मध्यप्रदेश सरकार ने जब एक साथ 51 पदों का ग्रेड पे बढ़ाने का आदेश 7 जून 2018 को ज़ारी किया और पहले एवं बाद में भी अलग आदेश से कुछ अन्य पदों का वेतनमान बढ़ाने का निर्णय लिया, मध्यप्रदेश के लिपिक कर्मचारी आन्दोलन की राह पर आ गये। लिपिक वेतन विसंगति एक गम्भीर और पुरानी समस्या रही है जिसमें मेहनती लिपिक कर्मचारियों को अन्य निम्न एवं समान वेतनमान पाने वाले पदों से भी निम्नतर बना दिया गया।
म.प्र. लिपिक वेतन विसंगति |
लिपिकों का कार्य दबाव एवं योग्यता आज के दौर में अधिक है। आज का लिपिक तकनीकि ज्ञान होने के साथ-साथ बहुत महत्वपूर्ण कार्य करता है। लेकिन सरकार ने हमेशा लिपिकों को उपेक्षा की निगाह से देखा है। लिपिक कर्मचारियों की लंबित मांगों को देखते हुए सन् 2016 में सरकार ने रमेशचन्द्र शर्मा कमेटी बनाने का निर्णय लिया जिसकी रिपोर्ट पश्चात् भी लिपिकों की वेतन विसंगति दूर नहीं की गयी। सरकार ने मन बना लिया था कि लिपिकों को उपेक्षित रखना है एवं उनकी वेतन विसंगति दूर नहीं करना है।
लिपिकों से हम लगातार सक्रिय रहने की अपेक्षा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि विधानसभा सत्र 2018 प्रश्नोत्तरी में लिपिक वेतन विसंगति के बारे में कई बार उल्लेख किया गया था, जिसकी वीडियो हमने यूट्यूब पर शेयर भी की है।
म.प्र. लिपिक कर्मचारियों के शोषण का अन्त जल्द होगा । मंहगाई भत्ता व वेतन विसंगति जल्द होगी दूर ।
सन् 2018 के बाद किसी भी विधानसभा सत्र या आधिकारिक तौर पर लिपिकों की बात नहीं की गयी है। यह लिपिक नेताओं की भी एक बड़ी नाकामयाबी है। लिपिक नेताओं को सिर्फ ज्ञापन सौंपने या सड़क पर आन्दोलन करने की बजाय अपनी बात को आधिकारिक नेताओं तक रखने में अधिक रूचि रखनी चाहिए। लिपिक संवर्ग कोरोना वायरस की वजह से हुये लॉकडाउन एवं अन्य कई कारणों से लिपिक वेतन विसंगति की बात रखना भूल गया था। इसलिए अब ज़रूरत इस बात की है कि चुनाव 2023 तक का इंतज़ार नहीं करना चाहिए, क्योंकि 2018 में लिपिकों ने जब आन्दोलन अनिश्चितकालीन करने का निर्णय लिया था तो सरकार ने धोख़े एवं कपट वायदे में लिपिकों को रखकर लिपिक वेतन विसंगति के मुद्दे को दबा दिया।
कमलनाथ की कांग्रेस सरकार ने भी लिपिक वेतन विसंगति दूर कराने की बात अपने मैनिफेस्टो में रखा था, लेकिन कमलनाथ की सरकार भी लिपिक वेतन विसंगति दूर कराने के वायदे से मुकर गयी। 2020 में मध्यप्रदेश में राजनीतिक परिवर्तन भी हुये लेकिन लिपिक के हित में कोई ख़बर न आ सकी। इसलिए लिपिक नेता एवं सभी लिपिक साथियों से अपेक्षा है कि लिपिक वेतन विसंगति दूर कराने के मुद्दे को लेकर चर्चाएं शुरू कर दें। लिपिक वेतन विसंगति दूर कराने की हर सम्भव कोशिक करने का प्रयास निरन्तर ज़ारी रखें। क्योंकि चुनाव नज़दीक होने पर सरकार लिपिकों को पुन: झूठे वायदे करके एक बार फिर धोखा दे सकती है। याद यह भी रखिए कि कोर्ट/न्यायालय सरकार के कदम पर चलती है, ऐसा प्रतीत होता है। क्योंकि न्यायालय ने भी अब तक लिपिक हित में कोई निर्णय नहीं लिया है।
लिपिकों को अपनी मांग पूरी कराने के लिए मज़बूत दावों का सहारा लेना चाहिए, न कि अयोग्य और अनार्थिक मांगे रखने पर ज़ोर देना चाहिए। हम लिपिकों को सड़क पर उतरने की बजाय आधिकारिक रूप से सही व्यक्ति/नेता के पास सीधे अपनी मांग रखनी चाहिए।
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