eDiplomaMCU: मध्‍यप्रदेश सरकार की लिपिक वर्ग के शोषण की नीति ज़ारी: मंहगाई भत्‍ता केन्‍द्र के समान न देने की साजि़श

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Wednesday, October 20, 2021

मध्‍यप्रदेश सरकार की लिपिक वर्ग के शोषण की नीति ज़ारी: मंहगाई भत्‍ता केन्‍द्र के समान न देने की साजि़श

शायद आपको वो दिन याद होंगे जब लिपिक वर्ग जिन्‍हें सामान्‍यतया बाबू कहकर पुकारा जाता है, काफी सम्‍मान हुआ करता था। आज यह लिपिक वर्ग का नाम बदलकर सहायक ग्रेड-3, सहायक ग्रेड-2 एवं सहायक ग्रेड-1 कर दिया गया है। वैसे यह नाम परिवर्तन मध्‍यप्रदेश के शासनादेश पर कुछ वर्षों पूर्व ही हुआ है। आज इस लेख में हम वर्तमान की उन मांगों पर बात करेंगे जो मध्‍यप्रदेश के सरकारी कर्मचारी कर रहे हैं। वैसे तो आन्‍दोलन का आगाज़ मंहगाई भत्‍ते को केन्‍द्र के समान करने का है परन्‍तु कुछ दबी हुयी मांगों को आवाज़ देना हमारा भी दायित्‍व बनता है। 

आन्‍दोलन की शुरूआत जुलाई 2021 में होती है जब केन्‍द्र सरकार ने मंहगाई भत्‍ता 17 प्रतिशत से बढ़ाकर 28 प्रतिशत कर दिया और कुछ अन्‍य राज्‍यों ने भी केन्‍द्र सरकार के समान ही मंहगाई भत्‍ता बढ़ा दिया। 

कब और कितना बढ़ेेेगा मंहगाई भत्‍ता?  आज दिनांक 20/10/2021 के अनुसार यद्यपि आने वाले दिनांक 22, 28 एवं 29 अक्‍टूबर को आन्‍दोलन के अन्‍य चरण होने को हैं, आचार संहिता लागू हो जाने के बाद फिलहाल सरकार निर्वाचन आयोग से अनुमति नहीं लेगी और दिवाली से पूर्व और उप-चुनाव के बाद कोई आदेश दे सकती है, कि 5 प्रतिशत मंहगाई भत्‍ता बढ़ाया जाए। वैसे आने वाले दिन में आन्‍दोलन कितना सशक्‍त होता है, यह देखने वाली बात है, यही इस बात का निर्धारण करेगा कि सरकार कितनी जल्‍दी मंहगाई भत्‍ता व अन्‍य मांगों को मान ले। वैसे केन्‍द्र सरकार जल्‍द ही 31 प्रतिशत मंहगाई भत्‍ता करने वाली है और मध्‍य प्रदेश के सरकारी कर्मचारी सिर्फ 12 प्रतिशत ही मंहगाई भत्‍ता पा रहे हैं। बात साफ है कि सरकार मन बना बैठी है कि जितना देर हो सके उतना देर करो, और यही नीति ही मंहगाई भत्‍ता की बढ़ी दर 5 प्रतिशत निर्धारित करेगी। 

आन्‍दोलन में लिपिक संवर्ग की भूमिका - मध्‍यप्रदेश में सरकारी कर्मचारियों के हित की कोई बात हो, सशक्‍त रूप से आन्‍दोलन में सामने लिपिक संवर्ग को रखा जाता है। लिपिक वर्गीय कर्मचारियों की दुर्दशा की कहानी अब पुरानी हो चली है। वह दिन दूर नहीं जब लिपिक को ऐसे ही नकारा जाता रहेगा और पूर्व की ही भांति लिपिकों के हित को दूर रखा जाता रहेगा। पूर्व में लिपिक संवर्ग को डाटा एन्‍ट्री ऑपरेटर व शिक्षक तृतीय वर्ग के समान ही वेतन मिलता था, परन्‍तु सरकार की नीति कुछ ऐसी रही कि अपने काम के प्रति समर्पित कर्मठ लिपिक वर्गीय कर्मचारियों का वेतन कम रखकर और अन्‍य समकक्ष पदों का वेतन बढ़ाकर अन्‍याय की पराकाष्‍ठा पार किया गया। आज मंहगाई भत्‍ता और अधिकारी-कर्मचारी संयुक्‍त मोर्चा के नाम पर लिपिक वर्गीय कर्मचारी ही इस लड़ाई में सबसे आगे खड़े हैं, जबकि कोई भी लिपिक वर्गीय कर्मचारियों के वेतन विसंगति दूर करने की मांग/समर्थन नहीं कर रहा है। 

लिपिक वर्गीय कर्मचारियों में एकता का अभाव- लिपिक वर्गीय कर्मचारियों के शोषण में सरकार कामयाब इस वजह से रही है क्‍योंकि लिपिक वर्गीय कर्मचारियों में एकता का अभाव है। लिपिक वर्गीय कर्मचारियों का शोषण इस कदर किया गया क‍ि अब सांसे चल रही हैं, इसी को लिपिक वर्गीय कर्मचारियोें ने जि़न्‍दगी मान ली है। मध्‍यप्रदेश में कई ऐसे पद हैं जिनका कार्य प्रकार लिपिक वर्गीय संवर्ग के समकक्ष है परन्‍तु वेतनमान बहुत अधिक। पिछले चुनाव 2018 से पूर्व कई पदों का वेतन बहुत अधिक बढ़ा दिया गया और लिपिक वर्गीय कर्मचारियों के साथ धोखा दिया गया। रमेश चन्‍द्र शर्मा कमेटी जोकि सन् 2016 में बनी थी जिसका मुख्‍य उद्देश्‍य लिपिक कर्मचारियों की वेतन विसंगति को दूर करना है, को सरकार ने नज़रअन्‍दाज किया और लिपिक वर्गीय कर्मचारियों के साथ हो रहे शोषण पर पर्दा फेरती रही। 


आन्‍दोलन का आगाज़- लिपिक वर्गीय कर्मचारी अब चुप नहीं बैठने वाले। लिपिक संवर्ग का ग्रेड पे अब 2400 तत्‍काल होकर रहेगा। वर्ष 2023 में मध्‍यप्रदेश में विधानसभा चुनाव है जिसका माहौल 2022 अर्थात् अगले साल से ही बनने लगेगा। हरेक लिपिक कर्मचारी को यह कसम खानी है कि वह लिपिक वेतन विसंगति की समस्‍या और शोषण के इस रूप को प्रचार-प्रसार करने का भरसक प्रयास करेगा। सरकार को इस बात का ज्ञान हो जाना चाहिए कि लिपिक वर्गीय भी पूर्व की भांति सम्‍मान व आर्थिक न्‍याय केे हकदार हैंं। लिपिक वर्ग को इस बात का ध्‍यान देना हैै कि आप किसी भी कार्यालय का बेस हैं और आपके साथ हो रहे आर्थिक शोषण के खिलाफ लड़ना आपका दायित्‍व है। 


मेरी राय में मध्‍यप्रदेश के समस्‍त जिलों के सभी कार्यालयों के लिपिक वर्गीय कर्मचारियों को एक मंच पर आ जाना चाहिए। हमारा मुखिया कोई अनुभवी लिपिक वर्गीय कर्मचारी होना चाहिए जिसने 2016 की लिपिक वेतन विसंगति को दूर कराने के आन्‍दोलन में सक्रिय भूमिका अदा की थी। इस बार हमें न्‍याय चाहिए और इस बात का ध्‍येय होना चाहिए कि लिपिक वर्गीय कर्मचारियों काेे उनकेे हक़ के लिए उन्‍हीं को लड़ना पड़ेगा। 

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