यदि कोई सरकारी कर्मचारी है तो उसे सरकार द्वारा बनाये गये नियमों के अनुसार आचरण करना होता है। कई बार अनेक कारणों से सरकारी कर्मचारियों को निलंबन का सामना करना पड़ता है। ऐसे में निलम्बित कर्मचारी को कई प्रकार की आर्थिक एवं अनार्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। परन्तु निलम्बन नियमों में कर्मचारी के प्रति मनमाना रवैया नहीं चलता, यही वजह है कि विभाग प्रमुख को 90 दिन के भीतर निलम्बन संबंधित रिपोर्ट देनी पड़ती है और यह बताना पड़ता है कि क्या निलम्बन सही है या नहीं।
निलंबन नियम: म.प्र. शासन |
ज्यादातर मामलों में निलम्बित कर्मचारी न्यायालय का दरवाजा खटखटाता है और न्यायालय के निर्णय के ही आधार पर निलंबन संबंधी रिआयतें या छूट संबंधित निलंबित कर्मचारी को दी जाती है। परन्तु क्या होगा यदि किसी सरकारी कर्मचारी की मृत्युु उसके निलंंबन के दौरान हो जाए? या वह रिटायर होने वाला हो, क्यों कई कर्मचारियों के भ्रष्टाचार उनके रिटायरमेंट समय पर भी उजागर होते हैं और उन्हें निलम्बन का सामना करना पड़ता है। तो आईये अब जान लें निलम्बन के कुछ सामान्य शर्तों के बारे में-
निलंबन क्या है- निलंबन एक ऐसी प्रशासनिक कार्यवाही है, जिसके द्वारा एक शासकीय सेवक को कुछ समय के लिए, उसके विरूद्ध जांच के चलते काम करने से रोक दिया जाता है।
कब तक निलंबित रखा जाता है- जब तक उसके विरूद्ध अनुशासनिक कार्यवाहियां लंबित रहें अथवा जहां उसके विरूद्ध आपराधिक आरोपों के संबंध में जांच-पड़ताल या न्यायालय में मामला विचाराधीन रहे।
कब निलंबित किया माना जाता है- जब किसी शासकीय सेवक को किसी मामले में पुलिस द्वारा 48 घंटों से अधिक समय के लिए निरूद्ध रखा गया हो। कर्तव्यों से निलंबित किया माना जाता है तथा बाद में औपचारिक आदेश जारी किये जाना आवश्यक है।
निलम्बन को क्या माना जाए, यदि, निलंबन के दौरान एक शासकीय सेवक-
(क) मृत हो जाए- निलंबन आदेश शून्य हो जाएगा तथा निलंबन अवधि कर्तव्यकाल मानी जाएगी तथा उसके परिवार को समस्त सेवान्त लाभ स्वीकृत किये जाएंगे।
(ब) अधिवार्षिकी आयु पर पहुंच जाए- ऐसी स्थिति में वह सेवानिवृत तो होगा, परन्तु उसे जब तक उसके विरूद्ध संस्थित की गई विभागीय जांच का या न्यायालय में लंबित मामले का अंतिम रूप से समापन नहीं हो जाए, अनन्तिम (प्रॉविजनल) पेंशन, पेंशन नियम 64 के अधीन मंजूर की जाएगी तथा मामले का समाधान होने तथा अंतिम आदेश पारित होने पर, जैसी भी स्थिति हो, अंतिम पेंशन मंजूर की जाएगी या पेंशन वापिस ले ली जावेगी या उसमें कमी कर दी जायेगी।
(स) सेवानिवृत्ति चाहता हो- सक्षम स्वीकृति प्राप्त कर सेवानिवृत्त हो सकता है।
(द) सेवा से त्याग पत्र देना चाहता हो- मामले की परिस्थितियों पर विचार कर सक्षम प्राधिकारी निर्णय ले सकते हैं।
तो आपने देख लिया कि यदि किसी शासकीय कर्मचारी की मृत्यु उसके निलंबन काल में हो जाती है तो उसके निलंबन काल को उसकी वास्तविक कार्यावधि मान लिया जाता है एवं पूर्ण वेतन भत्ते का हकदार उसका नॉमिनी बन जाता है। असल में ऐसा इसलिए होता है कि अब जिसे सरकार की नज़र में अभियोगी मान लिया गया है, वह अपना पक्ष रखने के लिए जीवित ही नहीं है और ऐसा भी हो सकता है कि निलंबन सक्षम प्राधिकारी द्वारा किसी गलतीवश कर दिया गया हो।
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