eDiplomaMCU: अण्‍डरएम्‍प्‍लायमेंट के दौर से गुजर रहे मध्‍यप्रदेश के लिपिक कर्मचारी - लिपिक वेतन विसंगति

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Saturday, September 3, 2022

अण्‍डरएम्‍प्‍लायमेंट के दौर से गुजर रहे मध्‍यप्रदेश के लिपिक कर्मचारी - लिपिक वेतन विसंगति

अण्‍डरएम्‍प्‍लॉयमेंट एक ऐसी परिस्थिति होती है जबकि कोई व्‍यक्ति नौकरी तो पा लेता है परन्‍तु उसके सामर्थ्‍य/स्किल का सही सदुपयोग नहीं हो पाता, फलस्‍वरूप उसे कम वेतन मिलता है और ऐसे में उस व्‍यक्ति को जीवन-यापन करने में कठिनाई होती है। यह बात समझ लेना बहुत ज़रूरी है कि अण्‍डरएम्‍प्‍लॉयमेंट यदि प्रायवेट सेक्‍टर में है तब तो उस व्‍यक्ति के कौशल का सही प्रयोग नहीं किया जा रहा होता, क्‍योंकि प्रायवेट संस्‍थाओं में आपके कार्यप्रकृति अनुसार आपको वेतन दिया जाता है, परन्‍तु मध्‍यप्रदेश सरकार में कार्यरत लिपिकीय कर्मचारियों के कौशल एवं योग्‍यता का तो भरपूर प्रयोग किया जाता है किन्‍तु जब वेतन और भत्‍तों की बात आती है तो लिपिकीय कर्मचारी को अण्‍डरएम्‍प्‍लॉयमेंट सेक्‍शन में ढकेल दिया जाता है। 

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म.प्र. लिपिक वेतन विसंगति 

मुझे समझ नहीं आ रहा कि मध्‍यप्रदेश लिपिक वेतन विसंगति को अण्‍डरएम्‍प्‍लॉयमेंट का नाम दूँ अथवा नहीं, क्‍योंकि अण्‍डरएम्‍प्‍लॉयमेंट की परिस्थिति में कोई व्‍यक्ति अपनी योग्‍यता अनुरूप नौकरी पाने में असमर्थ रहता है और उसे कम स्‍तर के नौकरी करने में विवश होना पड़ता है, जबकि मध्‍यप्रदेश लिपिक कर्मचारियों की आज भर्ती योग्‍यता ही उच्‍च है क्‍योंकि उनकी वर्क प्रोफाईल उस स्‍तर की है।

मध्‍यप्रदेश के लिपिक कर्मचारियों की वित्‍तीय/आर्थिक स्थिति अत्‍यंत दयनीय हो चुकी है। पूर्व में कुछ वर्षों में जितने भी वेतन आयोग आये हैं, सभी में लिपिकों के साथ हो रहे अन्‍याय को नज़रअन्‍दाज किया गया है। फलस्‍वरूप आज मध्‍यप्रदेश का लिपिक चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के समतुल्‍य हो चुका है, उसके साथ वैसा व्‍यवहार किये जाने की भी कोशिश की जाती है क्‍योंकि उसका वेतन कम है। लिपिकीय कर्मचारी आज उदाहरण तौर पर व्‍यापम ग्रुप-2 सबग्रुप-4 से भर्ती होने वालों की योग्‍यता स्‍नातक+पीजीडीसीए+फुल सीपीसीटी है, परन्‍तु इनका वेतन किसी भी 10वीं पास भर्ती वाले मध्‍यप्रदेश सरकारी कर्मचारियों से कम है। आज के दौर में मध्‍यप्रदेश का लिपिक कर्मचारी सिर्फ कुछ हज़ार रूपये अधिक वेतन उन कर्मचारियों से अधिक पा रहा है जो अनपढ़/5वीं/8वीं पास योग्‍यता के आधार पर भर्ती हो रहे हैं।

मध्‍यप्रदेश के लिपिक कर्मचारियों के साथ हो रहे इस अन्‍याय की तरफ न तो मीडिया ध्‍यान दे रही और न ही इस विसंगति को जन्‍म देने वाले इसके जिम्‍मेदार। समाज में जब कोई लोगों की भलाई के लिए सरकार के द्वारा कोई योजना लाई जाती है तो उसकी सख्‍त तौर पर ज़रूरत एक लिपिक कर्मचारी को भी होती है क्‍योंकि आज के दौर में अत्‍यल्‍प वेतन में लिपिक कर्मचारी बढ़ती महंगाई के बीच अच्‍छे से जिन्‍दगी व्‍यतीत कर पाने में असमर्थ है। मध्‍यप्रदेश के लिपिक कर्मचारियों पर कार्यालय की जिम्‍मेदारी और योग्‍यता तो बढ़ा दी गई, परन्‍तु वेतन नहीं बढ़ाया गया। कभी लिपिक कर्मचारियों से बेहद कम वेतन पा रहे संवर्ग भी लिपिकीय अमले से कहीं अधिक वेतन पाने लगे हैं। लिपिक कर्मचारी आज सामाजिक, मानसिक, आर्थिक प्रताड़ना का शिकार हो चुका है। लिपिक कर्मचारियों से वेतन विसंगति दूर कराने के वायदे आये दिन किये गये, परन्‍तु शायद यह किसी की सुनियोजित एक योजना ही रही है कि लिपिक कर्मचारियों को इस अमानवीय परिस्थिति का सामना करने को मज़बूर किया जाना था। आज लिपिक कर्मचारी अपने परिवार की जिम्‍मेदारी नहीं सम्‍भाल पा रहा, लिपिक को महंगाई भत्‍ता, आवास भत्‍ता के इतर अन्‍य कोई भत्‍ता नहीं मिल रहा और आवास भत्‍ता भी इतना कि कोई 1 दिन के लिए अपने घर में रहने को जगह न दे। अपनी खोई हुई परिस्थिति की वजह से लिपिकीय कर्मचारियों को चपरासी के समतुल्‍य देखा जाने लगा है, फलत: योग्‍य होने के बाद भी लिपिक को तिरस्‍कार का सामना करना पड़ रहा है। 

सरकार की सभी योजनाओं का ह्रदयपूर्वक सम्‍मान करते हुए लेखक स्‍पष्‍ट करना चाहता है कि आज लिपिक कर्मचारियों को अत्‍यंत दबाव व कार्यकुशलता के साथ काम करने के बावजूद भी उसे इतना कम वित्‍तीय अर्थ प्राप्‍त होता है कि एक आम इंसान जो सरकार की विभिन्‍न योजनाओं का फायदा बिना कुछ किये मुफ्त में लेता है, वह उस लिपिक से ज्‍यादा वित्‍तीय लाभ प्राप्‍त कर रहा होता है। लिपिक कर्मचारी लगभग सभी सरकारी योजनाओं का लाभ पाने से वंचित हो जाते हैं, परन्‍तु आज सबसे अधिक यदि किसी को सहारे की ज़रूरत है तो वह मध्‍यप्रदेश का लिपिकीय कर्मचारी ही है।

जब कभी लिपिकीय कर्मचारियों की भर्ती में योग्‍यता बढ़ाई जाती है तो उन जिम्‍मेदारों को इस बात का एहसास क्‍यों नहीं होता कि लिपिक जिस योग्‍यता पर भर्ती हो रहा है - जिस स्‍तर के परीक्षा को पास कर वह मध्‍यप्रदेश लिपिकीय सेवा में आ रहा है उसका स्‍तर आज के 3600/- ग्रेड पे पाने वाले पुलिस उप-निरीक्षक से भी अधिक है। सीपीसीटी को जब लिपिकीय कर्मचारियों के लिए अनिवार्य कर दिया गया तो क्‍या इस बात का ध्‍यान नहीं था कि उसका वेतन एक चपरासी के समतुल्‍य है उसे भी बढ़ाया जाना चाहिए। आज मध्‍यप्रदेश के लिपिक के मन में हज़ारों ऐसे प्रश्‍न हैं, लेकिन आज भुखमरी, बदहाली और असहायता के दौर से गुजर रहे मध्‍यप्रदेश लिपिक कर्मचारी भीगी ऑंखों से और आस भरी निगाह से लिपिक वेतन विसंगति दूर हो जाने का इंतज़ार कर रहे हैं।

वीडियो देखें - अण्‍डरएम्‍प्‍लायमेंट के दौर से गुजर रहे मध्‍यप्रदेश के लिपिक कर्मचारी - लिपिक वेतन विसंगति


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