eDiplomaMCU: मध्‍यप्रदेश के सरकारी कर्मचारी खुद लगायेंगे अपना रूपया शेयर बाज़ार में, एनपीएस में होगा बड़ा बदलाव : विश्‍लेषण

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Wednesday, September 14, 2022

मध्‍यप्रदेश के सरकारी कर्मचारी खुद लगायेंगे अपना रूपया शेयर बाज़ार में, एनपीएस में होगा बड़ा बदलाव : विश्‍लेषण

दोस्‍तों, मेरा नाम अभिषेक है। मैं एक सरकारी कर्मचारी हूँ, मध्‍यप्रदेश सरकार में एक कर्मचारी होना गौरव की बात है क्‍योंकि हमारा मध्‍यप्रदेश एक शांतिपूर्ण प्रदेश है। परन्‍तु मध्‍यप्रदेश के कर्मचारियों को भी अपने बुढ़ापे की फिकर सताने लगी है, क्‍योंकि सन् 2004 के बाद से सरकारी नौकरी में आने वाले मध्‍यप्रदेश के ऑफिसर/कर्मचारी नई पेंशन योजना (न्‍यू पेंशन स्‍कीम) के तहत आने लगे हैं, असलियत में नई पेंशन योजना के तहत भारत देश का कोई भी नागरिक इस पेंशन योजना का लाभ ले सकता है, साथ-ही-साथ एनपीएस के लागू हो जाने से मध्‍यप्रदेश में पेंशन का प्रावधान ही खत्‍म हो चुका है, क्‍योंकि रिटायरमेंट के वक्‍त मिलने वाला यह रूपया असल में कर्मचारी का ही होता है जिसमें कुछ प्रतिशत हिस्‍सेदारी/कंट्रीब्‍यूशन नियोक्‍ता म.प्र. राज्‍य सरकार का होता है। 

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एनपीएस : शेयर बाज़ार

चूँकि पूरे भारत देश में पुरानी पेंशन बहाली के लिए आये दिन आन्‍दोलन/हड़ताल हो रहे हैं, मध्‍यप्रदेश सरकार को भी पुरानी पेंशन योजना के बदले नई पेंशन योजना के फायदे गिनाने में काफी मशक्‍कत का सामना करना पड़ रहा है। हाल ही में राजस्‍थान की सरकार ने पुरानी पेंशन योजना बहाल कर दिया, उसी नक्‍शे कदम पर चलते हुए छत्‍तीसगढ़ और झारखण्‍ड की सरकारों ने भी पुरानी पेंशन बहाल कर दिया। पश्चिम बंगाल सिर्फ एकलौता ऐसा राज्‍य रहा है जिसने कभी भी नई पेंशन प्रणाली को स्‍वीकार ही नहीं किया था। हाल ही में जब हरियाणा के सरकारी कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना बहाली की मॉंग कर रहे थे तो हरियाणा के माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने साफ-साफ कह दिया कि सरकार अपना खजाना सरकारी कर्मचारियों के ऐशो-आराम के लिए नहीं लुटा सकती, सरकार को और भी काम हैं और आमजन के हित में योजनाओं में वही पैसा लगेगा। 

जब भारत में पुरानी पेंशन योजना को समाप्‍त कर नई पेंशन योजना लाया गया उस वक्‍त भी भारत के परम सम्‍माननीय प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के सामने यही चुनौती थी कि सरकार के खजाने का बड़ा हिस्‍सा आखिर कब तक सरकारी कर्मचारियों के पेंशन में लुटाया जाता रहेगा और क्‍या ऐसा जारी रहने पर सरकार देश में तरक्‍की के काम और जनसाधारण की भलाई का काम कर सकेगी या नहीं। फलस्‍वरूप माननीय तात्‍कालीन प्रधानमंत्री जी ने पुरानी पेंशन योजना को बन्‍द कराने का निर्णय लिया और यह बात स्‍पष्‍ट थी कि पेंशन योजना नई देना है या पुरानी यह केन्‍द्र में तो केन्‍द्र का विषय रहेगा परन्‍तु राज्‍य के कर्मचारियों के लिए यह राज्‍य का विषय होने वाला था, जिसमें केन्‍द्रीय हस्‍तक्षेप बिल्‍कुल नहीं था। 


जब भारत में नई पेंशन योजना को साकार स्‍वरूप मिल रहा था वह वक्‍त उदारीकरण, वैश्‍वीकरण का था। अब बाजार में शेयर मार्केट की अवधारणा आ चुकी थी। नई पेंशन योजना के तहत कटने वाला पैसा शेयर मार्केट में लगाया जाता है, और उसी के लाभ-हानि अनुसार कर्मचारी को रिटर्न मिलता है। शेयर बाजार में पैसा लगाने के लिए फण्‍ड तो कर्मचारियों का कटता है लेकिन जो इस फण्‍ड को मैनेज करते हैं वह सरकार के लिए ही काम कर रहे होते हैं। असल में कर्मचारियों को शेयर मार्केट का ज्ञान होता नहीं है, तो इसे मैनेज करने के लिए सरकार ने पीएफआरडीए को एक रेग्‍युलेटिंग अथॉरिटी के रूप में नामित किया है। पीएफआरडीए एक केन्‍द्रीकृत और केन्‍द्रीय सरकार से मदद प्राप्‍त एक सरकारी एजेन्‍सी है जिसका मुख्‍य काम एनपीएस के पैसे का शेयर बाजार में लगाना और साथ-ही-साथ हुए फायदे/नुकसान को मूल रूप से उस कर्मचारी तक पहुँचा देना है जिसका पैसा शेयर बाजार में लगाया गया होता है। एनपीएस में वर्तमान में मुख्‍यतया 3 कम्‍पनीज जैसे एसबीआई, एलआईसी हैं, इनकी संख्‍या आगे बढ़ाने की योजना है। 

एनपीएस के पैसे से एनपीए चुकाने का ख़ामियाजा - कई बार आप सुनते होंगे की सरकार बीएसएनएल, एफसीआई जैसे कम्‍पनीज को बैंकरप्‍ट होने से बचाने के लिए उनके एनपीए/डिफाल्‍ट अमाउण्‍ट को वित्‍तीय मदद से भरपाई करती है, तो सरकार उन कम्‍पनीज को सामान्‍यतया पीएफआरडीए के रूपये की ही मदद मिलती है। नतीजतन बीएसएनएल जैसे खराब सर्विस मिलने की वजह से लोग बीएसएनएल की जगह प्रायवेट और अच्‍छी सर्विस जैसे एयरटेल, जियो आदि लेना चाहते हैं, तो बीएसएनएल जैसी कम्‍पनीज के घाटे में रहने का दौर निरन्‍तर ज़ारी रहता है, और जहॉं एक तरफ कुछ प्रायवेट कम्‍पनीज निरन्‍तर ग्रोथ कर रही होती हैं, तो दूसरी तरफ सरकारी कम्‍पनीज जैसे बीएसएनएल भ्रष्‍टाचार और आलस्‍य स्‍वभाव की वजह से घाटे का प्रतिरूप हो जाती हैं। फलत: पीएफआरडीए को मिलने वाला लाभ अत्‍यल्‍प होता है, जो रूपया रिटायरमेंट के समय पीएफआरडीए के द्वारा सरकारी कर्मचारी को लौटाया जाता है, वह इस जैसे वजहों के कारण अत्‍यल्‍प होता है। 

फलत: मध्‍यप्रदेश की सरकार कर्मचारी हित के लिए कुछ और कम्‍पनीज को एनपीएस कम्‍पनीज के तौर पर एनलिस्‍ट करने वाली है, जबकि पीएफआरडी के फण्‍ड मैनेजर अब अपना काम न करके स्‍वयं यह जिम्‍मेदारी संबंधित कर्मचारी को सौंपने वाले हैं जिसका पैसा एनपीएस के लिए कट रहा है। अब आप ही सोचकर बताइये, कि आप कितना शेयर मार्केट का ज्ञान रखते हैं, और क्‍या होगा यदि आपका पैसा (एनपीएस के पैसे से एनपीए चुकाने का ख़ामियाजा) जैसी परिस्थिति निर्मित हो जाए और आप बहुत सारा पैसा शेयर मार्केट के इस जुए में हार जाऍं। क्‍योंकि अब आपके फण्‍ड का रेग्‍यूलेटर और एलोकेटर आपको बना दिया जाएगा और चन्‍द कुछ कम्‍पनीज जैसे कोटक महिन्‍द्रा, एचडीएफसी को इस एनपीएस कम्‍पनीज की लिस्‍ट में शामिल करा दिया जाएगा। यह कुछ इसी प्रकार का है जैसा कि यदि आप एनपीएस टियर-2 में कुछ पैसा इन्‍वेस्‍ट करते हैं, या तो अचानक से कुछ दिन बाद आपको 20-30 प्रतिशत का मुनाफा हो जाता है, अथवा अचानक से आपका 30-50 प्रतिशत रूपये डूब जाता है। 

इन्‍हीं कारणों की वजह से आन्‍दोलनरत सरकारी कर्मचारी सिर्फ और सिर्फ पुरानी पेंशन योजना बहाली की मॉंग कर रहे हैं, यद्यपि एनपीएस से मिलने वाला फायदा पुरानी पेंशन योजना की अपेक्षया कभी-कभार ज्‍यादा भी हो सकता है, परन्‍तु यह हमेशा लाभदायक ही हो ऐसा नहीं है। एनपीएस में आपके पैसे को ही कोई डिजिटली फ्रॉड करके चुरा लेगा जो चोरी नैतिकता और शोषणभरी होगी, आप बस देखते ही रह जाऍंगे और आपकी असहायता का मंजर ऐसा होगा कि आप चाहकर भी कुछ न कर पाऍंगे क्‍योंकि यह एक शेयरमार्केट की नीति होगी। 



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