eDiplomaMCU: लिपिक वेतन विसंगति बनाम पुरानी पेंशन बहाली : किसका पलड़ा भारी!

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Wednesday, August 2, 2023

लिपिक वेतन विसंगति बनाम पुरानी पेंशन बहाली : किसका पलड़ा भारी!

 बड़ी मजेदार बात है कि मध्‍यप्रदेश में पुरानी पेंशन बहाली की आवाज उस कदर नहीं उठ पा रही है जैसा कि हमने हिमाचल प्रदेश में देखा था। हिमाचल प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन पाने के लिए जी-जान एक कर दिया था और इत्‍तेफाक की बात है कि पिछले साल नवम्‍बर माह में ही हिमाचल विधानसभा चुनाव था और इस साल 2023 में मध्‍यप्रदेश विधानसभा चुनाव भी नवम्‍बर में है। इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता है कि पुरानी पेंशन बहाली प्रत्‍येक सरकारी कर्मचारी की दिली इच्‍छा है परन्‍तु लिपिक वेतन विसंगति लिपिक/क्‍लर्क कर्मचारियों के लिए उससे भी बड़ा मुद्दा है। मध्‍यप्रदेश के लिपिक कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन बहाली को तवज्‍जो देना बन्‍द कर दिया है क्‍योंकि लिपिकों की वेतन विसंगति का मुद्दा लगभग 35 वर्ष पुराना है। 

कर्मचारियों और अधिकारियों के संयुक्‍त मोर्चे ने भी पुरानी पेंशन की अहमियत को समझा है, लिपिक नेतृत्‍व को गुमराह कर संयुक्‍त मोर्चे के ज्ञापन में लिपिक वेतन विसंगति (लिपिकों का प्रारम्भिक ग्रेड पे बढ़ाया जाना) को स्‍थान नहीं दिया, परन्‍तु लिपिक प्रान्‍ताध्‍यक्ष की सहमति और समर्थन ज़रूर प्राप्‍त कर लिया है। 2 साल पहले जब लिपिकों ने इस बात का विरोध किया कि संयुक्‍त मोर्चे के किसी भी ज्ञापन में लिपिकों के ग्रेड पे बढ़ाये जाने की मॉंग को जगह नहीं दी जा रही, फिर भी संयुक्‍त मोर्चे ने लिपिकों को नजरअन्‍दाज किया। यहाँँ तक कि 2 वर्ष बाद भी निरन्‍तर संयुक्‍त मोर्चा ने लिपिकों को एक सहारे के तौर पर इस्‍तेमाल किया है जबकि लिपिकों की मॉंग को संयुक्‍त मोर्चा ने जानबूझकर हमेशा दरकिनार किया है। 

संयुक्‍त मोर्चा और लिपिकों के बीच की रंजिश इसी बात से समझ आती है कि किस प्रकार लिपिकों ने छत्‍तीसगढ़ के संयुक्‍त मोर्चे का अंतिम समय तक साथ दिया परन्‍तु संयुक्‍त मोर्चे ने आवास भत्‍ता, पुरानी पेंशन, महंगाई भत्‍ता आदि मॉंग पूरी होने के बाद लिपिकों को अकेला छोड़ दिया, फलस्‍वरूप लिपिकों ने अलग से लिपिक कर्मचारियों का फेडरेशन बना लिया।  

छत्‍तीसगढ़ में जो कुछ हुआ मध्‍यप्रदेश के आम लिपिकों ने इससे सीख ली है, परन्‍तु माननीय प्रांताध्‍यक्ष (लिपिक) एवं अन्‍य लिपिक नेतृत्‍व ने आम लिपिकों की परवाह न करते हुए संयुक्‍त मोर्चे का दामन पकड़ने का फैसला लिया है, जबकि संयुक्‍त मोर्चा स्‍वयं चाहता है कि लिपिकों की वेतन विसंगति दूर न हो, अन्‍यथा लिपिकों का ग्रेड पे बढ़ाये जाने की मॉंग संयुक्‍त मोर्चा अपने ज्ञापन में रखता। हैरानी की बात यह भी है कि संयुक्‍त मोर्चे का ध्‍यान इस बात पुरानी पेंशन बहाली कराये जाने की बजाय इस बात पर है कि किस प्रकार लिपिक आन्‍दोलन को कमज़ोर किया जाए और लिपिकों की वेतन विसंगति दूर होने से रोका जाए। इस बात का प्रमाण यह है कि 6 बड़े संघ जिनका नेतृत्‍व लिपिक संघ कर रहा था, 28 जुलाई 2023 को एक दिवसीय धरने प्रदर्शन के बाद 4 अगस्‍त 2023 को एक दिवसीय हड़ताल करने वाला था तथा बाद में भी बड़े आन्‍दोलन करता, परन्‍तु संयुक्‍त मोर्चे ने लिपिकों की वेतन विसंगति दूर न हो पाए इस उद्देश्‍य से सभी संगठनों को एकमत करते हुए 25 अगस्‍त 2023 को एक बड़े आन्‍दोलन का आगाज़ किया है तथा पूर्व में होने वाले सभी आन्‍दोलनों को स्‍थगित करने का फैसला लिया है। 

यदि 25 अगस्‍त 2023 को होने वाले आन्‍दोलन फलस्‍वरूप सरकार कर्मचारियों / संयुक्‍त मोर्चे की मॉंगें मान भी लेती है तो लिपिकों की वेतन विसंगति दूर न होगी, क्‍योंकि संयुक्‍त मोर्चे ने सिर्फ लिपिकों के समयमान वेतनमान की मॉंग को अपने ज्ञापन में स्‍थान दिया है। इस राजनीति को आम लिपिक भी समझ गये हैं तथा लिपिकों ने भी प्रण ले लिया है कि यदि लिपिक वेतन विसंगति दूर नहीं होती है तो पुरानी पेंशन बहाली न हो, इस बात का भी भरसक प्रयास किया जाएगा। लिपिक संघ का एक बड़ा तबका पुरानी पेंशन बहाली होने का विरोध करेगा क्‍योंकि अन्‍य संगठनों ने पुरानी पेंशन को दांव पर लगाकर लिपिकों का वेतन न बढ़े, इस बात पर ज़ोर दिया है। 

लिपिकों कर्मचारियों में आज निराशा और आक्रोश किसी और की अपेक्षया स्‍वयं के नेतृत्‍व एवं प्रांताध्‍यक्ष से है क्‍योंकि लिपिक नेतृत्‍व लाख विरोध होने के बाद भी संयुक्‍त मोर्चे की बात सुन रहा है, न कि आम/जमीनी लिपिकों की। यदि लिपिक संघ ने संयुक्‍त मोर्चे का साथ नहीं छोड़ा और अलग से आकर लिपिक वेतन विसंगति दूर करने की मॉंग सशक्‍त रूप से नहीं रखा तो परिणाम हमेशा की तरह लिपिक विरोधी ही होने वाला है। 

उपरोक्‍त तथ्‍यों को ध्‍यान में रखा जाए तो स्‍पष्‍ट है कि मध्‍यप्रदेश में पुरानी पेंशन बहाली सम्‍भव नहीं है, इसकी सबसे बड़ी वजह लिपिक कर्मचारियों की नादानी का अन्‍य संघों द्वारा उठाया जा रहा फायदा है। यदि अन्‍य संघ अथवा संयुक्‍त मोर्चा प्रदेश की सबसे बड़ी मांग लिपिक वेतन विसंगति को प्राथमिकता के साथ नहीं रखते तो प्रदेश का प्रत्‍येक स्‍वाभिमानी लिपिक पुरानी पेंशन बहाली न हो पाए, इस बात का भरसक प्रयास करेगा। मध्‍यप्रदेश का सबसे बड़ा मुद्दा लिपिकों की वेतन विसंगति है जिसे अब आम लिपिक बर्दाश्‍त नहीं करेगा। 

वीडियो देखें - संयुक्त मोर्चे ने लिपिक वेतन विसंगति (2400/-) के राह में फिर डाला बाधा | भगवान लिपिकों का भला करे 😔

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