मध्यप्रदेश में सरकारी कर्मचारी पुरानी पेंशन बहाली की मॉंग कर रहे हैं और यह बात सच है कि यह न सिर्फ प्रदेश का बल्कि देश का सबसे बड़ा मुद्दा बन चुका है। आज इस लेख में हम आपको स्पष्ट तौर पर बताने वाले हैं कि मध्यप्रदेश में किस प्रकार पुरानी पेंशन बहाली से भी बड़ा मुद्दा लिपिक वेतन विसंगति है और इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा मध्यप्रदेश में मात्र सिग्नल मिलने की देरी तक है। दूसरी ओर सरकार की रीढ़ की हड्डी कहे जाने वाले लिपिक संवर्ग को कई वर्षों से आश्वासन और विश्वासघात ही मिला है, परन्तु वेतन विसंगति के वजूद को सभी पार्टियों की सरकारों ने माना है। यहॉं पर हम पुरानी पेंशन बहाली की भी बात इस लिए कर रहे हैं क्योंकि मध्यप्रदेश के लिपिक संवर्ग पुरानी पेंशन योजना बहाली को लिपिक वेतन विसंगति से बड़ा मुद्दा ठहराने में लग गये हैं और ऐसा प्रतीत होने लगा है कि लिपिक वेतन विसंगति जैसे कोई मुद्दा ही न हो।
म.प्र. लिपिक वेतन विसंगति |
लिपिक वेतन विसंगति के बारे में बात करने से पहले आपको मैं यह बताना चाहूँगा कि पुरानी पेंशन योजना मध्यप्रदेश में बहाल होगी, देरी सिर्फ तब तक है जब तक हिमाचल प्रदेश और गुजरात में आगे 1-2 महीनों में चुनाव के नतीजे नहीं आ जाते। पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा उत्तरप्रदेश और उत्तराखण्ड के विधानसभा चुनावों में हाल ही में रहा है, परन्तु सरकारी कर्मचारियों की मॉंग पुरानी पेंशन योजना बहाल न करने के बावजूद भी उन दोनों बड़े राज्यों में बीजेपी ने सरकार बनाया है, तो तय बस इतना किया जाना है कि क्या पुरानी पेंशन योजना बहाल किये बिना हिमाचल और गुजरात का चुनाव बीजेपी जीतती है अथवा बहाल करके। आज दिनांक 14/08/2022 से मात्र लगभग 1 हफ्ते का समय है जबकि आप देखेंगे हिमाचल में बीजेपी की सरकार ने पुरानी पेंशन योजना बहाल कर दिया है।
हिमाचल प्रदेश के पुरानी पेंशन बहाली की मॉंग करने वाले कर्मचारी नेता माननीय प्रदीप ठाकुर जी ने हाल ही में स्पष्ट तौर पर कह दिया है कि यदि बीजेपी की जयराम सरकार हिमाचल में आचार संहिता लगने के पहले पुरानी पेंशन योजना बहाल करती है तो कर्मचारी उनको विधानसभा में वोट करेंगे अन्यथा कांग्रेस/या उस पार्टी को करेंगे जो पुरानी पेंशन योजना बहाली की बात करेगा। इस बात को स्पष्ट तौर पर मान लेना चाहिए कि हिमाचल की जयराम सरकार चन्द दिनों में ही पुरानी पेंशन बहाल की घोषणा कर देगी, और इसी बात की पुष्टि इस बात से भी होती है कि मध्यप्रदेश का सामान्य प्रशासन विभाग भी हाल ही में वित्त विभाग से पुरानी पेंशन बहाली के सम्बन्ध में परिचर्चा किया है। चूँकि यदि 1 बीजेपी राज्य में पुरानी पेंशन योजना बहाल हो जाती है तो अन्य सभी बीजेपी शासित राज्यों में भी पुरानी पेंशन योजना जल्द बहाल करने का दबाव बन जाएगा, असलियत तो यह है कि सभी राज्यों ने पुरानी पेंशन की तरफ लौटने की योजना पहले से ही अब बनाना शुरू कर दिया है। परिणाम यह होगा की निजीकरण बढ़ेगा और साथ-ही-साथ संविदा/आउटसोर्स/ठेका प्रथा की भी बढ़ोतरी होगी, क्योंकि पुरानी पेंशन योजना एक दायित्व के तौर पर सरकार पर आर्थिक बोझ रहता है।
अब दूसरी तरफ स्पष्ट तौर पर बात करें तो लिपिक वेतन विसंगति के सम्बंध में हाल ही में जितने भी सरकार की तरफ से आधिकारिक बयान आये हैं, सभी ने लिपिक वेतन विसंगति दूर कराने का समर्थन किया है। लिपिक वेतन विसंगति दूर कराने के सम्बंध में 2016 में ही रमेशचन्द्र शर्मा की कमेटी बनाई गई थी, जबकि किसी कारणवश सन् 2018 जून माह में लिपिक वेतन विसंगति दूर कराने का आदेश अन्य सवर्गों के वेतन उन्नयन आदेश के साथ नहीं आ सका। पूर्व में लिपिक वेतन विसंगति दूर कराने पर सरकार पर आर्थिक बोझ अधिक होता, परन्तु आज दिनांक तक अथवा भविष्य की स्पष्ट परिकल्पना की जाए तो लिपिकीय पदों पर आउटसोर्स/संविदा/ठेका पर भर्तियॉं अधिक होंगी, समय के साथ लिपिकों के पदों में अत्यंत कमी आई है, जिस कार्य को पूर्व के 5-6 लिपिक मिलकर किया करते थे अब आज तकनीकि और कम्प्यूटर की मदद से 1 लिपिक ही वह कार्य कर रहा है। यहॉं तक कि लिपिकों पर कार्य का अत्यधिक बोझ है, सरकार ने लिपिकों के भर्ती योग्यता को भी बढ़ाया है, इस बात से स्पष्ट है कि सरकार लिपिक वेतन विसंगति दूर करना चाहती है।
परन्तु लिपिक संघों को स्पष्ट तौर पर इस शोषण की नीति के विरूद्ध जल्द से जल्द न्याय पाने की बात करनी चाहिए थी, परन्तु देर ही सही अब मध्यप्रदेश का लिपिक संवर्ग सरकार से ज्ञापन के माध्यम और विरोध प्रदर्शन के माध्यम से वर्षों पुरानी और समय के साथ वर्धित शोषण को समाप्त कर न्याय पाने की गुहार लगा रहा है। यदि लिपिक संघ सरकार से सीधा सम्पर्क करे तो इस बात की पूर्ण आशा है कि मध्यप्रदेश सरकार सन् 2022 में ही दीवाली से पूर्व लिपिक वेतन विसंगति दूर कराने का आदेश दे सकती है। सरकार ने लिपिक वेतन विसंगति मुद्दे को ठण्डे बस्ते में इसीलिए डाल दिया था क्योंकि लिपिक संवर्ग अपनी मॉंगों के प्रति नीरस था, परन्तु समय की मार और अत्यंत शोषण व आत्मसम्मान की भावना ने लिपिकों को जागृत कर दिया है। सरकार तक ज्ञापन के माध्यम से लिपिक वेतन विसंगति दूर कराने के लिए लिपिकों द्वारा किया जा रहा प्रयास काबिले तारीफ है। इस बात की उम्मीद भी जग रही है कि सरकार अगले साल पुरानी पेंशन योजना बहाल करेगी, परन्तु उससे पूर्व इसी वर्ष दीवाली से पहले लिपिक वेतन विसंगति दूर कर देगी।
परन्तु लिपिक संघ को इस हेतु दीवाली से पहले ही माननीय मध्यप्रदेश सरकार से इस सम्बंध में बात करना अत्यंत आवश्यक है। यही सही समय है, अन्यथा पुरानी पेंशन बहाली के मॉंग और उमड़े जनसैलाब के सामने लिपिक संवर्ग का कद बेहद छोटा होगा और निराशा के साथ कुछ भी हाल नहीं आयेगा।
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