eDiplomaMCU: डाइंग कैडर है लिपिक/क्‍लर्क संवर्ग : तकनीकि डिजिटल सहायक खत्‍म कर रहे नौकरी

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Friday, September 29, 2023

डाइंग कैडर है लिपिक/क्‍लर्क संवर्ग : तकनीकि डिजिटल सहायक खत्‍म कर रहे नौकरी

दोस्‍तों, मेरा नाम अभिषेक है। मैं एक क्‍लर्क संवर्ग से ताल्‍लुकात रखता हूँ। पिछले 4 साल से भी अधिक इस संवर्ग में कार्यरत हूँ। बदलाव तेजी से हो रहा है। मुझे याद है कुछ वक्‍त पहले तक मध्‍यप्रदेश के विभिन्‍न विभागों में लिपिक संवर्ग की भर्ती बहुतायत में हो रही थी और लगभग प्रत्‍येक डेस्‍क/काम के एक लिपिक तैनात था। समय बदलता गया और उसकी जगह एक लिपिक ही कम्‍प्‍यूटर के माध्‍यम से कई डेस्‍क का काम सम्‍पन्‍न करने लगा। आज हम ट्रांजिट मोड पर हैं जहां से आगे अब लिपिकों की संख्‍या बढे़गी नहीं अपितु कम जरूर होगी। लिपिकों का मुख्‍य काम डेटा की एण्‍ट्री करना और टायपिंग सम्‍बंधित काम ही था, जो समय के साथ ऑटोमेटेड तकनीकि ने ले लिया और आज नए-नए फीचर्स के साथ आर्टिफिशल तकनीकि सामने आ रही है। 

उदाहरण के तौर पर गूगल लेंस, स्‍पीच, ट्रांसलेशन आदि को यदि देखा जाए तो कोई भी टायपिंग (कोई भी भाषा) का काम बिना किसी टायपिस्‍ट के बोलकर कर सकता है। गूगल लेंस की मदद से हार्डकॉपी में मौजूद टेक्‍स्‍ट को तत्‍काल डिजिटल यूनिकोड में बदल सकता है। एक भाषा बोलकर दूसरे में अनुवाद कर सकता है। मैंने तो यहॉं तक पाया है कि यह काम करने में बड़ी मशीन की जगह स्‍मार्ट मोबाईल फोन से ही किया जा सकता है। डेटा की शुद्धता और जटिल कार्य हेतु अभी आर्टिफिशियल बौद्धमिकता ने इंसान का स्‍थान नहीं लिया है, परन्‍तु जल्‍द ही यह आम इंसान को दरकिनार करने में सफल रहेगा। बेरोजगारी की समस्‍या तो बड़ी रही है, परन्‍तु आने वाले समय में इसके बढ़ने की और भी सम्‍भावनाएं हैं क्‍योंकि क्‍योंकि उपक्रम तकनीकि, मशीनरी आदि का प्रयोग करके लागत वैल्‍यू को कम करने का प्रयास करता है। 

भारत जैसे समाजवादी देश में राज्‍य एक समाजवादी नीति के तहत नागरिकों को सरकारी नौकरी के अवसर प्रदान करता आया है, परन्‍तु समय की मॉंग को देखते हुए कुछ अव्‍यवहारिक पदों को समाप्‍त भी किया जाता रहा है। जिस प्रकार से लिपिक/क्‍लर्क संवर्ग में आए दिन समय के साथ उच्‍च योग्‍यता का निर्धारण किया गया है और साथ-ही-साथ बदलती तकनीकि को अपनाना सभी की ज़रूरत एवं मज़बूरी भी बन गई है, उन पारम्‍परिक पदों का समाप्‍त होना तय है जो आज ऐसे काम को कर रहे हैं जिनकी जगह कम्‍प्‍यूटर/तकनीकि/डिजिटल उपकरण ले रहे हैं। 

उदाहरण के तौर पर हम कुछ ऐसे गैजेट्स, उपकरण आदि की बात करेंगे जिन्‍होंने समय के साथ हो रहे बदलाव को समझने की बजाए पारम्‍परिक तरीके से मुनाफा कमाने पर ज़ोर दिया और अंतत: वह उपकरण/कम्‍पनी ही बन्‍द हो गईं। किसे पता था कि डिजिटल/स्‍मार्ट मोबाईल फोन के आ जाने से रील कैमरा एवं उससे सम्‍बंधित अनेक व्‍यवसाय भी समाप्‍त हो जाएंगे। पारम्‍परिक टेलीवीजन की जगह स्‍मार्ट टेलीविजन ने ले लिया है, साथ ही स्‍मार्ट मोबाईल फोन ने तो टेलीवीजन के भविष्‍य को ही खतरे में डाल दिया है। अब संक्रमण का ऐसा समय चल रहा है जब डायरेक्‍ट टू होम की सुविधा देने वाले मीडिया चैनल पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं क्‍योंकि डायरेक्‍ट टू मोबाईल की ब्रॉडकास्टिंग जल्‍द ही शुरू होने वाली है। 

उपरोक्‍त की तरह अन्‍य हज़ारों उदाहरण सामने हैं जो इस बात की ओर इशार कर रहे हैं कि कुछ व्‍यवसाय और उनसे जुड़ी नौकरियां भी भविष्‍य में समाप्‍त हो जाएंगी। सरकार ने ऐसी पोस्‍ट्स को डाईंग कैडर के तौर पर पहचानना शुरू कर दिया है और जिस प्रकार मध्‍यप्रदेश में चतुर्थ श्रेणी की नियमित भर्तियों पर पाबंदी लगाकर हाल ही में प्रायवेट/आउटसोर्स के माध्‍यम से काम कराने पर ज़ोर दिया है, ठीक इसी प्रकार मध्‍यप्रदेश की समस्‍त लिपिकीय भर्तियां भविष्‍य में समाप्‍त हो सकती हैं। आज सरकारी विभागों में ठेके पर काम कर रहे लिपिकीय/क्‍लेरिकल कर्मचारियों को देख पाना आम बात हो गई है जिसकी संख्‍या आए दिन बढ़ती ही जा रही है। सरकार ऐसे संवर्ग पर कोई खासा ध्‍यान न देते हुए डाईंग कैडर ही समझ रही है और फलस्‍वरूप इन पदों को वरीयता न देते हुए इनका वेतन भी कम रखा है।

वक्‍त के साथ इंसान को बदलना आवश्‍यक होता है। तकनीकि और इंटलीजेंस से जुड़े रोजगार कभी खत्‍म नहीं होंगे। मानवीय हस्‍तक्षेप रखने वाले पद भी जैसे वकील, जज, विवेचक, रिसर्चर आदि के पद खत्‍म नहीं होंगे परन्‍तु एआई का उसमें भी हस्‍तक्षेप रहने वाला है। हमने होटलों में काम करने वाले रोबोट से लेकर ट्रैफिक पुलिसिंग करने वाली मशीनों को भी देख लिया है। ड्रोन सिस्‍टम ने इंसान और वायुयान में कैमरे की तकनीकि का सहारा लेकर कृषि, रक्षा, मनोरंजन आदि क्षेत्रों में अहम योगदान देना प्रारम्‍भ कर दिया है। क्‍या यह भविष्‍य में अमीरी और गरीबी के एक फासले को बढ़ाएगी अथवा सबको समान मौका देने भूमिका निभाएगी, यह देखने वाली बात रहेगी। 

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