मध्यप्रदेश में जहॉं एक तरफ लिपिकों की वर्षों पुरानी वेतन विसंगति दूर कराने की मॉंग रही है, वहीं दूसरी तरफ वेतन विसंगति से भी बड़ा एक मुद्दा सामने आ गया है। वर्ष 2014 के बाद से लिपिक पद पर भर्ती होने वाले अभ्यर्थियों के पास सीपीसीटी का स्कोर कार्ड होना ज़रूरी हो गया है। वैसे तो जो लिपिक 45 वर्ष या उससे अधिक की उम्र (चतुर्थ श्रेणी से पदोन्नति व वर्ष 2014 के अनुसार) पार कर चुके हैं उनको इस नियम से मुक्त रखा गया। परन्तु नई भर्ती अथवा अनुकम्पा से नियुक्ति पाने वाले सभी लिपिकों पर सीपीसीटी पास करने की शर्त रखी गई। आगामी साल 2023 चुनावी वर्ष है, मध्यप्रदेश का विधानसभा चुनाव होने वाला है, ऐसे में मध्यप्रदेश के लगभग सभी कर्मचारी संगठनों ने लिपिकों के लिए अनुकम्पा पर भर्ती होने की शर्त पर सीपीसीटी हटाने की मॉंग के प्रस्ताव पर सहमति दी।
सीपीसीटी की अनिवार्यता जल्द होगी खत्म |
सीपीसीटी पास न करने वाले सैकड़ों लिपिकों की नौकरी समाप्त कर दी गई - अनुकम्पा नियुक्ति प्राप्त करने वाले लिपिकों को इस शर्त के आधार पर नौकरी पर रखा जाता है कि वह 3 वर्ष की अवधि के अन्दर सीपीसीटी की परीक्षा पास कर लें। यदि अनुकम्पा प्राप्त लिपिक सीपीसीटी पास करने में असफल रहा तो उसे नोटिस देकर कालावधि पश्चात नौकरी से निकाल दिया जाता है। इस प्रकार के सैकड़ों प्रकरण मध्यप्रदेश में हैं, अंतत: सेवा से बाहर हुए अनुकम्पा लिपिकों ने न्यायालय का रास्ता अपनाया व सभी लगातार अनुकम्पा नियुक्ति से भर्ती होने पर सीपीसीटी की अनिवार्यता खत्म करके जिनको सेवा से निकाला गया है उनको भी सेवा में वापस लाने का आन्दोलन तेज कर दिया है।
कुल 12 प्रयास/मौके दिये जाते हैं सीपीसीटी पास करने के लिए - किसी भी अनुकम्पा प्राप्त लिपिक के पास एक वर्ष में 4 बार सीपीसीटी की परीक्षा में बैठने का अवसर प्राप्त होता है क्योंकि सीपीसीटी की परीक्षा त्रैमासिक होती है। इस प्रकार 3 साल की अवधि में 12 अवसर प्राप्त होते हैं किसी भी अनुकम्पा प्राप्त लिपिक को सीपीसीटी परीक्षा पास करने के लिए। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण चन्द ही अनुकम्पा प्राप्त लिपिक सीपीसीटी परीक्षा पास कर पाते हैं।
सीपीसीटी का स्तर बहुत कठिन हो गया है - लेखक ने कई बार सीपीसीटी परीक्षा दिया है और सभी बार (5 बार) पूर्ण सीपीसीटी (तीनों सेक्शन) पास किया है। लेखक को वर्ष 2016 से लेकर 2022 तक सीपीसीटी के सफर का अच्छा ज्ञान है। शुरूआती वर्षों में सीपीसीटी परीक्षा का स्तर अपेक्षया आसान रहा है, परन्तु बीते दिन सीपीसीटी परीक्षा का स्तर स्नातक/स्नातकोत्तर स्तर का है। विडम्बनापूर्ण बात यह है कि सीपीसीटी में 50 प्रतिशत अंक प्राप्त करना आवश्यक है तभी स्कोरकार्ड वैद्य माना जाएगा।
लिपिकों का शैक्षणित स्तर तो बढ़ा परन्तु वेतन भृत्य के समकक्ष - सीपीसीटी परीक्षा और आज की योग्यता को मद्देनज़र रखते हुए साफ तौर पर कहा जा सकता है कि मध्यप्रदेश के लिपिकों की शैक्षणिक/कार्यकुशला आदि में कई गुना बढ़ोतरी हुई है परन्तु वेतन लगभग भृत्य के समकक्ष दिया जा रहा है। लिपिकों की वेतन विसंगति की दुर्दशा इस कदर है कि पूर्व में लिपिक से कम वेतन पाने वाले लगभग सभी पदों का वेतन कई बार बढ़ाया गया, परन्तु लिपिकों को उच्च शैक्षणिक योग्यता बढ़ाकर बदले में और अधिक काम के बोझ तले दबा दिया गया। आज मध्यप्रदेश के लिपिक बदहाली और दासता भरी जिन्दगी जीने को मज़बूर हैं।
इसलिए सभी संगठन अनुकम्पा नियुक्ति से सीपीसीटी हटाने की मॉंग कर रहे - हम सबको यह विदित होना चाहिए कि किसी भी इंसान को मध्यप्रदेश में अनुकम्पा नियुक्ति में ग्रुप सी और ग्रुप डी पद पर रखा जाता है। ग्रुप ए और ग्रुप बी के पदों पर अनुकम्पा नियुक्ति नहीं मिलती है। मध्यप्रदेश में चाहे कोई चपरासी/भृत्य हो, अथवा कोई लिपिक/क्लर्क अथवा कोई ग्रुप बी अथवा ग्रुप ए का अधिकारी, उनके आश्रितों को अनुकम्पा में या तो ग्रुप सी अथवा ग्रुप डी का ही पद दिया जाता है। लिपिकों के साथ विडम्बना यह है कि एक लिपिक, जो कि ग्रुप सी का पद है, के आश्रित को अनुकम्पा में या तो चपरासी का पद दे दिया जाता है, अथवा लिपिक का, शैक्षणिक योग्यतानुसार। परन्तु दूसरी तरफ चपरासी या समकक्ष ग्रुप डी के पद के आश्रित को या चतुर्थ श्रेणी का पद तभी दिया जाता है यदि वह आश्रित बहुत कम पढ़ा-लिखा हो, अन्यथा उसे लिपिक बना दिया जाता है।
मध्यप्रदेश में ग्रुप बी एवं ए पदों के अधिकारियों के आश्रितों को भी लिपिक के पद पर अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान कर दी गई है, अथवा प्रदान कर दी जाती है। आज के दौर में लिपिकों की योग्यता अथवा परीक्षा का स्तर इतना उच्च हो गया है कि ग्रुप सी अथवा डी की कठिनतम परीक्षा एक लिपिक बनना हो गया है। अब कौन चाहेगा कि उसके आश्रितों को भविष्य में भृत्य बनना पड़े। सिर्फ यही वजह है कि आज मध्यप्रदेश में लगभग सभी संगठना अनुकम्पा नियुक्ति के मामले में सीपीसीटी हटाने का समर्थन कर रहे हैं।
लिपिक वेतन विसंगति दूर कराने के मुद्दे पर कोई संगठन लिपिक समर्थन में आगे नहीं आया - आज मध्यप्रदेश में लिपिकों की कई सारी श्रेणियॉं हैं। न्यायिक, राज्य सेवा, विभागीय और अन्य कई प्रारूपों में लिपिकों की योग्यता में भिन्नता है। कोई 12वीं पास करके, तो कोई 12वींं साथ सीपीसीटी करके, तो कोई स्नातक व सीपीसीटी होकर लिपिक बना है। अत्यंत काम का बोझ व गुणवत्तापूर्ण काम करने के उपरान्त भी लिपिकों का वेतन भृत्य के समकक्ष है। लिपिक संघ वेतन विसंगति दूर कराने के लिए लगातार ज्ञापन सौंपता आ रहा है परन्तु लिपिकों के साथ हो रहे शोषण पर सभी ख़ामोश हैं।
कुल मिलाकर आज परिस्थिति ऐसी है कि मध्यप्रदेश में लिपिकों की वेतन विसंगति का मुद्दा और हो रहा यह शोषण दरकिनार किया जा रहा है, और स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है कि लिपिक सम्बंधित यदि कोई अन्य मुद्दा सामने आया है, वह है अनुकम्पा नियुक्ति हेतु सीपीसीटी के हटाया जाना।
No comments:
Post a Comment