eDiplomaMCU: पुलिस द्वारा प्रस्‍तुत चालान के अभियोजन द्वारा स्‍क्रटनी संबंधित पत्र का प्रारूप

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Saturday, January 23, 2021

पुलिस द्वारा प्रस्‍तुत चालान के अभियोजन द्वारा स्‍क्रटनी संबंधित पत्र का प्रारूप

  प्रस्‍तुत प्रारूप में अपराध क्रमांक व प्रकरण क्रमांक बदल दिया गया है, ताकि अभियुक्‍त / अपराधी जो कि निर्दोष भी हो सकता है; की गरिमा को ध्‍यान में रखते हुए अभियुक्‍त की जगह लेखक (मेरा नाम अभिषेक कुमार त्रिपाठी) प्रयुक्‍त किया जा रहा है। तथा पीडि़त का नाम भी बदल दिया गया है। यह अभियोजन के कार्य एवं पुलिस की सहायता में किस तरह अभियोजन मदद करता है, उसका एक उदाहरण है। लेखक कार्यालय सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी, जिला सिंगरौली मध्‍यप्रदेश में लिपिक के पद पर 27 जून, 2020 से कार्यरत है।


स्‍क्रूटनी का आवेदन तब प्रस्‍तुत किया जाता है जब कि पुलिस द्वारा प्रस्‍तुत चालान में कोई त्रुटि होती है एवं अभियोजन सलाह देता है कि आप उस त्रुटि को सुधार करें। क्‍योंकि न्‍यायालय में अभियोजन अधिकारी ही पैरवी करते हैं, इसलिए उन्‍हे पाता होता है कि पीडि़त को न्‍याय दिलाने के लिए किन -किन दस्‍तावेजों की आवश्‍यकता होती है। अभियोजन विभाग पुलिस के ही अन्‍तर्गत एक विभाग है, जो कि पुलिस के सलाहकार होते हैं। पीडि़त की तरफ से अभियोजन की ओर से न्‍यायालय को इस प्रकार का आवेदन प्रस्‍तुत किया जाना है। 



  कार्यालय सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारीदेवसरजिला- सिंगरौली (म.प्र.)

क्र./एडीपीओ/देवसर/    (स्‍क्रू.)/2020                      दिनांक- 19/10/2020

 

प्रति, 

      थाना प्रभारी

      थाना- बरगवां

      जिला- सिंगरौली (म.प्र.)

विषय- थाना बरगवां के अपराध क्रमांक- अबस/20 अन्‍तर्गत धारा- 5(बी)/13 औषधि नियंत्रण अधिनियम 1950 के प्रकरण में स्‍क्रूटनी के संबंध में।

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      उपरोक्‍त विषयान्‍तर्गत लेख है कि थाना बरगवां के अपराध क्रमांक- अबस/20 अन्‍तर्गत धारा- 5(बी)/13 औषधि नियंत्रण अधिनियम 1950 के चालान का अवलोकन करने पर निम्‍नलिखित त्रुटियॉं पायी गयी हैं-

1.       आरोपी अभिषेक कुमार त्रिपाठी उर्फ अभि के कब्‍जे से खाकी रंग के कागज के कार्टून में 60 नग प्‍लास्टिक की शीशी में chlorpheniramine maleate codeine phosphate SYRUP Onerex प्रत्‍येक 100 ml कीमत 7,200/- रू पायी गयी है तथा मामले में धारा- 5(बी)/13 औषधि नियंत्रण अधिनियम 1950 के तहत अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना की गयी है। जबकि उक्‍त कोडीन सीरफ का अवैध कब्‍जा और परिवहन आदि नार्कोटिक ड्रग्‍स एण्‍ड साइकोट्रॉपिक सब्‍सटान्‍सेस एक्‍ट 1985 की विषयवस्‍तु होने के कारण गम्‍भीर अपराध की श्रेणी में आता है। अत: मेरी राय में मामले में नार्कोटिक ड्रग्‍स एण्‍ड साइकोट्रॉपिक सब्‍सटान्‍सेस एक्‍ट 1985की समुचित धाराओं के तहत कार्यवाही करना उचित एवं विधिसम्‍मत है।

2.       यह कि अभियुक्‍त ने इतनी ज्‍यादा मात्रा में कोडीन सीरफ कहॉं से और किस व्‍यक्ति / कम्‍पनी / मेडिकल स्‍टोर से प्राप्‍त की है और उसके एवज में भुगतान किस माध्‍यम से हुआ है, इस संबंध में भी विवेचना नहीं की गयी है।

3.       यह कि तलाशी पंचनामा पुलिस अधि./कर्म./ एवं गवाहान के अनुसार चार पुलिस अधि./कर्म. द्वारा संदेही को अपनी तलाशी दी गयी है, किन्‍तु उक्‍त पंचनामा में तलाशी देने वाले केवल दो पुलिस अधि./कर्म. के द्वारा हस्‍ताक्षर किये गये हैं एवं अन्‍य दो के हस्‍ताक्षर का लोप है।

4.       यह कि मौके से ही अभियुक्‍त अभिषेक कुमार त्रिपाठी के कब्‍जे से 60 नग chlorpheniramine maleate codeine phosphate SYRUP Onerex प्रत्‍येक 100 ml जप्‍त कर जप्‍ती की कार्यवाही की गयी है, किन्‍तु जप्‍ती पत्रक पर नमूना सील अंकित नहीं किया गया है।

 अत: मेरी राय में उक्‍त त्रुटियों को पूर्णकर चालान प्रस्‍तुत करना विधिसम्‍मत होगा।

                    सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी



यदि आपके मन में कोई अन्‍य प्रश्‍न है या अभियोजन की सहायता लेना चाहते हैं तो आप हमसे सम्‍पर्क कर सकते हैं। आपके मन में किसी प्रकार की कोई शंका है या आपके साथ कोई अपराध कारित किया जा रहा है या हो चुका है और आपको लगता है कि आपके साथ कोई नहीं है, तो यकीन करिए अभियोजन पीडि़त अर्थात् आपका सगा है। यही है जो आपराधिक गतिविधियों को रोकने हेतु सरकार का मज़बूत पक्ष न्‍यायालय में रखता है। मध्‍यप्रदेश में गवाह सहायता केन्‍द्र अभियोजन में सत्र 2020 में शुरू की गई जोकि देश में प्रथम बार ऐसा किया गया, उसमें मध्‍यप्रदेश के 51 जिलों के अभियोजन कर्मचारी इन्‍दौर में प्रारम्‍भ विमोचन में उपस्थत हुए, जिनमें से लेखक स्‍वयं जिला सिंगरौली मध्‍यप्रदेश की ओर से शिरकत किए। 

 

                                                



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