मध्यप्रदेश के सरकारी अधिकारी व कर्मचारी पिछले कई महीने से लगातार आन्दोलन करते आये हैं। जुलाई 2021 को जब केन्द्र सरकार के साथ-साथ कुछ राज्य सरकारों ने मंहगाई भत्ता अपने कर्मचारियों का बढ़ाया, तब मध्यप्रदेश के भी शोषित कर्मचारियों ने आशा की निगाह से मध्यप्रदेश सरकार की तरफ देखा। यह बात तो साफ थी कि मध्यप्रदेश सरकार ने जो वायदे अपने सरकारी कर्मचारियों से किये थे, उन सभी को तोड़ दिया गया था। चाहे बात हो वर्तमान मंहगाई भत्ता समस्या के बारे में और चाहे बात हो मध्य प्रदेश के कर्मठ लिपिक वर्गीय कर्मचारियों की जिनकी वेतन विसंगति का मामला वर्षों से अटका हुआ है।
इस लेख में हम इन्हीं समस्याओं के बारे में बात करना चाहते हैं और आपको वर्तमान की परिस्थिति से अवगत भी कराना चाहते हैं। मध्यप्रदेश के सरकारी कर्मचारियों को क्या मध्यप्रदेश सरकार मंहगाई भत्ता देगी और यदि देगी तो कितना देगी और कब देगी? असल में जुलाई में वृहद आन्दोलन के बाद सरकार ने इन्क्रीमेंट के आदेश तो ज़ारी कर दिये थे परन्तु उसका एरियर कब और कैसे दिया जायेगा, इस बात का उल्लेख नहीं था। मध्यप्रदेश के मंहगाई भत्ता और अन्य मांगों को लेकर सरकारी कर्मचारियों के द्वारा किया जा रहा आन्दोलन शुरूआत के दिनों में मज़बूत था परन्तु आये दिन जुलाई 2021 के बाद कमज़ाेेर होता गया और कुछ ऐसे लोग/संगठन भी इस आन्दोलन में शामिल हो गये जो सरकारी नौकरी में असल में हैं ही नहीं।
मध्यप्रदेश अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त मोर्चा ने जुलाई 2021 में भी आन्दोलन किया था और इन्क्रीमेंट के आदेश जारी करा लिया था और इस उम्मीद के साथ की बकाया की मांगे सरकार जल्द पूरा करे, 1 माह अर्थात् अगस्त 2021 का समय सरकार को दे दिया था। इसी बीच अन्य राज्य और केन्द्र के कर्मचारियों का वेतन मध्यप्रदेश के सरकारी कर्मचारियों की अपेक्षा कहीं अधिक हो गया क्यों अन्य भत्ते उनको समय से बढ़े हुये प्रतिशत के साथ मिलते गये। मध्यप्रदेश का मंहगाई भत्ता कमलनाथ सरकार ने 2019 जुलाई से रोक रखा था और दिवाली में भी कर्मचारियों को उनका हक नहीं दिया। जब सरकार गिरने को आई तो 5 प्रतिशत बकाया मंहगाई भत्ते का आदेश दिया, बदली हुई शिवराज सरकार ने इस भत्ते को रद्द कर दिया। कुछ देश प्रेमी कर्मचारी उस वक्त अधिक भावना में बह गये और इस बात को नहीं समझ सके ही उसी वक्त अन्य राज्य उनसे कहीं ज्यादा मंहगाई भत्ता और अन्य भत्ते अपने कर्मचारियों को दे रहे हैं। दूसरी तरफ चुनाव और मेडिकल दिखावे में किस तरह पैसे की बर्बादी हुयी, यह बात हम सभी जानते हैं।
अन्य बहुत ही महत्वपूर्ण मांग यह है कि मध्यप्रदेश के लिपिक वर्ग/सहायक ग्रेड-3 का वेतन अत्यल्प है। उनको बन्धुआ मज़दूर की तरह समझा जा रहा है। अत्यधिक काम का बोझ होने के बाद भी लिपिक वर्ग पूरी शिद्दत से अपने कार्य समाज और राज्य की भलाई के लिए करता आ रहा है परन्तु लिपिक वर्ग कर्मचारियों को सिर्फ 1900/- ग्रेड पे दिया जा रहा है, जबकि अन्य समकक्ष पदों का वेतन बढ़ाकर 2400/- ग्रेड पे कर दिया गया था। यह वेतन विसंगति कई वर्षों से चली आ रही है जबकि कांग्रेस और बीजेपी दोनों सरकारों ने इस वेतन विसंगति को दूर करने का वायदा किया था।
निम्नलिखित कुछ प्रमुख मांगे हैं जो मध्यप्रदेश के अधिकारी व कर्मचारी संंयुक्त रूप से उठा रहे हैं-
✔ सरकारी कर्मचारियों का मंहगाई भत्ता केन्द्र के समान व केन्द्रीय तिथि से किया जाये और बकाया एरियर का भुगतान तत्काल किया जाय
✔ मंहगाई भत्ता 5 प्रतिशत नहीं अपितु आज की तिथि तक तत्काल रूप से 28 प्रतिशत चाहिए
✔ आवास भत्ता अत्यल्प है, इसे सुुुधारकर बढ़ाया जाये
✔ लिपिक वर्गीय कर्मचारियों की वेतन विसंगति दूर किया जाय और तत्काल रूप से 1900/- ग्रेड पे से बढ़ाकर 2400/- ग्रेड पे किया जाय
✔ पदोन्नति के अवसर जल्द जारी किये जाएं
यही उपरोक्त मांगे हैं जो जायज़़ भी हैं और इन कर्मचारियों की ताकत को सरकार ने स्वयं माना है। परन्तु कुछ ऐसे कर्मचारी जो शासकीय नहीं हैं, जो संविदा पर हैं, आउटसोर्स किये गये हैं, अतिथि के रूप में कार्यरत हैं, इनका संगठन मध्यप्रदेश अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के साथ मिलकर अपनी मांगे मनवाने पर लगा है। मध्यप्रदेश अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के कुछ नेता अशासकीय कर्मचारी संगठनों से मिलकर अपना पक्ष कमज़ाेेर कर रहे हैं। यही वजह है कि अन्य लोगों की मांगे तो तीव्र हो जाएंगी और मान भी ली जाएंगी परन्तु जो असल में सरकार के लिए काम कर रहा है, जो सरकारी अधिकारी व कर्मचारी है, उसको उसकी मांगोंं से वंचित रखा जा रहा है। यदि अब मध्यप्रदेश अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त मोर्चा अन्य संगठनों का साथ नहीं छोड़ती तो यह मध्यप्रदेश के सरकारी कर्मचारियों का ही बहुत बड़ा नुकसान होगा।
अच्छी ख़बर तो यह है कि मध्यप्रदेश अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त मोर्चा की मांगे अगस्त 2021 तक पूूर्ण न किये जाने से उनमें आक्रोश था और उन्होंने सितम्बर 8, 2021 व सितम्बर 18, 2021 को बड़े आन्दोलन की रूप रेखा तैयार कर लिया था। अब अधिकतर कर्मचारियों ने अन्य संगठनों की मांगों को दरकिनार करते हुये अपनी मांगों पर अडिग रहने का फैसला किया है। मध्यप्रदेश अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त मोर्चा अब सशक्त होगा और आज अर्थात् 28 सितम्बर, 2021 को तहसील स्तर पर अधिकारियों और क्षेत्रीय नेताओं को आने वाले आन्दोलन के बारे में ज्ञापन सौंपेगा। यदि कर्मचारियों की उक्त मांगे पूर्ण नहीं होती तो वह बड़ा आन्दोलन करेंगे और 29 अक्टूबर 2021 को अनिश्चित कालीन हड़ताल पर चले जायेंगे।
मध्यप्रदेश के लिपिक वर्गीय कर्मचारी बहुत सीधेेेेे-साधे हैं, उनको आश्वासन दिलाकर एक बार फिर ठगा जा सकता है, इसलिए लिपिक वर्गीय कर्मचारी को आन्दोलन तब तक नहीं रोकना है जब तक उनकी वेतन विसंगति दूर नहीं हो जाती।
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