दोस्तों, मेरा नाम अभिषेक है। इस लेख में हम बात करने वाले हैं कि किस तरह से आप आपके रिहायशी मोहल्ले में शराब की दुकान खुलने से रूकवा सकते हैं। मैं इस बात को जानता हूँ कि एक सरकारी कर्मचारी होने के नाते मुझे सरकार के राजस्व के ज़रिये में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, लेकिन इस बात को भी मैं जानता हूँ कि यदि ये राजस्व के ज़रिये गैर कानूनी तरीके से आमजन को परेशान करके प्राप्त किये जा रहे हैं, यह भी गलत है। इसलिए मैं उन नियमों का हवाला देते हुए यह बताऊँगा कि किस प्रकार से आप आपके रिहायशी इलाके में शराब की दुकान स्थापित होने से रूकवाऍं।
पटवा हाऊस: देवसर, सिंगरौली (म.प्र.) |
इस लेख में हम आपको एक कहानी बताने जा रहे हैं कि किस प्रकार मोहल्ले वालों ने मिलकर गैर कानूनन तौर पर खुल रहे शराब की दुकान को खुलने से रोका। क्योंकि मैं भी अप्रत्यक्ष रूप से इस गतिविधि में शामिल था तो उन अनुभव के बारे में भी बात करूँगा जो हमने महसूस किया।
देवसर, जिला- सिंगरौली, मध्यप्रदेश की एक तहसील है। यह बात माह अप्रैल 2022 के पहले सप्ताह की है जब पटवा हाऊस, पश्चिम बाईपास मस्जिद रोड देवसर, पर शराब की दुकान खुलने जा रही थी। वैसे पूर्व में भी इसी स्थान पर शराब की दुकान थी, जिसे एक समझदार और विद्वान भैया ने नियमों का हवाला देते हुए करीबन 3 साल पहले बन्द करा दिया था। क्योंकि इसी इलाके में मैं भी किराये से रूम लेकर रह रहा था, शराब भट्टी खुल जाने से मुझे भी तक़लीफ़ होती, और साथ-ही-साथ यदि मैं यहॉं से रूम कहीं और लेता तो यह मुसीबतों से डरकर भागने के समान होता, जो मेरी कायरता को परिलक्षित करता। वैसे इस इलाके में रहने वाले लगभग सभी लोगों को अपने घर की बहन-बेटियों और बच्चों की फिकर थी, क्योंकि शराब की दुकान खुल जाने से अवांछनीय लोग यहॉं बेवजह माहौल ख़राब कर देते। (यह मेरे लिए दु:खद है, क्योंकि मैं किसी की सबसे अधिक फिकर कर रहा था, और 1 हफ्ते बाद ही पता चला कि जिसकी सबसे अधिक मैं फिकर करता हूँ वह मुझे एक खिलौना समझता है) इन्हीं सब बातों को लेकर मोहल्ले वालों ने आपस में चर्चाएँँ की, लगभग सभी जगह बात किया और 8 अप्रैल 2022 को एक आवेदन पत्र (ज्ञापन) उपखण्ड अधिकारी और पुलिस थाने दे दिया।
शराब की दुकान रिहायशी मोहल्ले में न खुले, इसके लिए पुलिस थाने में आवेदन देने से कुछ खास नहीं होता, बल्कि उपखण्ड अधिकारी को यह आवेदन दिया जाना चाहिए, क्योंकि पुलिस सिर्फ लॉ-एण्ड-ऑर्डर को सुनिश्चित कराती है। परन्तु पुलिस थाने में भी आवेदन देने का एकमात्र उद्देश्य यह था कि यदि भविष्य में कोई अप्रिय घटना होती है तो इसकी पूर्व सूचना पुलिस को पहले से प्राप्त थी, और यदि पुलिस ने उस आवेदन पर विचार नहीं किया तो यह नैतिक तौर पर गलत होता। 1 दिन गुजर जाने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई, और मोहल्ले वाले परेशान हो रहे थे, उन्होंने कई जगह बात कर ली, लेकिन आश्वासन के सिवाय कुछ न मिला। अब बारी थी उन भैया की जिन्होंने पूर्व में ही उस भट्टी को बन्द करवाया था। अब आगे का मार्गदर्शन इन्हीं भैया ने दिया। मोहल्ले वाले सीएम हेल्पलाईन पर कोशिश करते रहे, लेकिन त्वरित परिणाम न हुआ।
इस शराब की दुकान खुलने की सूचना जिला आबकारी अधिकारी सिंगरौली को दी गई, और उनसे उन नियमों का भी हवाला दिया गया जो शराब की दुकान खोलने से पूर्व जॉंच कर लेना आवश्यक होता है। आबकारी अधिकारी ने कुछ ही वक्त बाद बैढ़न (सिंगरौली जिला मुख्यालय) से एक टीम देवसर के लिए भेज दिया। मोहल्ले वाले सब इकट्ठे थे, वैसे उस दिन से पूर्व रात को ही मैंने और उन भैया ने उस प्रत्याशित शराब की दुकान से बाईपास होते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग की दूरी माप लिये थे। आबकारी विभाग की तरफ से आई टीम ने नियमों का हवाला देते हुए साफ कर दिया कि उस स्थान पर शराब की दुकान नहीं खुलेगी और आखिरकार शराब की दुकान नहीं खुली।
नियम जो जानना है ज़रूरी-
✅ राष्ट्रीय राजमार्ग से शराब की दुकान की दूरी 220 मीटर से कम नहीं होनी चाहिए।
✅ शराब की दुकान से शैक्षणिक स्थल, धार्मिक स्थल आदि की दूरी 50 मीटर से कम नहीं होनी चाहिए।
वैसे कुछ अन्य नियम भी हैं जो अक्सर दरकिनार कर दिये जाते हैं। जब भी किसी मोहल्ले में शराब की दुकान खुल रही हो तो वहॉं के निवासियों से जनमत लिया जाना ज़रूरी होता है। यदि दुकान खुल ही गई है और उपर्युक्त नियमों के दायरे में आपका मोहल्ला नहीं आ रहा है तो आपको जिला आबकारी अधिकारी को एक आवेदन इस आशय का कि रिहायशी मोहल्ले से शराब की दुकान बन्द हो, ज्यादातर निवासियों के पते के साथ जनमत हेतु दिया जाना उचित होता है। कुछ वक़्त बाद आपके मोहल्ले में जनमत पश्चात शराब की दुकान बन्द कराये जाने का निर्णय लिया जा सकता है।
एक बात जो मैंने देखा कि देवसर के इस मोहल्ले में रहने वाले अधिकतर लोग डर रहे थे। वे यह सोच रहे थे कि जिनके घर के करीब यह शराब की दुकान खुल रही है वह ही कुछ करें। मैं अचरज़ में था कि ये अधिकांश लोग क्यों किसी से इतना ख़ौफ खा रहे थे। वैसे यह शराब की दुकान इस आधार पर बन्द कर दी गई कि राष्ट्रीय राजमार्ग से बाईपास होते हुए भी जो रास्ता शराब की दुकान तक आ रहा था उसकी दूरी सिर्फ 180 मीटर अर्थात् 220 मीटर से कम थी।
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