eDiplomaMCU: नफ़रती ससुराल वालों ने बहू को जिन्दा जलाया, हैवानियत ऐसी कि दो मासूम बच्चियॉं हुयीं बेसहारा

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Wednesday, June 23, 2021

नफ़रती ससुराल वालों ने बहू को जिन्दा जलाया, हैवानियत ऐसी कि दो मासूम बच्चियॉं हुयीं बेसहारा

 अपने देश भारतवर्ष में शादी को पवित्र बन्धकन समझा जाता है। बच्चेर भगवान का रूप माने जाते हैं। इसी देश में हम स्त्री  को देवी का दर्जा दिये हुये हैं, परन्तु  क्यान हकीकत में हम इन नैतिकता को अपनाते हैं? मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले की एक ऐसी घटना जो आपको यह सोचने पर मज़बूर कर देगी कि आखिर हम किस तरफ जा रहे हैं।

Kusumkali Murder Case: Deosar Court

देवसर अभियोजन की बड़ी जीत – आरोपियों को सश्रम उम्रकैद व 2-2 हज़ार रूपये आर्थिक दण्ड

क्राईम खब़र: बात तकरीबन 4 वर्ष पूर्व (सन् 2014) की है जब कुसुमकली नाम की लड़की (तब उम्र तकरीबन 18 वर्ष, निवासी बड़ोखर, थाना बरगवां, जिला- सिंगरौली म.प्र.) राजेन्द्रज जायसवाल (तब उम्र तकरीबन 22 वर्ष, निवासी मझिगवां, थाना बरगवां, जिला- सिंगरौली म.प्र.) से विवाह के बन्धमन में बधने जा रही थी। वही खुशी-हर्षेाल्लानस जो एक लड़की अब दो घरों की बेटी होने वाली थी, उसके भी सपने थे जो शायद हर लड़की मन में संजोये रखती है। शादी के कुछ वर्ष बाद ही कुसुमकली-राजेन्द्रु के घर एक बेटी का जन्मी हुआ एवं उसके तकरीबन एक साल बाद दूसरी लकड़ी का। शादी के कुछ समय बाद ही कुसमकली ने अपने ससुराल वालों के स्वीभाव में बदलाव देखा। राजेन्‍द्र कुछ काम-धाम न करता, निठल्लास पड़ा रहता और अपना गुस्सां अपनी पत्नीु कुसुमकली पर निकालता। वक्तन बीतता गया। राजेन्द्र  के माता-पिता ने भी राजेन्द्र् के इस स्वलभाव का समर्थन किया एवं वो भी नवविवाहिता कुसुमकली को ताने देने लगे। कभी दहेज को लेकर, तो कभी बेवजह। अब कुसुमकली का सुसुर भी उससे आये दिन मारपीट करने लगा।

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कुसुमकली जब कभी अपने मायके बड़ोखर आती, वह अपने माता-पिता से उसके प्रति हुयी हिन्साभ एवं दुर्व्यवहार के बारे में बात करती। वह दुखी मन से अपने सपनों को टूटने एवं बदनसीबी का बखान करती। परन्तु उसके माता-पिता ने समझाइश दी की घर अपना है, वो भी अपने है, तुम्हें  वहीं जिन्दकगी बितानी है, सामन्जतस्यप करके रहो। ऐसा ही हुआ। कुसुमकली अपने ससुराल में ही रह रही थी, इस उम्मीैद के साथ कि उसकी भी जिन्ददगी में खुशियों का पल आयेगा। उसके साथ दो मासूम बच्चियों का भविष्य  भी जुड़ा था।

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वक्ति को कौन रोक पाया है? यह बीतता है और बीतता ही रहता है। परन्तु  कोई अगर वक्तल के साथ खुद में बदलाव न लाये, आपराधिक प्रवृत्तियों को अन्जातम देता रहे तो एक दिन यही छोटे-छोटे लड़ाई-झगड़े बहुत बड़े अपराध में तब्दीवल हो जाया करते हैं। ऐसा ही कुछ हुआ कुसमकली के साथ। दिन-प्रतिदिन होने वाला यह झगड़ा एक बहुत बड़े अपराध में बदल गया। घटना कुछ इस प्रकार है-

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21/10/2018 को रात 9 बजे करीब कुसुमकली का झगड़ा उसके पति राजेन्द्रय, ससुर सुखराज एवं सास पानपति जायसवाल से हुआ। उस रात बहुत झगड़ा हुआ, परिणामस्वगरूप उसी रात (22/10/2018 को रात्रि 12 बजे बाद अगला दिन लग गया था) 3 बजे जब कुसुमकली सो रही थी, उसका पति राजेन्द्र  व ससुर सुखराज ने उस पर मिट्टी का तेल डालकर जिन्दाग जला दिया। उस वक्तब उसकी सास भी थी जो यह बोल रही थी कि वह जिन्दा  न बचने पाये। हैवानियत की हद तो तब हो गयी जबकि पति, ससुर व सास ने मिलकर जलाने के बाद ना तो अस्पिताल ले गये और न ही पीडि़ता के माता-पिता को सूचित किया।

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कुसुमकली के माता-पिता को इसकी सूचना उनके बहनोई ने दी। दुखद ख़बर पाते ही पीडिता के माता-पिता मझिगवां अपने बेटी के पास पहुँचे। जाने से पहले पुलिस में इसकी रिपोर्ट भी करा दिये थे। 22/10/2018 को कुसुम के माता‍-पिता उसे बैढ़न अस्पपताल ले गये। उपचार के दौरान गम्भी र मामला होने की वजह से पुलिस ने चिकित्ससक की उपस्थिति में कुछ सवाल किये, इस वक्तल तक कुसुमकली की हालात तो गम्भीचर थी, परन्तु  वह होशोहवास में थी। पुलिस को कथन में उसने मारपीट आदि बात को दोहराया व कहा कि उसे मिट्टी का तेल डालकर उसके पति व ससुर ने जिन्दास जलाने की कोशिश की। कुसुमकली की तबियत और ख़राब होने लगी, तब उसे तारीख़ 24/10/2018 को जबलपुर मेडिकल कॉलेज रिफर किया गया। हालात और गम्भीीर होती गयी और अंतत: 26/10/2018 को सुबह 9 बजे कुसुमकली ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

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उधर बरगवां पुलिस ने कुसुमकली के माता-पिता के रिपोर्ट के अनुसार धारा 307, 34 भा.द.सं. (307 भा.द.सं. हत्या। के प्रयत्नर के लिए जबकि 34 भा.द.सं. जब दो या ज्यासदा अपोपी किसी एकमत जुर्म को अन्जा.म दें) का अपराध दर्ज कर आरोपियों राजेन्द्रब, सुखराज व पानपति को अपराध कारित करने के एक हफ्ते के भीतर ही गिरफ्तार कर लिया। तहकीकात में मौके पर कुसुमकली के घर में मिट्टी के तेल का डिब्बार, कोकाकोला बड़ा बाटल में मिट्टी का तेल, अधजले कपड़े, माचिस व तीलियां आदि बरगवां पुलिस को मिलीं। उनको न्याबयिक हिरासत में भेजा गया, परन्तु  कुसुमकली की मौत जबलपुर में होते ही, जबलपुर पुलिस ने सिंगरौली पुलिस को इस बात की सूचना दी। जबलपुर के डॉक्टररों ने भी मौत का कारण साफ किया कि कुसुमकली की मौत जलने की वजह से हुई है। कुसुमकली के घरवालों में मातम छा गया, ऐसा लग रहा था मानो अन्धभकार ही अन्धवकार हो। अब कुसुमकली की मौत हो चुकी थी, मौत की वजह भी साफ थी तो बरगवां पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ धारा 302 भा.द.सं. हत्याी के अपराध को बढ़ा दिया। अब पुलिस ने अभियोग पत्र न्याकयालय में पेश किया जहां देवसर अभियोजन की तरफ से अभियोजक मारकण्डेढयमणि त्रिपाठी व अभियुक्तो की तरफ से देवसर के जाने-माने सीनियर एडवोकेट संतराम बैस ने पैरवी की। आरोपीगण कहते रहे कि वो निर्दोष हैं और उन्होंतने कोर्ट में यही बात रखी, परन्तुय देवसर कोर्ट के समक्ष देवसर अभियोजन ने यह साबित कर दिया कि यह एक जघन्ये अपराध था और कड़ी से कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए।

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उधर अब अभियुक्तन पक्ष को सज़ा सुनिश्चित लग रही थी तो उन्हों ने कम से कम सज़ा प्राप्त। करने की मांग की। परन्तु् यह अपराध की ऐसी प्रकृति थी कि बड़े से बड़ा दण्डस भी कम लगे। देवसर कोर्ट ने यह बात कहते हुए कि ऐसा जघन्यग अपराध न सिर्फ एक जिन्दिगी लिया बल्कि दो मासूम बच्चियां, एक तेरह माह की व दूसरी तीन माह की, उनको भी बेसहारा कर दिया, उनका बचपन छीन लिया। देवसर कोर्ट ने दिनांक 21/06/2021 को आरोपीगण राजेन्द्रण (कुसुमकली का पति), सुखराज (कुसुमकली का ससुर) व पानपति (कुसुमकली की सास) को सश्रम कारावास एवं 2-2 हज़ार रूपये के अर्थदण्डह से दण्डित किया। देवसर कोर्ट ने मासूम बच्चियों की परवरिश के लिये मध्यएप्रदेश सरकार से प्रतिराशि हेतु आवेदन भी कर दिया है।

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इस घटना में आरोपियों न सिर्फ एक जिन्दागी को मारा बल्कि दो मासूम की जिन्देगियां बर्बाद कर दिया। आरापियों को बदले में मिला क्या? सज़ा, वह भी उम्रकैद। सारी जिन्द गी अब उनकी जेल में बीतेगी तथा पानपति को न तो अब उसकी ख्वाहिश के मुताबिक दूसरी बहू मिलेगी और न ही समाज से वह सम्माान जिसे हर कोई पाना चाहता है। अफ़सोस वाली बात यह है कि इतना सब कुछ हुआ और कोई न था कुसुमकली के प्रति होते हुए हिंसा के खिलाफ बोलने वाला। शुक्र मनाइये कि कई बार किसी की बहन, किसी की बेटी, किसी की मां, किसी की अब पत्नीै सिर्फ इसलिये आपके खिलाफ नहीं बोलती क्योंककि उसे जिन्दागी में आपकी अहमियत है। हैरानी तो तब होती है जब लोग अपने को भगवान के प्रति समर्पित होकर व उनकी कसम खाकर किसी के साथ अच्छी  जिन्दपगी जीने के लिए शादी के बन्धसन में बंधते हैं और बाद में वही लोग भगवान के सामने खाये हुये उन कसमों को भूल जाते हैं जो हैवानियत का रूप ले लेती है।

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अपराध का सिर्फ एक की फल होता है और वह है सज़ा। देवसर अभियोजन ने अपराधियों को कड़ी सज़ा दिलाकर समाज को यह बता दिया है कि अगर आपके साथ कुछ गलत हो रहा है, तो आप पुलिस के पास जाइये। या कानून की किसी भी प्रकार से मदद लीजिये। परन्तुि आपको किसी की जिन्दयगी का फैसला करने का कोई अधिकार नहीं है।

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उम्मीवद है आपको यह सच्चीे घटना से कुछ सीख मिली होगी। लेखक स्वयं देवसर अभियोजन में सहायक ग्रेड-3 है। लेखक विभिन्ना विषयों पर उपयोगी आर्टिकल्से लिखता रहता है। आप विभिन्नध प्रकार की ज्ञानवर्धन एवं उपयोगी वीडियोज देखने के लिए हमारे यूट्यूब चैनल डिजिटल साफ्ट हब पर जा सकते हैं।

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