eDiplomaMCU: मप्र शासकीय कर्मचारी नियमावली

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Thursday, July 18, 2024

मध्‍यप्रदेश कर्मचारियों के लिए पितृत्‍व अवकाश

दोस्‍तों, जिस प्रकार मध्‍यप्रदेश की महिला सरकारी अधिकारी/कर्मचारियों के लिए मातृत्‍व अवकाश का प्रावधान है, उसी प्रकार मध्‍यप्रदेश के पुरूष सरकारी कर्मचारियों के लिए पितृत्‍व अवकाश का प्रावधान है। मध्‍यप्रदेश के पुरूष कर्मचारियों के लिए मध्‍यप्रदेश की सरकार ने निम्‍नानुसार प्रावधान बनाया है - 

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म.प्र. पितृत्‍व अवकाश नियम

(1) पुरूष सरकारी सेवक को, जिसकी दो से कम जीवित संतान हैं, उसकी पत्‍नी की प्रसवावस्‍था के दौरान अर्थात् शिशु के जन्‍म की तारीख से पन्‍द्रह दिन पूर्व तक या जन्‍म की तारीख से छह मास तक, पन्‍द्रह दिनों का पितृत्‍व अवकाश प्रदान किया जा सकेगा।

(2) पितृत्‍व अवकाश परिवर्तित अवकाश के रूप में प्रदान किया जाएगा किन्‍तु सरकारी सेवक के चिकित्‍सा प्रमाण पत्र प्रस्‍तुत करने की अपेक्षा नहीं की जाएगी। 

(3) पितृत्‍व अवकाश, आकस्मिक अवकाश के सिवाय, किसी अन्‍य प्रकार के अवकाश के साथ जोड़ा जा सकेगा।


उपरोक्‍त पितृत्‍व अवकाश संशोधन की अधिसूचना मध्‍यप्रदेश शासन, वित्‍त विभाग, मंत्रालय, वल्‍लभ भवन, भोपाल द्वारा दिनांक 12 जनवरी 2004 को अधिसूचना क्रमांक - एफ-4/7/2003/नियम/चार द्वारा ज़ारी किया गया था। यह संशोधित नियम दिनांक 01/08/2003 से प्रवृत हुआ।


एक बात और ध्‍यान रखने वाली बात है कि पितृत्‍व अवकाश को आप अर्जित अवकाश (ईएल) के साथ मर्ज करा सकते हैं और अधिकतम 160 तक का अवकाश प्राप्‍त पितृत्‍व अवकाश जोड़कर प्राप्‍त कर सकते हैं। पितृत्‍व अवकाश प्रारूप अर्जित अवकाश, अथवा किसी अन्‍य प्रारूप अथवा साधारण आवेदन पत्र द्वारा भी प्राप्‍त किया जा सकता है। यह पितृत्‍व अवकाश आपको आपके बच्‍चे के जन्‍मदिन के 15 दिन पूर्व (प्रत्‍याशा) से लेकर जन्‍म पश्‍चात् 6 माह की अवधि के भीतर लिया जा सकता है। 

Tuesday, November 16, 2021

क्‍या होगा यदि किसी सरकारी कर्मचारी की मृत्‍युु उसके निलंंबन के दौरान हो जाए?

यदि कोई सरकारी कर्मचारी है तो उसे सरकार द्वारा बनाये गये नियमों के अनुसार आचरण करना होता है। कई बार अनेक कारणों से सरकारी कर्मचारियों को निलंबन का सामना करना पड़ता है। ऐसे में निलम्बित कर्मचारी को कई प्रकार की आर्थिक एवं अनार्थिक समस्‍याओं का सामना करना पड़ता है। परन्‍तु निलम्‍बन नियमों में कर्मचारी के प्रति मनमाना रवैया नहीं चलता, यही वजह है कि विभाग प्रमुख को 90 दिन के भीतर निलम्‍बन संबंधित रिपोर्ट देनी पड़ती है और यह बताना पड़ता है कि क्‍या निलम्‍बन सही है या नहीं।

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निलंबन नियम: म.प्र. शासन

ज्‍यादातर मामलों में निलम्बित कर्मचारी न्‍यायालय का दरवाजा खटखटाता है और न्‍यायालय के निर्णय के ही आधार पर निलंबन संबंधी रिआयतें या छूट संबंधित निलंबित कर्मचारी को दी जाती है। परन्‍तु क्‍या होगा यदि किसी सरकारी कर्मचारी की मृत्‍युु उसके निलंंबन के दौरान हो जाए? या वह रिटायर होने वाला हो, क्‍यों कई कर्मचारियों के भ्रष्‍टाचार उनके रिटायरमेंट समय पर भी उजागर होते हैं और उन्‍हें निलम्‍बन का सामना करना पड़ता है। तो आईये अब जान लें निलम्‍बन के कुछ सामान्‍य शर्तों के बारे में- 


निलंबन क्‍या है- निलंबन एक ऐसी प्रशासनिक कार्यवाही है, जिसके द्वारा एक शासकीय सेवक को कुछ समय के लिए, उसके विरूद्ध जांच के चलते काम करने से रोक दिया जाता है। 

कब तक निलंबित रखा जाता है- जब तक उसके विरूद्ध अनुशासनिक कार्यवाहियां लंबित रहें अथवा जहां उसके विरूद्ध आपराधिक आरोपों के संबंध में जांच-पड़ताल या न्‍यायालय में मामला विचाराधीन रहे। 

कब निलंबित किया माना जाता है- जब किसी शासकीय सेवक को किसी मामले में पुलिस द्वारा 48 घंटों से अधिक समय के लिए निरूद्ध रखा गया हो। कर्तव्‍यों से निलंबित किया माना जाता है तथा बाद में औपचारिक आदेश जारी किये जाना आवश्‍यक है। 

निलम्‍बन को क्‍या माना जाए, यदि, निलंबन के दौरान एक शासकीय सेवक- 
(क) मृत हो जाए- निलंबन आदेश शून्‍य हो जाएगा तथा निलंबन अवधि कर्तव्‍यकाल मानी जाएगी तथा उसके परिवार को समस्‍त सेवान्‍त लाभ स्‍वीकृत किये जाएंगे।
(ब) अधिवार्षिकी आयु पर पहुंच जाए- ऐसी स्थिति में वह सेवानिवृत तो होगा, परन्‍तु उसे जब तक उसके विरूद्ध संस्थित की गई विभागीय जांच का या न्‍यायालय में लंबित मामले का अंतिम रूप से समापन नहीं हो जाए, अनन्तिम (प्रॉविजनल) पेंशन, पेंशन नियम 64 के अधीन मंजूर की जाएगी तथा मामले का समाधान होने तथा अंतिम आदेश पारित होने पर, जैसी भी स्थिति हो, अंतिम पेंशन मंजूर की जाएगी या पेंशन वापिस ले ली जावेगी या उसमें कमी कर दी जायेगी।
(स) सेवानिवृत्ति चाहता हो- सक्षम स्‍वीकृति प्राप्‍त कर सेवानिवृत्‍त हो सकता है। 


(द) सेवा से त्‍याग पत्र देना चाहता हो- मामले की परिस्थितियों पर विचार कर सक्षम प्राधिकारी निर्णय ले सकते हैं। 

तो आपने देख लिया कि यदि किसी शासकीय कर्मचारी की मृत्‍यु उसके निलंबन काल में हो जाती है तो उसके निलंबन काल को उसकी वास्‍तविक कार्यावधि मान लिया जाता है एवं पूर्ण वेतन भत्‍ते का हकदार उसका नॉमिनी बन जाता है। असल में ऐसा इसलिए होता है कि अब जिसे सरकार की नज़र में अभियोगी मान लिया गया है, वह अपना पक्ष रखने के लिए जीवित ही नहीं है और ऐसा भी हो सकता है कि निलंबन सक्षम प्राधिकारी द्वारा किसी गलतीवश कर दिया गया हो। 


Saturday, November 13, 2021

मध्‍यप्रदेश शासकीय कर्मचारियों द्वारा आयोजित हड़ताल, धरना एवं सामूहिक अवकाश पर म.प्र. शासन के नियम व नीति

वर्कर्स अथवा कर्मचारियों का नियोक्‍ता से हमेशा से कुछ मांगों पर मतभेद रहा है। नौकरी देने वाली संस्‍था अथवा नियोक्‍ता का प्रयास हमेशा यही रहता है कि अपने कर्मचारियों को कम से कम वेतन पर रखा जा सके परन्‍तु तरह-तरह की सुविधाएं अपने कर्मचारियों को देने का नैतिक दबाव भी होता है। वर्कर्स की एकता ही नियोक्‍ता से अपनी मांगों को पूरा कराने का एक अचूक तरीका है। आप आये दिन बैंक कर्मचारियों, बिजली कर्मचारियों, आउटसोर्स कर्मचारियों आदि के हड़ताल के बारे में सुनते होगें, इसी प्रकार मध्‍यप्रदेश शासन के तहत काम करने वाले सरकारी कर्मचारी भी अपनी मांगों को मनवाने के लिए हड़ताल एवं धरना का सहारा लिया करते हैं। 

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व्‍यापम ग्रुप-4, सहायक ग्रेड-3 परीक्षा 2018 की भर्ती की यह तस्‍वीर है, 
मैं श्‍यामला हिल्‍स भोपाल में चयनित उम्‍मीदवारों की तरफ से हड़ताल
में भाग ले रहा था, फोटो में नानूराम डावर मेरा दोस्‍त है, फोटो मेरे द्वारा लिया गया 

हड़ताल आयोजित करना अथवा उसमें शामिल होना किसी भी सरकारी कर्मचारी के लिए शासन की नज़र में अच्‍छा कदम नहीं है। किसी भी हड़ताल, धरना आदि प्रयोजित करने के लिए कर्मचारियों को शासन की नीतियों का ध्‍यान रखना आवश्‍यक होता है अन्‍यथा शासन नीति व नियमों का हवाला देते हुए संबंधित कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही कर सकती है। वैसे किसी भी सरकार अपने कर्मचारियों के खिलाफ कोई भी कदम लेने से पहले कई बातों का ध्‍यान रखना होता है, क्‍यों यही कर्मचारी सरकार को उसकी वास्‍तविक ताकत का एहसास कराते हैं। 


इस लेख में हम मध्‍यप्रदेश सरकार में होने वाले हड़ताल, धरना व सामूहिक अवकाश के नियमों के बारे में बात करने वाले हैं, वैसे आप देख ही रहे हैं कि किस प्रकार मध्‍यप्रदेश में सकारी कर्मचारी आये दिन कई मांगों को लेकर (जैसे- मंहगाई भत्‍ता, लिपिक वेतन विसंगति, आदि) सामूहिक अवकाश लेकर हड़ताल आयोजित किया करते हैं। वैसे हर-एक शासकीय कर्मचारी ऐसी हड़ताल को समर्थन करता है क्‍योंकि ये हड़ताल उन शासकीय कर्मचारियों के हित में होते हैं। सरकार यह बात जानती है कि सरकारी कर्मचारी व विभागाध्‍यक्ष सभी मिलजुल हड़ताल को अन्‍जाम देते हैं, फिर भी कुछ नियम व शर्तें हैं जो आप सबको जानना बहुत आवश्‍यक है। 

शासकीय कर्मचारियों द्वारा आयोजित हड़ताल, धरना तथा सामूहिक अवकाश आदि पर कार्यवाही- शासकीय सेवकों द्वारा आयोजित हड़ताल तथा सामूहिक अवकाश के संबंध में समय-समय पर निर्देश जारी किये गये हैं। परन्‍तु संबंधित विभागों/कार्यालयों द्वारा न तो इन निर्देशों का पालन किया जा रहा है एवं न ही इस तरह के अवसरों पर अनुपस्थित कर्मचारियों/अधिकारियों की जानकारी समय से शासन को भेजी जाती है। अब यह सुनिश्चित किया जावे कि ऐसे अवसरों पर सभी प्रमुख सचिव/सचिव, विभागाध्‍यक्ष, संभागीय आयुक्‍त एवं कलेक्‍टर अनिवार्य रूप से कार्यालय में उपस्थित रहें। ऐसे शासन ने निर्देश जारी किये हैं। शासन ने यह भी निर्देशित किया है कि- 

भविष्‍य में इस संबंध में निम्‍नानुसार कार्यवाही सुनिश्चित की जावे:- 

1. सामूहिक अवकाश/हड़ताल के दौरान जो कर्मचारी/अधिकारी कार्यालय आना चाहते हैं, उन्‍हें पूर्ण सुरक्षा प्रदान की जावे एवं यह सुनिश्चित किया जावे कि ऐसे इच्‍छुक अधिकारी/कर्मचारियों को सामूहिक अवकाश लेने/हड़ताल पर जाने के लिए अन्‍य अधिकारी/कर्मचारी द्वारा बाध्‍य नहीं किया जावे। इस संबंध में पूर्ण सतर्कता बरती जाकर ऐसे किसी भी प्रयास को अत्‍यंत गम्‍भीरता से लिया जावे। 

2. शासकीय सेवकों के हड़ताल, धरना तथा सामूहिक अवकाश के कृत्‍य म.प्र. सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 के अनुसार कदाचरण की श्रेणी में आते हैं। इस प्रकार की अनुशासनहीनता करने वालों पर गुणदोषों के आधार पर अनुशासनात्‍मक कार्यवाही सक्षम प्राधिकारी द्वारा की जानी चाहिए। अनुशासनिक कार्यवाही समाप्‍त करने के अधिकार विभागाध्‍यक्ष को होंगे। 


3. बिना पूर्व अनुमति के सामूहिक अवकाश पर जाने अथवा हड़ताल में भाग लेने की दशा में अनधिकृृत अनुपस्थिति के दिवसों तथा हड़ताल का वेतन देय नहीं होगा एवं न ही इस प्रकार की अनुपस्थिति के दिवसों का अवकाश स्‍वीकृत किया जायेगा। इस अवधि का वेतन काटने का दायित्‍व कार्यालय प्रमुख एवं आहरण एवं संवितरण अधिकारी का होगा। 

4. हड़ताल, धरना तथा सामूहिक अवकाश की अवधि को ब्रेक इन सर्विस मानने, अवैतनिक/असाधारण अवकाश एवं अन्‍य किसी किस्‍म की छूट/ढील स्‍वीकार करने के संबंध में सामान्‍य प्रशासन विभाग द्वारा निर्णय लिया जावेगा। 

5. प्रत्‍येक सामूहिक अवकाश/हड़ताल वाले दिवस पर समस्‍त विभागाध्‍यक्षों का यह दायित्‍व होगा कि विभागाध्‍यक्ष कार्यालय की जानकारी संलग्‍न प्रारूप में उनके विभागों के प्रमुख सचिव/सचिव का अनिवार्य रूप से दोपहर 12.00 बजे तक प्रेषित कर दी जाए।

6. विभाग के प्रमुख सचिव/सचिव का यह दायित्‍व होगा कि वे मंत्रालय स्थित अपने विभाग की एवं उनके अधीनस्‍थ समस्‍त विभागाध्‍यक्ष कार्यालयों की जानकारी प्रत्‍येक सामूहिक अवकाश/हड़ताल वाले दिवस पर संलग्‍न प्रारूप अनुसार दोपहर 2.00 बजे तक सामान्‍य प्रशासन विभाग को उपलब्‍ध करायेंगे। 

7. समस्‍त कलेक्‍टर जिले के समस्‍त कार्यालयों की एकजई जानकारी (केवल एक प्रारूप में) दोपहर 12.00 बजे तक संकलित प्रारूप अनुसार संभागीय आयुक्‍त को अनिवार्य रूप से उपलब्‍ध करायेंगे। 

8. समस्‍त संभागायुक्‍त अपने संभाग एवं संभाग के जिलों की जानकारी हड़ताल/सामूहिक अवकाश के दिवस पर दोपहर 2.00 बजे तक अनिवार्य रूप से दूरभाष एवं फैक्‍स/ई-मेल पर संलग्‍न प्रारूप अनुसार सामान्‍य प्रशासन विभाग को उपलब्‍ध करायेंगे। 

9. मंत्रालय स्थित स्‍थापना शाखा-7(1) द्वारा प्रत्‍येक सामूहिक अवकाश/हड़ताल वाले दिवस पर मंत्रालय के सभी कर्मचारियों की संलग्‍न प्रारूप में जानकारी संकलित कर शाखा-3 को दोपहर 2.00 बजे तक उपलब्‍ध कराई जावेगी। 


प्रारूप 

सामूहिक अवकाश/हड़ताल में भाग लेने वाले कर्मचारियों/अधिकारियों की जानकारी-  

विभाग/विभागाध्‍यक्ष/जिला कार्यालय (कलेक्‍टर) का नाम................     स्थिति दिनांक ............ 

अनु.
 क्र.
कुल संख्‍यासामूहिक
अवकाश/
हड़ताल में
सम्मिलित
की संख्‍या
पूर्व से
अवकाश या
अन्‍य कारणों
से अनुपस्थित
की संख्‍या
उपस्थित
की संख्‍या
रिमार्क
(1)(2)(3)(4)(5)(6)
1.प्रथम श्रेणी

2.द्वितीय श्रेणी

3.तृतीय श्रेणी

4.चतुर्थ श्रेणी

5.योग


प्रमुख सचिव/सचिव/विभागाध्‍यक्ष/

आयुक्‍त/कलेक्‍टर के हस्‍ताक्षर


उम्‍मीद है दोस्‍तों कि आपको यह लेख पसंद आया होगा। आप अब बेझिझक किसी भी जायज़ मांग में हड़ताल, धरना व सामूहिक अवकाश लेकर प्रदर्शन कर सकते हैं। ऐसे ही ज्ञानवर्धन और लेख पढ़ने के लिए आप हमारे साथ बने रहियेगा। 



Monday, November 8, 2021

म.प्र. स्‍थायी शासकीय कर्मचारियों को अन्‍य सीधी भर्ती में मिलेगा पूरा वेतन। म.प्र. पे प्रोटेक्‍शन नियम

म.प्र. शासन, सामान्‍य प्रशासन विभाग क्र. सी-3-13/2019/3/एक, दिनांक 12 दिसम्‍बर, 2019 द्वारा मध्‍यप्रदेश की तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री कमलनाथ की कांग्रेस सरकार ने मध्‍यप्रदेश की सरकारी भर्ती के नियमों में अंशत: बदलाव कर दिया। पहले जहां कोई भी भर्ती ज्‍वाइन करते ही पूर्ण वेतन मिला करता था, वहीं अब 12 दिसम्‍बर, 2019 के बाद होने वाली किसी भी सीधी भर्ती में उम्‍मीदवार को पूर्ण वेतन के स्‍थान पर स्‍टायपेण्‍ड मिलने लगा। 
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Pay Protection Rule Madhya Pradesh

अब ऐसे में यदि कोई परीक्षार्थी मध्‍यप्रदेश शासन की कोई नयी नौकरी करता है तो उसको कम वेतन मिलता है। यदि कोई पहले से ही स्‍थायी पद पर मध्‍यप्रदेश में शासकीय सेवा कर रहा है तो उसे भी इन नियमों तहत कम वेतन मिलने का खतरा होता है। वैसे यदि कोई शासकीय कर्मचारी स्‍थायी पद पर पहले से ही किसी विभाग में कार्यरत है और उच्‍च या समान ग्रेड पे पर सीधी भर्ती द्वारा चयनित होता है तो उसे पे प्रोटेक्‍शन का लाभ मिलेगा।

तो चलिए पहले देख लेते हैं म.प्र. शासन, सामान्‍य प्रशासन विभाग क्र. सी-3-13/2019/3/एक, दिनांक 12 दिसम्‍बर, 2019 नियम को और फिर बात करते हैं पे प्रोटेक्‍शन की- 

शासकीय सेवा में सीधी भरती के तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के पदों पर चयन होने पर 3 वर्ष की परिवीक्षावधि पर नियुक्‍त किया जाना:- 
1. राज्‍य शासन द्वारा राज्‍य शासन की सेवाओं में सीधी भर्ती पद पर निम्‍नानुसार व्‍यवस्‍था की जाती है- 
(अ) मध्‍यप्रदेश सिविल सेवा (सेवा की तीन सामान्‍य शर्तें) नियम, 1961 के नियम 8(1) के तहत सीधी भर्ती के पद पर प्रथमत: तीन वर्ष की परिवीक्षा अवधि पर रखा जावे। 
(ब) परिवीक्षा अवधि में उस पद के वेतनमान के न्‍यूनतम का प्रथम वर्ष 70 प्रतिशतद्वितीय वर्ष में 80 प्रतिशत एवं तृतीय वर्ष में 90 प्रतिशत राशि, स्‍टायपेंड के रूप में देय होगी। 
(स) बिन्‍दु (ब) अनुसार कार्यवाही करने हेतु मध्‍यप्रदेश मूलभूत नियमों में आवश्‍यक संशोधन करने हेतु वित्‍त विभाग को अधिकृत किया जाता है। 
(द) उपरोक्‍त विभिन्‍न विभागों के विभागीय भर्ती नियमों में आवश्‍यक संशोधन करने हेतु समस्‍त विभागों को अधिकृत किया जाता है।

2. उपर्युक्‍त व्‍यवस्‍था ऐसी सभी सेवाओं के लिए लागू की जावे, जिनके लिए आयोग द्वारा चयन परीक्षा नहीं ली जाती है। 
3. यह आदेश मंत्रिपरिषद आदेश आयटम क्रमांक-20, दिनांक 27 नवम्‍बर 2019 में लिये गए निर्णय के पालन में जारी किये गये हैं।

आप उपरोक्‍त नियम के बिन्‍दु 1 के उप-बिन्‍दु (स) एवं (द) में देख सकते हैं कि वित्‍त विभाग एवं आपका संबंधित विभाग यदि चाहे तो आपको पे प्रोटेक्‍शन दे सकता है। आपको पे प्रोटेक्‍शन को भी समझना बहुत आवश्‍यक है। हम यहां पर सिर्फ विवरण देना चाहेंगे, यदि आपको आधिकारिक पत्रादि चाहिए तो आप हमसे सम्‍पर्क भी कर सकते हैं, वैसे हमने वीडियो नीचे दे दिया है। 

विषयः-शासकीय सेवकों को अन्य पदों में सीधी भरती से नियुक्त करने की कार्य प्रणाली तथा वेतन निर्धारण.

शासन द्वारा निर्णय लिया गया है कि जब कोई शासकीय सेवक चाहे वह स्थायी हो या अस्थायी, किसी अन्य सेवा या पद में सीधी भरती से नियुक्त किया जाता है तो उसे परिवीक्षा पर ही नियुक्त किया जाए. यह आवश्यक नहीं है कि जब स्थायी पद रिक्त हो तभी सीधी भरती से नियुक्त व्यक्तियों को परिवीक्षा पर रखा जाए. मध्यप्रदेश सिविल सेवा (सेवा की सामान्य शर्ते) नियम, 1961 के नियम 8(6) को अब इस प्रकार संशोधित कर दिया गया है कि परिवीक्षा पर नियुक्त किए गए व्यक्ति को, यदि परिवीक्षावधि समाप्त होने पर स्थायी पद उपलब्ध न हो तो, भविष्य में जब कभी भी स्थायी पद उपलब्ध होगा, तब स्थायीं किया जाएगा, तथा इस प्रकार का प्रमाण-पत्र सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी कर दिया जावेगा. 
2. परिवीक्षा पर नियुक्त किए जाने पर स्थायी शासकीय सेवक का वेतन निम्नलिखित अनुसार संरक्षित रहेगा:- (1) स्थायी शासकीय सेवक का स्थायी पद पर मिलने वाला वेतन यदि नये पद के, निम्नतम वेतन से अधिक रहता है तो उसके द्वारा धारित स्थायी पद का वेतन संरक्षित रहेगा. 
(2) उनकी वार्षिक वेतन वृद्धियां मूलभूत नियम 22 (सी) के उपबंधों के अनुसार शासित होगी, अर्थात् उनके स्थायी पद के वेतन के साथ वेतन वृद्धियां भी संरक्षित रहेगी
(3) अस्थायी शासकीय सेवक जब किसी अन्य सेवा या पद में सीधी भरती नियुक्त किया जाता है तो उसकी नियक्ति उसी प्रकार परिवीक्षा पर ही की जाये जिस प्रकार बाहर के व्यक्तियों को सीधी भरती से नियुक्तियां की जाती हैं.

विषयः-मूलभूत नियम 22 (सी) के अंतर्गत वेतन निर्धारण मध्यप्रदेश सिविल सेवा (सेवा की सामान्य शर्ते) नियम, 1961 के नियम 8 (6) के अंतर्गत परिवीक्षा पर नियुक्त व्यक्ति के पक्ष में प्रमाण-पत्र के आधार पर स्थायी मानना..
मध्यप्रदेश सिविल सेवा (सेवा की सामान्य शर्ते) नियम, 1961, के नियम 8 के उपनियम (6) के अनुसार परिवीक्षा पर नियुक्त शासकीय सेवक द्वारा सफलतापूर्वक परिवीक्षा पूर्ण करने पर तथा विहित विभागीय परीक्षा, यदि कोई हो, उत्तीर्ण कर लेने पर, यदि स्थायी पद उपलब्ध हो, तो स्थायी किया जाएगा अन्यथा उस व्यक्ति के पक्ष में इस आशय का प्रमाण-पत्र जारी किया जाएगा कि उसे स्थायी पद उपलब्ध नहीं होने के कारण स्थायी नहीं किया जा सकता, किन्तु स्थायी पद उपलब्ध होते ही उसे स्थायी कर दिया जाएगा. शासन के समक्ष यह प्रश्न उपस्थित हुआ है कि जिस शासकीय सेवक के पक्ष में उपर्युक्त प्रकार प्रमाण- पत्र जारी किया गया है, वह यदि किसी अन्य पद पर सीधी भरती के द्वारा नियुक्त किया जाए तो उसका मूलभूत नियम 22 (सी) के अंतर्गत वेतन निर्धारण करने के लिये क्या उसे स्थाई माना जायगा या नहीं
2. इस संबंध में शासन द्वारा यह स्पष्ट किया जाता है कि यदि किसी ऐसे शासकीय सेवक को, जिसके पक्ष में मध्यप्रदेश सिविल सेवा (सेवा की सामान्य शर्ते) नियम, 1961, के नियम 8 के उप नियम (6) के अनुसार इस आशय का प्रमाण-पत्र जारी किया गया है कि उसे स्थायी पद उपलब्ध होते ही स्थायी कर दिया जाएगा तो किसी अन्य पद पर सीधी भरती के द्वारा नियुक्त किये जाने पर उसे मूल नियम 22 (सी) के अंतर्गत वेतन निर्धारण के लिए स्थायी शासकीय सेवक माना जाएगा.


विषयः-परिवीक्षा काल पर नियुक्त शासकीय सेवकों के स्थाईकरण के सम्बन्ध में.
संदर्भ:-इस विभाग का दिनांक 9 दिसम्बर, 1974 का ज्ञापन एफ. क्रमांक 3/15/74/3/1.
उपर्युक्त ज्ञापन के द्वारा यह सूचित किया गया था कि सीधी भरती से भरे जाने वाले पदों पर उम्मीदवारों की नियुक्तियां परिवीक्षा पर की जाएं एवं उनका वेतननिर्धारण मूलभूत नियमों के सामान्य प्रावधानों के अनुसार किया जाय. इस आदेश के कार्यान्वयन के सम्बन्ध में कई विभागों में कुछ भ्रम उत्पन्न हो गया है, अत: परिवीक्षाधीन व्यक्तियों के स्थाईकरण के सम्बन्ध में निम्नलिखित स्पष्टीकरण सभी नियुक्ति प्राधिकारियों के मार्गदर्शन के लिये जारी किया जाता है:-

(1) जिन व्यक्तियों को परिवीक्षा पर नियुक्त किया जाता है, उन्हें मध्यप्रदेश सिविल सेवा (सेवा की सामान्य शर्ते) नियम, 1961 के नियम 8 के उपनियम (6) के अनुसार परिवीक्षा काल की अवधि पूरी होने पर स्थाई करने के लिए निर्धारित प्रक्रिया अपनानी चाहिए. परिवीक्षाधीन शासकीय सेवक को स्थाईकरण के लिए उपयुक्त पाए जाने पर उसे परिवीक्षाकाल समाप्त होने की तिथि से, यदि स्थाई पद उपलब्ध हो, तो स्थाई करने के आदेश निकालना चाहिए. यदि उनको स्थाई करने के लिए स्थाई पद उपलब्ध न हों, तो उनके पक्ष में यह प्रमाण-पत्र जारी किया जाना चाहिए कि उसने परिवीक्षा सफलतापूर्वक पूर्ण कर लिया है और उन्हें स्थाई पद उपलब्ध न होने के कारण ही परिवीक्षाकाल पूर्ण होने की तिथि से स्थाई करने के आदेश नहीं निकाले जा सके. भविष्य में जैसे ही उनके लिए स्थाई पद उपलब्ध होंगे, वैसे ही उन्हें स्थाई कर दिया जाएगा. इस प्रकार प्रमाण-पत्र देने का उद्देश्य यह है कि जिन व्यक्तियों को परिवीक्षा पर नियुक्त किया जाता है. उन्हें स्थाई पद उपलब्ध न होने के कारण सफलतापूर्वक परिवीक्षाकाल पूर्ण कर लेने पर भी स्थाई करने के आदेश नहीं निकाले जा सके, तो उसके कारण उन्हें आर्थिक नुकसान न हो. अर्थात् प्रमाण-पत्र के आधार पर ही उन्हें परिवीक्षाकाल में रुकी हुई वार्षिक वेतनवृद्धियां, बकाया राशि के साथ दे दी जायें तथा भविष्य में भी उन्हें नियमित रूप से वार्षिक वेतनवृद्धियां मिलती रहें.

(2) जिन व्यक्तियों को परिवीक्षाकाल सफलतापूर्वक पूर्ण कर लेने पर स्थाई पद के अभाव में उपयुक्त नियम के 27 अनुसार प्रमाण-पत्र दिया जाता है, उन्हें भविष्य में स्थाई करने के लिए उनकी उपयुक्तता के बारे में पुनः विचार करने की आवश्यकता नहीं है. जब भी स्थाई पद उपलब्ध होते हैं, तब ऐसे सभी व्यक्तियों को, उनकी आपसी वरिष्ठताक्रम के अनुसार स्थाई करने के औपचारिक आदेश निकाल देना चाहिए. इस सम्बन्ध में यह भी स्पष्ट कर दिया जाता है कि परिवीक्षा पर नियुक्त करने के आदेश जारी होने के पहले यदि उसी पद पर अस्थाई रूप से नियुक्तियां की गई हों, तो स्थाईकरण करते समय पूर्व में अस्थाई रूप से नियुक्त शासकीय सेवकों एवं परिवीक्षा पर नियुक्त व्यक्तियों को, जिन्हें स्थाईकरण के लिए उपयुक्त पाया गया हो, उनकी आपसी वरिष्ठताक्रम से, जो नियमानुसार निर्धारित की गई है, स्थाई करना चाहिए. जो व्यक्ति स्थाईकरण के लिए प्रथम अवसर पर उपयुक्त नहीं पाएं जाते, उन्हें बाद में उपयुक्त पाए जाने पर स्थाई किया जाता है, तो वे उनसे पहले स्थाई किए गए व्यक्तियों से कनिष्ठ माने जायेंगे.

(3) जिन व्यक्तियों को परिवीक्षाकाल समाप्त होने पर स्थाईकरण के लिए उपयुक्त नहीं पाया जाता है, नियुक्ति अधिकारी प्रत्येक मामले के गुण-दोष के आधार पर नियमानुसार परिवीक्षाकाल में एक वर्ष की वृद्धि कर सकता है. यदि किसी व्यक्ति को परिवीक्षाकाल समाप्त होने पर परिवीक्षा काल में वृद्धि करने के पश्चात् भी स्थाईकरण के लिए उपयुक्त नहीं पाया जाता, तो उसकी सेवाएं उक्त नियम के नियम 8(5) के अनुसार परिवीक्षाकाल पूर्ण होने की तारीख से समाप्त करनी चाहिए.

(4) यदि किसी कारणवश उपर्युक्त पैरा (3) में उल्लिखित व्यक्ति की सेवाएं समाप्त करने के आदेश नहीं निकाले जाते हैं, तो ऐसे व्यक्ति पर मध्यप्रदेश सिविल सेवा (सेवा की सामान्य शर्ते) नियम, 1961 के नियम 8 के उपनियम (7) का प्रावधान लागू होगा. यह उपनियम अपवाद स्वरूप ही किसी विशेष प्रकरण में लागू किया जाना चाहिए न कि सभी ऐसे व्यक्तियों के मामलों में, जिन्होंने परिवीक्षाकाल सफलतापूर्वक पूरा नहीं किया हो. इस श्रेणी के शासकीय सेवक उस पद पर परिवीक्षाकाल पूर्ण होने की तारीख से अस्थाई रूप से नया नियुक्त शासकीय सेवक माने जायेंगे तथा उन्हें वेतन निर्धारण एवं वरिष्ठता के लिए परिवीक्षा काल में व्यतीत की गई पूर्व सेवा का लाभ नहीं मिलेगा.

2. सभी विभागों से निवेदन है कि आपके विभाग के अधीन सेवाओं में परिवीक्षाधीन शासकीय सेवकों के स्थाईकरण के मामले उपयुक्त अनुदेश के अनुसार निपटायें जायें, जहां तक संभव हो, परिवीक्षाधीन व्यक्तियों को स्थाई करने के लिए मामला परिवीक्षाकाल समाप्त होने के दो माह पूर्व ही विचार में लिया जाए, ताकि उनके सम्बन्ध में निर्णय परिवीक्षाकाल समाप्त होने की तिथि तक लिया जा सके.


उम्‍मीद है दोस्‍तों कि आप यह समझ पाये होंगे कि यदि आप मध्‍यप्रदेश में स्‍थायी सरकारी कर्मचारी हैं तो आपको अन्‍य विभाग में सीधी भर्ती द्वारा जाने पर भी आपको पूरा वेतन मिलेगा।