eDiplomaMCU: हिन्‍दी लिखने व पढ़ने में सामान्‍य अशुद्धियाँ - आधिकारिक पत्रों में आजकल सामान्‍य त्रुटियाँँ

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Monday, November 22, 2021

हिन्‍दी लिखने व पढ़ने में सामान्‍य अशुद्धियाँ - आधिकारिक पत्रों में आजकल सामान्‍य त्रुटियाँँ

हिन्‍दी एक भाषा है। भाषा सिर्फ एक माध्‍यम होती है अपनी भावनाओं को व्‍यक्‍त करने का। दुनिया के सभ्‍य समाज में भाषा के मुख्‍यतया दो रूप होते हैं। प्रथम है मौखिक एवं द्वितीय है लिखित। भाषा को सुसंगत रूप में व्‍यक्‍त करने के लिए हमें व्‍याकरण का ज्ञान होना अति आवश्‍यक है, परन्‍तु हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि भाषायी त्रुटि किसी के आत्‍मसम्‍मान से बढ़कर नहीं है। 

इस लेख में हम कुछ भाषायी और वर्ण त्रुटि के बारे में बात करेंगे और आपका ध्‍यान इस ओर आकृष्‍ट कराना चाहेंगे कि किस प्रकार आज हम भाषायी त्रुटि को आम समझने लगे हैं एवं कई बार लिखा हुआ वाक्‍य कुछ और ही बखान कर दिया करता है, जो हम कहना चाहते हैं। हम आपको कुछ एडवाईस भी देना चाहेंगे ताकि आप भाषायी कमज़ोरी को अपनी कमज़ोरी न समझ लें। 

लेख प्रारम्‍भ करने से पहले मेरा सभी कार्यालय प्रमुख से निवेदन है कि आप अपने कार्यालय में किसी भी कर्मी को डांटिए मत और न ही उसे नीचा दिखाने का प्रयत्‍न करिये कि वह कितना कमज़ोर है अपने कार्यक्षेेत्र में या उसके ज्ञान के स्‍तर को गुस्‍से के पैमाने पर आंकने से बचिएगा। यकीनन कई बार टंकण/टायपिंग की वजह से और कई बार लेखक/टायपिस्‍ट/अधिकारी/कर्मचारी के सही ज्ञान न होने की वजह से हिन्‍दी लेखन में अशुद्धियां आ जाती हैं। कार्यालय प्रमुख को यह समझ लेना चाहिए कि भारत का संविधान स्‍वयं हिन्‍दी को बढ़ावा देना चाहता है, जबकि राजभाषा के नियमों में संविधान ने यह भी साफ कर दिया है कि हिन्‍दी का साहित्यिक रूप ही सर्वोपरि नहीं है, अपितु हिन्‍दी के साथ अन्‍य भारतीय भाषाओं के अल्‍फाज़ भी मिलाकर हिन्‍दी को व्‍यक्‍त करना उचित है। इसमें आप मिली-जुली अंग्रेजी का भी प्रयोग कर सकते हैं। 


मैं मध्‍यप्रदेश अभियोजन विभाग में काम करता हूँ। यह एक मध्‍यप्रदेश सरकार के अन्‍तर्गत विभाग है जोकि पुलिस विभाग का आधिकारिक सलाहकार है। मैं सहायक ग्रेड-3 के पद पर पदस्‍थ हूँ और टायपिंग आदि कार्य भी मेरे ही कार्यक्षेत्र के अन्‍तर्गत आता है। हमारा विभाग न्‍यायालय में कार्य करता है जोकि सरकार की तरफ से पुलिस कार्यवाही को उचित ठहराता है, अर्थात शासकीय वकालक का कार्य करता है। असल में मैं हिन्‍दी एवं अंग्रेजी भाषा में अच्‍छी पकड़ बनाए हूँ एवं इस बात को मैं स्‍वयं समझता हूँ कि मेरी हिन्‍दी लेखन और व्‍याकरण पर सवाल नहीं उठाया जा सकता है। परन्‍तु मैं स्‍वयं कई बार छोटी-छोटी गलतियां कर बैठता हूँ। एक बार मेरे कार्यालय प्रमुख कोर्ट साहब/अपर जिला लोक अभियोजन अधिकारी श्री सूर्य प्रसाद पाण्‍डेय सर (अभियोजन, देवसर न्‍यायालय, जिला- सिंगरौली, मध्‍यप्रदेश) पत्र लिखवा रहे थे और मैं मर गयी औरत को मृतिका लिख रहा था। असल में मैंने न्‍यायालय के कई आदेश/निर्णय को पढ़ा है जहां मरी हुई औरत को मृतिका लिखा गया। श्री सूर्य प्रसाद पाण्‍डेय सर ने मुझे समझाया कि मृतक का अर्थ होता है, मरा हुआ आदमी, जबकि मरी हुई औरत के लिए मृतका का प्रयोग होना चाहिए। उन्‍होंने यह भी बताया कि जली हुई मिट्टी का अर्थ होता है मृतिका । अब आप ही बताइए कि न्‍यायालय के निर्णय में किसी मृत औरत को मृतिका (अर्थात जली हुई मिट्टी) लिखा जाता है, और भी कई तरह की सामान्‍य त्रुटियां होती हैं। आप किसी न्‍यायालय के निर्णय या जहां मृत औरत के संबंध में, को देख लीजिए, जहां तक मेरा अनुभव है अधिकतर प्रायिकता है कि उसे मतिका लिखा जाता है। आप देख सकते हैं कि किस प्रकार वाक्‍य का पूरा अर्थ ही बदल जाता है ऐसी अशुद्धियों की वजह से। 


यह एक सामान्‍य त्रुटि है, परन्‍तु मैं इस बात को भी बताना चाहता हूँ कि मेरे कार्यालय प्रमुख कितने अच्‍छे व्‍यक्तित्‍व के मालिक रहे हैं, उन्‍होंने बहुत आसानी से मेरी गलतियों को पकड़ा और उसका अर्थ बताया। असल में मैंने कुछ कार्यालयों में देखा है कि किस प्रकार सामान्‍य त्रुटि के फलस्‍वरूप उन कर्मचारियों को कार्यालय प्रमुख से कितने ताने सुनने पड़ते हैं। अप्रत्‍यक्ष रूप से ऐसे ही सहज स्‍वभाव हिन्‍दी के प्रति प्रेम व रूचि को जागृत करता है। 

पढ़ने व लिखने के अन्‍तर को समझें- मैंने देखा है कि कई सारे आधिकारिक पत्रों में भी कुछ ऐसे शब्‍दों का प्रयोग कर दिया जाता है जो बोलने में तो सही लगते हैं, परन्‍तु लिखने में अनर्थ कर दिया करते हैं। मैं बघेलखण्‍ड क्षेत्र का रहने वाला हूँ और यहां जो हम हिन्‍दी बोलते हैं वह मध्‍य-मध्‍यप्रदेश से बेहतर एवं अधिक साहित्यिक होती है। दूसरे शब्‍दों में, स्‍थान विशेष से परे, ज्‍यादा सभ्‍य एवं पढ़े-लिखे लोग शुद्ध हिन्‍दी का प्रयोग बोलने एवं लिखने में करते हैं। मुझे याद है भोपाल के आस-पास के कुछ लोग कुछ इस प्रकार शब्‍दों का प्रयोग करते हैं- उदाहरण के तौर पर, मैं आपसे यह कहना चाहता हूँ कि मैं आपसे पहले यहां आया। इस हाईलाईटेड वाक्‍य को कुछ लोग इस प्रकार बोलेंगे - मैं आपसे यह केना चाहता हूँ कि मैं आपसे पेले यहां आया।  अब यदि वही लोग आधिकारिक पत्रादि लिखने बैठ जाएंगे तो अर्थ का अनर्थ होना तय ही है। मेरा मतलब यहां किसी को कमतर आंकना नहीं है, अपितु इस बात को दर्शित करना है कि कई बार हम कुछ ऐसी गलतियां भी कर बैठते हैं, जो हम अक्‍सर बोला करते हैं। 

निर्वाचित जैसे शब्‍दों में कर्ब के का उच्‍चारण स्‍थान एवं प्रयोग- मेरा मतलब का प्रयोग एवं उच्‍चारण जो कि किसी वर्ण के ऊपर विरीत दिशा में किया जाता है। नीचे फोटो में आप देख पाएंगे कि यह पत्र भोज महाविद्यालय भोपाल का है और इस आधिकारिक पत्र में किस तरह की त्रुटियां हुई हैं। 
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म.प्र. भोज की एक अधिसूचना पत्र

उपर्युक्‍त अधिसूचना में कुल गलतियां हैं एवं उसके पीछे के सामान्‍य कुछ कारणों पर मैं बात करना चाहूँगा। 

1. प्रबंध बोर्ड की 88वीं बैंठक - बैंठक कोई शब्‍द ही नहीं होता, बैठक होता है। इसमें टायपिस्‍ट की टायपिंग त्रुटि या उसके शब्‍द अनभिज्ञता के बारे में अनुमान लगाया जा सकता है। असल में कुछ लोग कई सामान्‍य शब्‍दों के प्रयोग के दौरान भी नासिका का प्रयोग करते हैं, और ऐसे ही लोग जब कोई पत्रादि का लेखन करते हैं तो बोलने अनुसार लिखने में में ( ंं) की मात्रा का प्रयोग कर दिया करते हैं। 

2. लिये गये निर्णय अनुसांर - अनुसांर जैसा कोई शब्‍द नहीं है। इसमें भी उपयुक्‍त की भाँँति त्रुटि समझ आती है। 

3. सज़ा काट रहें- यहाँँ पर व्‍याकरणिक त्रुटि है। रहें शब्‍द का प्रयोग कहीं-कहीं होता है, परन्‍तु वाक्‍य की शुचिता को ध्‍यान में रखकर। उदाहरण- आप सभी सजग रहें। 

4. कैदीयों के पूर्नवास- एकवचन में कैदी सही है, परन्‍तु बहुवचन में कैदियों होना चाहिए। व्‍याकरणिक है। पूर्नवास जैसा कोई शब्‍द नहीं है, यहां पर लेखक पुनरवास बोलना तो जानता है, परन्‍तु लिखने में व्‍याकरण की अनभिज्ञता प्रतीत होती है। सही लेखन है- पुनर्वास । असल में (र्) है वह शब्‍द जो आप व के ऊपर देख रहे हैं, एवं इसका प्रयोग जिसके ऊपर यह लगता है उससे पहले उच्‍चारण किया जाता है। 

प्रिय दोस्‍तों, कहने को और लिखने को बहुत कुछ है। परन्‍तु सीखने को उससे भी अधिक है। इसीलिए कभी भी हिन्‍दी लेखन में अशुद्धियाेंं को आधार बनाकर उसके सही अर्थ से समझौता नहीं करना चाहिए। परन्‍तु हम सभी कोशिश करना चाहिए कि हम सही हिन्‍दी लिखने का प्रयत्‍न करें, क्‍योंकि सही और शुद्ध हिन्‍दी लिखने से आधिकारिक पत्रों की शोभा बढ़ जाती है। 

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