eDiplomaMCU: मध्‍यप्रदेश के लिपिक कर्मचारी लिपिक वेतन विसंगति से न भटकें: लिपिक इस लड़ाई में अकेले थे और अकेले ही रहेंगे

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Saturday, December 11, 2021

मध्‍यप्रदेश के लिपिक कर्मचारी लिपिक वेतन विसंगति से न भटकें: लिपिक इस लड़ाई में अकेले थे और अकेले ही रहेंगे

लिपिक, एक ऐसा पद जिसे कई नाम दिये जाते हैं: बाबू/सहायक/क्‍लर्क/आदि। कुछ साल पहले की बात है जब ये लिपिक आज के कई संवर्गों से अधिक वेतन पाया करते थे, परन्‍तु इनके साथ अन्‍याय कुछ इस प्रकार हुआ कि लिपिकों से कम वेतन पाने वाले संवर्गों को लिपिक से अधिक वेतनमान में ला दिया गया। लिपिक कर्मचारियों का काम कठिन है और इनकी आज के दौर में योग्‍यता बहुत अच्‍छी है। परन्‍तु मध्‍यप्रदेश में लिपिक कर्मचारियों को 8वीं पास चपरासी के समान वेतनमान दिया जा रहा है। इस शोषण से मध्‍यप्रदेश के लिपिक कर्मचारियों में हीनता की भावना घर कर गयी है और अवसाद (depression) में चले गये हैं। 
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म.प्र. लिपिक 2800/- ग्रेड पे
लिपिक कर्मचारियों के साथ बीतते समय के साथ शोषण बढ़ता ही गया है। लिपिकों को इस अत्‍याचार का एहसास 6वें पे कमीशन के पहले ही हो गया था। 2006 में हुये पे रिवाईज में लिपिक कर्मचारियों को बुरी तरह से ठगा गया। लिपिकों से आधे वेतन पाने वालों को लिपिकों से अधिक वेतनमान पर लाकर खड़ा कर दिया गया। लिपिक अब जाग चुके थे और आये दिन आन्‍दोलन व हड़ताल करने लगे। परन्‍तु लिपिकों को कुचल दिया गया। यह बात अलग है कि तब लिपिक की योग्‍यता आज के लिपिक से कम थी और चपरासी से लिपिक बनने के लिए रास्‍ता आसान था। 

आज का लिपिक- यदि सरकार लिपिकों को सामान्‍य काम कराना चाहती और चपरासियों के समकक्ष मानती तो लिपिक आज विरोध न करते। आज के लिपिकों की योग्‍यता कम से कम 12वीं पास, कम्‍प्‍यूटर डिप्‍लोमा, सीपीसीटी है, कुछ विभाग तो 12वीं के स्‍थान पर स्‍नातक मांगते हैं। लिपिकों को सबसे अधिक काम का दबाव होता है और लिपिक ही किसी प्रकार के कार्य के लिए जिम्‍मेदार समझा जाता है। परन्‍तु आज लिपिक को चपरासियों जो कि सिर्फ 5वीं/8वीं पास अथवा अनपढ़ हैं, से केवल 2-3 हज़ार अधिक वेतन दिया जा रहा है। लिपिक की आज आर्थिक, मानसिक स्थिति इस शोषण से बिगड़ती जा रही है। लिपिक कम्‍प्‍यूटर पर कार्य करता है जिससे उसके आंख एवं तरह-तरह की शारीरिक समस्‍याओं का सामना करना पड़ रहा है, परन्‍तु सरकार लिपिकों को न तो कोई कम्‍प्‍यूटर भत्‍ता दे रही है और न ही कोई अन्‍य भत्‍ता। 


लिपिक वेतन विसंगति और सरकार के ज़ख्‍म- सन् 2006 से हुए इस अत्‍याचार के खिलाफ़ लिपिक कर्मचारियों ने सरकार से वेतन विसंगति दूर कराने की मांग की, सरकार ने लिपिकों को एक और ज़ख्‍म का तोहफ़ा दे दिया। सन् 2018 में सरकार ने चुनाव से पहले एक आदेश में 51 पदों का एवं अन्‍य अलग-अलग आदेशों में कई पदों का वेतनमान पुन: बढ़ा दिया, यह वेतनमान सन् 2016, 1 जनवरी से बढ़ाया गया था। उधर लिपिक कर्मचारी भूखे-प्‍यासे आन्‍दोलन कर रहे थे, जिसका परिणाम यह हुआ कि सरकार ने लिपिकों पर लाठी चलवाया, उन्‍हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। लिपिक कर्मचारियों को बुरी तरह प्रताडि़त किया गया। लिपिकों को अब यह बात समझ आ चुकी थी कि लिपिक सिर्फ बन्‍धुआ मज़दूर की तरह है, जो कोल्‍हू के बैल की तरह दिन-रात काम करता है और उसे बदले में बेईज्‍़ज़ती और अपमान सहना पड़ता है। लिपिकों को आज चपरासी जैसा समझा जाता है और उसका मज़ाक उड़ाया जाता है। 

लिपिक अब जाग गया- विधानसभा चुनाव 2018 से पहले मध्‍यप्रदेश के लिपिक कर्मचारियों ने जी-जान से लिपिक वेतन विसंगति दूर कराने का फैसला लिया। लिपिकों को धोखा देने के लिए सरकार ने रमेशचन्‍द्र शर्मा कमेटी के गठन का बनाने का निर्णय लिया और 3 महीने के अन्‍दर रिपोर्ट मांगा। रमेशचन्‍द्र शर्मा कमेटी ने रिपोर्ट दिया और लिपिकों का वेतनमान 2800/- ग्रेड पे कराने की अनुशंसा की, परन्‍तुु सरकार को अपने गुलाम/बन्‍धुआ मज़दूर को उनका हक़ नहीं देना था, इसलिए उसने लिपिकों की जमकर पिटाई कर दी और किसी भी तरह के आश्‍वासन को भी भविष्‍य के लिए टाल दिया। कांग्रेस की कमलनाथ की सरकार आई और यह सरकार भी लिपिकों को धोखे में रखी। अब 2022 आने वाला है और 2023 में विधानसभा चुनाव पुन: होगा। लिपिकों को अब अपनी पुरानी गलतियों का एहसास है और सरकार के धोखा देने के रवैया के खिलाफ़ आक्रोश भी है। लिपिक अब अपने हक़ की लड़ाई खुद लड़ेगा। 

2400 या 2800 ग्रेड पे- पटवारी जिनको लिपिकों से कम वेतन मिलता था, उनको आज 2100 ग्रेड पे मिल रहा है, जबकि लिपिकों को सिर्फ 1900 ग्रेड पे। पटवारी भी 2800 ग्रेड पे की मांग कर रहे हैं, जबकि दोनों की योग्‍यता बराबर है, और ज्‍यादातर विभागों के लिपिक कर्मचारियों को पटवारी से अधिक काम का दबाव होता है। 2018 के आदेश में कई पदों का वेतनमान 2006 में हुये वेतनमान रिवीजन के बाद पुन: रिवाईज किया गया। लिपिकों का ग्रेड पे आज के दौर में कम से कम 3600 ग्रेड पे होना चाहिए, जिस प्रकार इस ग्रेड पे की मांग राजस्‍थान के लिपिक कर्मचारी कर रहे हैं। वैसे राजस्‍थान के लिपिक कर्मचारियों का ग्रेड पे आज भी मध्‍यप्रदेश के लिपिकों से अधिक है। स्‍टाॅॅफ नर्स जैसे पदों का ग्रेड पे पहले लिपिक कर्मचारियों से कम था, परन्‍तु आज स्‍टॉफ नर्स का ग्रेड पे 2800 है। इसलिए आज के दौर में लिपिकों का ग्रेड पे कम से कम 2800 ग्रेड पे होना ही चाहिए। और लिपिक वेतन विसंगति की इस लड़ाई में लिपिक कर्मचारियों को 2800 ग्रेड पे की ही मांग करनी चाहिए। 


लिपिक कर्मचारी पेंशन योजना, महंगाई भत्‍ता, आवास भत्‍ता आदि के आन्‍दोलन में भाग न लें- लिपिक कर्मचारियों को किसी ऐसे आन्‍दोलन या मांग में हिस्‍सा नहीं लेना चाहिए जिसकी मांग अन्‍य सरकारी कर्मचारी या सभी अन्‍य सरकारी कर्मचारी कर रहे हों। पुरानी पेंशन योजना यदि लागू होती है तो सभी सरकारी कर्मचारियों को इसका लाभ मिलेगा, परन्‍तु लिपिकों का इस हेतु आन्‍दोलन में भाग लेने से उनकी प्रमुख मांग पूरी नहीं होगी। यदि लिपिक कर्मचारियों का ग्रेड पे बढ़ता है तो पुराने पेंशन योजना अथवा नए पेंशन योजना दोनों में फायदा होगा। मध्‍यप्रदेश में लिपिक संवर्ग ही केवल ऐसा वर्ग है जिसे सरकार हीन भावना से देखती है और उसी के साथ शोषण करती आयी है। लिपिक संवर्ग का बेस पे/ ग्रेड पे कम होने की वजह से पेंशन हेतु अंशदान एवं मंहगाई भत्‍ता आदि में अन्‍य समकक्ष पदों की तुलना में बहुत कम फायदा मिलता है। किसी भी प्रकार का कोई भत्‍ता या योजना के लिए यदि कर्मचारियों का आन्‍दोलन हो तो लिपिक कर्मचारियों को उसे प्राथमिकता न देकर लिपिक वेतन विसंगति दूर कराने पर ही ध्‍यान केन्द्रित करना चाहिए। यदि लिपिक का ग्रेड पे बढ़ जाता है तो पुरानी पेंशन पाने वाले लिपिक व नई पेंशन पाने वाले लिपिक दोनों को फायदा होगा। 


लिपिकों को साजि़श के तहत मुद्दे से भटकाया जा रहा है- मध्‍यप्रदेश के लिपिक कर्मचारियों की एकता बढ़ती जा रही है। अब लिपिक एक सूत्रीय मांग लिपिक वेतन विसंगति दूर कराकर ग्रेड पे 2800/- कराने की ओर अग्रसर हैं। ऐसे में लिपिक संवर्ग से द्वेष रखने वाले कुछ लोग लिपिकों को अनार्थिक, सीपीसीटी, महंगाई भत्‍ता, पेंशन योजना आदि मुद्दों को लेकर भटकाया जा रहा है। यदि लिपिक कर्मचारी अनार्थिक मांगे रखते हैं तो सरकार को लिपिकों के साथ खिलवाड़ करने का एक और मौका मिल जाएगा, और लिपिकों को इस विसंगति को दूर कराने के लिए अगले से अगले विधानसभा चुनाव 2028 तक इंतज़ार करना पड़ेगा। 

कब होगी वेतन विसंगति दूर- लिपिक नेता वेतन विसंगति को लेकर सजग नहीं दिख रहे हैं। हम लेख एवं वीडियोज के माध्‍यम से लिपिकों के हित के बारे में लगाकर सजगता फैला रहे हैं। सब लिपिकों को चाहिए कि हमारी बातों को हर एक लिपिक साथी तक पहुंचाने का प्रयास करें। यह आग जो दोबारा इस दिल में लगी है, इसे बुझने नहीं देना है। सरकार के पास अब कोई बहाना और नहीं बचा है। सरकार नए-नए मौकों को तलाशकर लिपिक के वेतन विसंगति को दूर न करने की मंशा बनाए है, लेकिन यदि लिपिक अभी से सरकार से वार्तालाप, प्रदर्शन आदि के रास्‍ते पर उतर आते हैं तो विधानसभा चुनाव 2023 के पहले और पूरी संभावना है कि जुलाई 2022 तक लिपिकों का ग्रेड पे 2800/- हो जाए। 


म.प्र. अधिकारी-कर्मचारी संयुक्‍त मोर्चा लिपिकों को दे रहा धोखा- लिपिक लड़ाई में पहले भी अकेले थे और आज भी अकेले हैं। अधिकारी-कर्मचारी संयुक्‍त मोर्चा के ज्ञापन या मांग पत्र में लिपिक वेतन विसंगति को प्राथमिकता कभी नहीं दी गयी। अधिकारी-कर्मचारी संयुक्‍त मोर्चा अपने ज्ञापन में लिपिक शब्‍द लिखने से कतराता है और अन्‍य संवर्ग लिपिक के समर्थन में कभी नहीं आये हैं और न ही आयेंगे क्‍योंकि उनको लगता है कि पढ़ा लिखा नौकर जो चपरासी के भी काम करता है और चवन्‍नी में अपना गुज़र-बसर करता है। मध्‍यप्रदेश के अधिकारी व अन्‍य संवर्ग अपनी मांगों को पूरा करवाने के लिए लिपिकों का सहारा लेते हैं क्‍योंकि लिपिक ही उनकी मांग को लेकर सड़क पर लाठी-डण्‍डे खाने उतरता है, चाहे आप महंगाई भत्‍ते की बात करें या आवास भत्‍ते की, लिपिक कर्मचारी ही गरीब इंसान के रूप में सड़क पर महंगाई भत्‍ता जैसी मांगों को लेकर सड़क पर उतरे थे। ज़रूरत इस बात की है कि लिपिक सड़क पर तो उतरें परन्‍तु पुरानी पेंशन योजना लागू कराने, महंगाई भत्‍ता बढ़वाने, आवास भत्‍ता आदि बढ़वाने के लिए बिल्‍कुल भी भाग न लें, क्‍योंकि आप इन भत्‍तों को बढ़वाकर भी अन्‍य संवर्गों से कम लाभ पाते हैं जिनका कार्य प्रकार आपसे कमतर है, और जिनको आपके समान मेहनत नहीं करनी पड़ती। लिपिक साथियों को इसी शर्त पर अधिकारी-कर्मचारी संयुक्‍त मोर्चा की किसी बात का समर्थन करना चाहिए कि पहले संयुक्‍त मोर्चा लिपिक कर्मचारियों का ग्रेड पे 2800/- बढ़वाने के लिए सड़क पर उतरे, तब लिपिक भी उनका समर्थन अन्‍य किसी मुद्दे पर करेंगे। 

प्रिय साथियों, लिपिक होना कोई अभिशाप नहीं है। हमारी ख़ामोशी ने ही लिपिकों की यह दुर्दशा की है। लिपिकों को किसी और मुद्दे की बात न करके सिर्फ और सिर्फ लिपिक वेतन विसंगति की बात ही करना चाहिए, और तब तक नहीं रूकना चाहिए जब तक लिपिक कर्मचारियों का ग्रेड पे 2800/- न हो जाए। 


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