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Saturday, July 22, 2023

छत्‍तीसगढ़ लिपिक अधिकारी-कर्मचारी संयुक्‍त मोर्चा से हुए अलग : लगाए गम्‍भीर आरोप

दोस्‍तों, बातें नहीं घुमाउँगा। लिपिक वेतन विसंगति मध्‍यप्रदेश एवं छत्‍तीसगढ़ दोनों राज्‍यों का सबसे बड़ा मुद्दा है। जब सन् 2000 में मध्‍यप्रदेश से अलग होकर छत्‍तीसगढ़ राज्‍य बना तो लिपिकों के वेतन विसंगति का दर्द भी साझा कर लिया। दोनों राज्‍यों में बार्डर के दोनों तरफ एक सी बात समान रह गई, वह है लिपिकों/क्‍लर्क/सहायक ग्रेड का रोना और उनके ऑंसू। लगभग 35 साल से भी अधिक हो गये दोनों राज्‍यों के लिपिकों ने वेतन विसंगति की लड़ाई लड़ी है, माननीय न्‍यायालय से जीत हुई, वेतन विसंगति दूर कराने के लिए कमेटियॉं बनी, कमेटियों ने लिपिकों के प्रति हो रहे अन्‍याय की खिलाफ़त की एवं लिपिकों की वेतन विसंगति दूर कर ग्रेड पे बढ़ाये जाने की सिफारिशें कीं, परन्‍तु बदले में मिला तो सिर्फ और सिर्फ धोख़ा।  

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लिपिक वेतन विसंगति 
जो कहानी मैंने आज तक सैकड़ों लेख और यूट्यूब वीडियोज में दोहराई है, वो बातें पुन: नहीं कहूँगा। हुआ यूँ कि छत्‍तीसगढ़ के लिपिक संघ ने अधिकारी-कर्मचारी संयुक्‍त मोर्चा और अन्‍य संगठनों का हमेशा उनके आन्‍दोलनों और उनकी मॉगों के लिए समर्थन दिया है। परन्‍तु कल दिनांक 21/07/2023 को छत्‍तीसगढ़ के लिपिक कर्मचारी यह कहते हुए संयुक्‍त मोर्चे से स्‍वयं को अलग कर लिया कि संयुक्‍त मोर्चा ने लिपिकों का स्‍वार्थ हेतु उपयोग किया है और जब लिपिकों के मॉंग की बारी आई तो उन्‍होंने धोखा दे दिया। दरअसल 3 दिन पहले ही छत्‍तीसगढ़ के मुख्‍यमंत्री माननीय भूपेश बाघेल जी ने छत्‍तीसगढ़ के अधिकारी/कर्मचारियों का महंगाई भत्‍ता केन्‍द्र के समान 42 प्रतिशत देने का फैसला कर लिया, आवास भत्‍ता भी रिवाइज कर 9 प्रतिशत एवं 6 प्रतिशत के आनुपातिक दर को लागू कर दिया, अन्‍य संवर्गों की भी लगभग मांगें मान लिया। दूसरी तरफ छत्‍तीसगढ़ में पिछले साल से ही पुरानी पेंशन लागू है, तो असल में छत्‍तीसगढ़ के कर्मचारियों की कोई अधिक मांगें थीं नहीं, जो थीं उसे सरकार ने मान लिया है। 
 
मध्‍यप्रदेश की ही तरह छत्‍तीसगढ़ के लिपिकीय कर्मचारियों में वेतन विसंगति व्‍याप्‍त है। छ.ग. के लिपिक कर्मचारियों को यक़ीन था कि संयुक्‍त मोर्चा लिपिकों की वेतन विसंगति दूर कराने में मदद करेगा, परन्‍तु जैसे ही सरकार मांगें मान लीं, लिपिक वेतन विसंगति की परवाह न करते हुए संयुक्‍त मोर्चा ने आंदोलन को कमज़ोर करने के लिए लिपिकों को तनहा छोड़ दिया। अब कल की बैठक में छ.ग. के लिपिक कर्मचारियों ने स्‍वयं का अलग संघ लिपिक कर्मचारी फेडरेशन बना लिया है और 22 अगस्‍त 2023 को एक दिवसीय प्रदेशव्‍यापी हड़ताल होगा, साथ ही 04 सितम्‍बर, 2023 से छ.ग. के लिपिक कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे, जब तक कि लिपिकों का ग्रेड पे 1900/- से बढ़ाकर 2400/- नहीं कर दिया जाता।

छत्‍तीसगढ़ के लिपिकों से मध्‍यप्रदेश के लिपिकों को सीखना चाहिए। मध्‍यप्रदेश में लिपिक संघ हमेशा अधिकारी-कर्मचारी संयुक्‍त मोर्चा की पैरवी करते नज़र आ जाता है, परन्‍तु संयुक्‍त मोर्चा ने कभी भी लिपिकों की मूल मांग 2400/- ग्रेड पे को अपने ज्ञापन में स्‍थान नहीं दिया। संयुक्‍त मोर्चा ने उन पदों की पैरवी की है जो कभी लिपिकों से भी कम वेतन पाया करते थे परन्‍तु अब उनका वेतन लिपिकों से अधिक है एवं आगे और बढ़ाये जाने की मांग कर रहे हैं, जैसे - पटवारी का 2100/- ग्रेड पे है, 2800/- ग्रेड पे की मांग कर रहे हैं, इसे संयुक्‍त मोर्चा के ज्ञापन में भी जगह मिली है।

मध्‍यप्रदेश में भी संयुक्‍त मोर्चा लिपिकों का हितैषी नहीं है। संयुक्‍त मोर्चा लिपिकों से कॉमन मांगें जैसे - महंगाई भत्‍ता व एरियर, आवास भत्‍ता, पुरानी पेंशन आदि के लिए मैदान पर लाना चाहता है जिससे लिपिक कर्मचारी सापेक्षया गरीबी में ही धकेले जाते रहेंगे जबतक कि मूल वेतन न बढ़ जाए। परन्‍तु हैरानी वाली बात रही है कि संयुक्‍त मोर्चे के इस रवैया का विरोध लिपिक संघ ने कभी नहीं किया, परन्‍तु लिपिक की आवाज़ बनने वाले हर व्‍यक्ति को मध्‍यप्रदेश के अधिकांश लिपिक ने इस बात का समर्थन दिया है। 

मध्‍यप्रदेश के लिपिक संघ को भी चाहिए कि संयुक्‍त मोर्चा से कह दें कि जब तक लिपिकों की वेतन विसंगति दूर न होगी, तब तक लिपिक संघ किसी भी संयुक्‍त मोर्चा की मांग के साथ न आएगा चाहे वह पुरानी पेंशन की मांग हो, डीए एरियर की मांग हो अथवा आवास भत्‍ता की मांग हो। 

1 comment:

  1. Selary se jyada to lipik curruprion se kama lete h....ye bat sabhi uchh adhikariyon ka pata h... isliye wo nahi badane wale grade pay

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