eDiplomaMCU: स्‍टूडेन्‍ट्स के लिए इंटरनेट की ज़रूरत और उपयोगिता

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Wednesday, March 22, 2023

स्‍टूडेन्‍ट्स के लिए इंटरनेट की ज़रूरत और उपयोगिता

 मानव सभ्‍यता समय के साथ परिवर्तन देखती आयी है। यही परिवर्तन समय के साथ मानव की आवश्‍यकता बन जाती है। आज मानव सभ्‍यता के इंटरनेट की आवश्‍यकता इसकी ज़रूरत बन गयी है। यह ज़रूरत समाज के हर तबके पर असर डालती है, यह बात अलग है कि अभी के वृद्ध हो रहे तबके को इंटरनेट का ज्ञान भले की अपेक्षया कम हो परन्‍तु इंटरनेट के प्रभाव से समाज का यह तबका भी अछूता नहीं रहा है।

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स्‍टूडेन्‍ट्स के लिए इंटरनेट की ज़रूरत और उपयोगिता

20वीं सदी के अन्‍त में इंटरनेट की शुरूआत हुयी, कुछ समय तक इस तक पहुँच चुनिन्‍दा उपक्रम, उद्योग और विभागों तक ही सीमित था, परन्‍तु 21वीं सदी के कुछ वर्षों बाद ही इंटरनेट की पहुँच एवं आवश्‍यकता मानव समाज की एक मूलभूत आवश्‍यकता बन चुकी है। इंटरनेट का असर अब छोटे से छोटे उद्योग से लेकर शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य, सेना, वैज्ञानिकता, व्‍यापार आदि क्षेत्रों पर है। एक स्‍टूडेन्‍ट जो स्‍कूल में शिक्षा ग्रहण कर रहा होता है उसे भी भविष्‍य में कहीं न कहीं कम्‍प्‍यूटर/इंटरनेट की ज़रूरत अवश्‍य ही महसूस होती है। चूँकि भारत में शिक्षा प्रणाली सभी वर्ग और सभी स्‍थान पर एक जैसी नहीं है, इसलिए कम्‍प्‍यूटर/इंटरनेट की शिक्षा और विद्याथियों तक उसकी पहुँच भी एकसमान नहीं है। परन्‍तु विद्यार्थी जीवन के बाद रोजगार के अवसर में कम्‍प्‍यूटर/इंटरनेट का महत्‍व अधिक हो जाता है और यहीं से एक विद्यार्थी के लिए के नींव में इंटरनेट की उपयोगिता का होना स्‍वाभाविक समझा जाता है।

इंटरनेट की पहुँच का सामान्‍य आशय डिजिटल लिटरेसी से भी है, क्‍योंकि बिना कम्‍प्‍यूटर/स्‍मार्ट फोन के इंटरनेट की व्‍याख्‍या कर पाना कठिन होता है। आज यदि इंटरनेट की पहुँच की बात ही जाए तो शहरी क्षेत्र में इसकी पहुँच अधिक जबकि ग्रामीण क्षेत्र में कम है, दूसरी तरफ डिजिटल लिटरेसी का भी अनुपात ग्रामीण क्षेत्र की तुलना में शहरी क्षेत्र में अधिक है। इंटरनेट के इस असमान वितरण के पीछे की कई वजह हैं जैसे कि भूगोलीय परिस्थिति, क्षेत्रीय लोगों की इंटरनेट मॉंग जिस वजह से कम्‍पनियॉं इंटरनेट प्रदान करती हैं आदि। इंटरनेट के असमान वितरण की वजह से अलग-अलग क्षेत्रों में विद्यार्थियों को मिलने वाली शिक्षा में भी बड़ा अंतर होता है, परन्‍तु सरकारों ने समय के साथ इंटरनेट की आवश्‍यकता को समझा है और छात्रों की शिक्षा के लिए फ्री स्‍मार्टफोन और स्‍कूल शिक्षा में कम्‍प्‍यूटर की पढ़ाई के महत्‍व को स्‍थान दिया है।

अब चलिए उन सम्‍भावनाओं की बात करते हैं जो इंटरनेट की मदद से एक स्‍टूडेन्‍ट के लिए सम्‍भव हो जाती हैं। हाल ही में कोविड-19 की वजह से मानव समाज ने दूर रहकर भी एक होने का एहसास इंटरनेट की मदद से किया है, चाहे वह शिक्षा का क्षेत्र रहा हो या चाहे अन्‍य क्षेत्र। विद्यार्थियों ने ऑनलाईन क्‍लासेज के माध्‍यम से पढ़ाई ज़ारी रखी तो दूसरी तरफ वर्क फ्रॉम होम अथवा रिमोट जॉब ने घर बैठे काम करने का अद्भुत एहसास कराया। जब किसी स्‍टूडेंट के पास इंटरनेट तक पहुँच होती है तो वह अपने मनमुताबिक ऑनलाईन पढ़ाई कर सकता है, इंटरनेट से वेब सर्फ करके अथवा यूट्यूब वीडियोज के माध्‍यम से। स्‍कूली शिक्षा के दौरान एक विद्यार्थी इंटरनेट का प्रयोग करके ऑनलाईन कोचिंग के माध्‍यम से घर से ही ट्यूशन पढ़ सकता है अथवा स्‍कूल पाठ्यक्रम में यदि किसी समस्‍या का समाधान ढूँढ़ना हो तो वह इंटरनेट की मदद लेकर रोचक तरीके से समस्‍या का हल निकाल सकता है। मेरा मानना है कि स्‍टूडेंट शब्‍द सिर्फ स्‍कूल अथवा कॉलेज तक नहीं सीमित होना चाहिए, बल्कि इन एकेडमिक के बाद की भी जिन्‍दगी स्‍टूडेंट के जैसी ही होती है। पहले समय में जब स्‍टूडेन्‍ट कोई कोर्स कर रहा होता था तो उसके पास आगे क्‍या करना है इस बात की कम समझ होती थी, और शिक्षकों अथवा बुजुर्गों से मिलने वाला गाईडेन्‍स भी सीमित दायरे का होता था। परन्‍तु आज एक स्‍टूडेंट के पास उन पारम्‍परिक रोजगार को चुनने के अलावा असीमित और विकल्‍प मौजूद हैं जिसकी शिक्षा इंटरनेट के माध्‍यम से प्राप्‍त की जा सकती है, जैसे फ्रीलांसिंग, यूट्यूबर, ब्‍लॉगर आदि।

चलिए एक रोचक घटना की चर्चा करते हैं। मध्‍यप्रदेश के विद्यालयों में इसी वर्ष 2023 के माह जनवरी में करियर गाईडेन्‍स नाम से एक दिवसीय कार्यक्रम रखा गया था जिसका उद्देश्‍य स्‍कूली विद्यार्थियों को आगे क्‍या करना है, रोजगारोन्‍मुखी मार्गदर्शन प्रदान करना था। उस अवसर पर मुझे भी एक मार्गदर्शक के तौर पर एक विद्यालय द्वारा आमंत्रित किया गया था। मैं एक शासकीय सेवक हूँ एवं यूट्यूबर-ब्‍लॉगर भी हूँ। वहॉं मेरे अलावा कई अन्‍य वक्‍ता भी मौजूद रहे, सभी की उम्र मुझसे बहुत अधिक थी, मैं महज अभी 25 वर्ष का हूँ। एक बुजुर्ग शिक्षक जिनकी उम्र 60 के करीब हो रही होगी उन्‍होंने विद्यार्थियों को कुछ इस प्रकार करियर का मतलब समझाया कि – बच्‍चों जो पुस्‍तक आपके कक्षा में लगती है उसे लो और एक बन्‍द कमरे में खुद को बन्‍द करके पुस्‍तक को रट डालो, पुस्‍तक के बाहर का कोई ज्ञान सही नहीं रहेगा और बाद में एक सरकारी नौकरी करो नहीं तो कोई भविष्‍य नहीं होगा। दूसरी तरफ कुछ औरों ने भी यही घुमा-फिराकर बातें रखीं, परन्‍तु बदलते समय के साथ स्‍टूडेंट्स की ज़रूरत को कुछ लोगों ने ही आगे लाकर रखा। मैंने भी मार्गदर्शन दिया, अपने स्‍तर से, मैंने स्‍टूडेंट्स को समझाया कि करियर का अर्थ आपकी पसंद के विषय से है चाहे वह आपके विद्यालय की कक्षा का एक विषय हो अथवा नहीं, आप विद्यालय में जो विषय पढ़ते हैं दुनिया में आपके रूचि के अन्‍य विषय भी हैं। ज़रूरी नहीं कि यदि आप इन शैक्षणिक विषयों में कमजोर हों तो आपकी सफलता के रास्‍ते बन्‍द हो गये हैं, बल्कि इंटरनेट की भी एक दुनिया है जहॉ पर रोजगार अथवा अधिक सार्थक शब्‍द होगा उपक्रम के अनेक रास्‍ते और विषय हैं। मैंने उन्‍हें अपनी छोटी सी सफलता की कहानी भी बतायी कि किस प्रकार में यूट्यूब और ब्‍लॉंगर से आसानी से रूपये कमा पा रहा हूँ और यह एक सफलता की सीढ़ी के रूप में काम कर रहा है, इसके अलावा फ्रीलांसिंग पर मौजूद अन्‍य प्रोफाईल जैसे प्रोग्रामर, वाईस आर्टिस्‍ट, कंटेंट राईटर, ग्राफिक डिजाईनर आदि के बारे में भी समझाया।

आज आये दिन हम यह सुनते हैं कि इंटरनेट की मदद से एक स्‍टूडेंट ने नई तकनीकि सीख ली है, अथवा इंटरनेट की मदद से किसी ने घर बैठे सरकारी-प्रायवेट परीक्षाओं को पास कर लिया है। इंटरनेट की मदद से स्‍टूडेंट कृषि की नई प्रणाली को अपनाकर सफलता के नये आयाम रच दिया है। इंटरनेट की आवश्‍यकता आज स्‍टूडेंट के प्रारम्भिक जीवन से लेकर लगातार ताउम्र बने रहने वाली है। यही वजह है कि सरकार ने भी नई शिक्षा नीति में इंटरनेट के महत्‍व को समझा है और अकादमिक शिक्षा को ही अंतिम लक्ष्‍य न मानकर प्रैक्टिकल शिक्षा और उपलब्‍ध अवसरों पर अधिक बल दिया है। इंटरनेट की ही वजह से रेगुलर कोर्स और डिस्‍टेंस कोर्स के मध्‍य का संक्रमण ऑनलाईन कोर्स का इजात किया गया है और इसे सरकार ने मान्‍यता भी दिया है। इंटरनेट के बढ़ते प्रारूप को सकारात्‍मक रूप देने का सरकार ने भली-भॉंति प्रयास किया है, आज एक आम विद्यालय/कॉलेज का छात्र भी भारत की महान आईआईटी/आईआईएम की शिक्षा ऑनलाई वीडियो के माध्‍यम से प्राप्‍त कर सकता है साथ ही साथ ऑक्‍सफार्ड जैसी विदेशी उन्‍नत शिक्षा के कोर्सेस भी ऑनलाईन प्राप्‍त किये जा सकते हैं। सही कहा गया है कि यह युग इनफॉरमेशन का है, जिसे आसानी से प्राप्‍त किया जा सकता है।

सरकार और सभ्‍य व्‍यक्तित्‍वों के प्रयास के बाद इंटरनेट की पहुँच और इससे सम्‍बंधित शिक्षा में अभूतपूर्व सुधार हुआ है। परन्‍तु इंटरनेट की पहुँच अथवा क्‍वालिटी एजुकेशन में आज भी यह अन्‍तर कई रूपों में सामने आया है। शहरी क्षेत्रों में इंटरनेट की उपयोगिता और ज़रूरत पर अच्‍छी सफलता प्राप्‍त की गई है, तो दूसरी तरफ ग्रामीण क्षेत्रों में यह काफी निराशाजनक रहा है। दूसरी तरफ हम यह असमानता लैंगिक आधार के साथ-साथ जातिगत आधार पर भी देखते हैं कि महिलाओं में एवं अनुसूचित जाति/जनजातियों में इंटरनेट की पहुँच एवं युटिलाईजेशन अपेक्षया कम हुआ है। इसकी कई सारी वजहें हैं, जिनमें से इनका ग्रामीण परिवेश, भूस्थिति, रूढिवादिता, संसाधनों का समुचित उपयोग न होना भी शामिल है। एक बात यह स्‍पष्‍ट करना चाहूँगा कि ग्रामीण परिवेश में भी शिक्षा का स्‍तर एवं इंटरनेट की पहुँच कुछ स्‍थानों पर बेहतर है एवं आये दिन सुधार हो ही रहा है।

अन्‍य कारणों पर ध्‍यान दिया जाए तो कई ऐसे भी उदाहरण सामने आये हैं जबकि स्‍टूडेंट्स के पास इंटरनेट की आसान सुविधा होने के बाद भी वह ज्‍यादातर उसका इस्‍तेमाल अवांछित काम में करते हैं जैसे कि रील्‍स देखना, कॉमेडी/प्रैंक देखना, फिजूल के इंटरनेट पर मौजूद कंटेट पर फंस जाना, इंटरनेट प्‍लेटफॉर्म पर वर्चुअल दुनिया की तलाश करना आदि। यह एक बहुत बड़ी समस्‍या है, इसकी वजह से करियर निर्माण की बात तो दूर बेरोजगारी, अनएम्‍प्‍लायबिलिटी और आपराधिक गतिविधियों की बढ़ोतरी देखी गई है। कई बार जिम्‍मेदार स्‍टूडेंट्स का सही से मार्गदर्शन नहीं कर पाते तो कही बार स्‍टूडेंट्स समझदार होते हुए भी इंटरनेट की बुरी दुनिया में घिर जाते हैं जिसका परिणाम अंतत: बुरा ही होता है।

निष्‍कर्ष के तौर पर कहा जाए तो इंटरनेट एक स्‍टूडेंट के करियर निर्माण में महत्‍वपूर्व भूमिका निभाता है। इंटरनेट पर ज्ञान के साथ-साथ रोजगार एवं रोजगारसहायक विकल्‍प उपलब्‍ध हैं। परन्‍तु जिस प्रकार हर सिक्‍के के दो पहलू होते हैं उसी प्रकार इंटरनेट के प्रयोग में भी दो आयाम नज़र आते हैं। स्‍टूडेंट्स को चाहिए कि इंटरनेट से ज्ञानार्जन करें एवं इस पर उपलब्‍ध सकारात्‍मक अवसरों को अपनाऍं न कि समय की बर्बादी और मॉडर्निटी के नाम पर अवांछनीय पहलुओं के जाल में फँसें। सरकार एवं समाज के अच्‍छे व्‍यक्तित्‍व इंटरनेट की पहुँच प्रत्‍येक विद्यार्थी तक बनाने का भरसक प्रयास कर रहे हैं। कुछ समस्‍याएँ ज़रूर हैं परन्‍तु सबके सकारात्‍मक प्रयास से हम एक डिजिटल भारत के युग में जल्‍द प्रवेश करेंगे।

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