मध्यप्रदेश की सरकार के द्वारा सरकार के विभिन्न संवर्गों की मॉंगें पूर्व विधानसभा चुनाव 2018 से पहले मान ली गईं। बचे-कुचे कुछ संवर्ग थे जिनकी मॉंगें सरकार ने 2023 के विधानसभा चुनाव से कुछ माह पहले ही मान लिया। तो वहीं दूसरी तरफ ऐसे कई सारे संवर्ग हैं जैसे आंगनवाड़ी कार्यकर्ता/सहायिका आदि जिनको हर विधानसभा चुनाव से पहले कुछ-न-कुछ सौगात अवश्य दे दी जाती है। परन्तु एक संवर्ग लिपिकों का रहा है जिसकी 30 वर्ष से भी अधिक पुरानी मॉंग को अभी तक नहीं माना गया है। निराशाजनक बात यह रही है कि जिस मॉंग के लिए मध्यप्रदेश के लिपिक कर्मचारियों की ऑंखें बूढ़ी होकर मर तक गयीं उसी मॉंग को आज के लिपिक दरकिनार करने पर तुले हैं।
माननीय उच्च न्यायालय के साथ-साथ मध्यप्रदेश की सरकार द्वारा बनाई गई लिपिक हेतु कमेटी में लिपिकों के ग्रेड पे को बढ़ाने की बात कही गई, यह ग्रेड पे वर्षों पूर्व 2006 मेंं 2400/- होना था, परन्तु आज 2023 की परिस्थिति में इसे 2800/- अथवा 3200/- ग्रेड पे होना था, परन्तु लिपिक हित की बात करने वाले आज हमारे आदर्श लिपिकों के त्याग को भूल गये हैं, आज के लिपिक उन शहादतों को भूल गये हैं जो हमारे हक़ से जुड़ी है। संयुक्त मोर्चे की पैरवी करता लिपिक संघ पटवारी एवं अन्य संवर्ग की मॉंगों के लिए लिपिक कर्मचारियों को उनके बंदूक चलाने के लिए कंधे के सहारे के रूप में काम कर रहा है जिसे अंतत: दर्द के सिवा कुछ न मिलेगा।
संयुक्त मोर्चे के लिपिक विरोधी होने से लिपिक संघ के ही लिपिक साथियों ने अपने नेतृत्व को आईना दिखाया और बताया कि लिपिकों की मॉंग सिर्फ और सिर्फ 2400/- ग्रेड पे होने की है, न कि अन्य संवर्गों की मांग की पैरवी करना। इस हेतु 15 जुलाई 2023 को लिपिक संघ एक बैठक करेगा, मध्यप्रदेश के लिपिक गुजारिश करते हैं कि बैठकों का सिलसिला अब बन्द हो और एकसूत्रीय मॉंग लिपिकों के 2400/- ग्रेड पे होने का अभूतपूर्व कदम उठाया जाए। आज समय ऐसा आ गया है कि तब के चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी जैसे पटवारी तृतीय श्रेणी के तब के कर्मचारी लिपिकों से कहीं आगे आ गये हैं। वहीं स्टॉफ नर्स को सम्मानजनक पदनाम देकर लिपिकों के बराबर वेतन पाने वालों को भी 2800/- ग्रेड पे दिया गया और पुन: 4200/- ग्रेड पे देने की बात कही जा रही है।
लिपिक अब यह अन्याय बर्दाश्त नहीं करेगा। लिपिक की कार्यप्रकृति और योग्यता किसी भी संवर्ग से कम नहीं है जो लिपिकों के साथ ऐसा अन्याय होता आए कि लिपिक आज चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी समकक्ष पेश किया जाए। यह लिपिकों का अधिकार है और संवैधानिक अधिकार की मांग करना कोई अपराध नहीं है। प्रदेशभर के लिपिकों के लिए वेतन विसंगति पुरानी पेंशन बहाली से भी बड़ा मुद्दा है।
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