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Saturday, August 27, 2022

मध्‍यप्रदेश सरकारी कर्मचारियों की रिटायरमेंट की उम्र 62 से 65 वर्ष - प्रस्‍ताव का विश्‍लेषण

मध्‍यप्रदेश सरकार ने अपने सरकारी कर्मचारियों के रिटायरमेंट की उम्र 60 से 62 वर्ष सन् 2018 में कर दिया था। यह फैसला ऐन वक्‍त पर लिया गया था जबकि बहुत सारे सरकारी कर्मचारी रिटायर होने वाले थे। सरकार ने यह फैसला किस वजह से लिया यह बता पाना मुश्किल है, परन्‍तु तात्‍कालिक समाचार ख़बरों की मानें तो सरकार ने यह फैसला दो वजहों से लिया - या तो उस वक्‍त सरकारी विभागों में कर्मचारियों की कमी थी और रिटायरमेंट के बाद सरकारी कार्यालयों में कार्यकुशलता दुष्‍प्रभावित होता अथवा सरकार के बाद रिटायर होने वाले कर्मचारियों को एकमुश्‍त पैसा दे पाना मुमकिन नहीं था क्‍योंकि सरकार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी। आज पुन: लगभग 4 साल बाद, पिछले विधानसभा चुनाव से पहले की तरह लगभग उसी समय मध्‍यप्रदेश के सरकारी कर्मचारियों की रिटायरमेंट की उम्र 62 से बढ़ाकर 65 वर्ष करने की कवायद शुरू हो गई है। तो इस लेख में हम विभिन्‍न पहलुओं पर बात करेंगे और साथ ही समझेंगे कि यदि सरकार रिटायरमेंट की आयुसीमा में वृद्धि कर देती है तो इसके क्‍या परिणाम हो सकते हैं।

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रिटायरमेंट और बेराजगारी म.प्र.

वास्‍तव में रिटायरमेंट की आयु सीमा बढ़ाने के लिए कुछ कर्मचारी संगठनों ने ज्ञापन के माध्‍यम से सरकार के समक्ष प्रस्‍ताव काफी समय पहले से ही रखा है। उनका तर्क यह भी रहा है कि सरकार कुछ विभागों के कर्मचारियों के रिटायरमेंट की उम्र 65 वर्ष निर्धारित की है तो अन्‍य विभागों के साथ यह भेदभाव क्‍यों हो रहा है। दिनांक 26/08/2022 को माननीय रमेश चन्‍द्र शर्मा, अध्‍यक्ष, राज्‍यमंत्री दर्जा, म.प्र. राज्‍य कर्मचारी कल्‍याण समिति जी के द्वारा माननीय मुख्‍यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी को एक प्रस्‍ताव प्रेषित किया गया कि सरकार सरकारी कर्मचारियों के रिटायरमेंट की उम्र 62 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष कर दे। आधिकारिक पत्र कुछ निम्‍नवत है - 

''विभिन्‍न कर्मचारी संघों के प्रतिनिधियों द्वारा उल्‍लेख किया गया है कि शासकीय विभागों में लगातार अधिकारी एवं कर्मचारियों की कमी होने के कारण शासकीय कार्य प्रभावित हो रहा है, इसलिये कार्य की अधिकता को दृष्टिगत रखते हुए अधिवार्षिकी आयु 62 वर्ष के स्‍थान पर 65 वर्ष की जाये।

चिकित्‍सा शिक्षा विभाग, उच्‍च शिक्षा, तकनीकि शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य विभाग के चिकित्‍सक आदि की अधिवार्षिकी आयु 65 वर्ष है।

प्रदेश में शासकीय योजनाओं के क्रियान्‍वयन हेतु प्रदेश के अधिकारियों/कर्मचारियों की महत्‍वपूर्ण भूमिका रहती है, इनकी संख्‍या निरंतर कमी होने से एवं अनुभवी अधिकारियों/कर्मचारियों के अभाव में शासकीय कार्य प्रभावित हो रहा है।

पिछले वर्षों में नई भर्ती नहीं होने एवं विभिन्‍न विभागों में हजारों पद रिक्‍त होने तथा प्रतिमाह सैकड़ों अधिकारी एवं कर्मचारी सेवानिृत्‍त हो रहे हैं। आगामी विधानसभा एवं लोकसभा के निर्वाचन को सम्‍पन्‍न कराने हेतु अनुभवी अधिकारियों एवं कर्मचारियों की आवश्‍यकता होगी।

अनुरोध है कि शासकीय विभागों में नई भर्ती होने तक तथा शासकीय विभागों में रिक्‍त पदों को दृष्टिगत रखते हुए प्रदेश के अधिकारी एवं कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु 62 वर्ष से बढ़ाये जाने का अनुरोध है।''

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रिटायरमेंट की उम्र 62 वर्ष से 65 वर्ष होने में सरकार पर बढ़ेगा आर्थिक दबाव - इस लेख को लिखते समय मुझे इस बात का ज्ञान है कि सरकार की भलाई के लिए ही मेरे वक्‍तव्‍य हों न कि भ्रामक। सरकार एक आमजन से मिलकर आमजन के लिए होती है, ऐसे में सरकार की समस्‍या को हमें समझने की ज़रूरत है। सरकारी विभागों में कार्यरत अधिकतर कर्मचारी अभी भी पुरानी पेंशन योजना अंतर्गत आते हैं जिनके रिटायरमेंट के समय सरकार को ग्रेच्‍युटी, पेंशन आदि की व्‍यवस्‍था करनी पड़ती है। इसी आर्थिक दबाव को कम करने के लिए कई राज्‍य सरकारों ने तात्‍कालिक केन्‍द्रीय सरकार के फैसले का समर्थन करते हुए नई पेंशन योजना को अंगीकार किया। इस सरकार द्वारा कर्मचारियों की अधिवार्षिकी आयु 62 से बढ़ाकर 65 वर्ष कर दिया जाता है तो सरकार पर अप्रत्‍याशित आर्थिक दबाव बन जाएगा। क्‍योंकि जब सरकारी कर्मचारी रिटायरमेंट के करीब होता है तो उसका वेतन सर्वोच्‍च स्‍तर पर होता है, यदि आगामी कुछ वर्ष और सेवा में जोड़ दिये जाऍंगे तो मिलने वाला वेतनवृद्धि समेत विभिन्‍न भत्‍ता भी उस स्‍केल के सर्वोच्‍च स्‍तर पर होगा जो निश्चित तौर पर आर्थिक दबाव कारित करेगा, फलत: रिटायरमेंट के बाद उस कर्मचारी को मिलने वाला पेंशन भी अधिक होगा क्‍योंकि उसका अंतिम मूल वेतन अधिक स्‍तर का रहा है।

विभागों में हैं पद खाली, तो हो भर्ती - सरकार पर एक तरफ तो पुरानी पेंशन बहाल करने का दबाब बनता जा रहा है, तो दूसरी तरफ नियमित कर्मचारी भी अन्‍य भत्‍ते जैसे डीए एरियर केन्‍द्रीय तिथि से, आवास भत्‍ता आदि की मॉंग करते नज़र आ रहे हैं। सरकार रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने के बजाय यदि भर्ती प्रक्रिया शुरू करने का रास्‍ता चुनती है तो वह अधिक सही रहेगा। वैसे तो भर्ती में काफी व्‍यवधान आने वाला है, जैसे कि संविदा, आउटसोर्स आदि पर कार्यरत कर्मचारी चाहते हैं कि पहले उनको नियमित कर दिया जाए, तत्‍पश्‍चात् आगे बचे पदों पर भर्ती की कार्यवाही हो।

रिटायरमेंट की उम्र 50 वर्ष करना लाभकारी होगा - जिस प्रकार से केन्‍द्रीय स्‍तर पर अग्निवीर की सेना पर भर्ती हुई है उसी एल्‍गॉरिदम को समझा जाए तो बढ़ती उम्र के साथ कार्यदक्षता कम होती जाती है तथा सरकार के कोष पर बोझ बढ़ता जाता है। क्‍योंकि म.प्र. में भी आये दिन पुरानी पेंशन बहाली का दबाव बनेगा, इसलिए सरकार यदि रिटायरमेंट की उम्र सीमा कम कर दे तो उस कर्मचारी को दी जाने वाली अंतिम सैलरी भी कम होगी, अपेक्षया उसे कम पेंशन मिलेगी। दूसरी तरफ रिटायरमेंट की आयुसीमा कम हो जाने से आवर्ती आधार पर रिटायरमेंट प्रक्रिया चलने लगेगी जिससे नये रोजगार के अवसर भी युवाओं को प्राप्‍त होंगे। क्‍योंकि सरकारी कर्मचारी को तब पेंशन मिल रही होगी तो 50 साल उम्र के बाद भी उसे कुछ नया करने या अपनी जिन्‍दगी गुजर-बसर करने में कोई तकलीफ न होगी। क्‍योंकि समय के साथ परिवर्तित योग्‍यता जैसे कम्‍प्‍यूटर दक्षता की आवश्‍यकता भी सरकारी कर्मचारियों में होती है जो अधिकतया रिटायरमेंट के करीब उम्र के उस पड़ाव में उन्‍हें सीखना भी मुश्लिक हो जाता है। इसलिए नये युवाओं को मौका दिये जाने के लिए भी रिटायरमेंट की सीमा कम कर देनी चाहिए।

जहाँ तक बात रही आगामी चुनाव कैसे सम्‍पन्‍न कराया जाए तो इसके लिए सरकार को ही कोई विकल्‍प का चयन करना होगा क्‍योंकि कुछ कर्मचारियों द्वारा कयास तो यह भी लगाया जा रहा है कि पुरानी पेंशन प्राप्‍तकर्ता ही जानबूझकर रिटायरमेंट सीमा बढ़वाना चाहते हैं ताकि वह अधिक पेंशन के हकदार हो पाऍं। असलियत क्‍या है यह तो सरकार के आधिकारिक वक्‍तव्‍य से ही पता चलेगा, हम इस सम्‍बंध में आपकी राय जानना चाहते हैं।

वीडियो देखें - म.प्र. सरकारी कर्मचारियों के रिटायरमेंट की उम्र 65 वर्ष होने वाली है । भेजा गया सरकार को प्रस्‍ताव


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