जम्मू कश्मीर के सरकारी कर्मचारियों को अब केन्द्र के समान 31 प्रतिशत मंहगाई भत्ता मिलेगा। पूर्व में जम्मू कश्मीर के कर्मचारियों को केन्द्र के ही समान 28 प्रतिशत मंहगाई भत्ता मिल रहा था। अब बढ़ा हुआ 3 प्रतिशत मंहगाई भत्ता केन्द्रीय तिथि के अनुसार जुलाई 2021 से ही मिलेगा, अर्थात बकाया महीने का एरियर भी मिलेगा। मज़े वाली बात यह है कि जम्मू कश्मीर के सरकारी कर्मचारियों को केन्द्र के ही समान आवास भत्ता (HRA) 27 प्रतिशत और नियमानुसार मिलता है।
वहीं दूसरी तरफ मध्यप्रदेश के सरकारी कर्मचारी पाई-पाई को मोहताज़ हैं। मध्यप्रदेश के सरकारी कर्मचारियों को सबसे कम सिर्फ 20 प्रतिशत मंहगाई भत्ता मिल रहा है और ध्यान देने वाली बात यह है कि जब पिछले महीने सरकार ने 8 प्रतिशत मंहगाई भत्ता बढ़ाने के आदेश दिये थे तो पूर्व में मारे गये मंहगाई भत्ता एवं उसके एरियर का कोई उल्लेख नहीं किया। मध्यप्रदेश के सरकारी कर्मचारी मंहगाई भत्ता, आवास भत्ता एवं लिपिक वेतन विसंगति दूर कराने के लिए दोबार पिछले महीने अक्टूबर में आन्दोलन का रूख अपना लिये थे एवं ज्ञापन सौंपने के दो चरण भी सम्पन्न हो गये थे। परन्तु सरकार ने 20 अक्टूबर 2021 को 8 प्रतिशत मंहगाई भत्ता बढाने का ऐलान कर दिया, फलस्वरूप मध्यप्रदेश अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त मोर्चा ने अग्रिम सभी आन्दोलन को स्थगित करते हुए 21 नवम्बर 2021 तक के लिए स्थगन कर दिया था। याद रखिये कि 5 प्रतिशत जोकि जुलाई 2019 से मंहगाई भत्ता कमलनाथ सरकार ने बढ़ाया था उसे शिवराज सरकार ने रोक दिया था और कुल मिलाकर देखा जाए तो डेढ़ साल में सिर्फ 3 प्रतिशत मंहगाई भत्ता शिवराज सरकार ने अपने कर्मचारियों को दिया। बकाया आप इस बात का अंदाजा लगा ही सकते हैं कि किस तरह से मध्यप्रदेश की सरकार लगातार अपने कर्मचारियों का शोषण कर रही है।
22 अक्टूबर 2021 को मध्यप्रदेश अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त मोर्चा भोपाल में ज्ञापन सौंपने का कार्यक्रम रखा था, परन्तु पिछले ही दिन बढे हुए 8 प्रतिशत मंहगाई भत्ते की वजह से कार्यक्रम का स्थगन कर दिया गया। और आगे बोला कि प्रदेशव्यापी हड़ताल 21 नवम्बर 2021 को किया जाएगा। दुखद बात है कि आज अब कुछ समय ही बकाया है 21 नवम्बर आने को और किसी भी प्रकार का कोई भी आन्दोलित कदम मध्यप्रदेश अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त मोर्चा द्वारा नहीं उठाया जा रहा है।
यदि मध्यप्रदेश के सरकारी कर्मचारी यह सोच रहे हैं कि उनको मंहगाई भत्ता और अन्य मांगें अगले साल पूरी कर दी जाएंगी, तो वो गलत है। सरकार का पूरा मन है कि जितनी देरी हो सके उतना ही अच्छा। लाख रूपये का नुकसान झेल चुके मध्यप्रदेश के सरकारी कर्मचारी अब चुप नहीं रहने वाले। दोस्तों, हम वीडियो और लेख के माध्यम से सरकारी कर्मचारियों की इस लड़ाई को सही अन्जा़म तक ले जाने के लिए प्रयासरत हैं। आप इस लेख को प्रत्येक सरकारी कर्मचारी तक पहु़चायें और बता दें सबको कि अब और इन्तज़ार हम नहीं करेंगे, हमें हमारा हक़ चाहिए।
एक सम्भावना यह भी है कि नये साल तक पंचायतीराज का चुनाव मध्यप्रदेश में हो जाएगा और उसके बाद कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन लगने की भी संभावना रहेगी, मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार यह बहाना भी बना सकती है कि हमारी आर्थिक स्थिति पुन: कमज़ोर हो गयी है और एक साल तक देरी बनाये रखेगी। इस प्रकार मध्यप्रदेश के सरकारी कर्मचारी पाई-पाई के लिए मोहताज़ ही रहेंगे और यही मारा गया उनके हक़ का रूपया अवैधानिक कार्यों में भी लगाया जा सकता है।
नोट- इस लेख में मध्यप्रदेश सरकार या उसके किसी भी योजना की बुराई नहीं की गयी है। लेख का उद्देश्य एक बेहतर मध्यप्रदेश बनाने के लिए मध्यप्रदेश के ही सरकारी कर्मचारियों के हित की बात की गयी है। लेखक मध्यप्रदेश की उन्नति चाहता है एवं किसी भी प्रकार किसी भी राजनैतिक पार्टी से खुद न तो संबंध रखता और न ही किसी को ऐसा करने के लिए प्रेरित करता है। आगे 2023 में मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव है, अत: लेखक बिल्कुल भी चुनावी पार्टियों/गतिविधियों का समर्थन नहीं करता है, बल्कि मेहनतकश सरकारी कर्मचारियों को उनकी मांगों को पूरा कराने के लिए एक रूपरेखा देना चाहता है।
मध्यप्रदेश सरकारी कर्मचारी के मंहगाई भत्ते, आवास भत्ते, लिपिक वेतन विसंगति, पुरानी पेंशन योजना आदि से संबंधित जानकारी सबसे पहले पाने के लिए डिजिटल साफ्ट हब यूट्यूब चैनल पर जाएं।
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