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Wednesday, October 4, 2023

कर्मचारियों को मिलेगी मिनिमम पेंशन स्‍कीम (MPS) : राज्‍यों ने सुझाया केन्‍द्र को प्रस्‍ताव

पुरानी पेंशन बहाली की मांग कर रहे सरकारी कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद आर्थिक सुरक्षा की फिक्र है। नई पेंशन योजना के तहत आ रहे कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद मिल रही पेंशन अत्‍यल्‍प (कुछ को लगभग 1000/- रू मात्र) है, जो वर्तमान की महंगाई को मद्देनज़र रखते हुए नगण्‍य है। ऐसे में कई राज्‍य सरकारों (जैसे राजस्‍थान, छत्‍तीसगढ़, झारखण्‍ड, पंजाब, हिमाचल प्रदेश) ने पुरानी पेंशन योजना फिर से बहाल कर दिया है। कुछ राज्‍यों ने पुरानी पेंशन बहाली की असमर्थता को ध्‍यान में रखने हुए बीच का रास्‍ता निकाला है, जैसे आन्‍ध्र प्रदेश की सरकार ने आन्‍ध्रा पेंशन मॉडल प्रस्‍तुत किया।

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मिनिमम पेंशन स्‍कीम बनाम पुरानी पेंशन योजना

पढि़ए - आंध्र पेंशन का नया मॉडल हो सकता है सम्‍पूर्ण देश में लागू, पुरानी पेंशन जैसा अंतिम वेतन का 50% मिलेगी पेंशन

पुरानी पेंशन बहाली की मांग सरकारी कर्मचारी इसलिए भी कर रहे हैं क्‍योंकि पुरानी पेंशन में - 

1. अंतिम वेतन का 50 प्रतिशत मूल पेंशन बनता है।

2. मूल पेंशन पर साल में देय 2 बार महंगाई भत्‍ता/राहत (डीआर) बढ़ता है।

3. मूल पेंशन में वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर वृद्धि हो जाती है।

4. पेंशन के लिए कर्मचारियों के वेतन से कोई कटौती नहीं होती है।

5. जीपीएफ का प्रावधान है जिसे कर्मचारी सुविधानुसार कभी प्रयोग कर सकता है।

6. परिवार पेंशन भी प्राप्‍त होती है।

परन्‍तु 2004 के बाद से एनपीएस प्राप्‍त कर रहे कर्मचारियों को उपरोक्‍त कोई भी प्रावधान नहीं है, बल्कि वेतन से ही कटौती का पैसा शेयर बाज़ार में लगता है और बदले में वह पैसा लॉक होने के बाद कर्मचारी आवश्‍यकतानुसार आहरित नहीं कर सकता है। दूसरी तरफ आंध्र पेंशन मॉडल में कर्मचारियों के वेतन से एनपीएस की तरह कटौती तो होती है, परन्‍तु जीपीएफ के अलावा अन्‍य सुविधाएं पुरानी पेंशन की तरह ही हैं। आन्‍ध्रप्रदेश के कर्मचारी संगठनों ने आंध्र मॉडल का अधिक स्‍वागत नहीं किया क्‍योंकि उनके वेतन से कट रहे 10 प्रतिशत का कॉर्पस उनको बाद में मिल रहे पेंशन से भी अधिक हो सकता है। 

राज्‍यों द्वारा सुझाया गया मिनिमम पेंशन स्‍कीम - इस स्‍कीम के तहत पुरानी पेंशन योजना की तरह सभी प्रावधान होंगे, परन्‍तु मूल पेंशन अंतिम वेतन का 50 प्रतिशत न होकर प्रारम्भिक मूल वेतन पर निर्भर करेगा। अर्थात् यदि कोई कर्मचारी 19500/- के मूल वेतन पर सरकारी नौकरी ज्‍वाईन करता है तो उसे रिटायरमेंट पर पेंशन लगभग 10 हज़ार मिलेगा, साथ ही अन्‍य भत्‍ते भी पुरानी पेंशन की भॉंति मिलेंगे। अब समस्‍या इस बात की होगी कि क्‍या 40 साल बाद किसी कर्मचारी को मिलने वाली उतनी पेंशन उस समय की महंगाई के अनुसार सही होगी अथवा नहीं। अथवा सरकार वेतन आयोग के माध्‍यम से यदि मूल वेतन को भविष्‍य में सुधारती है तो पेंशन भी तात्‍कालिक महंगाई के अनुरूप होगा, जो उचित होगा। 

फिलहाल इस जानकारी का स्‍त्रोत न्‍यूज18 है और अभी कोई भी राज्‍य एवं केन्‍द्र सरकार ने इस पेंशन योजना को अपनाने की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं किया है। आपकी इस बार में क्‍या राय है, क्‍या मिनिमम पेंशन योजना राज्‍य की आर्थिक स्थिति को ठीक रखने के लिए सही रहेगी अथवा कोई अन्‍य योजना उचित होगी?

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