eDiplomaMCU: म.प्र. स्‍थायी शासकीय कर्मचारियों को अन्‍य सीधी भर्ती में मिलेगा पूरा वेतन। म.प्र. पे प्रोटेक्‍शन नियम

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Monday, November 8, 2021

म.प्र. स्‍थायी शासकीय कर्मचारियों को अन्‍य सीधी भर्ती में मिलेगा पूरा वेतन। म.प्र. पे प्रोटेक्‍शन नियम

म.प्र. शासन, सामान्‍य प्रशासन विभाग क्र. सी-3-13/2019/3/एक, दिनांक 12 दिसम्‍बर, 2019 द्वारा मध्‍यप्रदेश की तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री कमलनाथ की कांग्रेस सरकार ने मध्‍यप्रदेश की सरकारी भर्ती के नियमों में अंशत: बदलाव कर दिया। पहले जहां कोई भी भर्ती ज्‍वाइन करते ही पूर्ण वेतन मिला करता था, वहीं अब 12 दिसम्‍बर, 2019 के बाद होने वाली किसी भी सीधी भर्ती में उम्‍मीदवार को पूर्ण वेतन के स्‍थान पर स्‍टायपेण्‍ड मिलने लगा। 
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Pay Protection Rule Madhya Pradesh

अब ऐसे में यदि कोई परीक्षार्थी मध्‍यप्रदेश शासन की कोई नयी नौकरी करता है तो उसको कम वेतन मिलता है। यदि कोई पहले से ही स्‍थायी पद पर मध्‍यप्रदेश में शासकीय सेवा कर रहा है तो उसे भी इन नियमों तहत कम वेतन मिलने का खतरा होता है। वैसे यदि कोई शासकीय कर्मचारी स्‍थायी पद पर पहले से ही किसी विभाग में कार्यरत है और उच्‍च या समान ग्रेड पे पर सीधी भर्ती द्वारा चयनित होता है तो उसे पे प्रोटेक्‍शन का लाभ मिलेगा।

तो चलिए पहले देख लेते हैं म.प्र. शासन, सामान्‍य प्रशासन विभाग क्र. सी-3-13/2019/3/एक, दिनांक 12 दिसम्‍बर, 2019 नियम को और फिर बात करते हैं पे प्रोटेक्‍शन की- 

शासकीय सेवा में सीधी भरती के तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के पदों पर चयन होने पर 3 वर्ष की परिवीक्षावधि पर नियुक्‍त किया जाना:- 
1. राज्‍य शासन द्वारा राज्‍य शासन की सेवाओं में सीधी भर्ती पद पर निम्‍नानुसार व्‍यवस्‍था की जाती है- 
(अ) मध्‍यप्रदेश सिविल सेवा (सेवा की तीन सामान्‍य शर्तें) नियम, 1961 के नियम 8(1) के तहत सीधी भर्ती के पद पर प्रथमत: तीन वर्ष की परिवीक्षा अवधि पर रखा जावे। 
(ब) परिवीक्षा अवधि में उस पद के वेतनमान के न्‍यूनतम का प्रथम वर्ष 70 प्रतिशतद्वितीय वर्ष में 80 प्रतिशत एवं तृतीय वर्ष में 90 प्रतिशत राशि, स्‍टायपेंड के रूप में देय होगी। 
(स) बिन्‍दु (ब) अनुसार कार्यवाही करने हेतु मध्‍यप्रदेश मूलभूत नियमों में आवश्‍यक संशोधन करने हेतु वित्‍त विभाग को अधिकृत किया जाता है। 
(द) उपरोक्‍त विभिन्‍न विभागों के विभागीय भर्ती नियमों में आवश्‍यक संशोधन करने हेतु समस्‍त विभागों को अधिकृत किया जाता है।

2. उपर्युक्‍त व्‍यवस्‍था ऐसी सभी सेवाओं के लिए लागू की जावे, जिनके लिए आयोग द्वारा चयन परीक्षा नहीं ली जाती है। 
3. यह आदेश मंत्रिपरिषद आदेश आयटम क्रमांक-20, दिनांक 27 नवम्‍बर 2019 में लिये गए निर्णय के पालन में जारी किये गये हैं।

आप उपरोक्‍त नियम के बिन्‍दु 1 के उप-बिन्‍दु (स) एवं (द) में देख सकते हैं कि वित्‍त विभाग एवं आपका संबंधित विभाग यदि चाहे तो आपको पे प्रोटेक्‍शन दे सकता है। आपको पे प्रोटेक्‍शन को भी समझना बहुत आवश्‍यक है। हम यहां पर सिर्फ विवरण देना चाहेंगे, यदि आपको आधिकारिक पत्रादि चाहिए तो आप हमसे सम्‍पर्क भी कर सकते हैं, वैसे हमने वीडियो नीचे दे दिया है। 

विषयः-शासकीय सेवकों को अन्य पदों में सीधी भरती से नियुक्त करने की कार्य प्रणाली तथा वेतन निर्धारण.

शासन द्वारा निर्णय लिया गया है कि जब कोई शासकीय सेवक चाहे वह स्थायी हो या अस्थायी, किसी अन्य सेवा या पद में सीधी भरती से नियुक्त किया जाता है तो उसे परिवीक्षा पर ही नियुक्त किया जाए. यह आवश्यक नहीं है कि जब स्थायी पद रिक्त हो तभी सीधी भरती से नियुक्त व्यक्तियों को परिवीक्षा पर रखा जाए. मध्यप्रदेश सिविल सेवा (सेवा की सामान्य शर्ते) नियम, 1961 के नियम 8(6) को अब इस प्रकार संशोधित कर दिया गया है कि परिवीक्षा पर नियुक्त किए गए व्यक्ति को, यदि परिवीक्षावधि समाप्त होने पर स्थायी पद उपलब्ध न हो तो, भविष्य में जब कभी भी स्थायी पद उपलब्ध होगा, तब स्थायीं किया जाएगा, तथा इस प्रकार का प्रमाण-पत्र सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी कर दिया जावेगा. 
2. परिवीक्षा पर नियुक्त किए जाने पर स्थायी शासकीय सेवक का वेतन निम्नलिखित अनुसार संरक्षित रहेगा:- (1) स्थायी शासकीय सेवक का स्थायी पद पर मिलने वाला वेतन यदि नये पद के, निम्नतम वेतन से अधिक रहता है तो उसके द्वारा धारित स्थायी पद का वेतन संरक्षित रहेगा. 
(2) उनकी वार्षिक वेतन वृद्धियां मूलभूत नियम 22 (सी) के उपबंधों के अनुसार शासित होगी, अर्थात् उनके स्थायी पद के वेतन के साथ वेतन वृद्धियां भी संरक्षित रहेगी
(3) अस्थायी शासकीय सेवक जब किसी अन्य सेवा या पद में सीधी भरती नियुक्त किया जाता है तो उसकी नियक्ति उसी प्रकार परिवीक्षा पर ही की जाये जिस प्रकार बाहर के व्यक्तियों को सीधी भरती से नियुक्तियां की जाती हैं.

विषयः-मूलभूत नियम 22 (सी) के अंतर्गत वेतन निर्धारण मध्यप्रदेश सिविल सेवा (सेवा की सामान्य शर्ते) नियम, 1961 के नियम 8 (6) के अंतर्गत परिवीक्षा पर नियुक्त व्यक्ति के पक्ष में प्रमाण-पत्र के आधार पर स्थायी मानना..
मध्यप्रदेश सिविल सेवा (सेवा की सामान्य शर्ते) नियम, 1961, के नियम 8 के उपनियम (6) के अनुसार परिवीक्षा पर नियुक्त शासकीय सेवक द्वारा सफलतापूर्वक परिवीक्षा पूर्ण करने पर तथा विहित विभागीय परीक्षा, यदि कोई हो, उत्तीर्ण कर लेने पर, यदि स्थायी पद उपलब्ध हो, तो स्थायी किया जाएगा अन्यथा उस व्यक्ति के पक्ष में इस आशय का प्रमाण-पत्र जारी किया जाएगा कि उसे स्थायी पद उपलब्ध नहीं होने के कारण स्थायी नहीं किया जा सकता, किन्तु स्थायी पद उपलब्ध होते ही उसे स्थायी कर दिया जाएगा. शासन के समक्ष यह प्रश्न उपस्थित हुआ है कि जिस शासकीय सेवक के पक्ष में उपर्युक्त प्रकार प्रमाण- पत्र जारी किया गया है, वह यदि किसी अन्य पद पर सीधी भरती के द्वारा नियुक्त किया जाए तो उसका मूलभूत नियम 22 (सी) के अंतर्गत वेतन निर्धारण करने के लिये क्या उसे स्थाई माना जायगा या नहीं
2. इस संबंध में शासन द्वारा यह स्पष्ट किया जाता है कि यदि किसी ऐसे शासकीय सेवक को, जिसके पक्ष में मध्यप्रदेश सिविल सेवा (सेवा की सामान्य शर्ते) नियम, 1961, के नियम 8 के उप नियम (6) के अनुसार इस आशय का प्रमाण-पत्र जारी किया गया है कि उसे स्थायी पद उपलब्ध होते ही स्थायी कर दिया जाएगा तो किसी अन्य पद पर सीधी भरती के द्वारा नियुक्त किये जाने पर उसे मूल नियम 22 (सी) के अंतर्गत वेतन निर्धारण के लिए स्थायी शासकीय सेवक माना जाएगा.


विषयः-परिवीक्षा काल पर नियुक्त शासकीय सेवकों के स्थाईकरण के सम्बन्ध में.
संदर्भ:-इस विभाग का दिनांक 9 दिसम्बर, 1974 का ज्ञापन एफ. क्रमांक 3/15/74/3/1.
उपर्युक्त ज्ञापन के द्वारा यह सूचित किया गया था कि सीधी भरती से भरे जाने वाले पदों पर उम्मीदवारों की नियुक्तियां परिवीक्षा पर की जाएं एवं उनका वेतननिर्धारण मूलभूत नियमों के सामान्य प्रावधानों के अनुसार किया जाय. इस आदेश के कार्यान्वयन के सम्बन्ध में कई विभागों में कुछ भ्रम उत्पन्न हो गया है, अत: परिवीक्षाधीन व्यक्तियों के स्थाईकरण के सम्बन्ध में निम्नलिखित स्पष्टीकरण सभी नियुक्ति प्राधिकारियों के मार्गदर्शन के लिये जारी किया जाता है:-

(1) जिन व्यक्तियों को परिवीक्षा पर नियुक्त किया जाता है, उन्हें मध्यप्रदेश सिविल सेवा (सेवा की सामान्य शर्ते) नियम, 1961 के नियम 8 के उपनियम (6) के अनुसार परिवीक्षा काल की अवधि पूरी होने पर स्थाई करने के लिए निर्धारित प्रक्रिया अपनानी चाहिए. परिवीक्षाधीन शासकीय सेवक को स्थाईकरण के लिए उपयुक्त पाए जाने पर उसे परिवीक्षाकाल समाप्त होने की तिथि से, यदि स्थाई पद उपलब्ध हो, तो स्थाई करने के आदेश निकालना चाहिए. यदि उनको स्थाई करने के लिए स्थाई पद उपलब्ध न हों, तो उनके पक्ष में यह प्रमाण-पत्र जारी किया जाना चाहिए कि उसने परिवीक्षा सफलतापूर्वक पूर्ण कर लिया है और उन्हें स्थाई पद उपलब्ध न होने के कारण ही परिवीक्षाकाल पूर्ण होने की तिथि से स्थाई करने के आदेश नहीं निकाले जा सके. भविष्य में जैसे ही उनके लिए स्थाई पद उपलब्ध होंगे, वैसे ही उन्हें स्थाई कर दिया जाएगा. इस प्रकार प्रमाण-पत्र देने का उद्देश्य यह है कि जिन व्यक्तियों को परिवीक्षा पर नियुक्त किया जाता है. उन्हें स्थाई पद उपलब्ध न होने के कारण सफलतापूर्वक परिवीक्षाकाल पूर्ण कर लेने पर भी स्थाई करने के आदेश नहीं निकाले जा सके, तो उसके कारण उन्हें आर्थिक नुकसान न हो. अर्थात् प्रमाण-पत्र के आधार पर ही उन्हें परिवीक्षाकाल में रुकी हुई वार्षिक वेतनवृद्धियां, बकाया राशि के साथ दे दी जायें तथा भविष्य में भी उन्हें नियमित रूप से वार्षिक वेतनवृद्धियां मिलती रहें.

(2) जिन व्यक्तियों को परिवीक्षाकाल सफलतापूर्वक पूर्ण कर लेने पर स्थाई पद के अभाव में उपयुक्त नियम के 27 अनुसार प्रमाण-पत्र दिया जाता है, उन्हें भविष्य में स्थाई करने के लिए उनकी उपयुक्तता के बारे में पुनः विचार करने की आवश्यकता नहीं है. जब भी स्थाई पद उपलब्ध होते हैं, तब ऐसे सभी व्यक्तियों को, उनकी आपसी वरिष्ठताक्रम के अनुसार स्थाई करने के औपचारिक आदेश निकाल देना चाहिए. इस सम्बन्ध में यह भी स्पष्ट कर दिया जाता है कि परिवीक्षा पर नियुक्त करने के आदेश जारी होने के पहले यदि उसी पद पर अस्थाई रूप से नियुक्तियां की गई हों, तो स्थाईकरण करते समय पूर्व में अस्थाई रूप से नियुक्त शासकीय सेवकों एवं परिवीक्षा पर नियुक्त व्यक्तियों को, जिन्हें स्थाईकरण के लिए उपयुक्त पाया गया हो, उनकी आपसी वरिष्ठताक्रम से, जो नियमानुसार निर्धारित की गई है, स्थाई करना चाहिए. जो व्यक्ति स्थाईकरण के लिए प्रथम अवसर पर उपयुक्त नहीं पाएं जाते, उन्हें बाद में उपयुक्त पाए जाने पर स्थाई किया जाता है, तो वे उनसे पहले स्थाई किए गए व्यक्तियों से कनिष्ठ माने जायेंगे.

(3) जिन व्यक्तियों को परिवीक्षाकाल समाप्त होने पर स्थाईकरण के लिए उपयुक्त नहीं पाया जाता है, नियुक्ति अधिकारी प्रत्येक मामले के गुण-दोष के आधार पर नियमानुसार परिवीक्षाकाल में एक वर्ष की वृद्धि कर सकता है. यदि किसी व्यक्ति को परिवीक्षाकाल समाप्त होने पर परिवीक्षा काल में वृद्धि करने के पश्चात् भी स्थाईकरण के लिए उपयुक्त नहीं पाया जाता, तो उसकी सेवाएं उक्त नियम के नियम 8(5) के अनुसार परिवीक्षाकाल पूर्ण होने की तारीख से समाप्त करनी चाहिए.

(4) यदि किसी कारणवश उपर्युक्त पैरा (3) में उल्लिखित व्यक्ति की सेवाएं समाप्त करने के आदेश नहीं निकाले जाते हैं, तो ऐसे व्यक्ति पर मध्यप्रदेश सिविल सेवा (सेवा की सामान्य शर्ते) नियम, 1961 के नियम 8 के उपनियम (7) का प्रावधान लागू होगा. यह उपनियम अपवाद स्वरूप ही किसी विशेष प्रकरण में लागू किया जाना चाहिए न कि सभी ऐसे व्यक्तियों के मामलों में, जिन्होंने परिवीक्षाकाल सफलतापूर्वक पूरा नहीं किया हो. इस श्रेणी के शासकीय सेवक उस पद पर परिवीक्षाकाल पूर्ण होने की तारीख से अस्थाई रूप से नया नियुक्त शासकीय सेवक माने जायेंगे तथा उन्हें वेतन निर्धारण एवं वरिष्ठता के लिए परिवीक्षा काल में व्यतीत की गई पूर्व सेवा का लाभ नहीं मिलेगा.

2. सभी विभागों से निवेदन है कि आपके विभाग के अधीन सेवाओं में परिवीक्षाधीन शासकीय सेवकों के स्थाईकरण के मामले उपयुक्त अनुदेश के अनुसार निपटायें जायें, जहां तक संभव हो, परिवीक्षाधीन व्यक्तियों को स्थाई करने के लिए मामला परिवीक्षाकाल समाप्त होने के दो माह पूर्व ही विचार में लिया जाए, ताकि उनके सम्बन्ध में निर्णय परिवीक्षाकाल समाप्त होने की तिथि तक लिया जा सके.


उम्‍मीद है दोस्‍तों कि आप यह समझ पाये होंगे कि यदि आप मध्‍यप्रदेश में स्‍थायी सरकारी कर्मचारी हैं तो आपको अन्‍य विभाग में सीधी भर्ती द्वारा जाने पर भी आपको पूरा वेतन मिलेगा।

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