कुछ समय पहले मध्यप्रदेश के माननीय गृहमंत्री श्री नरोत्तम मिश्रा जी ने ट्वीट एवं वक्तव्य के ज़रिये सरकारी कर्मचारियों के विभिन्न वर्गों को व्यापम/ईएसबी द्वारा आयोजित परीक्षा में प्राप्तांक का 5 प्रतिशत बोनस अंक एवं आयु में 55 वर्ष तक की छूट देने का प्रावधान किया था। इस लेख में मेरे द्वारा यह बोलकर की सरकार की नीति गलत रही या गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया, यह सही न होगा। लेकिन जिस प्रकार से इस घोषणा का प्रचार-प्रसार किया गया एवं बाद में जब सरकारी भर्ती में इसी मिसकम्युनिकेशन की वजह से कई सरकारी कर्मचारियों की जिन्दगी बर्बादी की राह पर चली गई, यह भी दु:खद एवं दर्दनाक दासताँ है।
5 प्रतिशत बोनस अंक |
आगे बढ़ने से पहले मैं अभिषेक त्रिपाठी, मेरे साथ हुये दर्दनाक पहलू को साझा करना चाहूँगा और उम्मीद करूँगा कि आप पाठक कभी भी इस प्रकार की गलती न करें। मुझ तक भी यह ख़बर ऐसे ही पहुँची की सरकारी कर्मचारियों को 5 प्रतिशत बोनस प्राप्तांक का एवं आयु में 55 वर्ष तक की छूट देने का प्रावधान कर दिया गया है। मैं इस सिलसिले में कई प्रकार से पूँछतॉंछ करने की कोशिश किया परन्तु प्रत्येक जगह से यही आश्वासन एवं ख़बर आई कि सरकारी कर्मचारियों को 5 प्रतिशत प्राप्तांक पर बोनस का प्रावधान है। ग्रुप-2 सबग्रुप-4 संयुक्त भर्ती परीक्षा - 2022 के लिए मैंने 6 जनवरी को फार्म भर दिया एवं कार्यभारित एवं आकस्मिकता निधि से वेतन पाने वाले कर्मचारियों को उक्त घोषणा अनुसार पाते हुए नियमित कर्मचारी होते हुए भी विशेष लाभ के हॉं सेक्शन का चयन कर लिया। मुझे इस बात का ज्ञान 2 फरवरी अर्थात् ग्रुप-2 सबग्रुप-4 संयुक्त भर्ती परीक्षा - 2022 के संशोधन के अंतिम तिथि 30 जनवरी 2023 के बाद पता चली। मैं तुरन्त ईएसबी कॉल करने लगा, मेल किया, वहॉं जाकर लेटर दिया, निवेदन किया लेकिन कुछ प्रतिफल न मिला।
महत्वपूर्ण - सरकार की नीति कि सरकारी कर्मचारियों को 5 प्रतिशत प्राप्तांक पर बोनस दिया जाएगा, सही है, परन्तु उनके लिए जो डेली वेज पर अथवा आउटसोर्स के माध्यम से विशेष मद से वेतन पा रहे हैं। परन्तु आम कर्मचारी तक यह जानकारी गलत तरीके से पहुँची और भारी नुकसान हुआ। कुल मिलाकर सरकारी कर्मचारियों के लिए सरकार की कोई विशेष योजना नहीं है जो कि कर्मचारी चयन मण्डल द्वारा आयोजित परीक्षा में 5 प्रतिशत प्राप्तांक के बोनस का प्रावधान रखती हो।
अपने शब्दों को विराम कुछ इस प्रकार देना चाहूँगा कि इस भूल (मुझ तक पहुँची गलत जानकारी) ने मेरे सपने तोड़ दिये, उनकी नज़र में अब मैं सिर्फ वह इन्सान रह गया जो काब़ीलियत नहीं रखता, वैसे मॉक टेस्ट आदि में मेरी 4-13-27 कुछ ऐसी रैंक लग रही थी। मुझे लिपिकीय 1900/- ग्रेड पे की नौकरी करते 3 साल 7 माह से भी अधिक हो गये। जब मेरी उम्र कुछ कम थी तो यह नौकरी ख़राब न थी, परन्तु दूसरी तरफ लिपिकों का खुलेआम शोषण और लिपिक वेतन विसंगति दूर न करना इस पद के प्रति कुण्ठा और जिन्दगी के प्रति हीन भावना ही पैदा की है। उक्त भर्ती परीक्षा में बैठने का भी मुझे कोई लाभ नहीं होगा बल्कि दोगुना दु:ख होगा कि मेरिट प्राप्त करने के बाद भी मुझे डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन में बाहर कर दिया जाएगा। इसे मैं अपने प्रारब्ध के रूप में स्वीकार करता हूँ, परन्तु यह जिन्दगी उदास होने और कुण्ठा में रहरहकर जीने के लिए नहीं है। इंसान जहॉं भी है, खुश रह सकता है, अच्छा कर सकता है। इस बीच मुझे बहुत सारे ऐसे साथियों का साथ मिला जिन्होंने मेरे स्तर, मेरी सद्भावना को समझा व सराहा एवं मेरे दुख को सुनकर मुझ पर बीत रहे तीव्र ज्वर, पीड़ा आदि को कम करने में मदद किया, उन सभी का मैं शुक्रगुजार रहूँगा।
यह दु:खद है कि कोई योजना या निर्णय आमजन तक इस प्रकार पहुँचाया जाता है कि भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो जाए, एवं परिणामस्वरूप हुये नुकसान की भरपाई वह ख़बर प्राप्त करने वाला होता है जिसने गलत ढंग से प्रस्तुत ख़बर को सच मान लिया हो। अंतत: यही कि कर्मचारी चयन मण्डल, भोपाल द्वारा आयोजित परीक्षाओं में सरकारी कर्मचारियों को प्राप्तांक का 5 प्रतिशत बोनस मिलने का कोई प्रावधान नहीं है, यह पूर्णतया भ्रामक और असत्य ख़बर थी जिनसे कई नियमित सरकारी कर्मचारियों को भ्रम में रखा एवं बुरा परिणाम दिया।
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