eDiplomaMCU: मध्‍यप्रदेश के लिपिक कर्मचारियों को मिल सकता है एक और धोखा, अब संस्‍था के नाम पर तय होगा वेतनमान । जानिए शेट्टी आयोग की नीति के बारे में

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Saturday, January 29, 2022

मध्‍यप्रदेश के लिपिक कर्मचारियों को मिल सकता है एक और धोखा, अब संस्‍था के नाम पर तय होगा वेतनमान । जानिए शेट्टी आयोग की नीति के बारे में

मध्‍यप्रदेश के सरकारी कर्मचारी आये दिन कम वेतन और समय पर महंगाई भत्‍ता, आवास भत्‍ता केन्‍द्र के समान न पाने को लेकर आन्‍दोलन की राह अपनाते आये हैं। मध्‍यप्रदेश सरकार ने पिछले विधानसभा चुनाव से पहले सन् 2018 में तारीख़ 1 जनवरी 2016 से सातवां वेतनमान लागू कर दिया और कई सारे पदों को वैतनिक पुरस्‍कृत किया गया। इनमें से किसी भी पद की कोई वेतन विसंगति नहीं थी, सरकार ने तो कुछ पदों को उसके मूल ग्रेड पे से दो चरण छलांग लगवा दिया अर्थात् 2100 ग्रेड पे पाने वाले को 3200 और 3600 जैसे ग्रेड पे दे दिया गया, वहीं दूसरी तरफ सन् 1981 के बाद से लिपिकों के साथ अन्‍याय बढ़ता ही गया। 

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मध्‍यप्रदेश शेट्टी कमीशन 

लिपिकों का दर्द- मध्‍यप्रदेश के लिपिकों को कोल्‍हू के बैल की तरह काम कराया जाता है। पहले के अधिकतर लिपिकों को तकनीकि का आज के स्‍तर के लिपिकों के समान ज्ञान नहीं था, और तो और पहले जो लिपिक अपने अधिकार की मांग ज़ोरदार तरीके से नहीं रख सके, यह कुछ लिपिकों की मानसिकता को दर्शित करता है जो जी हुज़ूरी से अपनी नौकरी पूरा करने में अमादा रहे। लेकिन ऐसे लिपिकों की कमी नहीं चाहे वो पुराने हों या आज के, जिन्‍होंने कर्म को ही पूजा माना और किसी कार्यालय की रीढ़ की हड्डी की तरह काम करते गये। लिपिकों का वेतनमान आज के करीबन 2800, 3200 और 3600 ग्रेड पे पाने वाले पदों के समान था, परन्‍तु लिपिकों से कुछ अज़ीब तरह से दुश्‍मनी निकाली गई।

आये दिन जब‍ लिपिक का वेतन अन्‍य अधिकतर पदों से बहुत कम हो गया, तो लिपिकों को चपरासी के समान समझने की और दर्शित करने की रणनीति अपनाई गई। कुछ अयोग्‍य लिपिक जो किस्‍मत अच्‍छी होने की वजह से लिपिक बन गये, वे लिपिक होने के बावजू़द एक अच्‍छे चपरासी की भूमिका में कार्यालय में नज़र आने लगे। ऐसे ही लिपिकों ने अपने पद की गरिमा को धूमिल किया है। एक अच्‍छा उदाहरण यह है कि लिपिक जो पुलिस सहायक उप निरीक्षक के पद पर चयनित होता है उसकी योग्‍यता और मध्‍यप्रदेश के अन्‍य विभागों में कार्यरत लिपिकों की योग्‍यता एवं भर्ती नियम समान होते हैं। पुलिस सहायक उप निरीक्षक का वेतन 2800 ग्रेड पे होता है, जबकि लिपिक भर्ती पर उसी पद का वेतन सिर्फ 1900 ग्रेड पे मिलता है। बात साफ है कि लिपिक/सहायक ग्रेड-3 पुलिस के सहायक उप निरीक्षक के पद के समान पद है, क्‍यों आज लिपिकों की योग्‍यता उच्‍च है और वह उस स्‍तर का काम भी करता है। 

लिपिक मांग रहा 2400 ग्रेड पे- लिपिकों को इस कदर बेईज्‍ज़त और मज़बूर किया गया कि आज लिपिक अपने हक़ 2800 ग्रेड पे की मांग न कर सिर्फ 2400 ग्रेड पे की मांग कर रहा है। लिपिक मध्‍यप्रदेश के सभी कार्यालयों में कार्य करता है, चाहे वह न्‍यायालय का हो या मध्‍यप्रदेश सरकार के अधिकारिता क्षेत्र का कोई विभाग हो। 

और पढ़ें- डुप्‍लेक्‍स प्रिन्‍टर क्‍या है? कैसे करते हैं डुप्‍लेक्‍स प्रिन्टिंग?

शेट्टी पे कमीशन- शेट्टी कमीशन यह कहता है कि न्‍यायालय में काम करने वाले कर्मचारियों को अन्‍य विभाग से कहीं अधिक काम करना पड़ता है और जिम्‍मेदारी के साथ ये कर्मचारी काम करते हैं तो इनका वेतन अन्‍य विभाग के समकक्ष पदों से कहीं अधिक हो। दूसरे शब्‍दों में न्‍यायालय में काम करने वाले बाबू/ल‍िपिक/सहायक अन्‍य विभाग के लिपिकों से बहुत अधिक काम करते हैं और अन्‍य विभाग के लिपिक कामचोर होते हैं, इसलिए न्‍यायालय के कर्मचारियों को अधिक वेतन मिलना चाहिए जबकि अन्‍य विभाग के लिपिकों को फटेहाल में छोड़ देना चाहिए। न्‍यायालय ने सरकार को शेट्टी पे कमीशन लागू करने की बात कही थी, और आशंका भी है कि सरकार अगले विधानसभा चुनाव 2023 से पहले शेट्टी पे कमीशन न्‍यायालयीन कर्मचारियों पर लागू भी कर दे। 

समान पद और असमान वेतन- चौंकिए मत। मध्‍यप्रदेश के लिपिक कर्मचारियों की दुर्दशा बढ़ती ही जाएगी यदि आज आप खामोश रहे तो। न्‍यायालय में काम करने वाले लिपिक अपने आपको राज्‍य सरकार में काम करने वाले लिपिकों से अलग मानते हैं और आपकी लिपिक वेतन विसंगति से उन्‍हें कोई लेना देना नहीं है। यद्यपि समान पद कहना यहां गलत है क्‍योंकि न्‍यायालय में भर्ती होने वाले समान पद के कई अभ्‍यर्थियों के पास सीपीसीटी नहीं होता और उनकी परीक्षा पीईबी/व्‍यापम स्‍तर जितनी कठिन नहीं होती है। लेकिन उनमें से कुछ लिपिक राज्‍य सरकार में कार्यरत आज के लिपिकों के समान योग्‍य हैं। मतलब साफ है कि हम उस राह पर हैं जिसका पद समान है और वेतनमान अब अलग-अलग होने वाला है। 

लिपिक शान्‍त नहीं बैठेगा- यह चेतावनी और विनती दोनों है। अधिक योग्‍य लिपिक आज के दौर में शान्‍त नहीं बैठेगा, वह आवाज़ उठायेगा। यदि इसी आधार पर वेतनमान का निर्धारण होगा तो क्‍यों न अन्‍य विभाग के लिपिक ये समझें की सरकार मानती है कि वे निकम्‍मे हैं और काम नहीं करते, तो सभी लिपिक एक साथ काम करना बन्‍द कर देंगे। यदि सरकार को किसी लिपिक के मेहनत और काम को देखना हो तो प्राईवेट सिस्‍टम के तहत सभी कार्यालयों के सभी पदों के कार्य को रीयल टाईम में ऑनलाईन पब्लिक के सामने ब्रॉडकास्‍ट किया जाए, ताकि यह देखा जा सके कि कौन से पद का कौन कर्मचारी/अधिकारी किस-किस विभाग का कितना काम करता है और इसी आधार पर वेतन का निर्धारण हो। 

विधानसभा चुनाव 2023 का इंतज़ार न करें मध्‍यप्रदेश सरकार के लिपिक- लिपिकों को पिछले विधानसभा चुनाव में दर्दनाक धोखा मिला था। इस बार भी लिपिकों की ख़ामोशी उनके परेशानी का सबब बनेगी, इसलिए लिपिकों को चाहिए कि अपनी योग्‍यता और कार्यप्रकार को ध्‍यान में रखकर अभी से सरकार के समक्ष प्रश्‍न करें और मांग रखें की लिपिक बन्‍धुआ मज़दूर नहीं है और लिपिक को उनका हक़ 2800 ग्रेड पे दिया जाए। 

वीडियो देखें- म.प्र. लिपिक कर्मचारियों को मिल सकता है एक और झटका । समान पद और असमान वेतन की राह आसान नहीं होगी...


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