टोडा जनजाति Toda Tribe (Tamilnadu) - टोडा जनजाति के लोग द्रविडि़यन संजातीयता से सम्बंध रखते हैं। यह जनजाति मुख्यतया तमिलनाडु के नीलगिरि पर्वत पर रहती है, यह नीलगिरि श्रंखला पश्चिमी घाट का एक हिस्सा है जो कर्नाटक, केरल एवं तमिलनाडु में आच्छादन करता है।
टोडा जनजाति |
टोडा लोगों की जनसंख्या- वर्तमान में टोडा लोगों की जनसंख्या करीबन 2200 है। यह भारतीय जनसंख्या की तुलना में काफी कम है। टोडा जनजाति के इतिहास में बालिका भ्रूण हत्या थी। महामारी या अज्ञात कारणों ने आये दिन टोडा जनजाति की जनसंख्या पर असर डाला है।
टोडा जनजाति के बारे में विशेष- भैंस का आदर-सम्मान एवं धार्मिक दृष्टि से पवित्र। भ्रातीय बहुपतित्व प्रचलन (महाभारत जैसा) । शाकाहारी । प्रकृति रहवासी ।
टोडा: व्यवसाय, घर, भोजन- टोडा जनजाति के लोगों का एकमात्र और प्रमुखतया व्यवसाय डेयरी का है। घर प्रमुखतया बांस एवं प्राकृतिक धागों से बना होता है। अर्द्ध-दीर्घवृत्तीय घरों पर भित्तिकला भी उत्कीर्ण। इस घर को डगलेस जबकि निवास क्षेत्र को मुण्ड कहा जाता है। प्रमुखतया शाकाहारी, चावल व दुग्ध पदार्थ ।
धार्मिक दृष्टिकोण: पवित्र भैंस- टोडा धर्म के ऐतिहासिक मान्यता अनुसार उनकी देवी टिकिरशी और उनके भाई ने पवित्र भैंसे को बनाया, फिर एक आमदी और औरत बनाया। विभिन्न टोडा संस्कार के फलस्वरूप ही पवित्र भैंसे में निखार आया। डेयरी का प्रमुख दूधवाला/ग्वाला एक पुजारी की तरह होता है और उसे पवित्र भैंसे के सम्मान में कुछ ख़ास रीति-रिवाजों का पालन भी करना पड़ता है।
टोडा के वर्तमान धर्म- टोडा की लगभग 2200 की जनसंख्या को उनके मान्यता अनुसार अलग-अलग धर्मों में रखा गया है। सबसे अधिक जनसंख्या करीबन 1900 को हिन्दू धर्म के तरह जबकि कुछ को ईसाई, मुस्लिम एवं बौद्ध धर्म के अन्तर्ग भी रखा गया है। वर्तमान में टोडा जनजाति में बहुपति प्रचलन कुछ कम हुआ है।
टोडा भाषा- नीलगिरि में रहने वाले टोडा जनजातियों द्वारा टोडा भाषा का प्रयोग किया जाता है। टोडा भाषा कन्नड और मलयालम के लगभग बीच की भाषा है जिसे समझना काफी मुश्किल है। टोडा भाषा आद्य-द्रविड़ परिवार की भाषा है। टोडा भाषा को विशेष ध्वनिक विद्या के प्रयोग से बोला जाता है जो आमतौर की भाषाओं से भिन्न है।
आधुनिक टोडा- विज्ञान और तकनीकि ने टोडाओं की जिन्दगी एवं रहन-सहन को प्रभावित किया है। बहुपति प्रचलन को कम करने में वर्तमान परिस्थिति का अहम योगदान है। टोडा पारम्परिक घरों को उसी तर्ज पर मॉडर्न स्टाईल में भी बनवा रहे हैं। पवित्र भैंसे के डेयरी व्यवसाय के अलावा अन्य कुछ व्यवसाय भी टोडा जनजाति द्वारा अपनाए जा रहे हैं। टोडा धर्म के रिवाज़ का आज भी पालन किया जाता है, लेकिन बदलते परिवेश के टोडा जो शुद्ध-शाकाहारी थे, मॉंसाहारी के उदाहरण भी पेश कर रहे हैं।
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