eDiplomaMCU: मध्‍यप्रदेश के लिपिक के साथ घोर अन्‍याय : समकक्ष पदों का बढ़ाया वेतन पर वेतन और नाम रखा अफसर

Translate to my Language

Saturday, August 26, 2023

मध्‍यप्रदेश के लिपिक के साथ घोर अन्‍याय : समकक्ष पदों का बढ़ाया वेतन पर वेतन और नाम रखा अफसर

बाबू तो घूँस से अपनी जिन्‍दगी चला लेता है.... है न? ये बाबू कौन, क्‍या सरकारी अफसर या कोई और? नहीं, नहीं .... हा हाह हहाा ... ये तो क्‍लर्क हैं जिनको हमने घूँसखोर का नाम दे दिया है और इनकी छवि को इतना धूमिल बना दिया है कि बेदाग होने के बाद भी हर क्‍लर्क/लिपिक बेईमान नज़र आएगा। ये वही बाबू/लिपिक हैं जिनका वेतन आज के 3200, 3600 ग्रेड पे पाने वाले पदों से भी अधिक हुआ करता था, परन्‍तु सबको मिली आर्थिक तरक्‍की और सम्‍मानजनक पदनाम, लिपिक/बाबुओं को मिला घूँसख़ोर उपनाम का ईनाम और आर्थिक तंगी, तभी तो आए दिन सबका ग्रेड पे बढ़ा दिया जाता है जबकि लिपिक/बाबुओं को सान्‍त्‍वना और धोखा। 

लोड हो रहा है....
मध्‍यप्रदेश के लिपिक के साथ घोर अन्‍याय 

याद है क्‍या जब 2018 में विधानसभा चुनाव से पहले मध्‍यप्रदेश के 50 से भी अधिक पदों का वेतनमान एक झटके में बढ़ा दिया गया, इनमें से कई ऐसे पद भी रहे हैं जिनका वेतनमान पूर्व में कई बार बढ़ाया जा चुका था, अब वहीं पदों का वेतनमान 2023 में फिर से बढ़ने के आसार हैं। परन्‍तु लिपिकों की 40 साल पूर्व की वेतन विसंगति का दंश अभी तक दूर नहीं किया गया। स्‍टॉफ नर्स को आप जानते हैं? अरे वही नर्सिंग अफसर जिनका ग्रेड पे कभी लिपिकों के समकक्ष था, परन्‍तु उनका वेतनमान कई दफा बढ़ा दिया गया, लिपिक आज भी वहीं हैं। हैरत तो और तब बढ़ जाती है जब विभाग अपने विभाग में कार्यरत विभिन्‍न कर्मचारियों के वेतनमान बढ़ाये जाने की बात करते हैं/मॉंग रखते हैं, परन्‍तु लिपिक/बाबुओं को किसी अन्‍य ग्रह का प्राणी समझकर उनकी मांगों को दरकिनार कर दिया करते हैं। 

मध्‍यप्रदेश में लिपिक/बाबुओं का उपयोग अपनी मांगों को मनवाने के लिए अन्‍य पदों/विभागों के द्वारा प्रयोग किया जाता रहा है। जैसा कि अभी पुरानी पेंशन बहाली के प्रायोजन के लिए संयुक्‍त मोर्चा ने लिपिकों को आन्‍दोलन के लिए मध्‍यप्रदेश के लिपिकों की तादात को आगे ला दिया, परन्‍तु लिपिक वेतन विसंगति की अलग से मांग न उठ पाये, इस बात का खासा ध्‍यान रखा जाता रहा है। मध्‍यप्रदेश के लिपिकों/क्‍लर्क की योग्‍यता में वृद्धि हुई है एवं आज की परिस्थिति के हिसाब से मध्‍यप्रदेश के लिपिकों का वेतनमान 2800 ग्रेड पे होना चाहिए, एवं पदनाम परिवर्तित करके भी सम्‍मान देना चाहिए। परन्‍तु मध्‍यप्रदेश के लिपिक उन कारीगरों की तरह हैं जो भव्‍य इमारतें बनाने के बाद अपना हाथ गवां देते हैं, या उनसे उनका हाथ छीन लिया जाता है। 

आज मध्‍यप्रदेश के लिपिक कर्मठ/ईमानदार होने के बाद भी घोर अन्‍याय का सामना कर रहे हैं। मध्‍यप्रदेश के लिपिकों का ग्रेड पे बढ़ाया जाना मध्‍यप्रदेश की सबसे बड़ी मांग है। मध्‍यप्रदेश के लिपिक आज खून के आंसू रोने को मजबूर हैं। यह अन्‍याय और अमानवीय रवैये की पराकाष्‍ठा है। मध्‍यप्रदेश के लिपिक की वेतन विसंगति को 2018 में यह कहते हुए दरकिनार कर दिया गया कि लिपिकों की योग्‍यता डेटा एन्‍ट्री ऑपरेटर से कम है, परन्‍तु आज एक लिपिक/क्‍लर्क डेटा एन्‍ट्री के साथ-साथ अन्‍य कई सारे महत्‍वपूर्ण काम कर रहा है, एवं दोनों की भर्ती योग्‍यता भी समान है। 

आज मध्‍यप्रदेश में लिपिक के प्रति हो रहे शोषण से छुआछूत, भेदभाव, अमानवीय जुल्‍म की दासता का इतिहास दोहराया जा रहा है। 

वीडियो देखें - लिपिक वेतन विसंगति की बात कोई भी विभाग नहीं कर रहा । म.प्र. क्‍लर्क के साथ घोर अन्‍याय  

No comments:

Post a Comment