eDiplomaMCU: पुरानी पेंशन के विरोध में व्‍यापारी वर्ग : नई पेंशन की खिलाफ़त अनिच्‍छापूर्वक कर रहे राजनीतिक व्‍यक्तित्‍व

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Friday, March 25, 2022

पुरानी पेंशन के विरोध में व्‍यापारी वर्ग : नई पेंशन की खिलाफ़त अनिच्‍छापूर्वक कर रहे राजनीतिक व्‍यक्तित्‍व

सन् 2004 के बाद आये दिन केन्‍द्र सरकार व विभिन्‍न राज्‍य सरकारों ने पुरानी पेंशन योजना हटाकर नई पेंशन योजना लागू कर दीं। इसका विरोध प्रारम्भिक दिनों में उतना न था जितना कि आज इन दिनों हो रहा है, इसकी सबसे बड़ी वजह उन दिनों भविष्‍य की दूरगामी नासमझी रही थी और शायद बहुतायत सरकारी कर्मचारियों को शेयर मार्केट और इन्‍वेस्टिंग शब्‍दावलियॉं काफी मनभावक लग रही होंगी। वैसे भी आज दिन तक की बात की जाए तो सरकारी कर्मचारियों को बाज़ार के मेकेनिज्‍म के बारे में अत्‍यल्‍प पता है, या कहें तो चन्‍द ही ऐसे कर्मचारी हैं जिनको आधुनिक परिवेश की अच्‍छी समझ है। पुरानी पेंशन का विरोध तेज तब हुआ जब कुछ सरकारी कर्मचारी, जिनको उनकी अधिक उम्र बीत जाने के बदौलत एनपीएस का कंट्रीब्‍यूशन अपेक्षयाकृत कम हो पाया, बहुत कम रिटायरमेंट पेंशन प्राप्‍त करने लगे। 

चूँकि भारत के विभिन्‍न राज्‍यों एवं उपक्रमों ने 2004 के बाद अलग-अलग समय में पुरानी पेंशन का उन्‍मूलन करके नई पेंशन को लागू कराया, इसलिए एकमत बहुमत स्‍वरूप में नई पेंशन का विरोध नहीं हो पाया। उदाहरण के तौर पर पंजाब में नई पेंशन योजना सरकारी कर्मचारियों के लिए सन् 2004 में प्रारम्‍भ की गई, तो दूसरी तरफ अरूणांचल में 2008 में, ओडिशा में 2005 में, नागालैण्‍ड में 2010 में, केरल में 2013 में जबकि मध्‍यप्रदेश में 2005 से ही प्रारम्‍भ की गई। इसी प्रकार विभिन्‍न केन्‍द्रीकृत अथवा केन्‍द्र से सहायता प्राप्‍त उपक्रमों ने भी विभिन्‍न वर्षों में नई पेंशन योजना लागू कराया।

स्‍वाभाविक है कि जिनको पुरानी पेंशन योजना मिल है अथवा उनके परिवार से कोई नई पेंशन के अन्‍तर्गत नहीं आ रहा, वह लोग इस देशव्‍यापी आन्‍दोलन में उतनी रूचि नहीं रख रहे। लेकिन पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा आज देशव्‍यापी है, विभिन्‍न राज्‍यों के लाखों कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना के लिए आन्‍दोलन की राह पर हैं। पुरानी पेंशन भोगी पेंशनर्स का नैतिक सपोर्ट वर्तमान के एनपीएस कर्मचारियों को मिल रहा है। राजस्‍थान एवं छत्‍तीसगढ़ की कांग्रेस सरकारों ने पुरानी पेंशन योजना हाल ही में बहाल कर दिया है। राजस्‍थान के मुख्‍यमंत्री माननीय अशोक गहलोत जी ने कहा कि हम व्‍यापारिक दिमाग को दरकिनार कर मानवीय मूल्‍यों को ध्‍यानगत रखते हुए पुरानी पेंशन को बहाल किये हैं, केन्‍द्र सरकार के साथ-साथ सभी राज्‍य सरकारों को ऐसा करना चाहिए। 

पुरानी पेंशन योजना - पुरानी पेंशन सरकारी कर्मचारियों के लिए ऐतिहासिक दृष्टिकोण से महत्‍वपूर्ण रही है। पुरानी पेंशन का स्‍वरूप विभिन्‍न काल में भिन्‍न-भिन्‍न रहा है। पेंशन का सही अर्थ तो यह है कि सरकार अपने कर्मचारियों को एक सहायता राशि प्रदान करे जो उनको सम्‍मानभरी जिन्‍दगी जीने में मददगार साबित हो। वर्तमान परिप्रेक्ष्‍य में पुरानी पेंशन योजना के तहत सरकारी कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद उनकी उस वक्‍त के वेतन का लगभग आधा मिला करता है। इसमें महंगाई भत्‍ता भी साल में दो बार निर्धारित होकर मिलता है। यह पेंशन सरकारी कर्मचारी जो रिटायर हो चुका है, ताउम्र प्राप्‍त करता है, उसकी मृत्‍यु के बाद उसकी पत्‍नी को भी पेंशन मिलता है। जो भी वेतन सर्विस के दौरान कटता है, इसका ब्‍याज सहित जब कर्मचारी चाहे पैसा निकाल सकता है, वेतन की इस कटौती को कर्मचारी मनमुताबिक कम-ज्‍यादा करवा सकता है। 

नई पेंशन योजना- इस योजना के अन्‍तर्गत आपका पैसा (मूल वेतन एवं महंगाई भत्‍ता का 10 प्रतिशत) कटता है और उतना ही (हाल के दिनों में संशोधित 14 प्रतिशत) सरकार द्वारा आपके पक्ष में निवेश कर दिया जाता है। यही आपका पैसा शेयर मार्केट में लगाया जाता है और जो राशि मैच्‍योरिटी के बाद प्राप्‍त होती है उसका कुछ हिस्‍सा आपको एकमुश्‍त मिलता है, जबकि बकाया का एन्‍युटी आधारित पेंशन (एक हिसाब का फिक्‍स्‍ड डिपोजिट जैसा रिटर्न) आपको मिलता है। मतलब आपका ही पैसा, उसपर भी टैक्‍स और आप जब चाहें तब अपना पैसा न निकाल पाएं, जो पेंशन मिलेगी ताउम्र उसकी अनुपात में मिलेगी जिसपर न कोई महंगाई भत्‍ता अथवा अन्‍य फायदे मिलेंगे। अर्थात् नई पेंशन योजना लागू करते ही सरकार ने कर्मचारियों को पेंशन देना बन्‍द कर दिया। 

क्‍या पुरानी पेंशन पाना अधिकार है- पुरानी पेंशन सरकारी कर्मचारियों द्वारा पाना अधिकार है या नहीं यह कहना मुश्किल है, परन्‍तु एक समाजवाद राष्‍ट्र होने की वजह से कर्मचारी भी यह उम्‍मीद कर सकते हैं कि सरकार उनको भी सम्‍मान भरी जिन्‍दगी जीने का रास्‍ता प्रदान करे। सरकारी कर्मचारी सरकार विरोधी या देश विरोधी नहीं हैं। पुरानी पेंशन बहाली की मॉंग तेज तब हो गई जब नई पेंशन के तहत कुछ रिटायर्ड कर्मचारियों को सिर्फ लगभग 1 हज़ार का पेंशन मिल रहा है। असल में सरकार विधवा, वंचित, पीडित, आदि नाम से जो पेंशन वर्तमान में दे रही है वह इस रिटायरमेंट पेंशन से कहीं अधिक है। छोटे तबके के कर्मचारियों को एनपीएस के तहत मिलने वाली तात्‍कालिक पेंशन न के बराबर होगी और यदि वर्तमान सहायता या वेतन की बात की जाए, तो यह किसी भी प्रकार की मुफ्त की सरकार की योजनाओं से भी कम है जोकि एक निम्‍न स्‍तर का सरकारी कर्मचारी प्राप्‍त करता है। 

पुरानी पेंशन के अलावा भी उच्‍च योग्‍य कर्मचारियों का बहुत शोषण हो रहा है- मध्‍यप्रदेश के योग्‍य एवं ईमानदार लिपिक कर्मचारियों को वेतन विसंगति का शिकार होना पड़ रहा है। आये दिन सरकारों ने वेतन विसंगति दूर करने का वायदा किया लेकिन उच्‍च कार्यकौशल होने के बाद भी लिपिक कर्मचारियों को जोकि पहले उच्‍च कर्मचारियों के समान वेतन प्राप्‍त कर रहे थे, आज एक चपरासी के समतुल्‍य वेतन पा रहे हैं। इन्‍हीं अन्‍तर्मुखी योग्‍य कर्मचारियों को एनपीएस के तहत रिटायरमेंट के समय दुर्गति होने वाली है। असल में भ्रष्‍टाचार से पैसा कमाने वाले भी सरकारी कर्मचारी हैं जो लिपिक वेतन विसंगति को कोई मुद्दा नहीं मानते।

व्‍यापारी वर्ग एवं राजनीतिक व्‍यक्तित्‍व नहीं चाहते पुरानी पेंशन बहाली- कई प्रतिष्ठित समाचार पत्रों (डिजिटल एवं फिजिकल) ने एनपीएस की खूबियॉं बताईं और साथ ही कहा कि पुरानी पेंशन देश की तरक्‍की में बाधक है। ऐसी ही बातों का समर्थन राजनीतिक लोगों ने किया जो स्‍वयं पुरानी पेंशन के अन्‍तर्गत आते हैं। हरियाणा के मुख्‍यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि हमारे पास संधाधनों की कमी है और हम इन संधाधनों/पैसा को सरकारी कर्मचारियों पर नहीं लुटा सकते। दूसरी तरफ हिमाचल प्रदेश के मुख्‍यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि कर्मचारी यदि पुरानी पेंशन ही चाहते हैं तो अपनी नौकरी छोड़ें और लड़ लें चुनाव, बन जाएं राजनेता और हो जाएं पुरानी पेंशन के हक़दार। रोचक बात तो यह है कि वह पार्टियॉं पुरानी पेंशन वापस लाने का वायदा कर रही हैं जिन्‍होंने पूर्व में पुरानी पेंशन की खिलाफ़त की थी। 

यह बात सभी सरकारी कर्मचारी जानते हैं कि आज नहीं तो कल पुरानी पेंशन तो बहाल होकर रहेगी। राजस्‍थान, छत्‍तीसगढ़ ने तो पुरानी पेंशन बहाल कर दिया है। आम आदमी पार्टी ने पंजाब चुनाव पुरानी पेंशन बहाली वायदा के दम पर ही जीता है, और आए दिन अन्‍य राज्‍यों में विधानसभा चुनाव है, अत: जिन राज्‍यों में रूलिंग पार्टियॉं हैं और अन्‍य राज्‍यों में पुरानी पेंशन बहाली का वायदा करती हैं, उनको दूसरे राज्‍य में तभी सफलता मिलेगी जब वह अपने राज्‍यों में पुरानी पेंशन योजना बहाल कर दें। पुरानी पेंशन योजना ज्‍वलन्‍त मुद्दा बन गया है, यह राजनीतिक वोट बैंक की तरह है, इसीलिए सभी विपक्ष एवं सत्‍ता पक्ष के नेताओं ने पुरानी पेंशन हेतु आवाज़ उठाने का कदम लिया है। दूसरी तरफ इन लोगों पर यक़ीन करना मुश्लिक इसलिए भी होता हैं क्‍योंकि जिस प्रकार इन्‍होंने मध्‍यप्रदेश लिपिक वर्ग कर्मचारियों के साथ हो रहे वेतन विसंगति शोषण पर पिछले 40 वर्षों से मौन धारण किया हुआ है, यही उनकी सही सोच और असलियत को बयां करता है। 



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