eDiplomaMCU: छत्‍तीसगढ़ सरकार देगी 2500/- रू. बेरोजगारी भत्‍ता 4 साल के लिए : म.प्र. युवा स्‍वाभिमान योजना से किस प्रकार अलग है?

Translate to my Language

Thursday, February 16, 2023

छत्‍तीसगढ़ सरकार देगी 2500/- रू. बेरोजगारी भत्‍ता 4 साल के लिए : म.प्र. युवा स्‍वाभिमान योजना से किस प्रकार अलग है?

इस सत्र 2023 में मध्‍यप्रदेश, छत्‍तीसगढ़ एवं राजस्‍थान में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में इन राज्‍यों में विभिन्‍न योजनाऍं लागू कराई जा रही हैं। अभी हाल ही में छत्‍तीसगढ़ की सरकार ने युवा बेरोजगारों को 2500/- रू. प्रति माह बेरोजगारी भत्‍ता देने की घोषणा की है। मुझे याद है इसी प्रकार की बेरोजगारी भत्‍ता योजना 2018 में मध्‍यप्रदेश में युवा स्‍वाभिमान योजना नाम से लागू की गई थी। छत्‍तीसगढ़ में बेरोजगारी भत्‍ता के रूप में जो भी आर्थिक सहायता युवाओं को प्राप्‍त होगी वह कितनी कारगार होगी, यह देखने वाली बात है।

लोड हो रहा है...
बेरोजगारी भत्‍ता

छत्‍तीसगढ़ की सरकार आगामी वित्‍तीय वर्ष से ही 2500/- रू. प्रतिमाह बेरोजगारी भत्‍ता देने की योजना बना रही है। मध्‍यप्रदेश में कमलनाथ जी की सरकार ने 2019 में बेरोगजारी भत्‍ता (म.प्र. युवा स्‍वाभिमान योजना) देना शुरू किया था। असल में मध्‍यप्रदेश में युवा स्‍वाभिमान के तहत बेरोजगार युवाओं को विभिन्‍न विषयों/क्षेत्रों से सम्‍बंधित कार्यशैली का प्रशिक्षण दिया जा रहा था और साथ ही कुछ दिन कार्य भी लिया जा रहा था। इस योजना के तहत युवाओं की कौशलता को बढ़ाने पर ध्‍यान दिया जा रहा था। मैं स्‍वयं इस योजना के अंतर्गत रजिस्‍टर्ड हुआ था, जबकि मेरी म.प्र. शासन में नौकरी लग चुकी थी, परन्‍तु  ज्‍वाईनिंग नहीं हुई थी। इसलिए मैं इस योजना में अधिक रूचि नहीं रखा परन्‍तु मेरे कई दोस्‍तों ने इसे ज्‍वाईन किया। 

जहॉं तक मैं देख पाता हूँ युवा स्‍वाभिमान योजना जिसे बेरोजगारी भत्‍ते के रूप में परिचय कराया गया था, एक अच्‍छी योजना थी परन्‍तु हक़ीकत में उतनी कारगार साबित नहीं हो पाई। सरकार का विजन अच्‍छा था कि युवाओं को कौशल की शिक्षा देकर बदले में कुछ आर्थिक सहायता कर दी जाए, परन्‍तु कौशल प्रदाय का स्‍तर अथवा पारदर्शिता का अभाव दिखा। बेशक युवा स्‍वाभिमान योजना से कई युवाओं को लाभ प्राप्‍त हुआ परन्‍तु यह एक क्षणिक दिखावा मात्र जैसा प्रतीत हुआ। 

यहॉं मैं यह बताने का प्रयास कर रहा हूँ कि यदि सरकारें चाहें तो ऐसी योजनाऍं नियमित तौर के लिए ला सकती हैं। दुर्भाग्‍य इस बात का है कि स्‍कूली जिन्‍दगी में विद्यार्थी किताबी ज्ञान के सिवाय औद्योगिक अथवा प्रैक्टिकल कुछ सीखे नहीं होते और जब उनका सामना इस दुनिया/बाजार से होता है तो वह बेसहारा और असहाय प्रतीत होते हैं। आज भारत में, प्रमुखतया म.प्र.-छ.ग. जैसे राज्‍यों में बेरोजगारी की मुख्‍य वजह यही है कि बाज़ार की ज़रूरत के अनुसार हमारा प्रशिक्षण नहीं होता है, बल्कि हम चन्‍द रास्‍तों को ही ध्‍यान में रखकर चल रहे होते हैं जिन रास्‍तों पर अधिक भीड़ होती है। म.प्र. युवा स्‍वाभिमान योजना इसी विचारधारा के प्रति क्रांति रही है, इस योजना में युवाओं के कौशल को बढ़ाने पर ध्‍यान दिया गया, न कि सिर्फ बेरोगजारी भत्‍ता प्रदाय किया गया। 

भारत में रहने वाली आबादी का एक बड़ा हिस्‍सा बेरोजगार है, कुछ प्रछंन्‍न बेरोजगार हैं तो कुछ अण्‍डरएम्‍प्‍लॉयमेंट में कार्यरत हैं। असल में कुछ बेरोजगार नहीं हैं परन्‍तु जब सरकार की योजना आएगी तो स्‍वयं को बेरोजगार साबित कर बेरोजगारी भत्‍ता पर दावा करेंगे। यहीं से प्रारम्‍भ होता है भ्रष्‍टाचार, चाहे वह मनरेगा हो अथवा युवा स्‍वाभिमान जैसी योजनाऍं। प्रत्‍येक सरकार की योजनाऍं जो आमजन के लिए होती हैं उनका उद्देश्‍य अच्‍छा होता है, परन्‍तु भ्रष्‍टाचार की वहज से वह योजनाऍं नाकामयाब रह जाती हैं। छत्‍तीसगढ़ की सरकार ने भी बेरोजगारी भत्‍ता देने का प्रावधान अब किया है परन्‍तु इसकी प्रक्रिया क्‍या होगी, यह देखने वाली बात है। क्‍या यह बेरोजगारी भत्‍ता सिर्फ युवा वोटर्स को अपनी तरफ खींचने का एक ज़रिया है, अथवा इससे सच में कुछ बड़ा बदलाव होगा? यह देखने वाली बात होगी। 

भारत में बेरोजगारी की बात की जाती है तो रोजगार को सिर्फ सरकारी नौकरी तक ही सीमित करके देखा जाता है। परन्‍तु असलियत में रोजगार की परिभाषा ही अलग है। प्रत्‍येक इंसान जो मूल ज़रूरतों को पूरा करने में सक्षम है चाहे वह किसी भी व्‍यवसार से जुड़ा हो, वह बेरोजगार नहीं है। आज हमारे कॉलेज की डिग्रियों की महत्‍ता बहुत कम हो चली है। उद्योग को जिस पाठ्यक्रम अथवा कौशल की ज़रूरत है, वह हमें सिखाया ही नहीं जाता। वैसे नई शिक्षा नीति-2020 से हमें यही उम्‍मीद है कि नया भारत/नया युवा औद्योगिक प्रशिक्षण एवं पाठ्यक्रम को सीख पाएगा और तब हमारे पास रोजगार अथवा स्‍वयं के उद्यम को शुरू करने में कोई परेशानी न होगी। तब शायद हम युवाओं को बेरोजगारी भत्‍ते की भी आवश्‍यकता न हो। आज ज़रूरत बेरोजगारी भत्‍ते की नहीं, अपितु अच्‍छे शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य एवं महंगाई पर काबू पाने की है। बेरोजगारी भत्‍ता युवाओं को कमज़ोर करने का एक हथकण्‍डा बन जाता है, तथापि युवाओं को मुख्‍य मुद्दों पर ध्‍यान केन्द्रित करना चाहिए जिसमें औद्योगित अवसरों एवं प्रशिक्षण तथा इन्‍टर्नशिप के बदले आर्थिक मदद शामिल है। बेरोजगारी भत्‍ते जैसी योजनाऍं चन्‍द वक्‍त बाद नज़र नहीं आती हैं जैसे मध्‍यप्रदेश में युवा स्‍वाभिमान योजना, यद्यपि यह योजना युवाओं की भलाई के लिए एवं वर्तमान परिवेश की मॉंग पर आधारित थी। 

No comments:

Post a Comment