दोस्तों, मेरा नाम अभिषेक है। अब इस बात की उम्मीद नहीं कर रहा कि मध्यप्रदेश के लिपिक वर्गीय कर्मचारियों का वेतनमान 1900 ग्रेड पे से बढ़ेगा, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में अथक प्रयास व समर्पण करने के बाद भी हमने देखा कि किस प्रकार मध्यप्रदेश लिपिक वर्गीय कर्मचारियों में एकता की कमी की वजह से लिपिक वेतन विसंगति दूर न हो सकी और बात के जाल में लिपिकों के सपने फंसते चले गये।
इस लेख में हमारा मकसद सिर्फ मध्यप्रदेश के लिपिकों को इस बात का अंजादा दिलाना है कि मध्यप्रदेश के लिपिकों के पक्ष में वर्षों पूर्व कई बार माननीय न्यायालय द्वारा एवं सरकार द्वारा बनाई हुई कमेटियों द्वारा भी लिपिकों/क्लर्क के वेतनमान उन्नयन के पक्ष का समर्थन किया गया, परन्तु लिपिकों के अधिकार को छीना रखा गया।
पिछले वर्ष लगभग 42 दिन के आन्दोलन के बाद हरियाणा लिपिकों का वेतन उन्नयन करने के लिए कमेटी गठन करने की बात हरियाणा सरकार ने किया था। हरियाणा लिपिकों का वेतन 1900 ग्रेड पे थे जिसे 35400 कराने की मांग पर लिपिक संघ अड़ा हुआ था। सरकार ने तब भी 21700 का प्रस्ताव रखा, परन्तु लिपिकों ने विरोध ज़ारी रखा। सरकार के कमेटी निर्माण के आश्वासन की बात को लिपिक संघ ने मान लिया एवं कुछ माह इंतज़ार बाद सरकार ने 21700 मूल वेतन की अधिसूचना ज़ारी कर दिया जिससे लिपिकों को वेतन में कई हज़ार का फायदा मिलने वाला है।
सरकार के उक्त आदेश से हरियाणा लिपिक संघ आहत है, उनकी मांग 35400 मूल वेतन की थी, इसके लिए हरियाणा लिपिक संघ अब भी संघर्षशील है। हम आपको बता देना चाहेंगे कि हरियाणा में इसी साल 2024 में विधानसभा चुनाव भी हैं, तो लिपिकों की मांग पर सरकार दोबारा अमल कर सकती है। सूत्रों के मुताबिक सरकार लोकसभा चुनाव बाद हरियाणा लिपिकों का वेतन 21700 से फिर उन्नयन कर 2800 के आसपास कर सकती है।
मध्यप्रदेश में भी पिछले वर्ष विधानसभा चुनाव से पूर्व कई संवर्गों जैसे आशा, ऊषा, आंगनवाड़ी, पटवारी, संविदा, रोजगार सहायक, शिक्षक, तहसीलदार आदि पदों को आर्थिक लाभ दिया गया, परन्तु लिपिक संवर्ग को पिछले 40 वर्षों से इस भ्रम में रखा गया कि कमेटी के मुताबिक उनका वेतनमान बढ़ा दिया जाएगा, इसी सपने को संजोए बहुतायत लिपिक रिटायर तक हो गये। मध्यप्रदेश में लिपिकों के अधिकार की बात करने वाला कोई नहीं रहा, जिसने बात की उसकी आवाज़ को दबाने का प्रयत्न किया गया। इस सबके जिम्मेदार स्वयं लिपिक भी हैं जो लिपिक की आर्थिक तंगी का मज़ाक उड़ाने से बाज नहीं आते। समय की दरकार है कि मध्यप्रदेश के समस्त विभाग के समस्त लिपिकों को एक राय होकर वेतन विसंगति दूर कराने की मांग पुन: प्रारम्भ करनी चाहिए।
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