मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के पेंशनर्स को सामान्यतया उस राज्य के अन्य कर्मचारियों के बराबर महंगाई भत्ता/राहत मिलता है जिस राज्य में महंगाई भत्ता कम हो। इसकी वजह मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ पुनर्गठन की धारा-49 है जिसमें दोनों राज्यों के बँटवारे के बाद लगभग 74 प्रतिशत के दायित्वों की जिम्मेदारी मध्यप्रदेश सरकार की, जबकि 26 प्रतिशत लगभग दायित्वों की जबावदेही छत्तीसगढ़ सरकार ही है। इसी वजह से दोनों राज्यों के पेंशनर्स आए दिन अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ते नज़र आते हैं।
पेंशनर्स महंगाई राहत |
दिनांक 15/11/2022 को छत्तीसगढ़ की सरकार ने पेंशनर्स के महंगाई राहत को 28 प्रतिशत से बढ़ाकर 33 प्रतिशत कर दिया है। 01 अगस्त 2022 दिनांक से छत्तीसगढ़ ने अपने कर्मचारियों का महंगाई भत्ता 22 से 6 प्रतिशत बढ़ाकर 28 प्रतिशत कर दिया था, दूसरी तरफ मध्यप्रदेश की सरकार अपने कर्मचारियों को 01 अगस्त 2022 से 31 प्रतिशत से 3 प्रतिशत बढ़ाकर 34 प्रतिशत महंगाई भत्ते का भुगतान कर रही है। चूँकि तब पेंशनर्स के अतिरिक्त छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों का महंगाई भत्ता 28 प्रतिशत था, वहीं मध्यप्रदेश के कर्मचारियों का 34 प्रतिशत, तो दोनों राज्यों ने आपसी सहमति फलस्वरूप पेंशनर्स का महंगाई राहत 28 प्रतिशत तय किया, जो असल मायनों में छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों के बराबर महंगाई भत्ता रहा है।
जैसे ही पिछले माह छत्तीसगढ़ की सरकार ने अपने कर्मचारियों का महंगाई भत्ता 28 से 5 प्रतिशत बढ़ाकर 33 प्रतिशत कर दिया, दूसरी तरफ दोनों राज्यों के पेंशनर्स सिर्फ 28 प्रतिशत ही महंगाई राहत पा रहे थे। अब मध्यप्रदेश राज्य के पेंशनर्स में इस बात को लेकर काफी आक्रोश बढ़ रहा था, सरकार को कई बार ज्ञापन दिया गया एवं जगह-जगह आन्दोलन किये गये। मध्यप्रदेश की सरकार ने छत्तीसगढ़ की सरकार को महंगाई भत्ता बढ़ाने के लिए सहमति प्रस्ताव भेजा, जिसपर छत्तीसगढ़ की सरकार ने अपने कर्मचारियों को दिये जा रहे 33 प्रतिशत के बराबर महंगाई राहत पेंशनर्स को दिये जाने पर सहमति जाहिर की। यह बढ़ा हुआ महंगाई राहत 01 अक्टूबर 2022 से प्रभावी है। फिर भी मध्यप्रदेश के परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो अन्य कर्मचारियों के मुताबिक 1 प्रतिशत कम जबकि केन्द्र से तुलानात्मक 5 प्रतिशत महंगाई राहत फिर भी कम मिलेगा।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि दोनों राज्यों के पेंशनर्स एवं कर्मचारियों की मॉंग केन्द्र के समान महंगाई भत्ता/राहत पाने की लिए जिसके लिए कर्मचारी-पेंशनर्स संघ आए दिन दोनों सरकारों को ज्ञापन सौंपते हैं। यह दु:खद है कि दोनों राज्यों को केन्द्र के समान महंगाई भत्ता न मिलने के कारण कई बार आन्दोलन व प्रदर्शन का रास्ता इख्तियार करना पड़ता है। पेंशनर्स एसोसिएशन ने राज्य पुनर्गठन की धारा-49 को समाप्त कराने के लिए भारत सरकार को भी ज्ञापन सौंपकर अपनी वेदना व्यक्त किया है।
आखिर कब हटेगी धारा-49 - इस बारे में सही जानकारी दे पाना सम्भव नहीं है, क्योंकि यह सरकारों की मंशा पर निर्भर करता है। पेंशनर्स एवं कर्मचारी संघ ने कई बार इस बात का जिक्र किया है कि धारा-49 हटाने में कोई परेशानी न होगी परन्तु दोनों राज्यों की इच्छाशक्ति में कमी है जो उनको धारा-49 की वजह से आर्थिक हानि का सामना करना पड़ रहा है। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के पूर्व जिन कर्मचारियों की नियुक्ति सन् 2000 के पूर्व की है उनको पेंशन के मामले में धारा-49 का दर्द सहना होगा। पेंशनर्स हेतु पुनर्गठन की धारा-49 सचमुच एक बड़ी समस्या है क्योंकि इस वजह से पेंशनर्स को हर माह हज़ारों के आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।
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