भारतीय-चीनी सीमा विवाद और राजनैतिक रिश्तों में ख़टास बढ़ती ही जा रही है। भारत सरकार पिछले लगभग 1 वर्ष से चीनी सेना और उसकी नीति का दंश झेल रही है। भारत ने चीन की बुरी नीति और सीनाज़ोरी का ईंट का ज़बाव पत्थर से देने का हमेशा असफल प्रयास किया है। इस लेख में हम भारत द्वारा चीन के 54 मोबाईल एप्लीकेशन को प्रतिबन्धित करने के फैसले एवं भारतीयों के मनोविज्ञान का विश्लेषण करेंगे।
भारत बैन करेगी 54 और चीनी एप्स |
भारत ने चीन के जिसकी लाठी उसकी भैंस नीति का ज़बाव देते हुए 54 और चीनी मोबाईल एप्लीकेशन्स को प्रतिबंधित करने का निर्णय लिया है। ब्यूटी कैमरा के साथ-साथ वीवो वीडियो एडिटर जैसे उपयोगी मोबाईल एप्लीकेशन भी बैन हो जाएगा। भारत सरकार ऐसा भारत की सुरक्षा कारणों को ध्यानगत रखते हुये ऐसा करने का निर्णय ली है। अभी 54 चायनीज एम्पीकेशन जो जल्द ही प्रतिबंधित हो जायेंगे, की लिस्ट आधिकारिक तौर पर जल्द आ जाएगी। भारत सरकार का आरोप है कि चीन भारत में प्रचलित इन एप्लीकेशन्स की मदद से यूजर्स का डेटा चोरी करता है और अनैतिक तरीके से तीसरी पार्टी को बेच देता है, या खुद भारत की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करता है।
भारत-चीन सीमा विवाद और भारतीय सैनिकों के शहादत को पिछले साल ध्यान देते हुए 59 मोबाईल एप्लीकेशन को बैन करने का निर्णय भारत सरकार ने लिया था। यह निर्णय 29 जून 2021 को लिया गया था, बाद में कुछ महीने बाद ही सितम्बर 2021 में 118 और चीनी मोबाईल एप्लीकेशन को बैन कर दिया गया था। भारत ने अपने नागरिकों से चीनी सामान का परित्याग करने का भी आव्हाहन किया था, सोनम वांगचू जैसे समाजसेवी ने भी चीनी सामान के परित्याद को बखूबी अन्ज़ाम दिया।
ऐतिहासिक दृष्टि की बात की जाए तो चीनी सामान का बहिष्कार एक ढकोसला है। भारतीयों को चीनी उत्पाद और चीनी एप्लीकेशन पसंद है। जिन मोबाईल एप्लीकेशन के प्रतिबंधन की बात चलती है, वही मोबाईल एप्लीकेशन, जैसे- कैम स्कैनर, का प्रयोग सरकारी कार्यालयों के साथ-साथ बहुतायत आमजन भी करते हैं। दूसरी वजह यह भी है कि चीनी सर्विसेज की तरह कोई भारतीय सर्विस नहीं है, या भारतीय सर्विसेज में अधिक पैसा वूसलने की कपट होती है।
जब-जब चीन ने कोई नया प्रोडक्ट लांच किया है, भारतीयों ने बढ़चढ़कर सामान ख़रीदा है। वह लोग भी चीनी सामान का बहिष्कार करने की बात करते हैं जो चीनी मोबाईल का प्रयोग कर रहे होते हैं। आज सरकारी कार्यालयों में भी अधिकतर डिवाइस जैसे कम्प्यूटर आदि चीनी ही हैं। ऐसे उपकरण अत्यल्प हैं जो भारतीय हों, यदि भारतीय का लोगो लगा भी है तो चीन में कम्पोनेंट बना है और भारत में असेम्बल हुआ है।
भारत में लोगों को चीन के प्रति उकसाने और भारत प्रेम जागृत करना एक बुलबुले की तरह है, जिसकी परवाह किसी को नहीं है। आमजन जिसकी क्षमता 10 हज़ार फोन लेने की ही है तो वह अच्छा फोन चीनी ही पाता है जो अच्छी सर्विस देता है, जबकि जो लोग चीनी सामान बहिष्कृत करने की बात कर रहे होते हैं, वही लोग सबसे पहले सेल आउट का इन्तज़ार करते हैं और चन्द घण्टों में ही चीन के प्रोडक्ट का स्टॉक खाली हो जाता है। यहां पर कुछ लोग भारतीय व्यापारियों के नीति और उनकी फंसी पूंजी की बात करेंगे, तो ज़मीनी सच्चाई यह है कि किसी भी रिटेल के पास यदि ग्राहक जाता है तो वे चायनीज सामान को ही प्रिफर करते हैं।
आज भारतीय युवाओं को चायनीजि एप्लीकेशन्स या उसके इन्वेस्टमेंट ने बर्बाद किया है। भारत में चायनीज इन्वेस्टमेंट ने भी भारत की अर्थव्यवस्था को चकनाचूर किया है। दूसरी तरफ जिन्होंने चीनी नीति को अपनाया है, उसका सहयोग किया है, वो रातों रात अमीर बने हैं। आज भारतीयता या राष्ट्रीयता की भावना एक आडम्बर लगता है और आमजन को भ्रम में डालने वाला है। यदि किसी एप्लीकेशन को प्रतिबंधित किया जाता है तो सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि उस एप्लीकेशन का प्रयोग किसी भी स्तर पर गैर कानूनी होगा, चाहे उसका प्रयोग कोई सरकारी कार्यालय ही क्यों न हो। बड़े-बड़े भारतीय स्टार्टअप्स को भी यदि चायनीज कम्पनियों का फायनेंस/इन्वेस्टमेंट मिलता है तो भारत को ऐसी कम्पनी को धराशायी करने का जिम्मा उठा लेना चाहिए। कुछ अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार नियम हैं, यदि सरकार को उन नियमों की दुहाई देकर दोमुहां रवैया यदि अपना हो तो आमजन से यह उम्मीद बिल्कुल न करे कि आमजन चीनी सामान का बहिष्कार करेंगे। चीनी सामान का बहिष्कार आमजन के द्वारा किये जाने से पूर्व ऐसे व्यापारियों पर रेड डालना ज़रूरी है जो चीनी एजेंट यहांं बने बैठे हैं।
नोट- दिल पर यह लेख मत लेना, लेकिन सच्चाई है। आज सरकारी कार्यालयों में यदि सर्वे कराया जाए तो पता चलेगा कि 80 प्रतिशत उपकरण या टेक्नॉलजी चायनीज आधारित है। चन्द कुछ समय के लिए भारत में चायनीज बॉयकट की बात होती है लेकिन बाद में उन्हींं को प्रमोट किया जाता है।
वीडियो देखें- भारत सुरक्षा खतरे का हवाला देते हुए 54 और चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगाएगा | Chinese Apps Ban Again 2022
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