eDiplomaMCU: नई पेंशन योजना के मार्स प्‍लान से भ्रमित न हों कर्मचारी : पुरानी पेंशन बहाली संघर्ष रहे ज़ारी

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Friday, May 20, 2022

नई पेंशन योजना के मार्स प्‍लान से भ्रमित न हों कर्मचारी : पुरानी पेंशन बहाली संघर्ष रहे ज़ारी

पुरानी पेंशन योजना ख़त्‍म होने के कुछ समय तक कोई आन्‍दोलन नहीं हुआ था, वजह साफ थी कि ज्‍यादातर कर्मचारियों को इस बात का यक़ीन था कि नई पेंशन योजना उनके लिए बेहतर होगी जैसा कि उस वक्‍़त प्रचार-प्रसार किया जा रहा था। एनपीएस का विरोध प्रमुखतया उन सरकारों ने किया जो कर्मचारियों के हित को महत्‍व देती रहीं जैसे कि पश्चिम बंगाल की सरकार। कभी-कभी बात किया जाता है कि केरल ने भी नई पेंशन योजना को स्‍वीकार नहीं किया, तो यह बात गलत है, बल्कि केरल की सरकार ने सन् 2013 में नई पेंशन योजना प्रणाली को अपना लिया। आये दिन समय के साथ एनपीएस की ख़ामियॉं पता चलती गयीं और धीरे-धीरे एनपीएस के खिलाफ़ आवाज़ भी उठने लगी।

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पुरानी पेंशन की मॉंग: म.प्र. कर्मचारी 

 कुछ माह पहले ही पहले राजस्‍थान की कांग्रेस सरकार ने, उसके बाद छत्‍तीसगढ़ की कांग्रेस की सरकार ने अपने सरकारी कर्मचारियों के लिए नई पेंशन योजना व्‍यवस्‍था को बन्‍द करके पुरानी पेंशन योजना बहाल कर दी। इसके साथ ही पुरानी पेंशन योजना की मॉंग करने वाले देशव्‍यापी आन्‍दोलन को एक बल मिला और सभी राज्‍यों सहित केन्‍द्रीय कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन बहाली की मॉंग तेज कर दी। इसी बीच मध्‍यप्रदेश में भी पुरानी पेंशन योजना बहाली के लिए संघर्ष ज़ारी रहा। कर्मचारियों ने आये दिन आन्‍दोलन किये, सामूहिक आन्‍दोलन की पृष्‍ठभूमि भी बनाए परन्‍तु सरकार द्वारा अनुमति निरस्‍त कर दी गई। परन्‍तु ज्ञापन सौंपने और अपनी मंशा को सरकार के सामने रखने में कर्मचारियों ने कोई कमी नहीं की, और  साफ कर दिया कि हम पुरानी पेंशन बहाली के लिए प्रतिबद्ध हैं। 

दूसरी तरफ दिनांक 19/05/2022 को पुन: मध्‍यप्रदेश के समस्‍त जिले से सरकारी कर्मचारियों ने माननीय मुख्‍यमंत्री जी के नाम ज्ञापन सौंपते हुए स्‍पष्‍ट कराया कि नई पेंशन योजना के कई नुकसान हैं, जितनी पेंशन नई पेंशन योजना के नाम पर मिलती है उतने में घर चलाना असम्‍भव है। मध्‍यप्रदेश में भी 2023 में विधानसभा के चुनाव हैं, इसी बात को मद्देनज़र रखते हुए पुरानी पेंशन बहाली का आन्‍दोलन तेज हो गया है। 


नई पेंशन योजना को बेहतर साबित करने के लिए सरकार ने कई कदम उठाये हैं। विभिन्‍न राज्‍य की सरकारों ने साफ-साफ कह दिया है कि हम पुरानी पेंशन योजना बहाल नहीं करेंगे क्‍योंकि हम सरकारी ख़जाना सिर्फ सरकारी कर्मचारियों पर नहीं लुटा सकते, हमें और भी काम करने होते हैं, हम नई पेंशन योजना में कुछ तब्‍दीली ज़रूर ला सकते हैं। इसी बात को सच करने के लिए पीएफआरडीए अर्थात् सरकार एनपीएस में मार्स योजना को ला रही है। मार्स का मतलब मिनिमम एश्‍योर्ड रिटर्न स्‍कीम, इस योजना के तहत एनपीएस में अब फिक्‍स्‍ड रिटर्न मिलेगा जिससे कर्मचारियों को चिन्‍ता करने की ज़रूरत नहीं होगी कि भविष्‍य में उनको कितनी पेंशन मिलेगी या नहीं। परन्‍तु मार्स योजना के तहत फिक्‍स्‍ड रिटर्न देने, नुकसान, फायदा आदि का एकाधिकार उस कम्‍पनी का होगा जो कर्मचारियों के पैसे को शेयर मार्केट में कंट्रोल कर रही है। अर्थात् सरकार प्रायवेट कम्‍पनी को बीच में लाकर अपना पीछा छुड़ा लेना चाहेगी। 

वर्तमान में बढ़ रही महंगाई का दर और व्‍यापारी वर्ग के द्वारा सेवाओं के शुल्‍क को अचानक बढ़ा देना, यह सब आम बात नहीं है। इसी महीने मई में दो बार घरेलू एलपीजी के दाम बढ़े हैं, पहली बार सीधा 50 रूपये बढ़ा और दो दिन पहले 3 रूपये बढ़ा, अब मध्‍यप्रदेश में एलपीजी घरेलू का दाम लगभग 1029 रूपये है। ख़बर ऐसी भी है कि एनपीएस से रिटायर्ड कुछ कर्मचारी हैं जिनको 500 से 1500 के बीच ही पेंशन मिल रही है और यह पेंशन कभी बढ़ने वाली भी नहीं क्‍योंकि इसमें डीए लागू नहीं होगा। अब यदि कर्मचारी एनपीएस में निवेश भी करता है तो बाज़ार आधारित महंगाई को एनपीएस निवेश पर रिटर्न भी नाकाफी होगा, और एक सरकारी कर्मचारी ताउम्र दासता भरी जिन्‍दगी जीने को मज़बूर होगा। 

मध्‍यप्रदेश की सरकार ने भी आईएफएमआईएस पोर्टल पर एनपीएस के ग्राफ को प्रदर्शित करने का निर्णय लिया है। मार्स प्‍लान के बाद एनपीएस को और अच्‍छा दिखाने का प्रयत्‍न किया जाएगा। परन्‍तु कर्मचारी इस बात से रूबरू हैं कि एनपीएस में कैसा भी सुधार क्‍यों न हो जाए, यह ओपीएस (पुरानी पेंशन योजना) से कभी अच्‍छा नहीं हो सकता। 


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