है। गूगल लेंस की मदद से हार्डकॉपी में मौजूद टेक्‍स्‍ट को तत्‍काल डिजिटल यूनिकोड में बदल सकता है। एक भाषा बोलकर दूसरे में अनुवाद कर सकता है। मैंने तो यहॉं तक पाया है कि यह काम करने में बड़ी मशीन की जगह स्‍मार्ट मोबाईल फोन से ही किया जा सकता है। डेटा की शुद्धता और जटिल कार्य हेतु अभी आर्टिफिशियल बौद्धमिकता ने इंसान का स्‍थान नहीं लिया है, परन्‍तु जल्‍द ही यह आम इंसान को दरकिनार करने में सफल रहेगा। बेरोजगारी की समस्‍या तो बड़ी रही है, परन्‍तु आने वाले समय में इसके बढ़ने की और भी सम्‍भावनाएं हैं क्‍योंकि क्‍योंकि उपक्रम तकनीकि, मशीनरी आदि का प्रयोग करके लागत वैल्‍यू को कम करने का प्रयास करता है। 

भारत जैसे समाजवादी देश में राज्‍य एक समाजवादी नीति के तहत नागरिकों को सरकारी नौकरी के अवसर प्रदान करता आया है, परन्‍तु समय की मॉंग को देखते हुए कुछ अव्‍यवहारिक पदों को समाप्‍त भी किया जाता रहा है। जिस प्रकार से लिपिक/क्‍लर्क संवर्ग में आए दिन समय के साथ उच्‍च योग्‍यता का निर्धारण किया गया है और साथ-ही-साथ बदलती तकनीकि को अपनाना सभी की ज़रूरत एवं मज़बूरी भी बन गई है, उन पारम्‍परिक पदों का समाप्‍त होना तय है जो आज ऐसे काम को कर रहे हैं जिनकी जगह कम्‍प्‍यूटर/तकनीकि/डिजिटल उपकरण ले रहे हैं। 

उदाहरण के तौर पर हम कुछ ऐसे गैजेट्स, उपकरण आदि की बात करेंगे जिन्‍होंने समय के साथ हो रहे बदलाव को समझने की बजाए पारम्‍परिक तरीके से मुनाफा कमाने पर ज़ोर दिया और अंतत: वह उपकरण/कम्‍पनी ही बन्‍द हो गईं। किसे पता था कि डिजिटल/स्‍मार्ट मोबाईल फोन के आ जाने से रील कैमरा एवं उससे सम्‍बंधित अनेक व्‍यवसाय भी समाप्‍त हो जाएंगे। पारम्‍परिक टेलीवीजन की जगह स्‍मार्ट टेलीविजन ने ले लिया है, साथ ही स्‍मार्ट मोबाईल फोन ने तो टेलीवीजन के भविष्‍य को ही खतरे में डाल दिया है। अब संक्रमण का ऐसा समय चल रहा है जब डायरेक्‍ट टू होम की सुविधा देने वाले मीडिया चैनल पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं क्‍योंकि डायरेक्‍ट टू मोबाईल की ब्रॉडकास्टिंग जल्‍द ही शुरू होने वाली है। 

उपरोक्‍त की तरह अन्‍य हज़ारों उदाहरण सामने हैं जो इस बात की ओर इशार कर रहे हैं कि कुछ व्‍यवसाय और उनसे जुड़ी नौकरियां भी भविष्‍य में समाप्‍त हो जाएंगी। सरकार ने ऐसी पोस्‍ट्स को डाईंग कैडर के तौर पर पहचानना शुरू कर दिया है और जिस प्रकार मध्‍यप्रदेश में चतुर्थ श्रेणी की नियमित भर्तियों पर पाबंदी लगाकर हाल ही में प्रायवेट/आउटसोर्स के माध्‍यम से काम कराने पर ज़ोर दिया है, ठीक इसी प्रकार मध्‍यप्रदेश की समस्‍त लिपिकीय भर्तियां भविष्‍य में समाप्‍त हो सकती हैं। आज सरकारी विभागों में ठेके पर काम कर रहे लिपिकीय/क्‍लेरिकल कर्मचारियों को देख पाना आम बात हो गई है जिसकी संख्‍या आए दिन बढ़ती ही जा रही है। सरकार ऐसे संवर्ग पर कोई खासा ध्‍यान न देते हुए डाईंग कैडर ही समझ रही है और फलस्‍वरूप इन पदों को वरीयता न देते हुए इनका वेतन भी कम रखा है।

वक्‍त के साथ इंसान को बदलना आवश्‍यक होता है। तकनीकि और इंटलीजेंस से जुड़े रोजगार कभी खत्‍म नहीं होंगे। मानवीय हस्‍तक्षेप रखने वाले पद भी जैसे वकील, जज, विवेचक, रिसर्चर आदि के पद खत्‍म नहीं होंगे परन्‍तु एआई का उसमें भी हस्‍तक्षेप रहने वाला है। हमने होटलों में काम करने वाले रोबोट से लेकर ट्रैफिक पुलिसिंग करने वाली मशीनों को भी देख लिया है। ड्रोन सिस्‍टम ने इंसान और वायुयान में कैमरे की तकनीकि का सहारा लेकर कृषि, रक्षा, मनोरंजन आदि क्षेत्रों में अहम योगदान देना प्रारम्‍भ कर दिया है। क्‍या यह भविष्‍य में अमीरी और गरीबी के एक फासले को बढ़ाएगी अथवा सबको समान मौका देने भूमिका निभाएगी, यह देखने वाली बात रहेगी। 

Saturday, September 23, 2023

4 प्रतिशत महंगाई भत्‍ता (DA) बढे़गा जल्‍द : उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक 4.1 अंक पार

शासकीय कर्मचारियों को 1 जनवरी 2023 की स्थिति से 42 प्रतिशत महंगाई भत्‍ता प्राप्‍त हो रहा है। यह महंगाई भत्‍ता उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक के ऑंकड़ों के आधार पर तय होता है। कोविड-19 महामारी के दौरान स्‍थगित महंगाई भत्‍ता / डीए को अलग कर दें तो सरकारी कर्मचारियों को वर्ष में 2 बार बढ़े हुए महंगाई भत्‍ता का फायदा होता है। यह महंगाई भत्‍ता एआईसीपीआईएन अथवा उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक के उन ऑंकड़ों पर निर्भर करता है जो प्रत्‍येक माह बढ़ रही विभिन्‍न क्षेत्रों में महंगाई को दर्शाता है। 

लोड हो रहा है...
4 प्रतिशत बढ़ेगा डीए

वर्तमान में सरकारी कर्मचारियों को 42 प्रतिशत महंगाई भत्‍ता मिल रहा है जो 1 जुलाई से 31 दिसम्‍बर 2022 के उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक पर आधारित है। 1 जनवरी से 30 जून 2023 के उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक का ऑंकड़ा 4.1 प्रतिशत बढ़ा है, इस आधार पर 1 जुलाई 2023 से यह महंगाई भत्‍ता बढ़ने वाला है।

देखने में आ रहा है कि विख्‍यात अखबार पत्र एवं मीडिया चैनल के द्वारा भ्रामक उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक ऑंकड़ों का हवाला देते हुए सिर्फ 3 प्रतिशत महंगाई भत्‍ता बढ़ने का दावा कर रहे हैं। सरकारी कर्मचारियों को सही जानकारी इस लेख के माध्‍यम से देने का प्रयास है कि उन्‍हें इस बात को समझना होगा कि उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक के आधार पर ही महंगाई भत्‍ता बढ़ता है। यदि उक्‍त उपभोक्‍ता मूल्‍य ऑंकड़ा 4 प्रतिशत से कम होता तो कोई सम्‍भावना भी होती कि महंगाई भत्‍ता 4 प्रतिशत न बढ़कर सिर्फ 3 प्रतिशत बढ़े, परन्‍तु वर्तमान ऑंकड़ा 4.1 को यदि सार्थक ऑंकड़ा में लाया जाए फिर भी 4 प्रतिशत महंगाई भत्‍ता बढ़ रहा है। 

हम जनवरी 2023 से जून 2023 तक 6 माह का उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक आपको दे रहे हैं ताकि आप भी समझें कि किस प्रकार सरकारी कर्मचारियों से सम्‍बंधित भ्रामक ख़बरें आए दिन समाचार पत्रों और न्‍यूज चैनल्‍स द्वारा प्रसारित की जाती रही हैं। 

जनवरी 2023 - (+0.5 प्रतिशत) 

फरवरी 2023 - (-0.1 प्रतिशत) 

मार्च 2023 - (+0.6 प्रतिशत) 

अप्रैल 2023 - (+0.9 प्रतिशत) 

मई 2023 - (+0.5 प्रतिशत) 

जून 2023 - (+1.7 प्रतिशत) 

कुल योग - धनात्‍मक 4.1 

स्‍पष्‍ट है कि 1 जुलाई 2023 से कर्मचारियों को 42 प्रतिशत से बढ़कर 45 नहीं, बल्कि 46 प्रतिशत महंगाई भत्‍ता बढ़ेगा। महंगाई भत्‍ता बढ़ने का आदेश अंतिम सप्‍ताह माह सितम्‍बर 2023 अथवा नवरात्रि 2023 माह अक्‍टूबर में आ सकता है। अर्थात् दिवाली 2023 से पूर्व ही सरकारी कर्मचारियों को 46 प्रतिशत महंगाई भत्‍ता मिलने लगेगा। 

एक रोचक बात यह है कि माह जुलाई 2023 का उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक 3.3 प्रतिशत बढ़ा है, अर्थात् महंगाई बहुत बढ़ी है। अगले साल जनवरी 2024 से मिलने वाला महंगाई भत्‍ता 50 प्रतिशत पार हो जाएगा जिससे कर्मचारियों के मूल वेतन में 50 प्रतिशत वेतनवृद्धि भी कर दिया जाएगा और महंगाई भत्‍ता पुन: 0 प्रतिशत से प्रारम्‍भ कर दिया जाएगा।

वीडियो देखें - 3% नहीं 4% बढ़ेगा डीए । कर्मचारियों का महंगाई भत्‍ता होगा 46 प्रतिशत