हमने पिछले लेखों में और बहुत सारी वीडियोज में मध्यप्रदेश लिपिक वेतन विसंगति के बारे में बात कर लिया है। हमने जान लिया है कि योग्य लिपिकों को उनके कार्य अनुसार वेतन न देकर अल्प वेतन देकर अपमानित किया जाता रहा है और जब कभी लिपिकों ने अपने हक़ की आवाज़ उठाई है, उसे कुचल दिया गया है। हमने यह भी जान लिया है कि हमारे मेहनती लिपिकों के अतिरिक्त कुछ अयोग्य लिपिक भी हमारे बीच हैं जो लिपिक हित न चाहकर ऊपरी कमाई, भ्रष्टाचार आदि को बढ़ावा देते हैं। लिपिकों के हित में बात करना बहुत कठिन रहा है क्योंकि लिपिक की संख्या बहुत है और यह लिपिक विभिन्न विभागों में रीढ़ की हड्डी की तरह काम करते हैं।
आज इस लेख में हम आपसे बात करने वाले हैं कि किस प्रकार लिपिकों को दोबारा उनके असली मुद्दे लिपिक वेतन विसंगति से भटकाया जा रहा है। हम इस बारे में भी बात करेंगे कि लिपिकों को लिपिक वेतन विसंगति दूर कराने के लिए क्या करना चाहिए। आगे बढ़ने से पहले मैं यह साफ कर देना चाहता हूँ कि लिपिक आज ईमानदार और मेहनती है जो योग्यता अनुसार वेतन पाने का हक़दार है और लिपिक अपना हक़ प्राप्त करने के लिए ऐतिहासिक लड़ाई 2022 में लड़ने वाला है।
इससे पहले कि हम आगे कुछ बात करें, आपसे गुज़ारिश है कि लिपिक से संबंधित हमारे नीचे दिये गये महत्वपूर्ण लेख पढ़ लीजिए :
हमने यूट्यूब पर बहुत सारी वीडियोज बनायी है जिससे आपका रक्त उफ़ान लेने लगेगा, देखिए किस प्रकार लिपिकों के साथ अन्याय किया गया- म.प्र. लिपिक वेतन विसंगति अब होगी दूर । 2018 में चुनाव से पहले 51 पदों के वेतन में हुआ था उछाल...
आप उपरोक्त लेखों को पढ़ने के बाद लिपिक की वर्तमान परिस्थिति से और हुये शोषण से वाकिफ़ हो चुके होंगे। तो अब चलिए दो टूक बात करते हैं।
सन् 2023 में मध्यप्रदेश में चुनाव है, उसके पश्चात् लोक सभा चुनाव होगा। जिन कर्मचारियों ने 2004 के बाद सरकारी नौकरी ज्वाईन की, उन्हें नई पेंशन योजना के अन्तर्गत रखा गया। मतलब सरकारी नौकरी करने में कम से कम कोई इंसान यदि 20 साल नौकरी करता है तो 2024 में रिटायर होना होगा। कई सारी ऐसी सरकारी परीक्षाएं /भर्तियां होती हैं जिसमें उम्र सीमा 40-45 साल होती है। इसी बात को देखते हुए देशभर के कर्मचारी जो 2004 के बाद सरकारी नौकरी में आये, पुरानी पेंशन योजना की मांग कर रहे हैं।
मज़ेदार बात तो यह है कि इनमें से अधिकर कर्मचारी मध्यप्रदेश के भी हैं जो लिपिकीय या अलिपिकीय किसी भी संवर्ग से हो सकते हैं। परन्तु अधिकर लिपिक कर्मचारी जो नई पेंशन योजना में आते हैं, अभी रिटायर नहीं होने वाले। इनको अन्य संवर्ग या ऐसे लिपिक जो कुछ समय बाद ही रिटायर होंंगे, पुरानी पेंशन योजना की बहाली हेतु लड़ने के लिए मैदान में आने की बात कर रहे हैं, और भविष्य के बारे में डरा रहें हैं कि तुम्हारा गुज़र-बसर कैसे होगा? तो इस लेख के माध्यम से मैं लिपिक संवर्ग और अन्य संवर्गों को चेतावनी भी देना चाहता हूँ कि कृपया लिपिकों को बरगलाना बन्द करिये और पुरानी पेंशन योजना की लड़ाई में मध्यप्रदेश के लिपिक संवर्ग को शामिल न करिए।
पुरानी पेंशन योजना लागू होने के बाद भी लिपिकों को फायदा नहीं- मैं यह नहीं कह रहा कि म.प्र. लिपिक संवर्ग को पुरानी पेंशन योजना से नवीन पेंशन योजना के मुक़ाबले फायदा नहीं होगा, बल्कि अपेक्षया आप तब भी नुकसान ही झेल रहे होंगे। मान लीजिए यदि पुरानी पेंशन योजना ही क्यों न लागू हो गयी और तक आपका बेस पे/ग्रेड पे कम रहा तो आपकी पेंशन भी तो अन्य संवर्गों के मुकाबले बहुत कम होगी, जो कभी आपसे आधा वेतन पाया करते थे।
जानबूझ कर म.प्र. लिपिक वेतन विसंगति दूर नहीं कराना चाहते- हमारे ही बीच के कुछ लिपिक साथी जिनकों अब वेतन से ज्यादा कुछ लेना देना नहीं है, उन्हें लिपिक वेतन विसंगति से कोई मतलब नहीं, क्योंकि वे लोग पुरानी पेंशन योजना के अन्तर्गत आते हैं और उन्हें नए लिपिकों के हित से कोई लेना देना नहीं क्योंकि वे लोग बहुत जल्द रिटायर होने वाले हैं। कुछ ऐसे भी लोग जिनकी ऊपरी कमाई अधिक है या कोई किसी कारणवश अयोग्य होने के बाद भी लिपिक संवर्ग में आ गया है, उसे लिपिक वेतन विसंगति से कोई लेना देना नहीं।
लिपिक नेता का चुनाव 2022- हमारे पुराने नेता नकारे हैं यह बात कहते हुए हमें कोई हिचकिचाहट नहीं हो रही है, हम यह भी जानते हैं कि मेरी इन बातों का हमारे नेताओं पर कोई असर नहीं होगा, इसीलिए हम ऐसे लिपिक नेता को चुनना चाहते हैं जो हमारे लिए काम करे, जो लिपिकों के बारे में सोचे, और लिपिकों के वेतन विसंगति दूर कराने के लिए काम करे और पल-पल की ख़बर जो कि मेहनती लिपिक के हित में है साझा करे। मध्यप्रदेश में लिपिक संवर्ग के पदाधिकारियों का चुनाव होने जा रहा है, कुछ इस बात से ख़फा हैं तो कुछ खुश, क्योंकि लिपिक के वेतन विसंगति में पुराने पदाधिकारियों की चुप्पी का सही जबाव यही है कि नए पदाधिकारी चुने जाएं जो हमारे हित में बात करें।
जनवरी 2022 में बजट निर्धारण समय में आन्दोलन सबसे अच्छा समय- मध्यप्रदेश सरकार बजट 2022-23 सत्र के निर्धारण की प्रक्रिया जनवरी 2022 में शुरू कर देगी। यह बजट अप्रैल माह से लागू होता है, तो यदि सरकार को इस बात का ध्यान दोबारा दिलाना हो कि लिपिक वेतन विसंगति दूर कर बजट एवं आर्थिक स्थिति का बहाना न बनाया जाए, तो लिपिकों को चाहिए कि जनवरी 2022 में ही ऐतिहासिक आन्दोलन करें। यदि सफलता शुरूआती जनवरी में नहीं मिलती तो कम से कम गलतियां सुधारते हुए अगले चुनाव 2023 से पहले तो अपनी मांगे मनवा ही सकते हैं। लिपिकों को यह बात ध्यान देनी चाहिए कि उनसे कम वेतन पाने वाले पद के कर्मचारी आज उनसे अधिक और बहुत अधिक वेतन पा रहे हैं।
यह बात भी ध्यान देने योग्य है कि सरकार कोई भी मद बजट के अनुसार ही अपने कर्मचारियों या विभागों को दिया करती है, इसमें हज़ारों लिपिकों को वेतन बढ़ाने पर कितना और अधिक सरकार को खर्च करना है, यह सरकार बजट में ही तय कर लेती है। यह बात अच्छी है कि हमारे कुछ लिपिक नेता लिपिक वेतन विसंगति दूर कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं और लगातार आन्दोलन एवं मांगों का सरकार के समक्ष ज्ञापन के माध्यम से रखने का काम कर रहे हैं।
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