eDiplomaMCU: फरलो योजना लागू कर म.प्र. करेगी नये सरकारी कर्मचारियों की भर्ती । फरलो से सरकार के हर साल करोड़ो रूपये की होगी बचत

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Wednesday, August 17, 2022

फरलो योजना लागू कर म.प्र. करेगी नये सरकारी कर्मचारियों की भर्ती । फरलो से सरकार के हर साल करोड़ो रूपये की होगी बचत

किसी भी सरकार के बजट का एक मुख्‍य हिस्‍सा अपने कर्मचारियों को वेतन, पेंशन और भत्‍ते देने में ही चला जाता है। हमें याद आ रहा अभी हिमाचल प्रदेश में चल रहे पुरानी पेंशन बहाली का आन्‍दोलन जिसमें हिमाचल सरकार ने बताया कि हिमाचल सरकार के वार्षिक बजट का लगभग 26 प्रतिशत सरकारी कर्मचारियों को वेतन जबकि पेंशन, भत्‍ते आदि को मिला लिया जाए तो तकरीबन 50 प्रतिशत तक यह ऑंकड़ा चला जाता है जो हिमाचल सरकार अपने सरकारी कर्मचारियों पर करती है। कोई भी सरकार चाहती है कि उसे कम से कम बजट का हिस्‍सा सरकारी कर्मचारियों पर खर्च करना पड़े ताकि अन्‍य महत्‍वपूर्ण कामों पर भी सरकार काम कर सके। इसी बात को हवाला देते हुए हिमाचल सरकार ने वर्तमान में पुरानी पेंशन बहाली को बड़े आन्‍दोलन व कर्मचारी विरोध के बाद भी ख़ारिज कर दिया है। 

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फरलो योजना व नए रोजगार के अवसर

कुछ इसी तरह की आर्थिक समस्‍याओं से मध्‍यप्रदेश सरकार भी जूझ रही है। मध्‍यप्रदेश सरकार ने तो आर्थिक समस्‍याओं का हवाला देते हुए पिछले तकरीबन 3 वर्ष (2019) से सरकारी कर्मचारियों का समय पर महंगाई भत्‍ता नहीं दिया है, और यदि कभी दिया भी है तो पिछला सारा एरियर नहीं दिया गया, या आगे एरियर देने की भी बात नहीं की गई। साथ ही साथ कर्मचारियों को मिल रहा आवास भत्‍ता भी छटवें वेतनमान पर दिया जा रहा है, जबकि सातवें वेतनमान को लागू हुुए 6 साल से भी अधिक हो गया है। मतलब की मध्‍यप्रदेश सरकार अपने कर्मचारियों को वेतन व भत्‍ते सातवें वेतन आयोग में दे पाने में असमर्थ रही है। मध्‍यप्रदेश की आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से सरकारी कर्मचारियों को वेतन व भत्‍ते में समझौता करना पड़ता है जिसका आक्रोश आए दिन कर्मचारी आन्‍दोलन के रूप में देखने को मिलता है। 

दूसरी तरफ मध्‍यप्रदेश सरकार के माननीय मुख्‍यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने वायदा किया कि स्‍वतंत्रता दिवस 2022 से एक वर्ष के भीतर ही लगभग 1 लाख सरकारी पदों पर कर्मचारियों की भर्ती की जाएगी। परन्‍तु मध्‍यप्रदेश में सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे युवाओं में इस बात की आशंका है कि कहीं यह मात्र एक आश्‍वासन बस न रह जाए। मध्‍यप्रदेश के बहुतायत युवा जो सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं, उन्‍होंने देखा है कि किस प्रकार पिछले लगभग 5 साल में मध्‍यप्रदेश में सरकारी नौकरी न के बराबर आई है। मध्‍यप्रदेश के युवा भी मध्‍यप्रदेश की कमज़ोर आर्थिक स्थिति के बारे में भली-भॉंति परिचित हैं। मध्‍यप्रदेश की आर्थिक तंगी ही एक मुख्‍य वजह रही है जबकि 2019 में मध्‍यप्रदेश की कांग्रेस सरकार ने तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के लिए स्‍टायपेण्‍ड 70-80-90 प्रतिशत का नया नियम लागू करा दिया जिस वजह से इन कर्मचारियों को मूल वेतन चौथे वर्ष मिलने लगा। 


मध्‍यप्रदेश में जानकार लोग माननीय मुख्‍यमंत्री जी द्वारा किये गये रोजगार देने के वायदे को राजनीतिक परिप्रेक्ष्‍य में देख रहे हैं और यह बात तो स्‍पष्‍ट रूप से समझी और देखी जा रही है कि विधानसभा चुनाव 2023 से पहले मध्‍यप्रदेश में कई कर्मचारी संगठन एवं अन्‍य संगठन सरकार के समक्ष अपनी मॉंगे रखेंगे, जिनमें मुख्‍य मुद्दा पुरानी पेंशन बहाली, स्‍टायपेण्‍ड नियम समाप्ति, लिपिक वेतन विसंगति दूर कराना, महंगाई भत्‍ते का एरियर एवं आवास भत्‍ते में संशोधन मुख्‍य मॉंगे होने वाली हैं। इसके अतिरिक्‍त चुनावी माहौल में सरकार द्वारा लगभग सभी वर्ग का अच्‍छा ध्‍यान रखा जाने वाला है, जिस वहज से सरकार का अप्रत्‍याशित आर्थिक समस्‍या का सामना करना पड़ सकता है। इन समस्‍याओं में से इस सत्र सबसे बड़ा मुद्दा सरकारी कर्मचारियों का होने वाला है क्‍योंकि सरकार ने सबसे अधिक यदि किसी के वेतन, भत्‍तों के साथ समझौता किया है, वह सरकारी कर्मचारी ही हैं। सरकार को आर्थिक समस्‍या से निपटने के लिए बहुत अधिक धन की ज़रूरत होगी जिसकी व्‍यवस्‍था सरकार ने सन् 2021 से ही करना प्रारम्‍भ कर दिया है। वह व्‍यवस्‍था है फरलो योजना जो सरकार को इस आर्थिक मुसीबत से बाहर निकाल सकती है। 

फरलो योजना - फरलो योजना के अंतर्गत सरकारी कर्मचारियों को 3 अथवा 5 साल का उनके मनचाहे मुताबिक आधे वेतन के साथ छुट्टी पर भेज दिया जाता है और इस दौरान फरलो योजना का लाभ ले रहे सरकारी कर्मचारी पूरी तरह से स्‍वतंत्र होते हैं, चाहें तो ये सरकारी कर्मचारी कोई प्रायवेट नौकरी करें, स्‍वयं का व्‍यवसाय करें या देश दुनिया के भ्रमण पर निकल जाऍं। पूर्व में मध्‍यप्रदेश में कांग्रेस द्वारा फरलो योजना लाई गई थी जिसे बाद में बीजेपी की सरकार ने समाप्‍त कर दिया था। 

फरलो योजना के दौरान लिये गये 3 अथवा 5 साल पूरा होने से पहले वह कर्मचारी वापस नौकरी ज्‍वाईन नहीं कर सकता और इन वर्षों का उन सरकारी कर्मचारियों को कोई इन्क्रिमेंट नहीं मिलता, जबकि कुछ भत्‍ते भी नहीं मिलते (मूल वेतन और महंगाई भत्‍ते को छोड़कर)। परन्‍तु फरलो योजना के वर्षों को सर्विस ब्रेक नहीं माना जाता, इसलिए कर्मचारियों की वरिष्‍ठता भी फरलो योजना से प्रभावित नहीं होगी। 


इस प्रकार सरकार फरलो योजना लागू करके कर्मचारियों के वेतन एवं भत्‍तों से लगभग 60 प्रतिशत का प्रति कर्मचारी हर वर्ष वचत करेगी और फरलो वक्‍त का 3 अथवा 5 इन्क्रिमेंट सरकार को उस कर्मचारी को नहीं देने होंगे जिससे आगे आने वाले वर्षों में अपेक्षया कम वेतन वृद्धि उस कर्मचारी की होगी और सरकार यदि पुरानी पेंशन बहाल कर देती है तो नये कर्मचारियों को भविष्‍य में और भी कम पेंशन देना होगा क्‍योंकि रिटायरमेंट के समय उस कर्मचारी को 3 अथवा 5 इन्क्रिमेंट सरकार को नहीं देने होंगे क्‍योंकि यह इन्क्रिमेंट फरयो पर होने की वजह से कर्मचारी का रूक गया था। पुराने पेंशन के दायरे में आ रहे वर्तमान के सरकारी कर्मचारियों को भी फरलो योजना का लाभ देकर सरकार उनको अन्तिम पेंशन में बचत कर सकती है, क्‍योंकि उस समय अन्तिम लिया गया वेतन कम होगा। क्‍योंकि सरकार के पास अब कर्मचारियों के वेतन एवं भत्‍ते के कटौती से बहुत अधिक धन की बचत होगी तो उसी बचत का प्रयोग नए सरकारी कर्मचारियों की सीधी एवं आउटसोर्स भर्ती पर किया जा सकता है। वर्तमान में मध्‍यप्रदेश में विभिन्‍न सरकारी विभागों में बहुत सारे पद रिक्‍त हैं जिसे भरने की घोषण माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने हाल ही में किया है। 

मध्‍यप्रदेश सरकार ने फरलो योजना पर विचार के लिए वित्‍त विभाग से राय मॉंगी थी और वित्‍त विभाग ने इसका प्रस्‍ताव सरकार के समक्ष रखना उचित समझा है। ऐसी उम्‍मीद जताई जा रही है कि बहुत जल्‍द मध्‍यप्रदेश में फरलो योजना लागू कर दी जाएगी।   


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