मध्यप्रदेश के सरकारी कर्मचारियों ने सरकार से आये दिन अपनी मॉंगों को ज्ञापन के माध्यम से रखा है। परन्तु हताश करने वाली बात यह रही है कि कर्मचारियों की अधिकांशत: मॉंगों को अनदेखा कर दिया गया। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव अगले 4 माह बाद होने वाला है, इसलिये मध्यप्रदेश की सरकार सभी सरकारी एवं गैर सरकारी संवर्गों को खुश रखना चाहती है। ऐसे में मध्यप्रदेश का सरकारी कर्मचारियों के विभिन्न संगठनों ने एक बैनर तले अंतिम बार अपनी मॉंगों को सरकार के समक्ष रखा है। हाल ही में 25 जून 2023 को मध्यप्रदेश लिपिक संघ ने भी अंतिम बार सरकार को ज्ञापन देकर लिपिकों का ग्रेड पे 2400/- करने की मॉंग किया, परन्तु अब तक सरकार द्वारा कोई प्रत्युत्तर नहीं दिया गया।
मध्यप्रदेश के सरकारी अधिकारी-कर्मचारी के संयुक्त बैनर तले लगभग 37 संगठनों ने 20 से अधिक मॉंगों को लेकर सरकार को नोटिस दिया है जो तीन चरणों में होगा -
1. पहले चरण में 1 जुलाई 2023 को समस्त जिलों में कलेक्टर के माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री जी एवं मुख्य सचिव जी के नाम ज्ञापन सौंपा जाएगा।
2. इसके बाद लगभग 1 माह तक मॉंग पूरी होने का इंतज़ार किया जाएगा, अन्यथा 11 अगस्त 2023 को प्रदेश के सभी अधिकारी-कर्मचारी सामूहिक अवकाश पर चले जाऍंगे।
3. इसके बाद भी लगभग 1 माह का इंतज़ार किया जाएगा, मॉंग पूरी न होने पर 10 सितम्बर 2023 को प्रदेश के समस्त कर्मचारी भोपाल में एकत्रित होंगे एवं तब भी यदि मॉंग पूरी न हुई तो अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाऍंगे।
कर्मचारी संगठनों की कई सारी मॉंगें हैं जिनमें से सबसे बड़ी मॉंग मध्यप्रदेश के लिपिकों की वेतन विसंगति रमेशचन्द्र शर्मा कमेटी के अनुशंसाओं के आधार पर 2400/- ग्रेड पे किया जाना है। इतिहास में पहली बार ऐसा देखा जा रहा है कि विभिन्न कर्मचारी संघों ने लिपिकों की वेतन विसंगति की मॉंग को सर्वोपरि माना है। अन्य मॉंगों में लिपिकों का मंत्रालय के समान समयमान-वेतनमान, पुरानी पेंशन बहाली, आवास भत्ता बढ़ाना, महंगाई भत्ता/राहत केन्द्र के समान केन्द्रीय तिथि से एरियर के साथ, आउटसोर्स/संविदा कल्चर खत्म कर नियमितीकरण, भृत्य का नाम परिवर्तन, अन्य कुछ संवर्गों की वेतन विसंगतियों को दूर करना आदि।
लिपिक संघ में भी कर्मचारियों ने इसे साजिश का नाम देना शुरू कर दिया है। लिपिक कर्मचारियों का कहना है कि जुलाई 2023 में लिपिकों का ग्रेड पे 2400/- कराया जाना ही परम लक्ष्य है एवं आगे की देरी काबिल-ए-बर्दाश्त नहीं है। लिपिक संघ का एक तबका पटवारियों के समान 2800/- ग्रेड पे किेये जाने की मॉंग कर रहा है। लिपिक वेतन विसंगति के ज़ख्म को मध्यप्रदेश के लिपिक पिछले 40 वर्षों से झेलते आ रहे हैं, तथापि अनुभवी लिपिकों का कहना है कि वह किसी भी प्रकार के आश्वासन, कमेटी और पत्राचार पर यक़ीन नहीं कर सकते जबतक कि लिपिकों के ग्रेड पे 2400/- होने का आदेश न आ जाए। देखने वाली बात रहेगी कि क्या लिपिक संघ उपरोक्त संघो का हिस्सा बनकर लिपिक वेतन विसंगति दूर कराने की मॉंग रखता है एवं समय गँवाता है अथवा अगल से भी ऐतिहासित अंतिम प्रयास करेगा। लिपिक वेतन विसंगति दूर कर 2400/- ग्रेड पे करने की सिफारिश सरकार द्वारा बनाई गई कमेटियों सहित माननीय उच्च न्यायालय ने भी कई बार किया है।
वर्तमान हालात को देखते हुए कहा जा सकता है कि मध्यप्रदेश में कर्मचारियों का सबसे बड़ा मुद्दा पुरानी पेंशन बहाली नहीं है, बल्कि लिपिकों/सहायक ग्रेड-3 का 2400/- ग्रेड पे किया जाना है। मध्यप्रदेश के समस्त सरकारी विभागों ने भी अपनी मांगों में लिपिक वेतन विसंगति को अहम स्थान देना शुरू कर दिया है क्योंकि लिपिक प्रत्येक विभाग की रीढ़ की हड्डी है। मध्यप्रदेश के समस्त लिपिक जुलाई 2023 में ही लिपिक वेतन विसंगति दूर होकर लिपिकों के 2400/- ग्रेड पे होने का इंतज़ार कर रहे हैं।
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