eDiplomaMCU: खाद्य पदार्थों पर 5 प्रतिशत जीएसटी लगाना और अन्‍य उत्‍पादों पर जीएसटी स्‍लैब बढ़ा देने से आमजन हुए महंगाई से हताहत

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Wednesday, July 20, 2022

खाद्य पदार्थों पर 5 प्रतिशत जीएसटी लगाना और अन्‍य उत्‍पादों पर जीएसटी स्‍लैब बढ़ा देने से आमजन हुए महंगाई से हताहत

भारत में हाल ही में जीएसटी उन पदार्थों पर भी लगा दिया गया है जिनका उपभोग जनसामान्‍य रोजमर्रा करते हैं। आपने जीएसटी टीवी, फ्रिज, कूलर, इलेक्‍ट्रॉनिक चीजों आदि पर तो सुना ही होगा, परन्‍तु उन वस्‍तुओं पर जीएसटी लगा देना जो भारत का आमजन दैनिक जीवन में प्रयोग करता है, यह बहुत ही चिन्‍ता का विषय बना जाता है। इस लेख में हम उन पदार्थों के बारे में बात करेंगे जिन्‍हें हाल ही में जीएसटी काउंसिल ने 5 प्रतिशत जीएसटी के तहत ला दिया है। 

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जीएसटी से निम्‍न-मध्‍यम वर्ग परेशान

जीएसटी काउंसिल द्वारा उन पदार्थों को 5 प्रतिशत जीएसटी के दायरे में ला दिया गया है जिन पर पूर्व में कोई टैक्‍स नहीं लगता था। उदाहरण के तौर पर दाल, अनाज, चावल, दही, पनीर, मुरमुरा आदि खाद्य पदार्थों के छोटे पैकेक्‍ट्स पर 0 प्रतिशत जीएसटी था, अर्थात् कोई जीएसटी नहीं था। दूसरी तरफ कुछ अन्‍य वस्‍तुऍं और सेवाऍं जैसे सोलर वाटर हीटर पर 5 प्रतिशत पूर्व जीएसटी से 12 प्रतिशत कर दिया गया, जबकि एलईडी लैम्‍प व लाईट्स पर 12 प्रतिशत पूर्व जीएसटी से 18 प्रतिशत के जीएसटी के दायरे में ला दिया गया है। बैंक चेक्‍स पर कोई जीएसटी नहीं था, जबकि अब 18 प्रतिशत जीएसटी है। दूध के प्रोसेस्‍ड पदार्थ, अनाज, अस्‍पताल रूप आदि पर शून्‍य से 5 प्रतिशत जीएसटी लगा दिया गया है। 

दूसरी तरफ समाचार एवं सोशल मीडिया पर इस बात को लेकर बहस चल पड़ी है कि आखिर यह कदम सिर्फ बीजेपी का नहीं अपितु जीएसटी काउंसिल का है, एवं लगभग सभी गैर-बीजेपी शासित राज्‍यों ने भी 5 प्रतिशत जीएसटी आरोपण का समर्थन किया है। इसके अलावा जो प्राधिकारीगण रहे हैं उन्‍होंने भी जीएसटी की इन रेट्स को विश्‍लेषित किया है एवं सभी के अनुसर्थन के बाद ही 5 प्रतिशत जीएसटी बढ़ोतरी एवं अन्‍य स्‍लैब स्‍थानान्‍तरण को मंजूरी दी गई है। सुशान्‍त सिंह एक प्रसिद्ध पत्रकार हैं जिन्‍होंने भी इसी अन्‍दाज से जीएसटी की बढ़ोतरी का समर्थन किया है। 

वहीं दूसरा अराजनैतिक पक्ष देखा जाए तो यह बात तय है कि निम्‍न-मध्‍यम वर्गीय परिवार को इस महंगाई की मार सर्वाधिक झेलनी होगी। प्रमुखतया जो परिवार सरकार से किसी भी प्रकार की मुफ्त की सब्सिडी नहीं प्राप्‍त करते, उन्‍हें इस महंगाई की सबसे बड़ी मार झेलनी होगी। प्रोडक्‍ट्स के दाम आये दिन माह दर माह बढ़े ही हैं, दूसरी तरफ इन उत्‍पादों पर जीएसटी लगा देना आमजन कै दैनिक जीवन को बुरी तरीके से प्रभावित करने वाला है। सरकारी विभागों में काम करने वाले निम्‍न-स्‍तरीय/ निम्‍न वेतन भोगियों को इसका असर सर्वाधिक देखने को मिलेगा। असल में सरकारी विभागों में काम करने वाले यद्यपि चाहे वह निम्‍न वेतन भोगी ही क्‍यों न हो, किसी भी प्रकार की सरकारी मुफ्त की सुविधा अथवा सब्सिडी का हक़दार नहीं होता, और अत्‍यल्‍प वेतन पश्‍चात् बढ़ रहे इस महंगाई में उसकी दुर्गति सुनिश्चित है। 

उन वस्‍तुओं पर जीएसटी लगाना या जीएसटी के स्‍लैब को बढ़ा देना उचित होता है यदि वह वस्‍तुएँँ आवर्तीक्रम में प्रयोग न लाई जाती हों, या न खरीदी जाती हों, जैसे टीवी, कूलर, एसी आदि। परन्‍तु चावल, दाल, दही, मट्ठा आदि तो दैनिक जीवन में प्रयोग लाई जाने वाली वस्‍तुऍं हैं, इस पर लगा जीएसटी अवश्‍य रूप से निम्‍न-मध्‍यम वर्ग को एक और महंगाई की मार देने वाला है। 

मुझे इस बात का एहसास है कि एक सरकारी कर्मचारी होने के नाते मैं किसी भी सरकारी नीति का विरोध न करूँ, क्‍योंकि सरकार के राजस्‍व के फायदे को मुझे नज़रअन्‍दाज नहीं करना चाहिए, परन्‍तु उस वक्‍त मैं सरकारी कर्मचारी नहीं होता हूँ जब मुझे अत्‍यधिक गुणवत्‍तापूर्ण काम करने के बाद भी अत्‍यल्‍प वेतन से नवाज़ा जाता है और बदले में मुझे वस्‍तुओं के दाम बढ़ने से भुखमरी का शिकार होना पड़ता है। अत्‍यल्‍प वेतन प्राप्‍त करने वाले आमजन, जिनके न घर का ठिकाना और न ही कोई सपोर्टिंग सम्‍पत्ति का ठिकाना, परन्‍तु उसे किसी भी प्रकार की सब्सिडी अथवा वेलफेयर योजना का लाभ मिले बगैर खुले मैदान में छोड़ दिया जाता है, और ऐसे में ज़रूरत की वस्‍तुओं के दाम कई बार अनेक वजहों से बढ़ने के बाद जीएसटी लगा दिया जाता है, ज़रा आप ही बताइये वह मासूम कर्मचारी/आम-आदमी कहॉं जाएगा। कभी रूस-यूक्रेन वार, तो कभी कोई और वजह, परन्‍तु जिस हिसाब से महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है, शायद इस व्‍यथा को बयॉं करने के लिए शब्‍द ही नहीं हैं। 

ध्‍यान देने वाली बात यह है कि उपरोक्‍त खाद्य पदार्थों में 5 प्रतिशत का टैक्‍स तभी लगेगा यदि वह पदार्थ पैक्‍ड एवं लेबल्‍ड हों। खुला उत्‍पाद खरीदने पर किसी प्रकार का टैक्‍स नहीं लगेगा। परन्‍तु यह बात भी गौर करने वाली है कि 5 प्रतिशत जीएसटी का प्रभाव पूरे खाद्यतंत्र में ही पड़ने वाला है। चूँकि सभी राजनीतिक पार्टियों एवं उच्‍चाधिकारियों ने जीएसटी काउंसिल के इस फैसले का समर्थन किया है, तो इसका यह मतलब कतई नहीं कि यह आम आदमी की सहमति है। उन उच्‍चाधिकारियों या नेतागण को इतनी सुविधाऍं एवं सब्सिडी मिलती हैं जिसका अन्‍दाजा आमजन नहीं लगा सकते, इसलिए उनके आमजन के ऊपर इस कदर बोझ डालने में कोई परेशानी नहीं है, परन्‍तु उन जिम्‍मेदारों को इस बात का ध्‍यान देना बहुत ज़रूरी है कि आज भारत का आमजन अण्‍डरएम्‍प्‍लायमेंट के दौर से गुजर रहा है जहॉं उसे भुखमरी, और बदहाली के मंजर ऑंखों के सामने दिख रहे होते हैं। 


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