दोस्तों, मेरा नाम अभिषेक है, लम्बे वक़्त के बाद एक बार फिर से सरकारी कर्मचारियों से सम्बंधित कुछ बाते आपके सामने लाना चाहता हूँ। मध्यप्रदेश में सरकारी कर्मचारियों की विभिन्न मांगें रही हैं, वेतन विसंगति से लेकर पेंशन बहाली का मुद्दा बड़े मुद्दों में से रहा है। मध्यप्रदेश में सरकारी कर्मचारियों की कई सारी मांगें समय के साथ मान ली गई थीं, प्रदेशव्यापी मुद्दा केवल 2 ही रह गये हैं - पुरानी पेंशन बहाली अथवा संशोधित पेंशन योजना, आवास भत्ता।
दूसरी तरफ मध्यप्रदेश के लिपिक वर्गीय सरकारी कर्मचारियों की वेतन विसंगति दूर होने के आसार प्रत्येक चुनाव से पूर्व लगता है, परन्तु किसी भी प्रकार से लिपिक / क्लर्क की मांग वेतन विसंगति दूर कर वेतन बढ़ाये जाने को दरकिनार कर दिया जाता है। आज इस लेख में संक्षिप्त में हम इन्हीं सभी पहलुओं की चर्चा वर्तमान दौरान पर करेंगे।
लिपिक वेतन विसंगति - 2018 में मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव से पूर्व सरकार ने लगभग 51 पदों से भी अधिक का वेतनमान बढ़ा दिया था, परन्तु सबसे पुराना वेतन विसंगति का मामला लिपिकों के साथ रहा था, जिसे सरकार ने कमेटी बनाकर मामला फिर से रफा दफा कर दिया। लगभग पिछले 40 वर्षों में 10 से भी अधिक कमेटियों ने लिपिकों की वेतन विसंगति दूर कर वेतन बढ़ाये जाने की सिफारिश की, परन्तु सरकार ने लिपिकों के साथ न्याय नहीं किया। जुलाई 2024 में अचानक से ख़बर सामने आई कि सरकार लिपिक वर्गीय कर्मचारियों का वेतन बढ़ाने वाली है इसके लिए सिंघल कमेटी की अनुसंशाएं लागू होने जा रही हैं, अचरज की बात तो यह थी कि मध्यप्रदेश लिपिक कर्मचारी संघ के शीर्ष नेतृत्व को इस कमेटी और इसके अनुसंशाओं की भनक तक न थी। विरोध हुआ तो सिंघल आयोग के खत्म हो रहे कार्यकाल को पुन: 6 माह के लिए बढ़ा दिया गया और दिसम्बर 2024 से पहले लिपिकों के वेतन को बढ़ाने की सिफारिश का वायदा किया। यह माह नवम्बर 2024 है, अलग माह समाप्त हो रहे सिंघल आयोग और उसकी सिफारिशों की अटकलों को दरकिनार करते हुए लिपिकों के वेतन को बढ़ाने के लिए मध्यप्रदेश की सरकार फिर से एक कमेटी बनाने वाली है, जिसकी रिपोर्ट तकरीबन 1 साल बाद आएगी। लिपिक / क्लर्क कर्मचारी संघ ने इस पर फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं की है। आशंका यही है कि मध्यप्रदेश के लिपिकीय पद को धीरे-धीरे समाप्त कर दिया जाएगा, एवं आउटसोर्स प्रथा को बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे लिपिकों की वेतन विसंगति दूर होने का 1 प्रतिशत भी सम्भावना नहीं रह जाएगी।
महंगाई भत्ता की अनियमितता से पेंशन व वेतन में नुकसान - एनपीएस में आने वाले मध्यप्रदेश के सरकारी कर्मचारियों को देरी से मिलने वाले व अनियमित दिनांक से मिलने वाले महंगाई भत्ता / डीए के कारण एनपीएस फण्ड में ज़मा राशि में देरी होती है, साथ ही कम योगदान से भविष्य में कम पेंशन वे पेंशन कॉर्पस तैयार हो पाता है। साथ ही प्रतिमाह मिलने वाला एरियर राशि का नुकसान भी होता है। इसी मांग को ध्यान में रखते हुए सरकार ने केन्द्रीय तिथि से कर्मचारियों को केन्द्र के समान महंगाई भत्ता / डीए देने का वायदा किया है। परन्तु आज दिनांक तक भी मध्यप्रदेश के सरकारी कर्मचारी 3 प्रतिशत कम महंगाई भत्ता पा रहे हैं, इससे उनमें आक्रोश है।
आवास भत्ता / एचआरए में सस्पेंश बरकरार - मध्यप्रदेश के सरकारी कर्मचारियों को अत्यल्प आवास भत्ता मिलता है। जहां किसी पद के केन्द्रीय कर्मचारी को 5000/- रूपये आवास भत्ता मिलता है, वहीं मध्यप्रदेश के सरकारी कर्मचारी को लगभग 300/- रूपये आवास भत्ता मिलता है। पूर्व में भी मध्यप्रदेश की सरकार ने आवास भत्ता में सुधार के लिए कई वायदे किये जैसे हायर पर्चेस मॉडल आदि, परन्तु सब सिर्फ एक आश्वासन ही था, ज़मीनी हक़ीकत से काफी दूर। आवास भत्ता मध्यप्रदेश में यहां तक चिंता का विषय बना हुआ है कि मध्यप्रदेश के सरकारी कर्मचारियों को एचआरए 7वें वेतनमान में अब तक नहीं मिल पा रहा, जबकि इसे लागू हुए लगभग 9 साल हो गये। अगले साल बाद 8वां वेतनमान आएगा, परन्तु मध्यप्रदेश के सरकारी कर्मचारियों को 7वें वेतनमान का लाभ आज तक नहीं मिल पाया है।
8वां वेतन आयोग - मध्यप्रदेश की सरकार भी केन्द्र सरकार के नक्शे कदम पर चलकर अगला वेतनमान लाएगी। केन्द्र की सरकार ने कुछ समय पूर्व 8वें वेतनमान के बारे में इनकार कर दिया था, परन्तु टीवी सोमनाथ जी ने एक इंटरव्यू में कहा कि 8वां वेतन आयोग आने में 1 साल का समय है, और इशारा किया कि यह ज़रूर आएगा। क्योंकि डीए का बेसिक वेतन में मर्जर भी नहीं हुआ, जिसकी अटकलें कुछ समय पूर्व लग रही थीं। फिलहाल के लिए मध्यप्रदेश की सरकार ने आधिकारिक रूप से 8वें वेतन आयोग पर अपना कोई रूख नहीं दिया है।
यूपीएस पेंशन मॉडल का विकल्प जल्द - सूत्रों की मानें तो मध्यप्रदेश की सरकार नए साल पर यूनीफाईड पेंशन योजना को मध्यप्रदेश के सरकारी कर्मचारियों के लिए विकल्प के तौर पर सामने लाएगी। दरअसल एनपीएस व यूपीएस में से अधिकांश सरकारी कर्मचारियों की पसंद एनपीएस ही है जिनकी सम्भावित सेवा अवधि 20 साल या अधिक है, क्योंकि यूपीएस में एनपीएस के तहत कट रहे फण्ड को सरकार जप्त कर लेगी। फिलहाल के लिए देशभर में कर्मचारियों ने यूपीएस पेंशन का बहुत विरोध किया है, परन्तु मध्यप्रदेश में सरकारी कर्मचारी पेंशन को लेकर अधिक उत्साहित नहीं दिख रहे हैं क्योंकि यूपीएस पेंशन में केन्द्र सरकार की ओर से सुधार प्रस्तावित है।
उम्मीद है दोस्तों आपको यह लेख पसंद आया होगा। हम ऐसे ही सरकारी कर्मचारियों से सम्बंधित ख़बरें लाते रहेंगे। हमारे साथ बने रहिएगा। धन्यवाद।